मंदिर से बाहर रथ पर प्रभु जगन्नाथ की पूजा
राउरकेला :
प्रभु जगन्नाथ भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ भले ही अपने मंदिर में लौट गये हैं पर लक्ष्मीजी के रूठे होने के कारण उनका प्रवेश नहीं हो पाया है। भक्तों ने तीनों देवी देवताओं का दर्शन व पूजा अर्चना मंदिर से बाहर रथ पर ही की। शनिवार शाम को सूना वेश तथा सोमवार को लक्ष्मी जी को मनाने के बाद उन्हें मंदिर में प्रवेश कराया जायेगा।
गुंडिचा मंदिर में नौ दिन के प्रवास के बाद शुक्रवार को मां लक्ष्मी के साथ भगवान की आरती का आदान प्रदान हुआ। मां लक्ष्मी के मान जाने के बाद शाम को भगवान जगन्नाथ की वापसी यात्रा हुई। गुंडिचा मंदिरों में विभिन्न विधि विधान के बाद तीनों देवी देवताओं को रथ पर चढ़ाया गया एवं देर शाम को वे अपने मंदिर पर पहुंचे। परंपरा के अनुसार लक्ष्मी के रास्ता रोकने के कारण तीनों को रथों पर ही रहना पड़ा है। शनिवार शाम को बलभद्र, सुभद्रा व जगन्नाथ जी का सुना वेश हुआ। भगवान की इस लीला से पुन: मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं एवं उन्हें मंदिर में प्रवेश से रोकती हैं। भाई बलभद्र व जगन्नाथ के काफी प्रयास के बाद उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति सोमवार को मिलेगी। शहर में सेक्टर-3 जगन्नाथ मंदिर में हर दिन भक्तों की बड़ी भीड़ जुट रही है। हरिहर जगन्नाथ मंदिर दइता पति सेवायत नियोग के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र दास, महासचिव सुभाष पाणीग्राही, संगठन सचिव गोकुलानंद पंडा, संयुक्त सचिव पांडव चरण स्वाई, वटकृष्ण पटनायक, सांस्कृति सचिव प्रभास महाराणा, भास्कर डोरा, विजय नायक, प्रसन्न साहू, उपाध्यक्ष किशोर चंद्र नायक, लक्ष्मीधर पाढ़ी, अर्जुन महापात्र, बासुदेव सावत, ध्रुवचरण स्वाई, आरक्षित माझी, पूर्ण चंद्र पंडा, मैनेजिंग ट्रस्टी गिरजाशंकर द्विवेदी, ट्रस्टी मित्रभानू पंडा, विजय पत्री, सुशांत त्रिपाठी आदि ने इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसी तरह शहर के अन्य जगन्नाथ मंदिरों में प्रभु की पूजा अर्चना एवं अन्य विधि विधान किये जा रहे हैं।
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