Thursday, August 09, 2012

स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती स्मृति न्यास द्वारा पवित्र जन्माष्टमी के अवसर पर भारतीय विद्या भवन में आयोजित एक स्मृति सभा


भुवनेश्वर :

स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती जी के जलारपेटा आश्रम में जन्माष्टमी उत्सव के समय उनकी 4 संन्यासियों के साथ निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस घटना के चार साल बीत जाने के बावजूद जानबूझकर मुख्यमंत्री के निर्देश के कारण हत्यारों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती स्मृति न्यास द्वारा पवित्र जन्माष्टमी के अवसर पर भारतीय विद्या भवन में आयोजित एक स्मृति सभा में स्वामी जी के ऊपर लिखी गई एक पुस्तक वेदांत केशरी स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती का विमोचन किया गया। इस अवसर पर पुस्तक के लेखक हेमन्त कुमार धर, न्यास के कार्यकारी न्यासी तथा समाजसेवी मनसूखलाल सेठिया, सेवा निवृत आईएएस अधिकारी गोपीनाथ महान्ति, विश्व हिन्दू परिषद के लक्ष्मीकान्त महापात्र एंवं कर्नाटक के स्वामी प्राणरूपा नंद सरस्वती ने योगदान कर स्वामी जी को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर स्वामी प्राण रूपा नंद सरस्वती जी ने कहा कि हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए ईसाई संगठन द्वारा स्वामी जी के हत्यारों को गिरफ्तार करने के बदले एक फादर के घर नौकरानी काम करने वाली युवती को नन बताकर एक झूठा बलात्कार मामला का प्रचार किया गया। अदालत में यह प्रमाणित हो चुका है कि वह न तो नन थी और न ही नन की दीक्षा ली थी। इसके बावजूद हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर साजिश रची गई। उस युवती को एक फादर के साथ नग्न हालत में पकड़कर गांव वालों ने घुमाया, जिसे एक बलात्कार का रूप दे दिया गया। स्वामी जी ने कहा कि मुझे इस बात को कहने में भी शर्म आ रही है। सोनिया गांधी को उन्होंने ईसाइयों का एक अन्तराष्ट्रीय एजेंट बताते हुए हिन्दुओं को बदनाम करने एवं ईसाई धर्म के प्रसार के लिए सहायता करने का आरोप लगाया। स्वामी जी ने कहा कि ईसा मसीह करुणा के प्रतीक थे, लेकिन उनके अनुयायियों द्वारा स्वामी जी का निर्मम हत्या की गई। लेकिन इस मामले को उठाने के बदले उल्टा हत्यारों को सहयोग कर मामले को दबा दिया जा रहा है। जो लोग हत्या का समर्थन करते हैं, वे न तो ईसा के शिष्य हैं और न ही वे बाइबेल को मानते हैं। सिर्फ अपने स्वार्थ एवं ईसा धर्म के नाम पर पूरे दुनिया को अपने कब्जे में लेने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

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