महायंत्र से विकास के बजाय विनास हो रहा है : जगतगुरू शंकराचार्य
जागरण संवाददाता, पुरी : विकास के नाम पर देश विनाश की तरफ बढ़ रहा है। यांत्रिक विकास विभिन्न समस्या पैदा कर रहा है। इस बारे में जागरूक होने की जरूरत है। वैदिक जागरूकता से विश्व के विभिन्न संकट व समस्या का समाधान करना होगा। पुरी गोबर्द्धनपीठ के जगतगुरू शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती पीठ की तरफ से आयोजित तीर्थराज महोदधि आरती के छठवें वार्षिक उत्सव के समारोह में उद्बोधन देते हुए यह बात कही है। समुद्र तट पर आयोजित इस आध्यात्मिक परिवेश में स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के मूलाधार है, मनुष्य व प्राणियों की हित की रक्षा करना है। हमारी संस्कृति है वसुधैव कुटुम्बकम यानी सारा विश्व एक परिवार। यांत्रिक सभ्यता के विकास के कारण महानगरियों में विशुद्ध जल, वायु और प्रकाश उपलब्ध नहीं हो रही है। भूकम्प का मुकाबला नहीं हो सकता है। इसलिए महायंत्र के विस्तार को रोकना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सत्यवादी, दयावान व्यक्ति संसार से विलुप्त हो रहे हैं। राजनीति में अपराध बढ़ रहा है। आर्थिक विकास के लिए मनुष्य प्रयास कर रहा है, जो संकट को आमंत्रण करेगा। इस धार्मिक सम्मेलन में पुरी के गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेकर कहा कि पूरे विश्व में अशांति, समस्या, दुख व अभाव देखा जा रहा है। इसके निराकरण के लिए मनुष्य प्रयासरत है,मगर कोई लाभ नहीं होरहा है। अनादि काल से भारत भूमि में मुनि ऋषि सभी समस्या का हल का मार्ग दिखाए हैं। स्वस्थ शरीर और सुखी मनोभाव से दिव्य भगवत सत्ता का अनुभव करना सबका कर्तव्य होना चाहिए। आज प्रशासनिक अधिकारियों ने केवल भौतिक प्रगति में गुरुत्व दे रहे हैं। धर्म की स्थापना उनकी योजना में नहीं है। धर्म गुरूओं के उपदेश और वाणी के प्रति उच्च स्तर पर रहने वाले व्यक्तियों का ध्यान नहीं है। इस अवसर पर अन्यतम अतिथि के रूप में गांधीवादी नेता एस.एन.सुबाराव, बड़चणा विधायक अमर शतपथी, भाजपा के राष्ट्रीय कृषक मोर्चा के महासचिव नरेश सिरोही, आनंद वाहिनी के सदस्या सीमा तिवारी, हरिद्वार से आए हुए संत ओम आनंद प्रभु आदि ने अपने विचार रखे। प्रारंभ में सुबल चरण दास महाराज ने स्वागत भाषण दिए। इस अवसर पर गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने नित्य संध्या आरती पर बनी एक सीडी का विमोचन किए। साबत निजोग के संपादक लक्ष्मी नारायण पण्डा ने जगतगुरू के आशीर्वाद ग्रहण किए। श्रीमंदिर छत्तीसानिजोग के महानायक जनार्दन पाटजोशी महापात्र, शंकराचार्य और गजपति महाराज को महाप्रभु श्री जगन्नाथ के अंग वस्त्र(खण्डुआ) प्रदान किए। मनोज कुमार रथ ने सभा संचालन किया। सभा पर्व के बाद जगतगुरू शंकराचार्य ने समुद्र तट पर प्रणाम करते हुए महोदधि के उद्देश्य में दिव्य आरती किए। वाद्य ध्वनि के साथ मंत्रोचारण के बीच महोदधि आरती बेलाभूमि में की गई।
Source-http://www.jagran.com/odisha/bhubaneshwar-10081159.html
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