वरिष्ठ प्रचारक डा. कृष्ण बवेजा का निधन
Source: VSK-Indraprastha Date: 19 Sep 2013 21:38:50 |
नई दिल्ली, सितम्बर 19 : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डा. कृष्ण बवेजा (उत्तर क्षेत्र के प्रचारक प्रमुख) का 18 सितम्बर 2013 को एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। वे हिमाचल प्रदेश में उना से चण्डीगढ प्रवास पर जा रहे थे।
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उनके पैतृक स्थान सोनीपत (हरियाणा) में उनका अन्तिम संस्कार 19 सितम्बर को किया गया। अनेक सामाजिक धार्मिक संगठनों के प्रमुख व दूर दूर से आए संघ के स्वयंसेवकों ने डा. बवेजा को भावभीनी विदाई दी। सर्वश्री प्रेम गोयल (वरिष्ठ प्रचारक), अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख अरुण कुमार, क्षेत्र संघचालक डा. बजरंग लाल गुप्त, क्षेत्र कार्यवाह सीताराम व्यास, क्षेत्र प्रचारक रामेश्वरदास, सह क्षेत्र प्रचारक प्रेम कुमार, वनवासी कल्याण आश्रम के कृपा प्रसाद, दिल्ली के प्रांत संघचालक कुलभूषण आहूजा, हरियाणा प्रान्त संघचालक मेजर (से.नि.) करतार सिंह, दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, राष्ट्रीय सिख संगत के मार्गदर्शक सरदार चिरंजीव सिंह, अविनाश जायसवाल, राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सहकार्यवाहिका रेखा राजे, भारतीय मजदूर संघ के ओमप्रकाश अग्धी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री उमेश दत्त सहित जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली के अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने इस अवसर पर अपनी श्रद्धान्जली अर्पित की।
डा. कृष्ण बवेजा जी का जन्म 24 सितम्बर 1949 में हुआ। पिता हिम्मत राम बवेजा व माता भागवंती देवी के संस्कारों का ही परिणाम था कि पूरे परिवार में संघ का वातावरण था। डा. बवेजा तीन भाई व दो बहनें थी। भाई बहनों में आप सबसे बड़े थे। छोटे भाई की 11 वर्ष की अल्पायु में ही मृत्यु हो गई थी।
बहुप्रतिभा के धनी डा. बवेजा ने गणित विषय में पीएचडी किया था। प्रचारक जीवन प्रारम्भ करने से पूर्व हिन्दू कालेज रोहतक में अध्यापन कार्य किया। बाद में भी अनेक वर्ष तक डीएवी कालेज चण्डीगढ में पढाया। सन् 1980 में आप प्रचारक निकले। हरियाणा, पंजाब व दिल्ली में अनेक दायित्वों को आपने सफलतापूर्वक निभाया। पंजाब प्रांत में बौद्धिक प्रमुख, दिल्ली में सह प्रांत प्रचारक, हरियाणा के प्रांत प्रचारक व अनेक वर्ष तक उत्तर क्षेत्र के बौद्धिक प्रमुख भी रहे। स्वामी विवेकानन्द सार्धशती समारोह वर्ष में क्षेत्र के सह संयोजक का दायित्व भी आप निभा रहे थे। श्री गुरुजी की जन्म शताब्दी वर्ष में राष्ट्रीय स्तर पर तैयार हुए साहित्य के निर्माण में भी आपकी बड़ी भूमिका रही।
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