मेरठ (विसंकें). महर्षि बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में ही सामाजिक समरसता का बीज छिपा है. रामायण के नायक श्री राम का स्वभाव ही समरसता के भाव से भरा है, उनका ह्रदय वनवासी, गिरिवासी, भील, मल्लाह समाज में सभी के प्रति प्रेम भाव से भरा है. राष्ट्रदेव के संपादक अजय मित्तल ने महर्षि वाल्मीकि जयन्ती के अवसर पर सामाजिक समरसता मंच द्वारा सूरजकुण्ड रोड स्थित केशव भवन में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित किया. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अजय मित्तल ने कहा कि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण की प्रेरणा से हिन्दी में लगभग ग्यारह, तेलगु में पांच, उड़िया में छह, मराठी में आठ, तमिल में बारह, तथा बंगला में पच्चीस रामकथाएं आज भी उपलब्ध हैं. सभी एशियाई देशों की भाषाओं के अतिरिक्त यूरोप की बीस भाषाओं में भी रामकथा लिखी गयी. राम जीवन के रूप में लिखे गए आदर्श ग्रन्थ के कारण भारत ही नहीं सम्पूर्ण जगत महर्षि वाल्मीकि का ऋणी है. कार्यक्रम के अतिथि धर्मजागरण के विभाग संयोजक देवेन्द्र कुमार, सच संस्था के प्रमुख संदीप पहल ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्रशासनिक अधिकारी नेतराम नारायण, संचालन डॉ. पायल ने किया. कार्यक्रम में वाल्मीकि समाज के अनेक समाजसेवियों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में गणमान्यजन उपस्थित रहे.
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