मेरठ (विसंकें). माधवी जोशी जी ने कहा कि अंग्रेजों ने भारत की संस्कृति को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वर्तमान में वनवासी कल्याण आश्रम सेवा प्रकल्पों द्वारा अपनी परंपरा व संस्कृति को बचाने के लिए लोक कला, संस्कार और खेल केन्द्रों के माध्यम से वनवासी समाज के कल्याण में तन, मन और धन से लगा हुआ है. वनवासी सेवा प्रकल्प संस्थान की अखिल भारतीय महिला प्रमुख माधवी जोशी सोमवार 30 नवंबर को मेरठ के शंकर आश्रम में आयोजति विचार गोष्ठी में संबोधित कर रही थीं.
उन्होंने वनवासी कल्याण आश्रम के कारण समाज में आये विभिन्न परिवर्तनों का वर्णन करते हुये कहा कि विभिन्न स्थानों पर हमारे द्वारा चलाये जा रहे खेल केन्द्रों के कारण वनवासी समाज से ऐसी प्रतिभाएं उभरी हैं, जो देश का नाम रोशन कर रही हैं. राजस्थान की एक महिला का उदाहरण देते हुये उन्होंने कहा कि गांव की एक विधवा को डायन बता कर उसके साथ अत्याचार किया गया. हमारी संस्था की महिलाओं ने उस महिला की जान बचायी और न्याय दिलवाया. हमारे प्रयासों से कोलकत्ता में वनवासी समाज के 200 से ज्यादा लोगों ने अपने व्यापार स्थापित कर लिये हैं. नगरीय जीवन बिताने वाले लोगों को हमने जाग्रत किया है. आम लोगों के मन में वनवासी समाज के लोगों के प्रति गलत धारणा बनी हुई है कि सरकार वनवासी समाज के लोगों को बहुत पैसा देती है, हमने इस भ्रम को दूर कर समाज को वनवासी समाज की सेवा के लिये तैयार किया है.
गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में मुजफ्फनगर के सेवानिवृत्त जिला जज एसके भट्ट ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम के समापन अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष वीपी त्यागी ने सभी गणमान्यजनोंव उपस्थित बंधुओं का धन्यवाद किया और इस पुनीत कार्य में अधिक से अधिक सहयोग करने का आह्वान किया. इस अवसर पर वनवासी कल्याण आश्रम के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डालचन्द जी, मदनलाल जी, अनिल कुमार जी, भंवर सिंह जी सहित अन्य
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