Monday, February 10, 2014

कैरावैन मैगजीन को कोई इंटरव्यू नहीं दिया : स्वामी असीमानंदजी

कैरावैन मैगजीन को कोई इंटरव्यू नहीं दिया : स्वामी असीमानंदजी

माघ शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५
 
नई दिल्ली : समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के आरोपी स्वामी असीमानंदजी ने 'कैरावैन' मैगजीन की खबर को झूठा और बनावटी करार दिया है। मैगजीन ने स्वामी असीमानंद के साथ बातचीत का हवाला देते हुए खुलासा किया था कि समझौता एक्सप्रेस, अजमेर, मालेगांव और मक्का मस्जिद में हुए ब्लास्ट की मंजूरी आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व ने दी थी।
'कैरावैन' मैगजीन के खुलासे के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत पर सियासी हमले तेज हो गए हैं और उनकी गिरफ्तारी की मांग भी की जा रही है । इस बीच स्वामी असीमानंद ने कैरावन मैगजीन को किसी भी तरह का इंटरव्यू देने से इनकार किया है। शुक्रवार को स्वामी असीमानंद का हाथ से लिखा हुआ एक नोट सामने आया। इसमें लिखा गया है कि स्वामी रिपोर्टर से कई बार मिले जरूर हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा कोई इंटरव्यू नहीं दिया है। नोट के मुताबिक, मैगजीन की रिपोर्टर उनसे एक वकील के भेष में मिली थीं।
स्वामीने 'कैरावैन' मैगजीन को चिट्ठी लिखकर कहा है कि उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही है। उन्होंने मैगजीन के खिलाफ मुकदमा करने की भी चेतावनी दी है। स्वामी असीमानंद ने यह भी माना कि उन्होंने रिपोर्टर से कई बार कोर्ट के अंदर और बाहर सुनवाई के दौरान मुलाकात की। हालांकि, असीमानंदजी का दावा है कि उनकी रिपोर्टर से सिर्फ सामाजिक कार्यों को लेकर बातचीत हुई है।
'कैरावैन' मैगजीन ने अपनी कवर स्टोरी में दावा किया था कि उसने दो साल के दौरान स्वामी असीमानंद से चार बार बातचीत की। मैगजीन ने स्वामीजीसे बातचीत के टेप्स भी जारी किए। इस बातचीत के आधार पर मैगजीन ने दावा किया कि जुलाई २००५ में स्वामी असीमानंद और सुनील जोशी सूरत में संघ नेताओं मोहन भागवत और इंद्रेश कुमार से मिले थे। तब मोहन भागवत संघ प्रमुख नहीं थे।
मैगजीन के मुताबिक, जोशी ने भागवत को देशभर में मुस्लिमों को निशाना बनाकर ब्लास्ट का प्लान बताया था। स्वामी असीमानंद के मुताबिक दोनों संघ नेताओं ने इसकी मंजूरी दी। भागवत ने कहा था, 'तुम यह कर सकते हो। हम इसमें शामिल नहीं होंगे। लेकिन अगर तुम यह कर रहे हो तो हमें अपने साथ ही समझो।'
हालांकि, मैगजीन के आरोपों पर स्वामीजीके वकील ने पहले ही कहा था कि ऐसा कोई इंटरव्यू नहीं लिया गया है। इसके अलावा संघ ने भी स्वामी असीमानंद से बातचीत के टेप्स को फर्जी करार दिया था।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

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