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शिमला.
अखण्ड भारत विषय पर ‘अभ्युदय’ संस्था द्वारा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय
में संगोष्ठी आयोजित की गयी. संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के
सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने प्राध्यापकों, छात्र-छात्राओं तथा गणमान्य
नागरिकों के सम्मुख अपने विचार व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947
को जहाँ एक ओर हम स्वतंत्र देश के रूप में उपस्थित हुये तो वहीँ दूसरी ओर
16 अगस्त 1947 को खण्डित भारत के रूप में दो देशों के रूप में हम सामने
आये. एक ओर स्वतंत्र होने का हर्ष तो दूसरी ओर खण्डित होने का दुःख भी हुआ.
भय्याजी ने बताया की स्वतंत्रता के भान का अभाव, समाज का संगठित न
होना, अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति ने हमें गुलाम बनाया.
प्राचीन काल में अपनी सीमायें ईरान तक थीं, क्या कारण रहा होगा कि हम गुलाम
हुये, इस पर गंभीरतापूर्वक विचार होना चाहिये. विभाजन के समय का राजनीतिक
नेतृत्व कहता रहा कि हम भारत का विभाजन नहीं होने देंगे लेकिन अदूरदर्शिता,
आपसी फूट और संगठित न होने के कारण स्वतंत्रता के रूप में हमें खण्डित
भारत मिला. तुष्टीकरण की नीति के चलते महात्मा गाँधी और पं. नेहरू भी
विभाजन को रोक नहीं पाये.
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उन्होंने
सचेत किया कि आजादी की गाथा वर्तमान में युवा पीढ़ी को स्मरण रखनी चाहिये.
विश्व का कोई भी देश वहाँ के जागरूक समाज, युवा-शक्ति तथा सक्षम राजनीतिक
नेतृत्व के बल पर एक हो सकता है. बर्लिन की दीवार को तोड़कर पूर्वी-पश्चिमी
जर्मनी एक संगठित जर्मन राष्ट्र बना सकते हैं, वियतनाम एक हो सकता है तो
अपना देश भी संगठित समाज, जागरूक युवा-शक्ति और सक्षम नेतृत्व के बल पर एक
दिन अवश्य अखण्ड होगा ऐसा अपना विश्वास है. उन्होंने उपस्थित जनों का
आह्वान किया कि आज इस अवसर पर हम सभी यह संकल्प लें कि खण्डित भारत फिर से
अखण्ड होगा और अखण्डित भारत फिर खण्डित नहीं होगा. अभ्युदय के संयोजक
नीताराम ने मुख्य वक्ता, मुख्य अतिथि हि. प्र. तकनीकी विश्वविद्यालय के
पूर्व उप कुलपति डॉ. शशि धीमान तथा संगोष्ठी में उपस्थित सभी महानुभावों का
धन्यवाद किया.
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