अयोध्या विवादः 15 प्रमुख मुद्दे पर 3 जजों का फैसला
Source: भास्कर न्यूज | Last Updated 14:26(01/10/10)Comment| Share
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अयोध्या में विवादित भूमि को तीन भागों में बांटने का फैसला सुनाया है। विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर 60 साल पुराने मामले पर गुरुवार को सुनाए गए ऐतिहासिक फैसले में जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के पक्षकारों के बीच बांटने का निर्णय लिया गया है।
बेंच ने कहा कि जहां रामलला की मूर्ति स्थापित है, वह जमीन हिंदुओं की है। वहां से रामलला की मूर्ति को हटाया नहीं जाएगा। बेंच ने तीन महीने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और रामजन्म भूमि न्यास ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।
रामजन्म भूमि न्यास जमीन के बंटवारे के खिलाफ अपील करेगा। देशभर में कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट रूम नंबर 21 में जस्टिस डीवी शर्मा, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस एसयू खान की बेंच ने यह फैसला सुनाया। बेंच ने दो-एक के बहुमत से सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया क्योंकि यह समय रहते दाखिल नहीं किया गया था। जस्टिस शर्मा और जस्टिस अग्रवाल ने वक्फ बोर्ड के दावे के खिलाफ व्यवस्था दी, जबकि जस्टिस खान ने वक्फ बोर्ड के पक्ष में फैसला दिया।
(विवादित जमीन तीन बराबर हिस्सों में बांटी जाएगी > तीन गुंबदों वाले ढांचे की केंद्रीय गुंबद के नीचे रामलला विराजमान हैं। यह हिस्सा रामलला के पक्षकारों को मिला। > निर्मोही अखाड़े को रामचबूतरा और सीता रसोई दी गई। > सुन्नी वक्फ बोर्ड को बाहरी परिसर में हिस्सेदारी मिलेगी।)
15 प्रमुख मुद्दे जिन पर तीनों जजों ने सुनाया अलग-अलग फैसला
1. क्या विवादित ढांचा मस्जिद थी?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का फैसला - हां, वादी का यह कहना सही है।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का फैसला - प्रतिवादी (गोपाल सिंह विशारद) के हक में और वादी (सुन्नी वक्फ बोर्ड) के खिलाफ फैसला
- जस्टिस एस.यू खान का फैसला - हां
2. क्या यह मस्जिद है तो इसे बाबर ने बनवाया या मीर बाकी ने?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - वादी यह साबित करने में नाकामयाब रहे कि विवादित ढांचा बाबर या मीर बाकी ने बनवाया।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - इसे बाबर ने बनाया था।
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - यह तय नहीं है कि मस्जिद किसने बनवाई।
3. क्या ढांचा किसी हिंदू मंदिर की जगह पर बनाया गया?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - हां
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - इस ढांचे को एक पुराने ढांचे को ढहाने के बाद बनाया गया।
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - मस्जिद बनाने के लिए कोई हिंदू मंदिर नहीं ढहाया गया। उस स्थल पर काफी पहले से मंदिर के अवशेष पड़े थे। उनका इस्तेमाल मस्जिद बनाने में हुआ।
4. क्या बाबरी ढांचा में मुस्लिम आदिकाल से इबादत करते आए हैं?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - संबंधित इमारत मुस्लिम समुदाय द्वारा खासतौर पर इस्तेमाल नहीं की जाती थी। 18576-57 के बाद बाहरी परिसर खासतौर पर हिंदू इस्तेमाल करते रहे हैं और भीतर के परिसर में दोनों समुदायों के लोग इबादत के लिए जाते रहे हैं।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - वादी के खिलाफ फैसला
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - ----
5. क्या 1949 तक विवादित जमीन पर मुस्लिमों का अधिकार था? और क्या उनसे कब्जा ले लिया गया?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - यह मुद्दा वादी यानी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के खिलाफ जाता है।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - वादी यानी सुन्नी वक्फ बोर्ड के खिलाफ फैसला
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - -----
6. क्या मुकदमा समय रहते दायर किया गया?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - नहीं, मुकदमा कानूनी समय सीमा के बाद दायर किया गया।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - - इस मुद्दे पर भी वादी के खिलाफ फैसला
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - ----
7. क्या हिंदुओं ने विवादित स्थल पर पूजा का अधिकार लंबे समय तक वहां पूजा-अर्चना करके हासिल किया है?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - कम से कम 1856-57 से यानी विभाजन करने वाली दीवार बनने के बाद से बाहरी परिसर मुस्लिमों द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जाता था या उनके कब्जे में नहीं था। लेकिन भीतरी परिसर दोनों समुदाय इस्तेमाल करते रहे हैं।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - - वादी के खिलाफ फैसला
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - ----
8. क्या यह भूमि भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - हिंदुओं की आस्था के अनुसार ढांचे के तीन गुंबदों में से बीच वाले गुंबद के नीचे का क्षेत्र श्रीराम का जन्मस्थान है।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - विवादित जगह भगवान राम की जन्मभूमि ही है।
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - इस स्थल की मान्यता राम जन्मभूमि की है। लेकिन यह तय नहीं है कि ठीक किस स्थान को जन्मभूमि माना जाता है।
9. क्या 22-23 दिसंबर 1949 की दरमियानी रात को ढांचे के भीतर मूर्तियां रख दी गई या ये वहां पहले से मौजूद थीं?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - - मूर्तियां वहां 22-23 दिसंबर 1949 की दरमियानी रात को रख दी गई थी। इसके पहले यही मूर्तियां बाहरी परिसर में मौजूद थीं। इसलिए 16 जनवरी 1950 को जब मुकदमा नंबर 1 दायर किया गया तो उल्लेखित मूर्तियां भीतरी परिसर में केंद्रीय गुंबद के नीचे मौजूद थीं। यानी मुकदमा दायर करने के पहले।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - - हां मूर्तियों को 22-23 दिसंबर की दरमियानी रात वहां रखा गया।
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - हां इसी दौरान मुर्तियां रखी गईं
10. क्या हिंदुओं को ‘चरण’, ‘सीता रसोई’ और अन्यू मूर्तियों की पूजा करने का अधिकार था?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - -------
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - - यह साबित हुआ कि हिन्दुओं को यह हक था।
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - हां
11. क्या रामजन्मभूमि पर हिंदू आदिकाल से पूजा-अर्चना करते रहे हैं और तीर्थयात्रा के लिए वहां आते रहे हैं?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब -
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - - इसका फैसला भी प्रतिवादी (गोपाल सिंह विशारद) के हक में गया।
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - हां
12. क्या हिंदुओं को जानकारी रहते हुए 1528 से मुस्लिमों का विवादित भूमि पर कब्जा रहा है?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - इसका जवाब नकारात्मक है।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - - वादी के खिलाफ फैसला।
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - हां
13. क्या बाबरी मस्जिद बनने के बाद भगवान श्रीराम और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां वहां थी और श्रद्धालु उनकी पूजा करते थे?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - - इसका जवाब इस हद तक सकारात्मक है कि भगवान श्रीराम की जन्म भूमि समझा जाने वाले परिसर पर हिंदू श्रद्धालु आते रहे थे।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - - वादी के खिलाफ फैसला।
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - नहीं
14. क्या ढांचे के चारो ओर हिंदुओं के पूजा स्थल थे?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - ढांचे तक हिंदुओं के पूजा स्थल से गुजरकर ही पहुंचा जा सकता था। हालांकि इस तथ्य से कोई नतीजा नहीं निकलता।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - - विवादित ढांचे को एक पुराने ढांचे को ढहाने के बाद बनाया गया। एएसआई के मुताबिक यह एक बड़ा हिंदू धार्मिक ढांचा था। विवादित ढांचे को मस्जिद नहीं माना जा सकता क्योंकि इसे इस्लाम के सिद्धांतों के विरुद्ध बनाया गया।
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - हां
15. क्या ढांचे के बनने के ठीक पहले तक वहां हिंदुओं का पूजा स्थल था? यदि हां क्या इस्लाम के सिद्धांतों के मुताबिक वहां मस्जिद बनाना गलत था?
- जस्टिस सुधीर अग्रवाल का जवाब - ढांचे के बनने तक हिंदू वहां पूजा करते रहे हैं, लेकिन इससे विवादित इमारत के दर्जे पर कोई असर नहीं पड़ता। क्योंकि ढांचे का निर्माण एकछत्र सम्राट के आदेश पर हुआ था और अदालत उस पर फैसला नहीं दे सकती थी। लेकिन मस्जिद बनाने के मुद्दा वादी यानी वक्फ बोर्ड के पक्ष में जाता है।
- जस्टिस धरमवीर शर्मा का जवाब - - वादी (सुन्नी वक्फ बोर्ड) के खिलाफ फैसला।
- जस्टिस एस.यू खान का जवाब - हां
इन्होंने लिखा इतिहास
जस्टिस सुधीर अग्रवाल के फैसले की मुख्य बातें
विवादास्पद स्थान के अंतर्गत केंद्रीय गुंबद के दायरे में आना वाला क्षेत्र भगवान राम का जन्म स्थान है, जैसा की हिंदू धर्मावलंबी सोचते हैं। विवादास्पद स्थान को हमेशा मस्जिद की तरह माना गया और वहां मुस्लिमों ने नमाज पढ़ी। लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि यह बाबर के समय 1528 में बनाई गई थी।
जस्टिस एस.यू. खान के फैसले की मुख्य बातें
मस्जिद बनाने के लिए किसी मंदिर को तोड़ा नहीं गया है। मंदिर के अवशेष पर मस्जिद का निर्माण हुआ था। हालांकि, मस्जिद का निर्माण बहुत बाद में हुआ। मस्जिद के निर्माण में मंदिर के अवशेषों का इस्तेमाल हुआ था। मस्जिद बनने से पहले लंबे समय तक हिंदू विवादित जमीन के हिस्से को भगवान राम का जन्मस्थान मानते रहे हैं।
जस्टिस धर्मवीर शर्मा के फैसले की मुख्य बातें
- पूरा विवादित स्थल भगवान राम का जन्म स्थान है। मुगल बादशाह बाबर द्वारा बनवाई गई विवादित इमारत का ढांचा इस्लामी कानून के खिलाफ थी और इस्लामी मूल्यों के अनुरूप नहीं थी। मेरा फैसला 2,666 पृष्ठों का है।
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