पुरी श्रीमंदिर तथा विश्व प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर के सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिन्ता प्रकट की गई है। उक्त दोनों प्राचीन व प्रसिद्ध मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था के दायित्व में रहने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान (एएसआई) के महानिदेशक डाक्टर गौतम सेनगुप्त ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात कर इस संबन्ध में चर्चा किए हैं। चर्चा के समय एएसआइ डीजी डाक्टर सेनगुप्त ने मुख्यमंत्री से कहा है कि पुरी श्रीमंदिर का जगमोहन की अवस्था ठीक है, मगर सिंहद्वार की अवस्था ठीक नहीं है। काफी साल पहले इसके निर्माण के समय खपरा, बांस व अन्य सामग्री का प्रयोग किए जाने से इसकी अवस्था खराब हो गई है। एएसआई की तरफ से काफी गम्भीरता के साथ संरक्षण कार्य किया जा रहा है। उसी तरह कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में डाक्टर सेनगुप्त ने कहा है कि इस विश्व प्रसिद्ध कीर्तिराज को संरक्षित रखने के लिए सभी प्रकार के कदम उठाए जा रहे हैं। कोणार्क मंदिर के परिसर से जल निष्कासन की व्यवस्था की जा रही है। यहां आवश्यकीय अनुध्यान करने के बाद आवश्यकीय कदम उठाए जाएंगे। सचिवालय में आयोजित इस बैठक में एएसआई महानिदेशक व अन्य अधिकारियों से मुख्यमंत्री ने कहा कि पुरी श्रीमंदिर हिन्दु धर्म का पवित्र तीर्थ स्थान है। यह पूरे विश्व में एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। भंिवष्य में इसकी सुरक्षा अच्छे ढंग से किए जाने की आवश्यकता है। उसी तरह विश्व प्रसिद्ध कोणार्क का संरक्षण भी बहुत जरूरी है। इसमें एएसआई द्वारा किसी प्रकार की गलती किया जाना ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर धौली, शिशुपालगड़ एवं राजधानी की तटीय हीरापुर चौंसठ योगिनी पीठ के उपयुक्त संरक्षण व पारिपािर्श्वक विकास पर बल दिए। मुख्यमंत्री ने कहा इन तमाम ऐतिहासिक स्थलों को प्रदूषण से बचाने के लिए इनके चारों तरफ एएसआई बड़े बड़े पेड़ लगाए। उसी तरह तकनीकी ज्ञान कौशल सम्पन्न कर्मचारियों द्वारा इनकी सुरक्षा करे।
बैठक में उभय एएसआई एवं राज्य संस्कृति विभाग विचार विमर्श कर संरक्षण कार्य को नियमित तौर पर जांच करने के लिए सलाह दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि मैं खुद इनकी जांच करूंगा। इन स्थलों पर विकाश कार्य किस तरह से चल रहा है, उस बारे में हर महीने मैं खुद जानकारी लूंगा। मुख्यमंत्री ने कहा है कि इन तीर्थ स्थलों के विकास में किसी प्रकार की अवहेलना करना ठीक नहीं है।
उसी तरह बैठक में निर्णय लिया गया है कि विश्व प्रसिद्ध कोणार्क मंदिर के सुरक्षा के लिए स्वतंत्र कदम उठाए जाएंगे। कोणार्क मंदिर में मौजूद पत्थर के अवस्था के बारे में जानने के लिए एण्डोस्कोपी कैमरे का प्रयोग किया जाएगा। खारे पवन से कोणार्क व पुरी श्रीमंदिर को बचाने के लिए आवश्यकीय कदम उठाने को एएसआई की तरफ से दिल्ली अधिक रसायनविदों को बुलाया जाएगा। कोणार्क में लगाए गए बांस आदि को हटाकर यहां किस प्रकार से स्थाई सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी, उस बारे में भुवनेश्वर आईआईटी की तरफ से एक योजना बनाई जाएगी।
संरक्षण कार्यक्रम की देखरेख करने के लिए एएसआई एवं संस्कृति विभाग की तरफ से एक उच्च स्तरीय समन्वय कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी की महीने एम एक बार बैठक होगी। श्रीमंदिर एवं कोणार्क मंदिर संरक्षण कार्य का नियमित अनुध्यान करने को एएसआई का एक उच्च पदस्थ अधिकारी पुरी में रहेंगे। कोणार्क मंदिर परिसर से जल निष्काशन समस्या का आगामी दो महीने के अन्दर समाधान कर लिया जाएगा।
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