Thursday, June 28, 2012

रथ पूजा को श्रद्धालु उत्साहित, संध्या दर्शन आज

रथ पूजा को श्रद्धालु उत्साहित, संध्या दर्शन आज

महाप्रभु श्री जगन्नाथ, प्रभु बलभद्र, देवी सुभद्रा और श्री सुदर्शन आड़प मण्डप में विराजमान किए हैं। गुरुवार को महाप्रभु की संध्या दर्शन नीति सम्पन्न होगी। शुक्रवार को बाहुड़ा यात्रा में महाप्रभु निकलेंगे श्रीमंदिर के लिए। शनिवार को रथ के ऊपर महाप्रभु को सोने के वेश में सजाया जाएगा, जिसे सोनावेश कहा जाता है। तीनों रथ गुण्डिचा मंदिर के सिंहद्वार के सामने लगने के बाद महाप्रभु पहण्डी विजे होकर आड़प मण्डप में अवस्थान कर रहे हैं। अब तीनों रथ में महाप्रभु बाहुड़ा यात्रा में निकलने के लिए तीनों रथ को दक्षिण मोड़ कर नाकचड़ा द्वार के सामने रखा गया है। मंगलवार को देवी सुभद्रा के दर्प दलन रथ दक्षिण मोड़ कर नाकचड़ा द्वार के सामने रखा गया था। बलभद्र जी के तालध्वज रथ आधे रास्ते तक खींचा गया था। रात हो जाने की वजह से रथ खींचने का कार्य बंद कर दिया गया। आज दोनों तालध्वज और नंदीघोष रथ को खींच कर नाकचड़ा द्वार के सामने खड़ा कर दिया गया है। रथ खींचने के लिए काफी मात्रा में सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। पुलिस कर्मचारी रथ खींचे थे। भक्त भी रथ खींचते हुए पुण्य अर्जन किए हैं। शरधाबाली इलाका जनसमागम से भर गया है। तीनों रथ पर चढ़कर दर्शनार्थियों ने भगवान विजय स्थली का दर्शन कर रहे हैं। श्रीगुण्डिचा मंदिर के अन्दर आज सभी नीति सम्पन्न हो रही है। गुरुवार को संध्या दर्शन के लिए श्रीमंदिर प्रशासन की ओर से स्वतंत्र नीति निर्घण्ट प्रस्तुत किया गया है। रात के 9 बजे के बाद दर्शन बंद कर दिया जाएगा और महाप्रभु की अन्दर की नीति सम्पन्न होगी। बाहुड़ा यात्रा में निकलने के लिए महाप्रभु को सेनापटा लागी किया जाएगा। खिचड़ी भोग खाकर महाप्रभु शुक्रवार को बाहुड़ा यात्रा में निकलें


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