Wednesday, November 21, 2012

26/11 की चौथी बरसी से पहले कसाब को दी गई फांसी

26/11 accused ajmal kasab hangs till death

26/11 की चौथी बरसी से पहले कसाब को दी गई फांसी


http://www.jagran.com/news/national-2611-accused-ajmal-kasab-shift-to-pune-yerwada-jail-9867136.html
Updated on: Wed, 21 Nov 2012 10:00 AM (IST)
26/11 accused ajmal kasab hangs till death
26/11 की चौथी बरसी से पहले कसाब को दी गई फांसी
मुंबई। मुंबई हमले के एकमात्र दोषी आतंकी अजमल कसाब को मुंबई के आर्थर रोड जेल से पुणे की यरवडा जेल में शिफ्ट करने के बाद बुधवार सुबह करीब 7:30 बजे फांसी दे दी गई। डाक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया गया है। महाराष्ट्र के गृहमंत्री आरआर पाटिल ने कसाब को फांसी दिए जाने की पुष्टि की है। इससे पहले उसको बेहद गोपनीय तरीके से पुणे की यरवडा जेल में शिफ्ट किया गया था। जेल प्रशासन ने राज्य के गृह सचिव को भी इसकी सूचना दे दी गई है। इस पूरे ऑपरेशन को ऑपरेशन एक्स का नाम दिया गया था।
आर्थर रोड जेल में फांसी देने की सुविधा नहीं है। यह सुविधा केवल पुणे की यरवडा जेल और नागपुर की जेल में ही है। लिहाजा उसको यहां शिफ्ट किया गया था। हालांकि कसाब को बेहद गोपनीय तरीके से शिफ्ट किया गया। एक अग्रेंजी अखबार के मुताबिक माना राष्ट्रपति कसाब की दया याचिका खारिज कर चुके थे। लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। दो माह पहले गृह मंत्रालय ने कसाब की दया याचिका को खारिज किया गया था। मंत्रालय की सिफारिश पर ही राष्ट्रपति ने उसकी दया याचिका खारिज कर दी है। आर्थर रोड जेल में केवल अंडरट्रायल कैदियों को ही रखा जाता है। लेकिन अब जब कि कसाब को फांसी लगनी काफी हद तक तय हो गई है तो प्रशासन ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है।
कसाब को राष्ट्रपति द्वारा याचिका खारिज करने के तुरंत बाद मुंबई की आर्थर रोड जेल से यरवडा जेल में शिफ्ट किया गया। इसके कुछ देर बाद ही कसाब को फांसी दे दी गई। इसे बेहद गोपनीय तरीके से सरकार ने अंजाम दिया। वरिष्ठ वकील उजवल निगम ने कसाब को फांसी दिए जाने की पुष्टि करते हुए इसपर खुशी जताई।
इस बीच यरवडा जेल की सुरक्षा को और पुख्ता किया जा रहा है। 2611 के दोषी आतंकी को आर्थर रोड जेल की सबसे अधिक सुरक्षित सैल में रखा गया था। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। 27 नवंबर 2008 को कसाब को गिरफ्तार किया गया था। अभी तक कसाब के रखरखाव पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। उसके रखरखाव पर हुए खर्च को लेकर भी कई बार सवाल उठे थे। गौरतलब है कि 29 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी।

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