श्री गुरुजी के सामाजिक दर्शन पर शोध कार्य को डाक्टरेट की उपाधि
Source: VSK-Uttarakhand Date: 30 Aug 2013 17:52:04 |
देहरादून, अगस्त 29 : हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल) ने सीमा टम्टा (कंसल) के ”श्री माधव सदाशिवराव गोलवलकर के सामाजिक दर्शन का समाजशास्त्रीय विश्लेषण” विषय पर शोध कार्य को डाक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की हैं।
‘श्री गुरुजी’ के नाम से प्रख्यात माधव सदाशिवराव गोलवलकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं संवाहक, समष्टिगत चिन्तन के धनी, हिन्दू संस्कृति के पुरोधा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के (1940-1973) द्वितीय सरसंघचालक थे।
श्री गुरुजी ने समय-समय पर समसामयिक समस्याओं एवं राष्ट्रोत्थान के सम्बन्ध में अपने विचारों का प्रतिपादन किया। उनके यह विचार देश के लिये मार्गदर्शक एवं दिशासूचक यंत्र के समान रहे हैं और इन विचारों के माध्यम से ही देश अनेकानेक समस्याओं का सफलतापूर्वक समाधान करके राष्ट्रहित एवं राष्ट्रोत्थान के मार्ग पर अग्रेसर रहा है।
उनकी विचारधारा केवल उनके समय में ही उपयोगी एवं प्रासंगिक नहीं रही, बल्कि यह विचारधारा वर्तमान वैश्वीकरण के युग में भी प्रासंगिक हैं। वर्तमान वैश्वीकरण के युग में जब समाज एवं राष्ट्र द्वारा जिन समस्याओं का सामना किया जा रहा है, उनके सम्बन्ध में श्री गुरुजी के विचारों एवं सुझावों के अध्ययन की आवश्यकता है। इसी विचार को केन्द्रित कर सीमा टम्टा (कंसल) ने अपना यह शोध कार्य किया हैं।
डॉ. सीमा टम्टा (कंसल) ने बताया कि श्री गुरुजी की यह दूरदृष्टि की विचारधारा ने अनेक सामाजिक समस्याओं के समाधान के साथ ही साथ एक ऐसे परिवर्तन को भी जन्म दिया जो सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन में अभी भी अपने महत्त्व को प्रासांगिक बनाये है। इसी उद्देश्य से प्रेरित प्रस्तुत अध्ययन में श्री गोलवलकर गुरुजी के विचारों एवं दर्शन का समाजशास्त्रीय विश्लेषण करने का प्रयास किया गया है।
डॉ. सीमा टम्मा (कंसल) ने बताया कि शोध कार्य हेतु रा. स्व. संघ के नागपुर मुख्यालय तथा अनेक स्थानों व संघ साहित्य का सहयोग एवं प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि इस शोध कार्य से समाज को एक निश्चित दिशा मिलेगी।
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