गुजरात (विसंकें). विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक व हिंदुत्व के महामानव अशोक सिंघल जी की श्रद्धांजलि सभा टाउन हॉल कर्णावती महानगर में 23 नवंबर को संपन्न हुई. श्रद्धांजलि सभा में प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा कि राम मंदिर के महानायक अशोक जी सिंघल भव्य राम मंदिर निर्माण का स्वप्न अपनी आंखों में लिए शांत हो गए. 2000 साल से यह हिन्दू समाज सुरक्षा, समृद्धि, स्वाभिमान के लिए संघर्षरत है, इस लंबे इतिहास में धर्म, संस्कृति और समाज के लिये साधु आये, सैनिक भी आये और सेनापति भी आये. अशोक जी व्यक्तिगत जीवन में साधु और धर्म-संस्कृति की रक्षा के लिए सेनापति भी थे. इतिहास अशोक जी का योगदान हमेशा याद रखेगा.
इस देश में हिंदुत्व के गौरव की पुनः प्रतिष्ठा का श्रेय अशोक जी सिंघल को जाता है. उन्होंने पश्चिम की धर्मनिरपेक्षता से प्रभावित समाज जीवन और राजनीति में धर्म का वर्चस्व पुनः स्थापित किया. देश में अल्पसंख्यकों का एक वीटो आ गया था. 23 प्रतिशत लोगों ने 77 प्रतिशत लोगों को अपमानित कर देश के टुकड़े किए. स्वतन्त्र भारत में भी अल्पसंख्यकवाद चल रहा था, शाहबानो केस इसका उदाहरण है. ऐसे समय में भारत के समाज जीवन में एक महापुरुष पैदा हुए, जिनका नाम अशोक जी सिंघल है. जिन्होंने भारत की राजनीति से मुस्लिम वीटो समाप्त किया, धर्म संसद भी अशोक जी की ही देन है. वर्ष 1984 में धर्म संसद में सभी साधु संत एक मंच पर आये और काशी, मथुरा, अयोध्या की मुक्ति का प्रस्ताव पारित किया गया. विश्व यह मानता था कि अस्पृश्यता को हमारे देश में धार्मिक स्वीकृति है, ऐसे में अशोक जी ने प्रतिपादित किया कि अस्पृश्यता को संतों एवं धर्मग्रंथों की मान्यता नहीं है. उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि की पहली ईंट भी तथाकथित अनुसूचित जाति के कार्यकर्ता के हाथों रखवाई. काशी में चांडाल नरेश के यहां पू. शंकराचार्य जी ने भोजन किया. मंदिर में पुजारी का अधिकार केवल ब्राह्मणों को है, उन्होंने ब्राह्मणों के अलावा अन्य जातिओं से 1.5 लाख लोगों को पूजा करने का प्रशिक्षण देकर पुजारी बनाया.
वर्ष 1985 में आतंकवादियों के अमरनाथ यात्रा स्थगित कराने के एलान के सामने उन्होंने नारा दिया “चलो अमरनाथ” और 50,000 से अधिक भक्तों को अमरनाथ ले जाने वाला नेतृत्व भी अशोक जी सिंघल का ही था. मीनाक्षीपुरम् की घटना में हिन्दुओं को पुनः स्वधर्म में वापस लाने का भागीरथ कार्य भी अशोक जी ने किया तथा समाज में हिन्दू हृदय सम्राट के रूप में स्थापित हुए. अशोक जी और विश्व हिन्दू परिषद एक दूसरे के पर्याय हैं. श्रीराम मंदिर आंदोलन की पहचान अशोक जी सिंघल है. 6 दिसम्बर, 1992 के दिन यदि अशोक जी सिंघल न होते तो बाबर का ढांचा ध्वस्त न हुआ होता. डॉ. तोगड़िया ने मांग कि श्रीराम मंदिर के सभी केसों को संसद निरस्त करे और राम मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त करे. उन्होंने आह्वान किया कि भव्य राम मंदिर निर्माण का हमारे पूर्वजों का स्वप्न जो अशोक जी सिंघल ने व्यक्त किया, हम उसको पूरा करने का संकल्प करें.
श्रद्धांजलि सभा में अनेक संत- महात्मा, गुजरात के महामहिम राज्यपाल ओपी कोहली जी, मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह यशवंत भाई चौधरी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे.
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