महाकुंभ को ‘गिनीज बुक’ में शामिल कराने की तैयारी
हरिद्वार। बैसाख पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को महाकुंभ पर्व का अंतिम स्नान हो रहा है और इसके साथ ही सदी का पहला महाकुंभ समाप्त हो जाएगा। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु ब्रह्मकुंड में डुबकी लगा रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मकुंड में स्नान करने वाले व्यक्ति की हर मुराद पूरी हो जाती है।
इससे पूर्व के प्रमुख स्नानों में परंपरा के अनुसार सुबह आठ बजे से शाम सात बजे तक अखाड़ों के लिए ब्रह्मकुंड आरक्षित रहने के कारण इस समयावधि में आम श्रद्धालु यहां स्नान नहीं कर सकते थे।
महाकुंभ के इन साढ़े तीन महीनों में करीब छह करोड़ से ज्याद लोगों ने स्नान किया, जो कि अनुमान से कहीं बहुत ज्यादा है।
मेला अधिकारी श्री आनंद वर्धन ने कहा, “इन साढ़े तीन महीनों में छह करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किया जो कि अनुमान से कहीं बहुत ज्यादा है। इस दौरान क़रीब 30 हजार लोग बिछड़े भी लेकिन उन्हें परिजनों से मिलवा दिया गया और कुल मिलाकर ये आयोजन शांतिपूर्ण रहा।”
इस बार के महाकुंभ के लिए शासन ने चार शाही स्नान सहित 11 स्नान घोषित किए थे। इसके पूर्व के आयोजनों में तीन शाही स्नान होते रहे हैं। पहली बार उदासी और बैरागी अखाड़ों ने भी शाही स्नान किया। लगभग पहली बार ही अखाड़ों में स्नान को लेकर कोई विवाद भी नहीं देखने को मिला और सभी 13 अखाड़ों ने आम सहमति से स्नान किया।
इसकी विशेषता यह रही कि इस पर्व में बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल हुए न सिर्फ पर्यटक के तौर पर बल्कि कुछ महामंडलेश्वर भी बने। ऑस्ट्रेलिया के स्वामी जसराजपुरी सहित कई विदेशियों को महामंडलेश्वर की पदवी दी गई।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस अनूठे आयोजन के लिए नोबेल पुरस्कार की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘अगर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को नोबेल मिल सकता है तो कुंभ को क्यों नहीं?’
वहीं, केंद्र सरकार ने महाकुंभ पर्व को गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल करने का प्रस्ताव किया है।
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