Saturday, May 26, 2012

संकीर्तन शोभायात्रा महानगर परिक्रमा

राज्य पर्यटन व संस्कृति विभाग ओड़िशा संगीत नाटक एकेडमी व निखिल उत्कल संकीर्तन महासंघ के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय रवींद्र मंडप में शुक्रवार को शुरू हुआ जो रविवार तक चलेगा। ओड़िशा के दासकाठिया, पाला, लोकनृत्य एवं लोक नाटक जैसे संकीर्तन कला भी भिन्न है। अभ्यास के जरिए ही सुंदर संकीर्तन प्रस्तुत किया जा सकता है, वह मणिपुर के संकीर्तन मंडली से सीखने की जरूरत है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक संकीर्तन को काफी पसंद करते हैं। यहां तक कि संकीर्तन कलाकारों को कलाकार भत्ता प्रदान किए जाने की बात संकीर्तन महोत्सव के उद्घाटन उत्सव में भाग लेते हुए राज्य संस्कृति व पर्यटन मंत्री प्रफुल्ल सामल ने कही है। उद्घाटन समारोह में अतिथि के रूप में पधारे एकाम्र विधायक अशोक पंडा ने कहा कि श्री चैतन्य के ओड़िशा आगमन से पहले भी यहां संकीर्तन था। क्योंकि उनका स्वागत करने को उस समय कटक के गड़गड़िया घाट पर 72 संकीर्तन दल पहुंचे थे, जिसे देख चैतन्य खुश दिखे और उसी दिन इस स्थान को गड़गड़िया घाट के नाम से जाने जाने लगा। उत्सव के प्रारंभ में गंजाम जिला खलीकोट भुवनेश्वर,vsk


के भास्कर दास एवं उनके साथियों ने राधाकृष्ण के प्रेम पर आधारित संकीर्तन पेश किया। इस दल में नौ सदस्यों ने श्री चैतन्य की तरह अभिनय कर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद संबलपुर, रेढाखोल से आए उत्सव प्रधान एवं उनके साथियों ने संकीर्तन प्रस्तुत किया। मणिपुर इंफाल से आए बालू एवं उनके साथियों ने सबसे आकर्षण संकीर्तन प्रस्तुत किया। मणिपुर के इन कलाकारों द्वारा प्रस्तुत संकीर्तन दर्शकों को खूब पसंद आया। इससे पहले एक संकीर्तन शोभायात्रा स्थानीय राममंदिर से निकलकर महानगर परिक्रमा करते हुए रवीन्द्र मंडप पहुंची।

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