Thursday, June 22, 2017

अंधविश्वास में मिशनरी धर्म परिवर्तन में हो रहे कामयाब

विश्रामपुर : भूत प्रेत से शांति दिलाने के नाम पर ईसाई मिशनरियां दलित पिछडे वर्ग एवं गरीबों का धर्म परिवर्तन कराने का काम कर रही है। पिछले दिनों राज्यस्तरीय पार्टी कार्यकर्ता की बैठक में धर्मांतरण पर सक्त कानून बनाने की बात मुख्यमंत्री रघुवर दास की ओर से कही गई थी। परंतु इसका कोई प्रभाव लोगों पर नहीं पडा। धर्मांतरण का खेल चरम पर है। कुछ बिचौलीये भोले भाले गरीब परिवार को लालच देकर अपने लक्ष्य में सफल हो रहे हैं। इसमें विश्रामपुर व नावा बाजार थाना क्षेत्र भी इसमें पीछे नहीं है।
थाना क्षेत्र के उमेश चौधरी, सुगेंद्र उरांव, विजय राम व तोलरा गांव से गणेश उरांव, चतुगुण उरांव जैसे दर्जनों लोगों ने बातचीत के क्रम में स्वीकार किया है कि धर्मांतरण के बाद उन्हें भूत प्रेत से शांति मिली है। नावाबाजार थाना क्षेत्र के तुकबेरा गांव निवासी बिशुनदेव भुइयां ने बताया कि, उनकी पत्नी का दो बार गर्भपात हो गया था। पुत्र प्राप्ति की मोह में ईसाई धर्म स्वीकार करने को कहा गया है । साथ हीं वे धर्मांतरण भी कर लिए।
धर्मांतरण करने वाले कुछ लोग शहर में किराए के मकान में रहते हैं। साथ हीं अपने आप को ऊंची जाति का हवाला देकर कहते हैं कि, हमने ईसाई धर्म अपना लिया है तो तुम दलित पिछडे लोग अपनाने से क्यों परहेज कर रहे हो। इसमें कोई पाप नहीं। लोगों को बताया जाता है कि प्रभु यीशु से तुम्हारा सम्पर्क होगा घर में सुख शांति आएगी। सभी प्रकार के दर्द पीडा दुर होगा। वहीं लोगों को कहा जाता है कि ईसाई धर्म ही बडा धर्म है।
तुकबेरा गांव के एक भुईयां परिवार जो सोशल मिडिया पर उपलब्ध एक विडियो में वो स्वीकार करते हैं कि ईसाई धर्म अपनाने से दर्द पीडाए भुत प्रेतो से शांति मिलती है। चर्च में गरीबों को मुर्गा भात खिलाकर उन्हे धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। राजहारा कोठी निवासी सुमंत साव का पुरा परिवार इसलिए हिन्दू धर्म त्याग कर दिया कि भूत प्रेत से शांति चाहिए थी। जो ईसाई धर्म अपनाने से मिली। जब ईसाई धर्मांतरण से दर्द पीडा व भुत प्रेत से शांति मिलती है तो सरकार द्वारा स्वास्थ्य पर किया जा रहा करोडो़ का खर्चा बेमानी है।
इस क्षेत्र में धर्मांतरण कर ईसाई बनाने का खेल वर्षों से चल रहा है। परंतु तीन वर्षों से क्षेत्रों में धर्मांतरण को बिचौलिया हावी हैं। इससे पूर्व ईसाई बने लोग मेदिनीनगर जाकर रविवार को प्रार्थना करते थे। बढती संख्या को देखते हुए धर्म के दलाल स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि से संपर्क स्थापित किए। जिसने लालच में आकर प्रत्येक रविवार को सार्वजनिक जगहों पर प्रार्थना की अनुमती दे दी। पिछले साल २०१५ में गांव में एक विशाल गिरजाघर बना दिया गया। जहां प्रत्येक रविवार को प्रार्थना कराई जाती है। साथ ही बाहर से आने वाले फादर या पास्टर अंधविश्वास से जकडे़ लोगों को धर्म अपनाने के बाद मुक्त होने की बात कहते हैं। जिसके बहकावे में लोग आ रहे हैं।

धर्मांतरण के विरुद्ध कार्रवाई की मांग

प्रखंड के अनुसूचित जाति, जन जाति व पिछडी जाति के लगभग तीन सौ लोगों ने धर्मातरण कर लिया है। इसके विरुद्ध कार्रवाई की मांग स्थानीय लोगों ने की है। इनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों ने आदिम जनजातिए अनुसूचित जाति-जनजाति और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को विदेशी धन के बल पर प्रलोभन देकर धर्मांतरित करने का अभियान चला रही हैं। नावाबाजार थाना क्षेत्र के राजहारा कोठी, तुकबेरा, छतवा इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। उन्होंने कहा कि राज्य के कई जिलों में एक रणनीति के तहत भोले-भाले लोगों को शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा की आड में चंगाई करिश्मा दिखाकर धर्मातरित किया जा रहा है। इसके कारण गांवों का समीकरण बदल गया है। राजहारा जैसे हिन्दू बहुल गांव में चर्च बन गए। प्रशासन अनभिज्ञ बना हुआ है। धर्मातरण से संबंधित संस्था या व्यक्ति पर कडी कार्रवाई किए जाने की बात कही।
नावा बाजार के प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक चौपडा ने कहा कि, भूत प्रेत जैसी अंधविश्वास के नाम पर झूठे भ्रम फैलानेवाले लोगोंपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। क्षेत्र में धर्मांतरण की जानकारी नहीं मिली है। संज्ञान में आने पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी। स्थानीय लोगों से इसकी समुचित जानकारी ली जा रही है।
स्त्रोत : जागरण

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