कुरुक्षेत्र (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने सरस्वती की धारा को धरा पर प्रवाहित करने के कार्य का शुभारंभ किया. सरकार ने सरस्वती जीर्णोद्धार के लिए 50 करोड़ रुपये की राशि जारी की है. सरस्वती नदी की योजनाओं पर आधारित प्रदर्शनी का रिबन काटकर महामंडलेश्वर शाश्वतानंद महाराज, व इंद्रेश जी ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया.
इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि सरस्वती नदी विश्व की प्रेरणा और सर्वश्रेष्ठ सभ्यताओं की जननी मानी जाती है. सदियों से पवित्र नदी के किनारे ही वेदों, ग्रंथों की रचना की गई. आज कलयुग में सरस्वती नदी के केवल मात्र आचमन से मुक्ति का मार्ग मिलेगा. इंद्रेश जी रविवार को सुबह पिपली में हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की तरफ से अंत: सलीला सरस्वती की धारा को धरा पर प्रवाहित करने के कार्य के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे.
इंद्रेश जी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरस्वती नदी पूरे विश्व के लिए मंगलमयी है. कलयुग में सरस्वती का आचमन करने से ही मुक्ति मिल जाएगी और अधर्म का भी अंत हो जाएगा. कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर पवित्र ग्रंथ गीता और सरस्वती का एक सुंदर योग है. सदियों से ही सरस्वती नदी पवित्रता का प्रतीक रही है. भारत के साथ-साथ दुनिया के ग्रंथों में स्पष्ट लिखा है कि सरस्वती के बिना सभ्यता की कल्पना भी नहीं की जा सकती. इस सरस्वती नदी को फिर से धरा पर लाने के लिए शोध कार्य तेजी से चल रहे हैं. सरकार ने भी इसे स्वीकार करते हुए सरस्वती नदी के जीर्णोद्धार के लिए योजना तैयार की है. उन्होंने कहा कि 5152 में गीता जयंती पर्व पर मां सरस्वती के जीर्णोद्धार कार्य को शुरू करके निश्चित ही एक सुखद अहसास हो रहा है.
महामंडलेश्वर शाश्वतानंद जी महाराज ने कहा कि आदिबद्री स्थल पर संतों का आध्यात्मिक स्थल बनाया जाना चाहिए. माननीय दर्शन लाल जैन के मार्गदर्शन में ही सरस्वती नदी के शोध कार्य को शुरू किया गया है. आज सभी शोध कार्य उन्हीं की देन हैं. सरकार ने योजना बनाई है कि आदिबद्री से गुजरात तक सरस्वती नदी के जल का प्रवाह किया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार ने 50 करोड़ रुपए की राशि भी जारी की है.
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