नई दिल्ली. ईसाई मिशनरी देश की सरकार, हिन्दू समाज और भारत देश को सम्पूर्ण विश्व में बदनाम करने के लिये हमेशा झूठा और दुर्भावनापूर्ण प्रचार करते हैं. भाजपानीत सरकार आने पर इनका यह दुष्प्रचार अधिक आक्रामक हो जाता है. ईसाई मिशनरियों के मिथ्यापूर्ण दुष्प्रचार के संदर्भ में साक्ष्य देने के लिये डा सुरेन्द्र कुमार जैन केंद्रीय संयुक्त महामंत्री विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में विहिप का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष से मिला.
प्रतिनिधिमंडल में जुगल किशोर केन्द्रीय मंत्री और विनोद बंसल प्रवक्ता शामिल थे. प्रतिनिधिमंडल ने एक ज्ञापन सौंपते हुये कहा कि अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिये ये अपने चर्चों पर हमलों का झूठा प्रचार करते हैं. प्रधानमंत्री की पहल पर दिल्ली पुलिस ने इस संबंध अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते कहा था कि वर्ष 2014 में चर्च में केवल ३ घटनाएं हुई थीं, जबकि इसी प्रकार की २०६ घटनाएं हिन्दू मंदिरों में हुई थी. ये सब घटनाएं हमलों की नहीं थी, सामान्य चोरी की घटनाएं थी. हिन्दुओं ने इनको इसी रूप में लिया, जबकि चर्च ने इन घटनाओं को ईसाइयत के ऊपर हमले के रूप में प्रचारित किया. इसके बावजूद उसी दिन एक मिशनरी विद्यालय में एक सामान्य चोरी को भी अपने ऊपर हमले के रूप में प्रचारित किया और केंद्र सरकार को ब्लैकमेल करने के लिये अपना विद्यालय बंद कर दिया. सेवा के नाम चल रहे अपने विद्यालयों और उनके मासूम बच्चों का इसी प्रकार का उपयोग ये पहले भी ब्लैकमेल करने के लिये करते रहे है.
विहिप ने भारत सरकार, महामहिम राष्ट्रपति, विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं जैसे मानवाधिकार आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, जनजाति आयोग से बार-बार मिलकर चर्च के षडयन्त्रों और इनके दुष्प्रचारों की पोल खोली है. विहिप ने हर बार इनके द्वारा लगाये गये आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है. विहिप ने ज्ञापन में भी अल्पसंख्यक आयोग से मांग की कि वह इन सब विषयों की निष्पक्ष जांच की अनुशंसा करे, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये.
डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि इस प्रकार का मिथ्या प्रचार दुनिया भर में भारत को तो बदनाम करता ही है, भारतीय समाज में एक तनाव व अविश्वास निर्माण करता है जो भारत के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की सम्भावनाओं को भी समाप्त करता है. ज्ञापन की प्रति भारत के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को भी भेजी जाएगी. जिससे वे चर्च के दबाव में आये बिना निष्पक्ष जांच करा सकें और उनको तथा उनके संरक्षकों को दर्पण दिखा सकें.
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