देहरादून (विसंकें). श्री गोवर्धन सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, देहरादून में ‘कर्मयोगी डॉ. नित्यांनद स्मृति समारोह’ सम्पन्न हुआ. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक अशोक बेरी जी ने डॉ. नित्यानंद जी के उन कामों को स्मरण किया, जो उन्होंने उत्तरकाशी के भूकम्पग्रस्त क्षेत्र में किये थे. इनमें ध्वस्त मकानों का पुनर्निर्माण तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और ग्राम्य विकास जैसे काम विशेष उल्लेखनीय हैं.
विश्व हिन्दू परिषद के संगठन महामंत्री दिनेश चंद्र जी ने डॉ. नित्यानंद जी को संघ में लाने वाले दीनदयाल उपाध्याय जी के अंतिम भाषण की याद दिलायी, जो उन्होंने बरेली में दिया था. उसमें उन्होंने महाभारत युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा था कि अर्जुन, युद्धिष्ठिर, भीम तथा स्वयं श्रीकृष्ण ने अपनी प्रतिज्ञा तथा युद्ध के नियम तोड़े, फिर भी पांडव धर्म के पक्षधर कहलाते हैं. जबकि भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण आदि ने अपनी प्रतिज्ञाओं का पालन किया, पर कौरव अधर्मी कहे जाते हैं. इसका कारण यह है कि कौरवों के लिए ‘मैं’ का महत्व था, जबकि पांडवों के लिए ‘हम’ का. पांडवों ने बदनामी सहकर भी अपने पक्ष की जीत के लिए काम किया. अर्थात देश और समाज के हित के सामने निजी हित गौण हैं. दिनेश चंद्र जी ने कहा कि उत्तराखंड में आगे जो चुनौती आ रही है, उसे देखते हुए यह बात समझना और उसके अनुरूप आचरण करना बहुत जरूरी है.
समारोह के अध्यक्ष ‘स्वामी राम हिमालयन वि.वि., जौलीग्रांट’ के कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने डॉ. नित्यानंद जी को ‘हिमालय का साधक’ कहा. जगद्गुरू शंकराचार्य पूज्य स्वामी राज राजेश्वरानंद ने भी आशीर्वचन प्रदान किये. इससे पूर्व समारोह के संयोजक रविदेव आनंद ने सबका स्वागत किया. प्रभाकर उनियाल ने इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका का विवरण दिया. उत्तरांचल उत्थान परिषद के अध्यक्ष प्रेम बड़ाकोटी ने डॉ. नित्यानंद जी द्वारा स्थापित संस्थाओं की वर्तमान गतिविधियों की चर्चा की. समारोह का संचालन ‘विश्व संवाद केन्द्र, देहरादून’ के निदेशक विजय कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन महंत इन्दिरेश अस्पताल की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. माधुरी शर्मा ने किया.
समारोह में क्षेत्र संघचालक डॉ. दर्शनलाल अरोड़ा जी, प्रांत संघचालक चंद्रपाल सिंह नेगी जी, क्षेत्र प्रचारक आलोक कुमार जी, प्रांत प्रचारक युद्धवीर सिंह जी के साथ ही सामाजिक, राजनीतिक तथा शिक्षाक्षेत्र के गण्यमान्य महानुभाव उपस्थित थे.
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