अजमेर दरगाह के दीवान जेनुअल आबेदीन ने किया पाक प्रधानमंत्री की यात्रा का विरोध
Source: VSK-ENG Date: 3/9/2013 12:34:17 PM |
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रजा परवेज अशरफ भारत यात्रा के दौरान शनिवार को अजमेर आएंगे। वे यहां ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह की जियारत करेंगे। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार पाकिस्तानी प्रधानमंत्री परवेज अशरफ शनिवार दोपहर 3 बजकर 3५ मिनट पर घूघरा हेलीपेड पर पहुंचेंगे। वहां से वे सीधे ख्वाजा साहब की दरगाह पहुंचेंगे। वे वहां मजार पर चादर चढ़ाएंगे और परिवार के साथ इबादत करेंगे। दरगाह कमेटी तथा अंजुमन कमेटी द्वारा पाक प्रधान मंत्री का इस्तकबाल करेंगी। इसके पश्चात अशरफ सीधे हेलीपेड तक पहुंच कर दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।
हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के सज्जादानशीन जेनुअल आबेदीन ने कहा है कि देश की सीमा से सैनिकों के सिर काटकर ले जाने की अमानवीय घटना और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार व उनके धर्म स्थलों की असुरक्षा के विरोधस्वरूप पाक प्रधानमंत्री परवेज अशरफ की अजमेर दरगाह जियारत का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने यहां एक बयान जारी कर बताया कि सीमा पर षडयंत्र एवं कायरतापूर्ण तरीके से भारतीय सेना के जवानों के सिर काटकर ले जाना और शहीदों के सिर वापस नहीं लौटाना अंतरराष्ट्रीय सैन्य परंपराओं का उल्लंघन एवं मानवीय मूल्यों का हनन ही नहीं है, बल्कि इस्लाम धर्म के मूल सिद्धांतों की खिलाफवर्जी है। इस्लाम यह स्पष्ट निर्देश देता है कि पड़ोसियों के साथ शांति व सदाचार का व्यवहार करना चाहिए।
जिससे आपस में नफरत का माहौल पैदा न हो। उन्होंने कहा कि पाक राजनीतिज्ञ इस्लामिक मूल्यों की अवहेलना करते हुए भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देकर बेकसूर लोगों की जान लेते हैं।
सभी मामलों में देश की सरकार की ओर से आधिकारिक विरोध दर्ज करवाने के बावजूद पाक सरकार ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि बेहतर यह होता कि पाक प्रधानमंत्री भारतीय शहीदों के सिर सम्मान के साथ भारत लाते और देश के प्रधानमंत्री को सौंपते, पाक सैनिकों की ओर से देश की जनता और शहीदों के परिवार से क्षमा याचना कर फिर अजमेर दरगाह जियारत को आते। इससे दोनों मुल्कों के बीच नए तरीके से मधुर संबंधों की स्थापना की शुरुआत होती है।
दरगाह दीवान के मुताबिक दरगाह ख्वाजा साहब में पौराणिक परंपराओं के अनुसार किसी राष्ट्राध्यक्ष की अगुवानी सर्वप्रथम उनके द्वारा की जाती है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए उन्होंने कई राष्ट्रों के प्रधानमंत्रियों व राष्ट्रपति का सूफी परंपराओं के साथ स्वागत भी किया है और आशीर्वाद देकर विदाई दी है। पाक प्रधानमंत्री की प्रस्तावित अजमेर यात्रा को लेकर उनका कहना है कि वह पाक प्रधानमंत्री की दरगाह जियारत के दौरान उपस्थित रहने के लिए जिला प्रशासन को अपनी दरगाह में उपस्थिति एवं पास के लिए पत्र नहीं लिखेंगे और इस यात्रा का बहिष्कार करेंगे।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पाक की ओर से लगातार इस प्रकार की कायरतापूर्वक एवं शर्मनाक घटना के बावजूद एक इस्लामिक धर्म गुरु एवं दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख की हैसियत से यदि वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री परवेज अशरफ की अजमेर दरगाह जियारत के दौरान उपस्थित रहकर उनका स्वागत सत्कार करते हैं तो यह देश के मान व सम्मान के साथ ठेस पहुंचाने अतिरिक्त सीमाओं पर देश की रक्षा कर रहे सैनिकों और शहीदों के बलिदान का अनादर करना होगा। उन्होंने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह भारतीय उप महाद्वीपों में मुसलमानों का सबसे बड़ा धर्म स्थल है। दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख होने के नाते वह प्रधानमंत्री की धार्मिक यात्रा का बहिष्कार कर रहे हैं। अब पाक प्रधानमंत्री खुद विवेचना करें कि उनकी यह हाजिरी कबूल होगी या नहीं।
हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के सज्जादानशीन जेनुअल आबेदीन ने कहा है कि देश की सीमा से सैनिकों के सिर काटकर ले जाने की अमानवीय घटना और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार व उनके धर्म स्थलों की असुरक्षा के विरोधस्वरूप पाक प्रधानमंत्री परवेज अशरफ की अजमेर दरगाह जियारत का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने यहां एक बयान जारी कर बताया कि सीमा पर षडयंत्र एवं कायरतापूर्ण तरीके से भारतीय सेना के जवानों के सिर काटकर ले जाना और शहीदों के सिर वापस नहीं लौटाना अंतरराष्ट्रीय सैन्य परंपराओं का उल्लंघन एवं मानवीय मूल्यों का हनन ही नहीं है, बल्कि इस्लाम धर्म के मूल सिद्धांतों की खिलाफवर्जी है। इस्लाम यह स्पष्ट निर्देश देता है कि पड़ोसियों के साथ शांति व सदाचार का व्यवहार करना चाहिए।
जिससे आपस में नफरत का माहौल पैदा न हो। उन्होंने कहा कि पाक राजनीतिज्ञ इस्लामिक मूल्यों की अवहेलना करते हुए भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देकर बेकसूर लोगों की जान लेते हैं।
सभी मामलों में देश की सरकार की ओर से आधिकारिक विरोध दर्ज करवाने के बावजूद पाक सरकार ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि बेहतर यह होता कि पाक प्रधानमंत्री भारतीय शहीदों के सिर सम्मान के साथ भारत लाते और देश के प्रधानमंत्री को सौंपते, पाक सैनिकों की ओर से देश की जनता और शहीदों के परिवार से क्षमा याचना कर फिर अजमेर दरगाह जियारत को आते। इससे दोनों मुल्कों के बीच नए तरीके से मधुर संबंधों की स्थापना की शुरुआत होती है।
दरगाह दीवान के मुताबिक दरगाह ख्वाजा साहब में पौराणिक परंपराओं के अनुसार किसी राष्ट्राध्यक्ष की अगुवानी सर्वप्रथम उनके द्वारा की जाती है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए उन्होंने कई राष्ट्रों के प्रधानमंत्रियों व राष्ट्रपति का सूफी परंपराओं के साथ स्वागत भी किया है और आशीर्वाद देकर विदाई दी है। पाक प्रधानमंत्री की प्रस्तावित अजमेर यात्रा को लेकर उनका कहना है कि वह पाक प्रधानमंत्री की दरगाह जियारत के दौरान उपस्थित रहने के लिए जिला प्रशासन को अपनी दरगाह में उपस्थिति एवं पास के लिए पत्र नहीं लिखेंगे और इस यात्रा का बहिष्कार करेंगे।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पाक की ओर से लगातार इस प्रकार की कायरतापूर्वक एवं शर्मनाक घटना के बावजूद एक इस्लामिक धर्म गुरु एवं दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख की हैसियत से यदि वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री परवेज अशरफ की अजमेर दरगाह जियारत के दौरान उपस्थित रहकर उनका स्वागत सत्कार करते हैं तो यह देश के मान व सम्मान के साथ ठेस पहुंचाने अतिरिक्त सीमाओं पर देश की रक्षा कर रहे सैनिकों और शहीदों के बलिदान का अनादर करना होगा। उन्होंने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह भारतीय उप महाद्वीपों में मुसलमानों का सबसे बड़ा धर्म स्थल है। दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख होने के नाते वह प्रधानमंत्री की धार्मिक यात्रा का बहिष्कार कर रहे हैं। अब पाक प्रधानमंत्री खुद विवेचना करें कि उनकी यह हाजिरी कबूल होगी या नहीं।
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