ओड़िशा में हिंदी का बेहतर माहौल
भुवनेश्वर, vsk:
केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के भुवनेश्वर शाखा में एक हिंदी काव्य संगोष्ठि का आयोजन किया गया। राज्य के प्रख्यात हिंदी विद्वान प्रो राधाकांत मिश्र मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। संस्थान की क्षेत्रीय निदेशक प्रो वीणा शर्मा ने कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि गैर हिंदी भाषी प्रदेश होने के बावजूद यहां हिंदी के प्रसार-प्रचार का बेहतर माहौल है। संस्थान के व्याख्याता गंगाधर वानोडे ने इस पुरे संगोष्ठी को सुव्यवस्थित ढंग से आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संगोष्ठी में डॉ अजय पटनायक, ड़ा लक्ष्मीधर साश, डा अनूप कुमार, प्रेमचंद पंकज, अरविन्द झा, नारायण दास, उदयन सूपकार, किसन खंडेलवाल, आर.के.शर्मा, रिता ईमेल्दा, कमलीनी पाणिग्राही, मंजू श्रीवास्तव, नारायण मुदुली, उस्मान खान, ज्योत्सना राय सहित 21 कवियों ने अपना अपना काव्यपाठ किया। जीवन के विविध आयाम को शब्दों के ताने-बाने में पिरोकर कवियों ने यह बता दिया कि मानव जीवन में साहित्य किस प्रकार प्रभाव डालने में सक्षम है। प्रेम कथा से लेकर मानव की मनोदशा, पेड़ की व्यथा,भ्रष्टाचार की कथा,कन्या भू्रण , अक्षमों की मन कथा सभी को कवियों ने अनोखे ढ़ंग से प्रस्तुत किया।
कमलिनी पाणिग्राही ने अपने बेवफा प्रेमी द्वार मझधार में छोड़ दिए जाने पर भी संतुष्टि दिखाते हुए कहा कि -मुझे मझधार में छोड़ा तुने कहीं मेरी मंजिल यह दिल तो नहीं..लक्ष्मीधर दाश को प्रेमी की यादें भी सुहानी लगती हैं और वे कहते हैं --तेरी यादें सर्दी की धूप की तरह प्यारी लगी..रिता ईमेल्दा ने बसंत का स्वागत करते हुए गाया -बसंत आया है मन मौसम हो आया है..अनुप कुमार ने लड़कियों की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कविता प्रस्तुत की- अपने दर्द को सीने में दबाए सामने सबके खिल-खिलाती हैं लड़कियां, पराए परिवार को भी क्या खूब अपनाती हैं लड़कियां। नारायण दास ने जीवन की नश्वरता के लिए गाया कि- हवा ही तो है मुठ्ठीभर यह. बस हवा में मिल जाना है...राम किशोर शर्मा ने विकलांग बालकों की व्यथा कथा को प्रभावी ढ़ंग से उपस्थापित किया। किसन खंडेलवाल ने कन्या भू्रण हत्या पर तो उदयन सूपकार ने बैंक प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह उठाते हुए मार्मिक कविताएं पेश की। ज्यौत्सना राय की अपना गम लेके कहीं ओर जाया जाए.उस्मान खान की ग्लोबलाईजेशन नारायण मुदुली की जवान को नमस्कार भी बेहतर प्रस्तुति रही।
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