स्व को भूलना ही हिन्दू का पतन : डॉ. मोहन भागवत
नागपुर। इस देशपर सैकड़ो आक्रमण हुए है। इन में कई बार हिंदुस्तान का पराजय भी हुआ है। फिर भी यह राष्ट्र नए सिरे से उसी दमखम के साथ खड़ा हो जाता हैं। इसके पीछे कौंनसी शक्ति काम करती हैं। इसकी तलाश बाहरी आक्रमणकारियों ने की तब उनको पता चला की इस देश का, हिंदुओं का जो स्व हैं, जो आत्मा हैं उसको तोड़ना होगा और इनका आत्मा जो हैं वह राम हैं, यहां के मंदिर हैं। इन्हे तोड़ना होगा तभी जाकर यह हिंदुस्थान बिखरेगा और आज वही हो रहा हैं।
सरसंघचालक मोहन भागवत ने विशाल हिन्दू सम्मेलन को संबोधित करते हुए आज यह शब्द उच्चारे। रेशिम बाग स्थित १२ दिसंबर को हनुमत शक्ति जागरण समिति की ओर से आयोजित विशाल हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में प. पू. नरेन्द्राचार्य महाराज, नाणिज, रत्नागिरी और देश भर के शीर्ष संत-महंत गण उपस्थित थे।
मोहन भागवत ने बताया आज १२ दिसंबर का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं
क्योंकि इसी दिन बंबई में स्वदेशी आंदोलन में प्रथम आहुति बाबू गेनू ने दी थी। स्व के लिए दी गई यह आत्माहुति थी। उन्होंने बताया हमारे देश में स्वत्व का ही दमन हो रहा हैं। हमारी प्रकृति क्या हैं? हमारा स्वभाव क्या हैं? इससे हम चूक रहे हैं। कश्मीर विवाद अपने स्व के विस्मरण का उमदा उदाहरण हैं। ऐसी बात उन्हों ने उपस्थित जाना समुदाय को बताई।
राम लाला की भूमि पर विवाद पैदा कर इसका बंटवारा करना इसी स्वत्व का नाश करना हैं। भारत का स्वत्व उसके मंदिर हैं। यहां के संत हैं और कट्टरपंथियोंने इसी बात को निशाना साधते हुए मंदिर तोड़ने का और संतो का तेजोभंग करने का षड्यंत्र रचा हैं। इसीलिए हिन्दू जनता से मेरा अनुरोध हैं कि वे एकजुट हो कर इन षड्यंत्रकारियों के झांसे में न जाकर भव्य राममंदिर निर्माण में सहयोग करें।
वही प. पू. नरेन्द्राचार्य महाराज ने जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दू आज जागृत नहीं हुआ तो अनेवाले १० साल में हिंदुओं पर यह परिस्थिति आनेवाली हैं ‘एक तो सुंता नहीं तो बाप्तिस्प्मा’। रामजन्मभूमी का बंटवारा करना यह सरकार का षड्यंत्र हैं। क्योंकि बंटवारा करने से समस्या का हल नहीं होता। राजनीतिज्ञों को राजनीति करने का अच्छा अवसर इन बंटवारों से मिलता हैं। उन्होंने बताया लोग कृष्णराज्य, विष्णुराज्य या शिवराज्य की मांग नहीं करते वे
रामराज्य की ही मांग करते हैं। उन्होंने हिन्दू समाज युवाओंकों फिर से राम का काम करने के लिए हनुमान की भूमिका निभाने का आवाहन किया हैं।
नरेन्द्राचार्यजी महाराज ने हिंदुओं को अपनी वोट बैंक बनाने के लिए कहा हैं। जब तक हिन्दू संघटित नहीं होते तब तक उनके श्रद्धास्थानों को कट्टरवादी ध्वस्त करते रहेंगे। आज संघटित होने का वक्त आ गया हैं। उन्होंने हिंदुओंके धर्मांतरण पर नाराजी जताते हुए कहा कि गरीबी धर्मांतरण का कारण नहीं हो सकती। अन्यथा सभी धर्म कि गरीब जनता अपना धर्म बदलती।
जाती पर आधारित आरक्षण नहीं होना चाहिए, समाज की आर्थिक स्थिति पर आरक्षण होना आवश्यक हैं ऐसा भी उन्होंने बताया। मंच पर नारायण बाबा, स्वामी बहमानन्दजी महाराज, विष्णुजी व्यास, मोहन महाराज कठाले, श्रीरामपंत जोशी, विजयस्वरूपनन्दजी महाराज, भंते रावजी पिण्डक, रामकृष्ण पौनीकर, सदाशिवराव मोहाडीकर, अनंतशेष प्रभू, कल्यानंदजी महाराज, महापौर अर्चना डेहणकर प्रमूखता से उपस्थित थे।
सरसंघचालक मोहनजी भागवत का स्वागत हनुमत-शक्ति जागरण समिति के
विदर्भ अध्यक्ष प्रफुल्लकुमार गाडगे व शहर अध्यक्ष मुधोजी भोसले ने पुष्पहार पहनाकर किया। नरेन्द्राचार्य महाराज का स्वागत भी इन्ही अध्यक्षद्वायों द्वारा पुष्पमाला पहना कर किया गया।
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