यूपीए सरकार का हिन्दुओं से साथ ही भेदभाव क्यों?
आज सारे भारत में यूपीए सरकार के प्रति रोष उभर कर सामने आ रहा है जो नीति कभी मुस्लिम बादशाहों नें हिन्दुओं के लिए अपनाई थी वही नीति यूपीए सरकार केवल अपना वोट बैंक पक्का करने के लिए अपने ही निर्धन भाइयों का गला काट कर अपना रही है. हिन्दू कुशाग्र बुद्धि के होते हुए भी अगर निर्धन हैं तो वह शिक्षा के अभाव में चाहे भटके, इससे सरकार को कोई मतलब नहीं, किन्तु अल्पसंख्यक नाम का ठप्प लगे हुए मुसलमान विद्यार्थियों का पूरा-पूरा ध्यान रखते हुए चाहे वह मंद बुद्धि का है उसके लिए छात्रवृत्तियों के भंडार खोल दिए हैं. हाल ही में हिन्दुओं को सुविधाओं से वंचित रख अल्पसंख्यकों के लिए २५ लाख छात्र्वृत्त्यों की घोषणा की गई है. क्या जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल जैसे कई स्थानों में हिन्दू अल्पसंखक नहीं हैं. क्या सरकार ने उनके बारे में कभी कुछ सोचा है? भारत में लाखों युवक बेकारी की हालत में रोजी रोटी को तरस रहे हैं और जो अल्पसंख्यक आतंकवादी आकाओं की छत्रछाया में सीमा पर बैठे हैं उनका भारत में आने पर चिदम्बरम द्वारा स्वागत किया जा रहा है.
इस सन्दर्भ में "त्रिकूटा संकल्प" के अंक २ में छपे लघु लेख " हिन्दुओं के साथ भेदभाव" को अन्य समाचारों के साथ इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र द्वारा पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है.
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ब्रह्मदत्त बक्शी
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