जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नंदकुमार जी ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पहला हमला पहले संविधान संशोधन के रूप में नेहरू सरकार ने साप्ताहिक पत्रिका पर प्रतिबंध लगाकर किया था. मद्रास स्टेट से रोमेश थापर की क्रास रोड्स नामक पत्रिका में नेहरू की आर्थिक एवं विदेश नीतियों के खिलाफ एक लेख लिखा गया था, जिसके फलस्वरूप इस पत्रिका को मद्रास सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया.
देश में असहिष्णुता के लेकर छिड़ी बहस और अवार्ड वापसी पर कहा कि असहिष्णुता के नाम पर देश में बौद्धिक आतंकवाद फैलाया जा रहा है. असहिष्णुता का डर दिखाकर लोगों को एक किया जा रहा है तथा आक्रामक विरोध जताने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. देश आगे बढ़ रहा है और विकास को अवरुद्ध करने के लिए यह सब साजिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता से शुरू हुई यह बहस असहिष्णुता पर आ गई है. असहिष्णुता मामले में प्रधानमंत्री की ओर से सफाई नहीं दिए जाने के सवाल उनका कहना था कि जरूरी नहीं कि हर बात का स्पष्टीकरण प्रधानमंत्री ही दे. यह कुछ लोगों की साजिश है जो उकसा कर साध्वी प्राची और साक्षी महाराज के बयान का इंतजार कर रहे हैं. अवार्ड वापस करने वालों पर कटाक्ष करते हुए नंदकुमार जी ने कहा कि वे ऐसा कर देश की जनता का अपमान कर रहे हैं. उदाहरण देते हुए बताया कि नयनतारा ने सिक्ख दंगों के 18 माह बाद अवार्ड लिया था, उस समय कोई विरोध दर्ज नहीं करवाया. किन्तु अब वे 18 वर्ष बाद अवार्ड वापस कर रही है. अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता पर उनका कहना था कि सबको अपने विचार प्रकट करने का अधिकार है, किन्तु कानून को हाथ में लेने का नहीं. उन्होंने दादरी जैसी घटनाएं रोकने का समर्थन किया तथा कहा कि ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि हमारे देश में ऐसा माहौल नहीं है. पाकिस्तानी साहित्यकार और पत्रकार व कनाडा के नागरिक तारक फतह ने भी एक बयान दिया है कि अगर विश्व में मुसलमानों के रहने के लिए सबसे बेहतर माहौल है तो वह सिर्फ भारत में है. आमिर खान पर कहा कि भारत में उनकी पत्नी असुरक्षित महसूस करती हैं, पर क्या वे पीके जैसी फिल्म पाकिस्तान में बना सकते थे. जब देश उनकी फिल्म को सहन कर सकता है तो वे देश में असुरक्षित कैसे हुए.
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