Monday, March 21, 2011

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा केशव कुञ्ज झंडेवाला नई दिल्ली में संघ के केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री राम माधव जी ने पत्रकारों वार्ता की-

PRESS CONFERENCE



18/3/2011

A press conference was addressed by Sh. Ram Madhav, at Sangh Office Keshav Kunj Jhandewala at 4 p.m today 18 March 2011.He briefly explained the two resolutions adopted at the AKHIL BHARTIYA PRATINIDHI SABHA held at Puttur (Karnataka) on 11-12-13 March 2011. The first resolution is about the need for a decisive blow against corruption. Sh. Ram Madhav stated the AKHIL BHARTIYA VIDYARTHI PARISHAD, BHARTIYA MAZDOOR SANGH and BHARTIYA KISAN SANGH have planned to launch a nationwide agitation against corruption with the support of general public. RSS Swayamsevak have been advised to take active part in this agitation. This movement is to awaken the public and not to gain political power. RSS actively participated and supported the movement against emergency launched by Jai Parkash Narain ji but after the goal was achieved RSS separated itself from that movement. Apart from the movement going to be launched by ABVP, BMS and BKS, RSS will also support any other such movement launched by Saints and Civil activists as long as it is a non political. The leaks by the Wiki leaks of yesterday have tarnished the image of our nation.

The second resolution adopted by ABPS is about the danger posed by Chinese designs against our national interests and security. The ABPS has demanded that a separate Department or Ministry be established to look after the boarders. There are two major rivers flowing from Mansarovar, Brahmputra, and Sindhu which China is trying to divert towards Chinese region which will create a water crises not only in India but before all have the neighboring countries liked Myanmar, Nepal, and Bangladesh.

ABPS also look stock of the various allegations made against RSS during the last 6 months which has been diverting our energy towards defending ourselves despite that we have been able to increase our Shakha tally by 150. During the last 2 months in the door-to-door campaign by RSS, we have been able to reach 2 crore families i.e. 10 crore people and we have received positive response from public that people have full faith in RSS.

During April, May and June, RSS will be busy organizing training camps at 75 places in the country.

Replying to the questions of the media, Sh. Ram Madhav said that RSS in not deterred by politically motivated charges by vested interests against RSS. Let there be proper investigation and not media trial through selected leaks. To a question whether you also raised the issues with Chinese people during your visit to China concerns Sh Ram; Madhav replied that he took all issues of our concerns

He also clarified that RSS is against all type of corruptions including Karnataka and supports proper investigation.

He also stated that because of rampant corruption, Indian democracy has become a laughing stock in the eyes of the world and has dented our image.



Vagish Issar 09810068474

RSS Media

Sunday, March 13, 2011

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, युगाब्द 5112

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा - 2011

प्रस्ताव - 1 (12.03.11)
भ्रष्टाचार पर निर्णायक प्रहार आवश्यक

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, देश में तेज गति से व्यापक स्तर पर उभर रहे भ्रष्टाचार के अन्तहीन प्रकरणों की शृंखला पर गंभीर चिन्ता व्यक्त करती है। यह बात और भी स्तब्ध कर देने वाली है कि प्रधानमंत्री-सहित सरकार में उत्तरदायी पदों पर आसीन प्रमुख पदाधिकारीगण भ्रष्टाचार के सभी अकाट्य प्रमाणों को नकारते हुए,अपनी पूरी शक्ति,इन प्रकरणों में लिप्त दोषी व्यक्तियों को निर्दोष कहकर उन्हें अन्तिम पल तक बचाने में लगे हुए हैं।

अ. भा. प्रतिनिधि सभा यह परिदृष्य देख व्यथित है कि नित्य उजागर हो रहे नये-नये घोटालों से देश की गरिमा व प्रतिष्ठा पर गम्भीर आँच आ रही है। भ्रष्टाचार का व्याप व परिमाण ऐसा है कि उसका आकलन करने में जनसामान्य ही नहीं, विशेषज्ञों तक की बुद्धि चकरा जाती है। राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजनों में हुई व्यापक धाँधली ने पूरे राष्ट्र की प्रतिष्ठा को धक्का पहुँचाया है। देश के शासक या तो आँखें मूंद कर बैठे हैं, या न्यायपालिका और प्रचार माध्यमों के दबाव में, मात्र दिखावे के लिए दोषीयों के विरुद्ध कदम उठा रहे हैं । केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति जैसे अत्यंत संवेदनशील प्रकरण में सत्ताशीर्ष द्वारा की गयी गलती के पीछे क्या विवशता थी एवं कौनसी अदृष्य शक्ति थी, इसे देश जानना चाहता है।

दुर्भाग्यवश, स्वातंत्र्योत्तर भारत में समाज-जीवन के प्रायः सभी क्षेत्रों में राजनीति के बढ़ते वर्चस्व के साथ ही सत्ताशीर्ष से होनेवाले भ्रष्टाचार की घटनाएँ निरंतर बढ़ती गई हैं । स्वाधीनता के पश्चात् राष्ट्र ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनमानस की व्यापक प्रतिक्रिया को विराट जन-आंदोलनों में परिवर्तित होते देखा है। 1974-75 का जे.पी. आंदोलन व आपात्काल तथा 1987-89 में बोफोर्स घोटाले को लेकर हुए आंदोलन, दोनों की तार्किक परिणति सत्ता-परिवर्तन में हुई। परन्तु इस परिवर्तन के परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार घटा हो; ऐसा प्रतीत नहीं होता है। वरन् इसके विपरीत आर्थिक उदारीकरण की नीतियों के बाद भ्रष्टाचार का प्रकार व परिमाण अधिक जटिल व व्यापक होता गया है। 1992 का शेयर घोटाला हो या वर्तमान 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, सभी में अकूत धनराशी की हेराफेरी हुई है। साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि लगातार बढ़ते जा रहे इस भ्रष्टाचार को करने वाले अधिकतर लोग उच्च शिक्षित और समाज के समृद्ध वर्ग के हैं। ये सारे तथ्य इस बात का सुस्पष्ट संकेत देते हैं कि समाज में व्यक्ति-निर्माण की प्रक्रिया को अधिक सघन व व्यापक करने की आवश्यकता है।

इस सम्बन्ध में अ.भा.प्र.स. का यह भी मानना है कि समाज जीवन के सभी अंगों को धर्माधारित, मूल्यपरक व नैतिकतापूर्ण करने की नितान्त आवश्यकता है। यह कार्य शिक्षा व्यवस्था को चरित्र निर्माण में सक्षम,राष्ट्रीय चेतनापरक व सत्संस्कारयुक्त बनाने से ही सम्भव होगा। साथ ही समाज जीवन में नैतिक मूल्यों के संवर्द्धन के लिये उच्च पदासीन व्यक्तियों को अपने आचरण से अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करने होंगे।

इन दूरगामी परिणाम देने वाले सुधारों के साथ ही, शासन -प्रशासन की प्रणाली में तत्काल सुधार और उसके लिए प्रभावी जनजागरण भी उतना ही आवश्यक हो गया है। शासन व्यवहार में पारदर्शिता, सरलतम और न्यूनतम कानूनों के द्वारा प्रशासन, सुगम तथा शीघ्र परिणाम देने वाली न्याय-प्रणाली, काले धन की समाप्ति और राजनीति के अपराधीकरण व उसमें धन बल के बढ़ते प्रभाव पर रोक लगाने में सक्षम चुनाव-प्रणाली जैसे सभी सुधार तीव्र गति से करने की आवश्यकता है। वर्तमान शासन के भ्रष्टाचार को साहसपूर्वक उजागर करने वाले सतर्क व क्रियाशील लोगों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही भ्रष्टाचार के विरुद्ध कठोर दण्ड-विधान की भी आवश्यकता है। वस्तुतः आज जन-जीवन को त्रस्त कर रही सारी समस्याओं यथा - मँहगाई, बेरोजगारी व काले धन के लिए भ्रष्टाचार की विषबेल ही उत्तरदायी है, जो आज देश के विकास और अंतर्बाह्य सुरक्षा को भी प्रभावित कर रही है। काले धन की समस्या के संदर्भ में तो सरकार को देश -विदेश में जमा सम्पूर्ण काले धन को राष्ट्र की सम्पत्ति घोषित कर उसका अधिग्रहण करते हुए उसे देश के विकास में लगाना चाहिए।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा आज की विपरीत परिस्थिति में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए संघर्षरत सभी व्यक्तियों, संगठनों, संवैधानिक संस्थाओं व जागरूक प्रचारमाध्यमों के प्रयासों तथा न्यायपालिका की सतर्कता की सराहना करती है एवं देश की जनता का आवाहन करती है कि सब लोग पूर्ण वैयक्तिक शुचिता के साथ भ्रष्टाचार के विरुद्ध ऐसे सारे प्रयासों को मुखर जनमत का बल प्रदान करें तथा व्यक्ति-निर्माण की स्वस्थ पारंपरिक सामाजिक संस्थाओं का जतन करें।


English version


Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha 2011

Resolution -1 (12-03-11)

Need for a decisive blow against courruption

The Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha expresses grave concern over the endless chain of incidents of widespread corruption surfacing in the country. It is all the more shocking that the people occupying the upper echelons in the Government, including the Prime Minister are engaged in protecting their guilty colleagues till the end by describing them as innocent inspite of incontrovertible evidences pouring out against them.

The ABPS is deeply pained at the way the cases of corruption coming to light, day in and day out are tarnishing the image and reputation of the nation. The magnitude of corruption is such that not only the common man, but even the experts get bewildered. The gross misdeeds in organizing the Commonwealth games have gravely damaged the prestige of the country. People at the helm of power are either turning a blind eye or are taking steps against the guilty as an eye wash under the pressure of the judiciary and media. The country wants to know as to what was the compulsion and which invisible hand was behind the misdemeanor of the top rung of power in a most sensitive matter like the appointment of the Central Vigilance Commissioner.

Unfortunately, the influence of politics is growing in almost every walk of life and the instances of corruption indulged in by the people in seats of power in the post independence era are constantly on the rise. After the Independence, the country has witnessed public anger against corruption resulting in powerful mass movements. The J. P. movement of 1974-75 and imposition of emergency and the mass movement triggered by the Bofors scandal in 1987-1989 culminated in the change of power at the center. But, the change does not seem to have brought about any decline in corruption. On the contrary the form and dimensions of corruption seem to have become more complex and extensive in the wake of economic liberalization. Whether it is the share scandal of 1992 or the recent 2G spectrum scandal, mind boggling figures of money are found to be involved. What needs special mention is that the people involved in these ever increasing acts of corruption are people who are highly educated and belong to the affluent class of the society. All these facts clearly indicate that there is need for further intensification and expansion of the process of man-making.

In this regard the ABPS believes that there is a dire need to organise every rung of social order on the firm foundation of value-based and morally strong conduct of life rooted in the eternal principles of Dharma. This is possible only by reorienting education-system to reflect the national ethos and serve as an effective instrument of character-building and imparting noble samskars. At the same time it is imperative for the people in high positions that they present exemplary models of conduct in their private and public life.

Apart from these reforms of far-reaching consequences, reform in the system of governance & administration and mobilising effective public opinion in favour of that, is equally important. Transparency in governance, administration through minimum and simplified regulations, judicial system based on easy access and timely dispensation of justice, elimination of black money, electoral system capable of effectively curbing the criminalisation of politics and checking the growing influence of money power are a few reforms urgently needed. It is also imperative to ensure proper security for the whistle blowers who courageously expose corruption in the present system at different levels and to have stringent penal provisions against the corrupt. Indeed the poisonous creeper of corruption is responsible for all the contemporary social ills like inflation, unemployment and black money which has also been affecting the country’s development and the internal and external security. In connection with the problem of black money, the government should acquire black money stashed in the country and outside and declare it as the nation’s asset and deploy it for developmental purposes.

The ABPS appreciates the efforts of such courageous individuals, organizations and the constitutional institutions, alert media and vigilant Judiciary for their efforts against corruption in the present challenging scenario and calls upon the countrymen to extend their active support for such noble endevours with utmost personal integrity and also nourish our traditional social institutions actively involved in character-building of our citizens.



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अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, युगाब्द 5112

दिनांक: 11, 12, 13 मार्च 2011
प्रस्ताव क्र. 2
राष्ट्रीय हितों व सुरक्षा के विरुद्ध चीनी षड़यन्त्रों को विफल करें

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा चीन के बहु-आयामी खतरों और उसकी आक्रामक व धमकी भरी चालों के प्रति भारत सरकार के निस्तेज व्यवहार पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त करती है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा किये जा रहे गम्भीर सीमोल्लंघनों से सरकार सतत इन्कार कर रही है और उनके बारे में लापरवाही पूर्वक यह कह रही है कि ‘यह वास्तविक नियन्त्रण रेखा के बोध में समान दृष्टी का अभाव है’। दोनों देशों के रणनीतिक विरोधाभास को कम करके आंकते हुये चीन की विस्तारवादी व साम्राज्यवादी कुटिलताओं को उजागर करने में विफल हो रही है। यह स्थिति राष्ट्रीय हितों के लिये घातक सिद्ध हो सकती है।

अ.भा.प्र.स. सचेत करती है कि चीन व पाकिस्तान के बीच बढ़ता सैन्य व असैन्य सहयोग, अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गम्भीर चिंता का विषय है। स्कार्डू क्षेत्र (पाक अधिकृत कश्मीर ) में निर्माण कार्यों व काराकोरम राजमार्ग की मरम्मत की आड़ में दस हजार चीनी सैन्य बल की उपस्थिति एक गम्भीर मुद्दा है जो कश्मीर की घेराबन्दी का ही प्रयत्न है। चीन द्वारा अपना वर्चस्व स्थापित करने वाले अन्य चिंताजनक विषयों में पाकिस्तान को एक गीगा वाट का नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र देना और बैलिस्टीक प्रक्षेपास्त्रों की प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करना है, जो क्षेत्र में सम्भावित नाभिकीय युद्ध की परिस्थिति उत्पन्न कर सकता है।

हाल की कई घटनाओं में चीन के दुर्भावनापूर्ण इरादे उजागर हुए हैं। उसने यह मिथ्या आरोप लगाया है कि भारत ने अरुणाचल व सिक्किम सहित चीन की 90,000 वर्ग कि.मी. भूमि दबा रखी है। वह अपने मानचित्रों में जम्मू कश्मीर प्रदेश को भारत का अंग नहीं दिखा रहा है। जम्मू कश्मीर में 1600 कि.मी. लंबी भारत-तिब्बत सीमा पर, नियंत्रण रेखा को भी नही दिखा रहा है। अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ जम्मू कश्मीर के भारतीय नागरिकों को भी पृथक काग़ज पर वीजा देना आरंभ कर दिया है। चीनी सैन्य टुकड़ियों ने पिछले वर्ष डेमचोक के गोम्बीर क्षेत्र में घुस कर वहाँ चल रहे निर्माण कार्य रुकवा दिये थे। नवम्बर 2009 में लद्दाख में केन्द्र प्रायोजित नरेगा योजना के अंतर्गत हो रहा सड़क निर्माण भी चीनी सेना की आपत्ति पर रोक दिया गया है। वस्तुतः चीन ने ही नियंत्रण रेखा के अंदर घुसकर हमारे क्षेत्र पर कब्जा जमाया और वहाँ सैन्य उद्देशों के लिए 54 कि.मी. लंबी सडक बनायी है।

अपने देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में चीन द्वारा रचे जा रहे षड़यंत्रों को भी अ.भा.प्र.स. एक गम्भीर संकट के रूप में देखती है। अरुणाचल पर उसके द्वारा सतत जताए जा रहे दावे को भी हल्का करके नहीं आंकना चाहिये क्योंकि वहाँ चीन ने मात्र उस प्रदेश पर ही नहीं वरन् संपूर्ण पूर्वोत्तर पर दृष्टी गड़ा रखी है। हाल ही में देश की एक प्रमुख साप्ताहिक पत्रिका में प्रकाशित एन.एस.सी.एन. विद्रोहियों जैसे आतंकवादी गुटों को प्रोत्साहित करने एवं उन्हें शस्त्रास्त्र और वित्तीय सहायता प्रदान करने में चीन की संलिप्तता के प्रमाण भी हमें उस दिशा में सतर्क करने को पर्याप्त है। एन.एस.सी.एन. के अतिरिक्त एन.डी.एफ.बी. व उल्फा विद्रोहियों को भी चीन संबल दे रहा है। यह भी गम्भीर चिन्ता का विषय है कि इस क्षेत्र में आई.एस.आई. भी चीन के साथ मिलकर काम कर रही है। देश के विभिन्न भागों में चीनी गुप्तचरों के पकड़े जाने की बढ़ती हुई घटनाओं पर प्रतिनिधि सभा अपनी चिंता व्यक्त करती है।

यह भी सुविदित है कि चीन के शासकीय शस्त्र उत्पादकों द्वारा उत्पादित शस्त्रास्त्र बांगला देश के कॉक्स बाजार जैसे अवैध अड्डों के माध्यम से भारतीय माओवादियों और अन्य आतंकवादियों तक पहुँच रहे हैं । चीन द्वारा भारत में नकली मुद्रा भेजी जा रही है। अ.भा.प्र.स. सरकार व जनता का ध्यान चीनी शासन के नियंत्रण में चलने वाले प्रसार माध्यमों के उन प्रकाशनों की ओर भी आकृष्ट करना चाहती है जिनमें भारत को 20-30 भागों में विखण्डित करने की बात कही गई है।

भारत के बाजारों में चीनी वस्तुओं के व्यापक प्रवेश से भारतीय उद्योगों पर हो रहे प्रतिकूल प्रभावों के साथ ही हमारी सुरक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं रणनीति के लिए भी गम्भीर चुनौती उत्पन्न हो गई है। अ.भा.प्र.स. चाहती है कि सरकार हमारे तंत्र में व्यापार व वाणिज्य के माध्यम से हो रही चीनी घुसपैठ को गम्भीरता से ले। सभी नागरिक देशभक्ति का परिचय देते हुए चीनी वस्तुओं के उपयोग से बचें।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा भारत सरकार व देशवासियों का ध्यान दक्षिण मध्य तिब्बत क्षेत्र में नदियों के जल का प्रवाह मोड़ने के चीनी खतरे की ओर आकृष्ट करना चाहती है। अपने इस प्रयास द्वारा चीन तिब्बत स्थित कैलाश-मानसरोवर से निकलने वाली सिन्धु व ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों के जल पर भारत, नेपाल, भूटान, बांगला देश, म्याँमा व थाईलैण्ड जैसे देशों के न्यायोचित अधिकार का हरण कर रहा है। जल प्रबंधन के विषय में चीन के अतिगोपनीयता वाले रुख के कारण वर्ष 2007 में जल संबंधी मुद्दों का हल ढूंढ़ने के लिए स्थापित की गई भारत-चीन संयुक्त प्रणाली भी अवरुद्ध हो गई है। हमारे दो प्रदेश - हिमाचल व अरुणाचल में अचानक बाढ़ से तबाही हुई। उस समय यह संदेह उत्पन्न हुआ कि इसका कारण जल प्रवाह में चीन द्वारा की गई छेड़छाड़ है। हमारे इंजीनियरों को नदी की ऊपरी धारा का निरीक्षण करने की अनुमति नहीं दी गई थी। प्रतिनिधि सभा सरकार को सचेत करना चाहती है कि यदि इस विवाद का समाधान तत्काल नहीं ढूंढ़ा गया तो दोनों देशों के बीच इसे लेकर गम्भीर संकट उत्पन्न हो सकता है।

प्रतिनिधि सभा सरकार से आग्रह करती है कि अपने पड़ोस में ही नहीं अपितु अफ्रीका एवं पश्चिम एशिया जैसे रणनीतिक दृष्टी से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी चीन की बढ़ती सैनिक व कूटनीतिक शक्ति की तरफ ध्यान दे। चीन अपनी 31 लाख सेना का अत्याधुनिक शस्त्र व प्रौद्योगिकी के साथ तीव्र गति से आधुनिकीकरण कर रहा है। चीन तिब्बत, नेपाल व भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों तथा रेल लाईनों का जाल बिछा चुका है। हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन आज एक महत्वपूर्ण शक्ति बन गया है। उत्तर कोरिया, सूडान सहित अनेक देशों के उन्मत्त तानाशाह शासकों के साथ चीन के गहरे संबंध हैं। चीन के रणनीतिकारों का यह विचार खतरनाक है कि चीन को किसी भी परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र के विरुद्ध अपनी सुरक्षा के नाम पर आणविक हमले का प्रथम अधिकार सुरक्षित रखना चाहिए। ऐसे चुनौतीपूर्ण परिदृष्य में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा सरकार का आवाहन करती है कि:

1 चीन द्वारा भारत की कब्जा की गई एक-एक इंच भूमि को वापस लेने के सन् 1962 के संसद के सर्व सम्मत संकल्प को दोहराया जाए।

2 हमारी सेना के शीघ्र आधुनिकीकरण एवं सैन्य ढांचागत सुविधाओं के उन्नयन के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाए जाएँ। इस हेतु सीमांत क्षेत्रों में अधिसंरचना का निर्माण करने पर विशेष बल दिया जाए। सीमावर्ती क्षेत्रीय विकास अभिकरण (एजेन्सी) के गठन पर विचार किया जाना चाहिए जिससे सीमावर्ती क्षेत्र के गाँवों से लोगों का पलायन भी रुक सके।

3 विश्व के समक्ष चीन के मनसूबों को उजागर करने के लिए आक्रामक कूटनीति का उपयोग किया जाए। आसियान व संयुक्त राष्ट्र सहित सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस दृष्टी से कुशल उपयोग हो।

4 भारत के बाजार में चीनी उत्पादकों को खुले खेल की अनुमति न दी जाए। खिलौने, मोबाईल तथा अन्य प्रकार के चीनी उत्पादों की बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए। सीमावर्ती दर्रो के माध्यम से किये जा रहे अवैध व्यापार दृढ़ता-पूर्वक रोका जाना चाहिए।

5 वीजा नियमों का कठोरता से पालन किया जाय तथा भारत में कार्यरत चीनी नागरिकों पर सतर्क दृष्टी रखी जाए।

6 रणनीतिक दृष्टी से महत्वपूर्ण क्षेत्रों एवं संवेदनशील इलाकों में चीनी कंपनियों को प्रवेश की अनुमति न दी जाए।

7 नदी जल प्रवाह को रोकने के अवैध चीनी प्रयासों के विरुद्ध म्याँमा व बांगला देश जैसे नदी तटीय देशों को एकजुट किया जाए।


English version


Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha, Yugabda 5112

March 11-13, 2011
Puttur (Karnataka)
Defeat Chinese Designs against

our National Interests and Security

The Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha expresses serious concern over the growing multi-dimensional threat from China and the lackluster response of the Government of Bharat to its aggressive and intimidator tactics. Casual attitude and perpetual denial of our Government in describing gross border violations by the Chinese People's Liberation Army as a case of 'lack of common perception on the LAC', attempts to underplay the severe strategic dissonance between the two countries and failure to expose the expansionist and imperialist manouvers of China can prove fatal to our national interests.

The ABPS cautions that the growing civilian and defence ties between China and Pakistan are a matter of grave concern to our national security. Presence of the 10,000-strong Chinese Army in Skardu ( PoK) in the guise of construction works and repairs to Karakoram highway is a serious issue as it allows China to encircle Kashmir . Other issues of concern that best exemplify Chinese' assertiveness include its offer to export one - Gigawatt (GW) nuclear plant and transfer of ballistic missile technology to Pakistan thus precipitating potential nuclear conflict in the region.

The malafide intentions of China are conspicuous in a number of recent developments. It has falsely charged Bharat of occupying 90,000 sq. km of its territory (including Arunachal Pradesh and Sikkim); It is excluding the state of J&K from Bharat in its maps; It is also excluding 1600 KM-long border in J&K from the LAC on the Tibet-Bharat border; It has initiated issuing paper visas for Bharatiya citizens from J&K besides citizens from Arunachal Pradesh. The Chinese troops entered Gombir area in Demchok region last year and threatened the civilian workers to stop construction work. In November 2009, a road project under Centrally-sponsored National Rural Employment Guarantee Scheme (NREGS) in Ladakh, was stopped after objections were raised by the Chinese Army. Infact, it is China which has encroached upon our territory inside the LOC in that region and constructed a 54 km long road for military purposes.

The ABPS sees potential danger from the Chinese machinations in our North East. Its continued claims over Arunachal Pradesh shouldn't be taken lightly as it has set its eyes not only on that state but on the entire North East. Recent expose' in a leading Bharatiya weekly about the extent of the involvement of China in arming, encouraging and funding insurgent groups like the NSCN should awaken us to this danger. Besides NSCN insurgents other insurgent groups in the North East like the NDFB, ULFA etc also get patronage from China. It is also a matter of serious concern that the ISI too is operating in cahoots with China in this region. The A.B.P.S. expresses concern over the growing number of cases of Chinese spies being arrested in different parts of the country.

It is well-known that the weapons from the Chinese government weapon manufacturers find their way to the Maoists and other terrorist groups in Bharat through illegal weapon ports like Cox Bazar in Bangladesh. Fake currency also is being pumped into Bharat from China. The ABPS wants to draw the attention of the Government and people to the occasional publications in the officially-controlled Chinese media about dismembering Bharat into 20-30 pieces.

Penetration of Chinese goods into Bharatiya market is affecting our manufacturing industry adversely besides posing a serious challenge to our security, health, environment and strategic concerns. The ABPS wants the Government to tackle this issue of China's penetration into our system through trade and commerce with utmost seriousness. All citizens should refrain from using Chinese products as an expression of patriotism.

The ABPS wants to draw the attention of our government and countrymen to the threat from China in the form of diversion of river waters in the South Central Tibetan region. In the process it would be robbing lower riparian states like Bharat, Nepal, Bhutan, Bangladesh, Myanmar and Thailand of their right to the waters from rivers like Brahmaputra and Sindhu which originate from Kailash - Manasarovar in Tibet. Joint mechanism established in 2007 between Bharat and China to oversee water related issues remain dysfunctional mainly due to the utmost secrecy maintained by China in its water management plans. Two of our states i.e. Himachal Pradesh and Arunachal Pradesh were hit by flash floods and it was suspected at that time that these floods were due to some form of interference in the river flow by the Chinese. Our engineers were not allowed to inspect the upper streams of the river by the Chinese government. The ABPS warns the government that unless the issue is addressed immediately the situation may lead to serious crises between the two countries.

The ABPS urges our Government to take note of the expanding military and diplomatic might of China not only in the immediate neighbourhood but also in the strategically important regions like Africa and the West Asia. China's 3.1 million strong Army is being rapidly modernized with newer weapons and technology. It has built all-weather roads and extended railway network along Tibet, Nepal and Bharat border. China today is a formidable player in the Indian Ocean region. It is establishing contact with all kinds of renegade dictators in the world including the North Korean and Sudanese dictators. Its strategic experts are propounding such disdainfully dangerous theories like Preventive Use of Nuclear Weapons suggesting that China should reserve the right of first attack against any nuclear power with nuclear weapons as a preventive measure.


In such a challenging scenario the ABPS calls upon the government to:


1. Reiterate the Parliament’s unanimous resolution of 1962 to get back the territory acquired by China to the last inch.

2. Take effective measures for rapid modernization and upgradation of our military infrastructure. Special focus should be on building infrastructure in the border areas. Towards that, constitution of a Border Region Development Agency should be considered which would help prevent the migration of the people from the border villages.

3. Use aggressive diplomacy to expose the Chinese' designs globally. Use all fora including ASEAN, UN etc for mobilizing global opinion.

4. Disallow Chinese manufacturing industry free run in our markets. Prohibit Chinese products like toys, mobiles, electronic and electrical goods etc. Illegal trade being carried out through the border passes must be curbed with iron hand.

5. Follow strict Visa norms and maintain strict vigil on the Chinese nationals working in Bharat.

6. Restrict the entry of Chinese companies in strategic sectors and sensitive locations.

7. Mobilize the lower riparian states like Myanmar, Bangladesh etc to tell China to stop their illegal diversion of river waters.

Last Updated ( Sunday, 13 March 2011 )
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Saturday, March 12, 2011

Resolution 2

Resolution 2
Rashtriya Swayamsevak Sangh
Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha, Yugabda 5112
March 11-13, 2011
Puttur (Karnataka)
DEFEAT CHINESE DESIGNS AGAINST
OUR NATIONAL INTERESTS AND SECURITY
The Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha expresses serious concern over the growing multi-dimensional threat from China and the lackluster response of the Government of Bharat to its aggressive and intimidator tactics. Casual attitude and perpetual denial of our Government in describing gross border violations by the Chinese People's Liberation Army as a case of 'lack of common perception on the LAC', attempts to underplay the severe strategic dissonance between the two countries and failure to expose the expansionist and imperialist manouvers of China can prove fatal to our national interests.
The ABPS cautions that the growing civilian and defence ties between China and Pakistan are a matter of grave concern to our national security. Presence of the 10,000-strong Chinese Army in Skardu ( PoK) in the guise of construction works and repairs to Karakoram highway is a serious issue as it allows China to encircle Kashmir . Other issues of concern that best exemplify Chinese' assertiveness include its offer to export one - Gigawatt (GW) nuclear plant and transfer of ballistic missile technology to Pakistan thus precipitating potential nuclear conflict in the region.
The malafide intentions of China are conspicuous in a number of recent developments. It has falsely charged Bharat of occupying 90,000 sq. km of its territory (including Arunachal Pradesh and Sikkim); It is excluding the state of J&K from Bharat in its maps; It is also excluding 1600 KM-long border in J&K from the LAC on the Tibet-Bharat border; It has initiated issuing paper visas for Bharatiya citizens from J&K besides citizens from Arunachal Pradesh. The Chinese troops entered Gombir area in Demchok region last year and threatened the civilian workers to stop construction work. In November 2009, a road project under Centrally-sponsored National Rural Employment Guarantee Scheme (NREGS) in Ladakh, was stopped after objections were raised by the Chinese Army. Infact, it is China which has encroached upon our territory inside the LOC in that region and constructed a 54 km long road for military purposes.
The ABPS sees potential danger from the Chinese machinations in our North East. Its continued claims over Arunachal Pradesh shouldn't be taken lightly as it has set its eyes not only on that state but on the entire North East. Recent expose' in a leading Bharatiya weekly about the extent of the involvement of China in arming, encouraging and funding insurgent groups like the NSCN should awaken us to this danger. Besides NSCN insurgents other insurgent groups in the North East like the NDFB, ULFA etc also get patronage from China. It is also a matter of serious concern that the ISI too is operating in cahoots with China in this region. The A.B.P.S. expresses concern over the growing number of cases of Chinese spies being arrested in different parts of the country.
It is well-known that the weapons from the Chinese government weapon manufacturers find their way to the Maoists and other terrorist groups in Bharat through illegal weapon ports like Cox Bazar in Bangladesh. Fake currency also is being pumped into Bharat from China. The ABPS wants to draw the attention of the Government and people to the occasional publications in the officially-controlled Chinese media about dismembering Bharat into 20-30 pieces.
Penetration of Chinese goods into Bharatiya market is affecting our manufacturing industry adversely besides posing a serious challenge to our security, health, environment and strategic concerns. The ABPS wants the Government to tackle this issue of China's penetration into our system through trade and commerce with utmost seriousness. All citizens should refrain from using Chinese products as an expression of patriotism.
The ABPS wants to draw the attention of our government and countrymen to the threat from China in the form of diversion of river waters in the South Central Tibetan region. In the process it would be robbing lower riparian states like Bharat, Nepal, Bhutan, Bangladesh, Myanmar and Thailand of their right to the waters from rivers like Brahmaputra and Sindhu which originate from Kailash - Manasarovar in Tibet. Joint mechanism established in 2007 between Bharat and China to oversee water related issues remain dysfunctional mainly due to the utmost secrecy maintained by China in its water management plans. Two of our states i.e. Himachal Pradesh and Arunachal Pradesh were hit by flash floods and it was suspected at that time that these floods were due to some form of interference in the river flow by the Chinese. Our engineers were not allowed to inspect the upper streams of the river by the Chinese government. The ABPS warns the government that unless the issue is addressed immediately the situation may lead to serious crises between the two countries.
The ABPS urges our Government to take note of the expanding military and diplomatic might of China not only in the immediate neighbourhood but also in the strategically important regions like Africa and the West Asia. China's 3.1 million strong Army is being rapidly modernized with newer weapons and technology. It has built all-weather roads and extended railway network along Tibet, Nepal and Bharat border. China today is a formidable player in the Indian Ocean region. It is establishing contact with all kinds of renegade dictators in the world including the North Korean and Sudanese dictators. Its strategic experts are propounding such disdainfully dangerous theories like Preventive Use of Nuclear Weapons suggesting that China should reserve the right of first attack against any nuclear power with nuclear weapons as a preventive measure.

In such a challenging scenario the ABPS calls upon the government to:

1. Reiterate the Parliament’s unanimous resolution of 1962 to get back the territory acquired by China to the last inch.
2. Take effective measures for rapid modernization and upgradation of our military infrastructure. Special focus should be on building infrastructure in the border areas. Towards that, constitution of a Border Region Development Agency should be considered which would help prevent the migration of the people from the border villages.
3. Use aggressive diplomacy to expose the Chinese' designs globally. Use all fora including ASEAN, UN etc for mobilizing global opinion.
4. Disallow Chinese manufacturing industry free run in our markets. Prohibit Chinese products like toys, mobiles, electronic and electrical goods etc. Illegal trade being carried out through the border passes must be curbed with iron hand.
5. Follow strict Visa norms and maintain strict vigil on the Chinese nationals working in Bharat.
6. Restrict the entry of Chinese companies in strategic sectors and sensitive locations.
7. Mobilize the lower riparian states like Myanmar, Bangladesh etc to tell China to stop their illegal diversion of river waters.
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Resolution 1

Resolution 1
Rashtriya Swayamsevak Sangh
Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha, Yugabda 5112
March 11-13, 2011
Puttur (Karnataka)
NEED FOR A DECISIVE BLOW AGAINST CORRUPTION
The Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha expresses grave concern over the endless chain of incidents of widespread corruption surfacing in the country. It is all the more shocking that the people occupying the upper echelons in the Government, including the Prime Minister are engaged in protecting their guilty colleagues till the end by describing them as innocent in spite of incontrovertible evidences pouring out against them.
The ABPS is deeply pained at the way the cases of corruption coming to light, day in and day out are tarnishing the image and reputation of the nation. The magnitude of corruption is such that not only the common man, but even the experts get bewildered. The gross misdeeds in organizing the Commonwealth games have gravely damaged the prestige of the country. People at the helm of power are either turning a blind eye or taking steps against the guilty as an eye wash under the pressure of the judiciary and media. The country wants to know as to what was the compulsion and which invisible hand was behind the misdemeanor of the top rung of power in a most sensitive matter like the appointment of the Central Vigilance Commissioner.
Unfortunately, the influence of politics is growing in almost every walk of life and the instances of corruption indulged in by the people in seats of power in the post independence era are constantly on the rise. After the Independence, the country has witnessed public anger against corruption resulting in powerful mass movements. The J. P. movement of 1974-75 and imposition of emergency and the mass movement triggered by the Bofors scandal in 1987-1989 culminated in the change of power at the center. But, the change does not seem to have brought about any decline in corruption. On the contrary the form and dimensions of corruption seem to have become more complex and extensive in the wake of economic liberalization. Whether it is the share scandal of 1992 or the recent 2G spectrum scandal, mind boggling figures of money are found to be involved. What needs special mention is that the people involved in these ever increasing acts of corruption are the ones who are highly educated and belong to the affluent class of the society. All these facts clearly indicate that there is need for further intensification and expansion of the process of man-making.
In this regard the ABPS believes that there is a dire need to organise every rung of social order on the firm foundation of value-based and morally strong conduct of life rooted in the eternal principles of Dharma. This is possible only by reorienting education-system to reflect the national ethos and serve as an effective instrument of character-building and imparting noble samskars. At the same time it is imperative for the people in high positions that they present exemplary models of conduct in their private and public life.
Apart from these reforms of far-reaching consequences, reform in the system of governance & administration and mobilising effective public opinion in favour of that, is equally important. Transparency in governance, administration through minimum and simplified regulations, judicial system based on easy access and timely dispensation of justice, elimination of black money, electoral system capable of effectively curbing the criminalisation of politics and checking the growing influence of money power are a few reforms urgently needed. It is also imperative to ensure proper security for the whistle blowers who courageously expose corruption in the present system at different levels and to have stringent penal provisions against the corrupt. Indeed the poisonous creeper of corruption is responsible for all the contemporary social ills like inflation, unemployment and black money which has also been affecting the country’s development and the internal and external security. In connection with the problem of black money, the government should acquire black money stashed in the country and outside, declare it as the nation’s asset and deploy it for developmental purposes.
The ABPS appreciates the efforts of such courageous individuals, organizations , constitutional institutions, alert media and vigilant Judiciary for their efforts against corruption in the present challenging scenario and calls upon the countrymen to extend their active support for such noble endeavours with utmost personal integrity and also nourish our traditional social institutions actively involved in character-building of our citizens.

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Friday, March 11, 2011

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा २०११

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा २०११
सरकार्यवाह श्री. भैय्याजी जोशी द्वारा प्रस्तुत वार्षिक प्रतिवेदन

दिनांक ११ मार्च २०११, पुत्तूर

पू. सरसंघचालक जी, आदरणीय अ.भा.पदाधिकारी गण, अ. भा. कार्यकारी मंडल के सन्माननीय सदस्यगण, क्षेत्र एवम् प्रांत के मा. संघचालक, कार्यवाह, अ.भा. प्रतिनिधि सभा के सदस्यगण, सामाजिक जीवन में विविध क्षेत्रों में कार्यरत समस्त निमंत्रित बन्धु तथा बहनों, युगाब्द ५११२,मार्च २०११ की अ. भा. प्रतिनिधि सभा में आप सभी का स्वागत है।

इस समय स्वाभाविक रूप से ही उन सभी महानुभावों का स्मरण हो आता है, जिनके सान्निध्य में हमने स्नेह, कर्तव्यभाव एवम् ध्येय के प्रति समर्पण भाव का अनुभव किया है और आज वे हमारे मध्य नहीं रहे । प्रसिद्ध न्यायविद्, बंगाल के संघ कार्य के आधार स्तंभ रहे, गहन चिंतन से हमें लाभान्वित करते रहे, कई प्रकार की प्रतिकूलता में अपने कार्य को बल प्रदान करते हुये कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया ऐसे मा. कालीदासजी बसु कालप्रवाह में हमसे बिछुड़ गये। मध्यभारत में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्य का जिन्होंने सिंचन किया, ऐसे अपने श्री शालीग्राम जी तोमर गत कुछ वर्षों से शारीरिक व्याधियों से जुझते हुए, पंचतत्व में विलीन हो गये। नागपुर महानगर के प्रचार प्रमुख विजयजी पत्की, जिनके पिताजी श्री विठ्ठलराव पत्की प. पू. डा. जी के निकटतम सहकारियों में से रहे, एक दुर्घटना में गंभीर रूपसे घायल हुये, उन्हें बचाने के सारे प्रयास असफल रहे और वे हमें छोड़कर विदा हो गये। प्रसन्न व्यक्तित्व के धनी आंध्र में विभाग प्रचारक, प्रांत बौध्दिक प्रमुख तथा वर्तमान में संस्कृत भारती के कार्य में कार्यरत ऐसे श्री सोमसुंदरम्जी, जो कुछ दिनों से कर्क रोग से ग्रस्त थे, अब नहीं रहे। ब्रज प्रांत के पूर्व प्रांत संघचालक मा. कृष्ण सहाय जी का वृद्धावस्था में निधन हो गया है । दिल्ली के कई सामाजिक कार्यों में जिनकी प्रभावी भूमिका रही, पूर्व प्रांत संघचालक मा. सत्यनारायणजी बंसल का वृध्दावस्था तथा लंबी बीमारी के पश्चात देहांत हो गया। विश्व हिन्दु परिषद के सेवा प्रमुख, ज्येष्ठ प्रचारक श्री. अरविंदराव चौथाईवाले का अचानक हृदयाघात के कारण हाल ही में निधन हो गया। राष्ट्र सेविका समिति की राजस्थान क्षेत्र कार्यवाहिका श्रीमती सुदेश मलिकजी तथा आगरा से वि.हि.प. के तत्वावधान में प्रारंभ मातृशक्ति सेवा न्यास की संस्थापक सदस्या श्रीमती उषा जैन जी का भी निधन हुआ है। वर्धा (विदर्भ) के निवासी अ. भा. किसान संघ के महामंत्री रहे श्री बाबासाहेब तकवाले स्वयं के कृषि के गहन अध्ययन से किसानों को मार्गदर्शन करते रहे व किसान संघ का काम बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान रहा, वैसे ही जालंधर के ज्येष्ठ स्वयंसेवक पंजाब प्रांत के बौध्दिक प्रमुख रहे श्री बालकिशन जी वैद तथा पूर्व आंध्र के सेवा प्रमुख रहे श्री सत्यराजू यह तीनों कार्यकर्ता अब हमारे बीच नही रहे। करवीर (कोल्हापुर) पीठ के प.पू. शंकराचार्य विद्याशंकर भारती, अपने कार्य में सदा ही जिनका आशीर्वाद प्राप्त होता था अपने नश्वर शरीर को त्यागकर स्वर्गस्थ हो गये। महाराष्ट्र में अपनी वाणी व्यवहार से जिन्हें राजनीतिक जीवन में विशेष स्थान प्राप्त था, ऐसी श्रीमती सुमतीताई सुकलीकर अनेक स्मृतियां छोड़कर काल के प्रवाह में समा गयीं।

दलित साहित्य में जिन्होंने अपनी प्रतिभाशाली लेखनी से समरसता एवम् सामंजस्य बनाए रखने का मौलिक कार्य किया, ऐसे कवि श्री उत्तम मुळे जी व सृजनशील लेखक के रूप में परिचित, नागपुर के ही श्री वामनराव निम्बालकर का शरीर शांत हो गया। मुम्बई के श्रेष्ठ शाहीर विट्ठल उमप जी, अपनी सेवा दीक्षाभूमि नागपुर में प्रस्तुत करते समय मंच पर ही उनका निधन हुआ। मराठी नाट्य जगत में जिन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई थी और 30-40 वर्षों तक मराठी नाट्य जगत के हजारों दर्शकों को अभिभूत किया, ऐसे श्री प्रभाकर पणशीकर पंचतत्व में समा गए। कर्ण मधुर, भावपूर्ण एवम् धीर गंभीर स्वरों के धनी,भक्ति संगीत,शास्त्रीय संगीत के द्वारा प्रदीर्घ समय तक करोड़ों अंतकरणों को आल्हादित करने वाले ऐसे श्रेष्ठ गायक, संगीत भास्कर, भारत रत्न पं. भीमसेन जोशी अपने सुरों को हमारे हृदयों में छोड़कर अस्तंगत हो गए। गुजरात के कला संगीत क्षेत्र के जानेमाने श्री दिलीपभाई धोलकिया जी भी हम से बिछुड गये। स्वदेशी विचार एवम् जीवन शैली के प्रखर प्रवक्ता देश बचाओ आंदोलन के कर्णधार, जिन्होनें अपने विचार एवं वाणी से स्वदेशी अभियान के लिए अद्भुत समर्थन जुटाया ऐसे राजीव दीक्षित को काल ने समय से पूर्व ही हमसे छीन लिया।

गोरखपुर के निवासी पूर्व राज्यपाल श्री महावीरप्रसाद जी, केरल में कांग्रेस के शीर्षस्थ नेता श्री करूणाकरन, महाराष्ट्र के ज्येष्ठ साहित्यिक अ. भा. मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष रहे श्री सुभाष भेंडे, गुजरात के सद्विचार परिवार संस्था के संस्थापक एवम् मानवता हेतु कर्मशील रहे श्री हरिभाई पांचाल पंचतत्व में समा गये। गुजरात के उद्योगपति श्री प्राणलाल भोगीलाल जिनका अपने विविध कार्यो में सदा ही सहयोग प्राप्त होता रहा है, जिन्होंनें सामाजिक जीवन में विशेष प्रतिष्ठा अर्जित की थी, वैसे ही म. गांधीजी के विचारों से प्रेरणा लेकर सेवा समरसता क्षेत्र में कार्य करते हुये अपना जीवन समाज हेतु समर्पित करनेवाले श्री ईश्वरभाई पटेल अपनी इहलोक की यात्रा समाप्त कर गए।

स्वयंस्वीकृत कार्यपथ पर चलते चलते ध्येय के प्रति अडिग निष्ठा अतःकरण में धारण करते हुये व्यक्तिगत जीवन में शुध्दता एवम् पारदर्शिता रखकर अपना आदर्श जीवन सबके सम्मुख प्रस्तुत कर दिया ऐसे ही यह सभी महानुभाव थे।

भविष्य में जिनकी स्मृति मात्र से उर्जा प्राप्त होनी है ऐसे उन सब महानुभावों का हम अपने चर्मचक्षुओ से दर्शन तो नही कर पाएंगे, पर उन्हें सदा ही स्मरण किया जाएगा।

शबरीमलै यात्रा के समय पर घटित दुर्घटनाओं में मृत्यु को प्राप्त हुये एवम् प्राकृतिक आपदाओं, आतंकवाद, नक्सलवाद आदि में हिसांत्मक कार्यवाही के चलते परलोक गमन कर गए ऐसे सभी बंन्धुओं के परिवार जनों के प्रति हम संवेदना व्यक्त करते हैं और दिवंगत महानुभावों को हम श्रध्दांजलि अर्पण करते हैं ।

कार्यस्थिति
प्रतिवर्षानुसार मई जून 2010 में सारे देशभर में 70 स्थानों पर संघ शिक्षा वर्ग संपन्न हुये। प्रथम वर्ष के वर्ग प्रांतो की योजनानुसार एवम् द्वितीय वर्ष के वर्ग क्षेत्रानुसार संपन्न हुये, दक्षिण के प्रांतो में भाषानुसार वर्गो की योजना हुयी थी। गत वर्ष प्रौढ़ स्वयंसेवको के द्वितीय वर्ष के वर्ग देशभर में 4 स्थानों कन्याकुमारी, दिल्ली, रांची, तथा बडोंदरा में आयोजित किए गये थे। तृतीय वर्ष का सामान्य वर्ग यथावत् नागपुर मे संपन्न हुआ। गत वर्ष तृतीय वर्ष - विशेष की योजना नहीं थी। वह वर्ग इस वर्ष शीतकाल में संपन्न होगा।

प्रथम वर्ष में 7230 स्थानों से 11556, द्वितीय वर्ष (सामान्य) में 2087 स्थानों से 2678, द्वितीय वर्ष (विशेष) में 370 स्थानों से 497 शिक्षार्थी सम्मिलित हुये। तृतीय वर्ष के वर्ग में 788 स्थानों से 877 स्वयंसेवक आए थे। गत वर्ष देश भर में संपन्न प्राथमिक शिक्षा वर्गो में 24530 स्थानों से 63741 स्वयंसेवकों ने भाग लिया है।

तृतीय वर्ष के समापन अवसर पर असम राज्य के अवकाश प्राप्त मुख्य सचिव श्री जे. एस. राजखोवा प्रमुख अतिथि के नाते उपस्थित रहे।

वर्तमान में उपलब्ध जानकारी के अनुसार देशभर में 27078 स्थानों पर 39908 शाखाए चल रही हैं और 7990 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन एवम् 6431 स्थानों पर संघ मंडली के स्वरूप में कार्य चल रहा है।

अक्टूबर 2010 जलगांव में अ. भा. कार्यकारी मंडल की बैठक में संख्यात्मक वृत्त की समीक्षा की गयी। जहाँ कार्य में लक्षणीय वृध्दि अथवा कमी आयी है उसके कारणों पर सार्थक चर्चा हुयी। अच्छे प्रयोग सामने आए हैं। संख्यात्मक वृत्त की समीक्षा के साथ ही गुणात्मकता पर भी समीक्षा होनी चाहिये।

प. पू. सरसंघचालक जी का प्रवास
पू. सरसंघचालक जी के इस वर्ष के क्षेत्रश: हुए प्रवास का केंद्रबिंदु मुख्यतः ‘कार्यकर्ता’ रहा। समाज के प्रभावी तथा नामवंत व्यक्तियों के छोटे छोटे गटो में संपर्क विभाग द्वारा मुंबई, सूरत, संभाजीनगर, भुवनेश्व र, संबलपुर इत्यादि स्थानों में जिज्ञासा पूर्ति एवं वार्तालाप के कार्यक्रम यशस्वी रहे। पुणे महानगर के संपर्क विभाग द्वारा आयोजित ‘संवाद’ कार्यक्रम में समाज के सभी वर्गो से ऐसे 165 प्रभावी व्यक्तियों की उपस्थिति रही।

अखिल भारतीय योजना से विभिन्न अधिकारियों के प्रवास में महाविद्यालयीन विद्यार्थी कार्य, नगरीय कार्य में वृध्दि तथा गुणात्मकता इन विषयों पर सार्थक चर्चा हुई है।

विशेष वृत्त
घोष वर्गः
इस वर्ष घोष विभाग द्वारा विभिन्न प्रांतो में घोष प्रशिक्षण वर्ग अथवा शिबिरों का आयोजन किया गया । 13 स्थानों पर संपन्न वर्गो में 2363 स्वयंसेवको ने भाग लिया है । अ.भा. घोष वर्ग लखनऊ में संपन्न हुआ, जिसमें सभी प्रांतो से 298 स्वंयसेवक उपस्थित रहे।

‘नव चैतन्य शिबिर’ मेरठः
मेरठ में महाविद्यालयीन विद्यार्थी एवम् तरूण स्वयंसेवकों का शिबिर संपन्न हुआ। पूरे प्रांत से 2247 स्वयंसेवक सहभागी हुए । 644 स्थानों से 416 महाविद्यालयो सें और 89 छात्रावासों से स्वयंसेवक आए थे। विशेषता यह रही कि 1061 नए स्वयंसेवक बने। युवाओं में सामाजिक दायित्व का बोध एवम् राष्ट्र भाव विकसित हो, इसी दृष्टी से कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। विविध विषयों पर जैसे जलसंधारण, पर्यावरण, रक्तदान, नेत्रदान करने का संकल्प लिया गया, यह इस शिबिर की विशेषता रही। मेरठ प्रांत के कार्यकर्ताओं ने जुलाई 2010 से ही विविध कार्यक्रमों का आयोजन करते हुये शिबिर को सफल बनाया है।

पंजाब में संपन्न प्राध्यापक कार्यशालाः
महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयीन कार्यरत प्राध्यापक वर्ग तथा महाविद्यालयीन छात्रों की संघ कार्य में सहभागिता बढ़े, इस दृष्टी से पंजाब प्रांत में विशेष प्रयास किया गया। जिलावार छोटी छोटी बैठकों का आयोजन करते हुये कुछ साहित्य का अध्ययन हो और साथ ही स्थानीय शाखा में आना प्रारंभ हो ऐसा प्रयास किया गया। इसी श्रृंखला में अक्टुबर 2010 को पू. सरसंघचालकजी की उपस्थिति में अमृतसर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में उपकुलपति, डीन एवम् विभागाध्यक्ष, प्रधानाचार्यों सहित कई निदेशकों ने उपस्थित रहकर कार्यशाला को सफल बनाया। कुल 248 संख्या रहीं तथा अनुवर्तन की योजना भी बनी है । पाक्षिक ई-बुलेटिन भेजना प्रारंभ किया गया है ।

मालवा प्रांत में संपन्न विशाल संचलन, एवम् अन्य कार्यक्रमः

व्यापक संपर्क एवम् कार्यवृध्दि का लक्ष्य रखकर मालवा प्रांत ने जिला/विभागश: विशाल संचलनों का आयोजन किया था। प्रांत में 5 स्थानों पर संचलन हुये जिसमें कुल 43600 स्वयंसेवक सम्मिलित हुये। 3 स्थानों पर शारीरिक प्रदर्शन के बड़े कार्यक्रम हुये जिसमें 2077 स्वयंसेवको ने प्रदर्शन किया। कुल 20 जिलों के शीत शिबिरों में 10387 तरूण स्वयंसेवक सम्मिलित हुये।

नर्मदा सामाजिक कुंभ में सहयोग, महाकौशल प्रांत:
सहयोग के दृष्टी से पूरे प्रांत में व्यापक संपर्क की योजना बनाई गयी। जिला प्रमुख, गटनायक प्रमुख एवम् गटनायक निश्चित किये गये। प्रत्येक गटनायक न्यूनतम 20 घरों से संपर्क करे और प्रत्येक घर से कुंभ हेतु एक किलो चावल और आधा किलो दाल तथा एक रूपये का सहयोग प्राप्त करे, इस प्रकार योजना बनी। यह संपर्क अभियान महाकौशल प्रांत के 27 जिलों में 214 स्थानों पर 641 शाखाओं द्वारा संपन्न हुआ। कुल 21593 स्वयंसेवको ने 502674 परिवारों से संपर्क किया और 386 टन अनाज संग्रहित किया गया।

समाज के सभी प्रकार के परिवारों से सहयोग यह विशेष उपलब्धि रही। अनुवर्तन के दृष्टी से छोटे छोटे गाँवों में संघ परिचय वर्ग, कुटुम्ब प्रबोधन तथा भारतमाता पूजन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाऐंगे। वर्ष प्रतिपदा के अवसर पर सभी परिवारों तक ‘नववर्ष शुभकामना संदेश’ भेजने की भी योजना बन रही है।

बाढ़ ग्रस्त परिवारों हेतु राहत कार्य, उत्तर कर्नाटक
गत वर्ष उत्तर कर्नाटक में बाढ़ के कारण बड़ी मात्रा में गाँव ध्वस्त हुये और हजारों परिवार बेघर हो गए। 2400 स्वयंसेवकों की सहायता से तत्काल 180 गाँवों तक राहत सामग्री पहुचाने का कार्य किया गया।

स्थायी पुनर्वास के दृष्टी से ‘सेवाभारती’ के तत्वावधान में 9 ग्रामों में 1680 निवास बनाने का निर्णय किया गया। अब तक 2 गावों में 130 घरों का निर्माण पूरा होकर लोकार्पण भी संपन्न हुआ है। बागलकोट जिले के ‘सब्बलहुणासि’ ग्राम के लोकार्पण का कार्यक्रम पूजनीय सुदर्शन जी व कर्नाटक शासन के मंत्री श्री गोविंद करनोल की उपस्थिति में संपन्न हुआ।

प. महाराष्ट्र में सामाजिक सद्भाव बैठकः
प. महाराष्ट्र में 11 स्थानोपर सामाजिक सद्भाव बैठकों में 66 समुदायों से 644 बंधु उपस्थित रहे । अ.भा. सेवा प्रमुख सीतारामजी की उपस्थिति में यह बैठकें संपन्न हुई । पुणे जिले में तलेगांव में विशेष रूपसे 26 जनवरी को ‘भारतमाता पूजन’ का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न जाति संस्था, भाषा भाषी एवम् शैक्षिक संस्थाओं की सहभागिता रही। इसमें 1498 नागरिक उपस्थित हुए।

प. पू. शंकराचार्य जी का कार्यक्रम, देवगिरी प्रांत
नंदुरबार जिले की गुजरात से लगी हुयी नवापूर तहसील में ईसाई मिशन की गतिविधियाँ कई वर्षों से चल रही है। यहाँ हिन्दू धार्मिक आयोजनों का विरोध भी होता रहता है। ऐसे क्षेत्र में करवीर पीठ के पू. शंकराचार्य जी की पदयात्रा 5 दिन आयोजित की गयी। जिसमें 20 गावों में 4000 जनजाती परिवारों से संपर्क किया गया । 3 स्थानों पर छोटे वनवासी संम्मेलन भी हुये। माताओं की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।

कश्मीर विलय दिवसः
दि. 26 अक्टुबर को ‘कश्मीर विलय दिवस’ के उपलक्ष्य में प्रकट कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। देश भर में 2018 स्थानोंपर 2491 कार्यक्रम हुये, जिसमें 99380 महिलाएँ एवम् 308708 पुरूष वर्ग उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त 7603 स्थानों की 8917 शाखाओं पर भी कार्यक्रम हुये, जिसमें 179809 तरूण व 72466 बाल स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही।

विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा अनुवर्तन के दृष्टी से एक और चरण:

ग्राम विकास में कार्यरत देश भर की विविध संस्थाओं का त्रिदिवसीय सम्मेलन कन्याकुमारी में आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में 65 संस्थाओं से 154 कार्यकर्ता आये, जिसमें 27 बहनें भी थी।

उसी प्रकार अ. भा. ग्राम विकास वर्ग का आयोजन दीनदयाल धाम, फरह जिला मथुरा में संपन्न हुआ। सभी प्रांतो से ‘ग्राम विकास’ के कार्य में सक्रिय ऐसे 188 कार्यकर्ता उपस्थित रहे। जिसमें निवर्तमान पू. सरसंघचालक मा. सुदर्शन जी भी उपस्थित रहे। दोनों कार्यशालाओं में जल, भू एवम् वन संरक्षण, पर्यावरण,जैवविविधता,कुटीर उद्योग तथा ग्राम आरोग्य आदि विषयों पर इस क्षेत्र में कार्यरत अनुभवी व्यक्तियों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। प्रख्यात गांधीवादी पद्मश्री श्री कुट्टी मेनन जी विशेष रूप से उपस्थित रहे।



सेवा विभाग महिला कार्यकर्ता बैठक
सेवाविभाग के द्वारा देशभर में महिलाओं के द्वारा एवम् महिलाओं के लिये चलाये जा रहे प्रकल्पों के संदर्भ में चर्चा हेतु बैठक का आयोजन नागपुर में किया गया। जिसमें 15 प्रान्तों से 127 कार्यकर्ता उपस्थिति रहें। देशभर में चलनेवाले इस प्रकार के प्रकल्पों का अलग से संकलन तथा समन्वय का प्रयास हो, इस पर विचार किया गया। प्रकल्प के माध्यम से महिला विषयक विभिन्न समस्याओं को लेकर भी कुछ गतिविधियाँ प्रारंभ हों इसकी आवश्यकता अनुभव की गई।

धरना कार्यक्रम
गत कुछ दिनों से हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद शब्दों का प्रयोग करते हुये हिन्दुत्व को बदनाम किया जा रहा है । उसी प्रक्रिया में संघ को भी विवाद के घेरे में लाने का प्रयास होता आया है । ‘इसी प्रकारकी राजनीति’ के संदर्भ में जनमत आक्रोश प्रकट हो इसी दृष्टी से देशभर के समस्त जिला केंन्द्रो में 10 नवम्बर को धरना कार्यक्रम हो ऐसी योजना बनी । अल्पकालीन सूचना क बाद भी यह कार्यक्रम व्यापक मात्रामें सफल हुआ । देश में 750 स्थानों पर लगभग 10 लाख 58 हजार नागरिक धरने में सम्मिलित हुए। बड़ी संख्या में माता-बहनों की उपस्थिति तथा कार्यक्रम की व्यवस्थितता और अनुशासन यह विशेषता रही। एक स्थान पर अधिकतम संख्या (25000) जबलपुर मे रही। अल्पकालीन सूचना के बाद भी धरने की सफलता जनभावनाओं को दर्शाती है। कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास भी इससे बढ़ा है।

पत्रकार वार्ता
जलगांव में संपन्न अ. भा. कार्यकरी मंडल की बैठक में ही प्रांत केंद्रों में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया जाए ऐसी योजना बनी थी । 224 स्थानोंपर 3492 पत्रकार उपस्थित थे। प्रसार माध्यमों का सकारात्मक सहयोग रहा। तत्पश्चात प्रसार माध्यमों ने पर्याप्त प्रसिद्धि देकर जनभावना का सम्मान ही किया है।

राष्ट्रीय परिदृश्य
राम जन्म भूमि के न्यायालय निर्णय:
30 सितंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के द्वारा घोषित निर्णय करोड़ों हिन्दुओं के आस्था एवम् विश्वास पर अपनी स्वीकृति प्रदान करनेवाला रहा है। इस देश की न्याय व्यवस्था ने न केवल भावनाओं का ध्यान रखा, अपितु समग्र उपलब्ध तथ्यों के आधार पर अपना फैसला सुनाया है । जिससे जन भावना का सम्मान ही हुआ है ।

निर्णय के पूर्व कुछ तत्वों द्वारा अनावश्यक रूप से एक तनावपूर्ण वातावरण निर्माण किया गया था परंतु निर्णय के पश्चात सारे देश के विभिन्न समूहों ने जो शांति एवम् संयम का परिचय दिया है, वह इस देश की गरिमामयी संस्कृति, परंपरा के अनुरूप ही है । परंतु हिन्दू समाज चाहता हैं कि अब इस फैसले के बाद सभी मिलकर ‘‘भव्य राममंदिर’’ के निर्माण कार्य में सहयोग देकर विश्व के सामने एक सौहार्द का आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत करे । देश भर में संपन्न हनुमत शक्ति जागरण में जनता का उत्साहपूर्ण व विशाल संख्या में सहभागिता ने यही संकेत दिया है । 11467 स्थानों पर संपन्न हुये इन कार्यक्रमों में कुल 6378680 नागरिक उपस्थित रहे, जिसमें 2122669 महिलायें भी उपस्थित रही ।

आवश्यकता है कि संसद सर्वसम्मति से कानून बनाकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे।

आतंकवाद
गत दो दशकों से जिहादी आंतक के चलते हजारों निर्दोष सामान्यजन, पुलिस तथा सेना के अधिकारियों की नृशंस हत्याएं हुई हैं । राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था को तहस-नहस किया जाता रहा है । केवल भारत ही नहीं सारा विश्व समुदाय आतंकवादी तत्वों से ग्रस्त है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि यहाँ की हिन्दू विरोधी शक्तियाँ कुछ घटनाओं को लेकर हिन्दूसमाज को आतंकवादी ठहराते हुये जेहादी आतंकवाद के विरूध्द चलनेवाले प्रयासों को कमजोर करने मे लगे हैं।

देशभक्त हिन्दू संगठन, साधुसंत एवम् हिन्दू समाज के श्रध्दास्थानों की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करने के बजाय ऐसी शक्तियों के बारे में जनसामान्य में भ्रम निर्माण किया जा रहा है । सत्ता प्राप्त करने के अथवा बनाए रखने के स्वार्थपूर्ण उद्देष्यों के चलते तुष्टिकरण की नीति अपनाकर राष्ट्र विरोधी एवम् आतंकवादी शक्तियों की अनदेखी की जा रही है। तथाकथित शीर्षस्थ नेता हिन्दू संगठनों को इस्लामिक आतंकवादी तत्वों से भी अधिक खतरनाक मानते हैं और विदेशी व्यवस्थाओं से वार्ता करने में संकोच भी अनुभव नहीं करते।

लेकिन हमें विश्वास है कि हिन्दू समाज इस षडयंत्र को समझकर इस प्रकार के असत्य तथा भ्रम निर्माण करने वाले प्रयत्नों को विफल करेगा एवम् भविष्य में भी राष्ट्र निर्माण के चल रहे प्रयासों में पूर्ण सहयोग प्रदान करता रहेगा।

जम्मू-कश्मीर की वर्तमान परिस्थितियाँ चिंताजनक
1947 से लेकर आज तक कई बार कश्मीर राज्य के पूर्ण एवं अंतिम विलय पर सहमति बनी, लेकिन आज भी जम्मू-कश्मीर को लेकर चिंता का वातावरण बना हुआ है । वास्तव में जम्मू-कश्मीर समस्या का मूल केंद्र सरकार की ढुलमुल नीतियों में है। गत 63 वर्षों में लाखों करोड़ रू. की राशी विभिन्न योजनाओं पर अनुदान देने एवं एक लाख से अधिक निरपराध जनसामान्य, पुलिस व सेना के हजारों जवानों के बलिदान के पश्चात् भी जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के समान मानसिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एकात्मता स्थापित करने में हम सफल नहीं हो सके हैं । विभिन्न राजनैतिक दल अपने निहित राजनैतिक उद्देष्यों की पूर्ति हेतु अलगाववादी शक्तियों को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से बल ही प्रदान करते रहे हैं, ऐसा दिखाई देता है । कश्मीर घाटी के 4 लाख से अधिक मूल हिन्दू निवासियों का जबरदस्ती पलायन करवाकर घाटी को हिन्दू विहीन करने का प्रयास, सीमा पार से सशस्त्र घुसपैठ, आई.एस.आई. एवं पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी कमांडरों द्वारा कश्मीर घाटी में सक्रिय अलगाववादी संगठनों के नेताओं को खुला समर्थन एवं युवकों को प्रशिक्षण, शस्त्रादि उपलब्ध कराना आदि भारत विरोधी अघोषित युध्द का ही स्वरूप है। आतंकवाद के माध्यम से अपने उद्देश्यपूर्ति में सफल न हो पाने के कारण उन्होंने अपनी रणनीति में बदल किया है, आन्दोलनात्मक आतंकवाद (Agitational Terrorism) यह आतंकवाद का ही नया रूप है।

समय बीतने के साथ अराष्ट्रीय शक्तियाँ वहाँ अपनी जडें मजबूत करती जा रही हैं । कश्मीर घाटी में सक्रिय अलगाववादी शक्तियाँ देश की राजधानी दिल्ली तथा अन्य शहरों में गोष्ठियाँ आयोजित कर, भारत विरोधी खुला प्रचार करने में जुटी हुई हैं ।

वास्तविकता तो यह है कि वर्तमान में चल रहा यह भारत विरोधी आंदोलन जम्मू-कश्मीर के 22 में से केवल 5 जिलों तक सीमित है। गुज्जर, बकरवाल, शिया, कश्मीरी सिख व पंडित, जम्मू के विभिन्न शरणार्थी समूह, डोगरा, बौद्ध तथा राष्ट्रवादी मुस्लिम समूह इस आंदोलन में सहभागी नहीं हैं । परंतु वातावरण ऐसा बनाया जा रहा है कि जैसे सारा जम्मू- कश्मीर भारत से अलग होना चाहता है। वास्तव में केवल 14 प्रतिशत क्षेत्र की भी आधी से कम जनसंख्या इस आन्दोलन में भागीदार है। महिलाओं एवम् बच्चों द्वारा भारतीय सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी करवाकर एवं मीडिया व देशभर में फैले राष्ट्रविरोधी समर्थकों द्वारा ऐसा वातावरण निर्माण करने का प्रयास किया गया है कि सारे घाटी के निवासी आजादी चाहते हैं ।

मुख्यमंत्री श्री उमर अब्दुल्ला द्वारा जम्मू-कश्मीर के पूर्ण विलय को नकारना, जम्मू-कश्मीर को विवादित मानना, केंद्र के वार्ताकारों (Interlocuter)के समूह द्वारा भी ऐसा वातावरण बनाना और केंद्र सरकार एवम् कांग्रेस नेताओं द्वारा उन्हें खुला समर्थन इस बात का संकेत है कि अलगाववादी और राज्य एवम् केंद्र सरकार किसी समझौते पर पहुँचने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं । पिछले दिनो यदि राष्ट्र वादी शक्तियां, भारतीय सेना आदि का दबाव नही होता तो किस प्रकार की घोषणायें हो जाती कहना कठिन है । जम्मू-कश्मीर एक राजनैतिक समस्या और इसके राजनीतिक समाधान के नाम पर डा. मुखर्जी के बलिदान एवं प्रजा परिषद के ऐतिहासिक आन्दोलन के बाद 1953 से जारी एकीकरण की प्रक्रिया को उलट कर 1953 के पूर्व की स्थिति, स्वायत्तता, स्वशासन, आदि फार्मूलों की बातें चल रही हैं ।

कुछ घटनाओं को लेकर ‘‘मानवाधिकार के हनन’’ का अनावश्यक हौवा खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। सुरक्षा बलों के विषेशाधिकारों को बनाए रखते हुये उनका मनोबल बना रहे, यह आवश्यक है। इसी में सामान्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होने वाली है।

समय की मांग है कि अलगाववादी तत्वों पर कठोर कार्यवाही हो और राष्ट्रवादी शक्तियों को बल प्रदान किया जाए । देश के अन्यान्य राज्यों में रहने वाले समाज संगठित शक्ति के साथ राज्य एवम् केंद्र सरकार पर दबाव बनाएँ, इसी से देश की ‘अखंडता’ सुरक्षित रह सकेगी। अन्य प्रांतों के समान ही जम्मू-कश्मीर की भी भारत के साथ एकात्मता पूर्णरूपेण हो। इसका समाधान संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने, जम्मू-कश्मीर के अलग संविधान एवं अलग झंडे की व्यवस्था को समाप्त कर सीमा पार की गतिविधियों को देखते हुये, उसे शेष राज्यों के समान बनाने में ही है । एक देश-एकजन-एक राष्ट्र का भाव स्थापित करना ही समस्या का हल है।

राभा हिन्दुओं पर अत्याचार
ईसाई नववर्ष के प्रथम दिन असम और मेघालय के सीमावर्ती क्षेत्र में घटित घटना भविष्य के संकटों का संकेत देती है। गारो और राभा समुदाय कई पीढ़ियों से सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहते आये हैं । वे अपनी परंपराए और पर्व घुल-मिल कर मनाते हैं । दोनों समूह अपनी अपनी आस्था मान्यताओं के साथ विनम्र रहकर एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते आए हैं । इस क्षेत्र में जब ईसाई मतांतरण बढा़ और गारो समाज का बड़ा तबका ईसाई बनने के साथ ही गारो -राभा के मध्य दूरियाँ बढ़ने लगी । राभा समाज के लोगों के मतांतरण करने में असफलता के चलते यह दूरी बढ़ती गयी, परिणामतः असहिष्णुता का वातावरण बनता गया। इसके बावजूद राभा समाज ईसाई् मिशन के कार्यक्रमो के आयोजनों मे सहयोग करता रहा । मेघालय राज्य बनने के बाद गारो समाज का राजनीति में प्रभाव बढ़ता गया, परिणामतः मिशन की गतिविधियों में वृद्धि हुई। सैकडों मिशनरियों की शक्ति तथा प्रचुर साधनों के बावजूद भी उन्हें अपेक्षित सफलता नही मिल पाई । यही कारण है कि आज गारो व राभा के मध्य संघर्ष, हिंसा व आतंक का वातावरण बन गया है । अलगाववादी तत्वों, बंगलादेशी घुसपैठियों, मुसलमान तथा कुछ राजनेताओं के संयुक्त प्रयासों से राभा-गारो के मध्य संघर्ष की स्थिति बनती गई। यही संघर्ष जनवरी के प्रारंभ में भीषण रूप से प्रकट हुआ है।

विगत वर्षों में दिमासा व कार्बी के मध्य तथा दिमासा व जेमी के मध्य का संघर्ष अराष्ट्रीय शक्तियों के इसी रूप का प्रकटीकरण रहा है। जनवरी 2011 का संघर्ष भी उन पुरानी घटनाओं का ही स्मरण कराता है। तथाकथित धर्मनिरपेक्षवादी लोग इस तथ्य की अनदेखी कर अपनी छद्म धर्मनिरपेक्षता को ही प्रकट करते हैं ।

मेघालय सरकार इसे आपसी गलतफहमी बताकर कारणों के मूल में जाने का साहस नहीं कर पा रही हैं । 31 गावों से लगभग 30000 राभा बन्धु निर्वासित हो गये हैं । उनकी सुरक्षा के स्थायी प्रबन्ध एवम् पुनर्वास की व्यवस्था होने की आवश्यकता है।

उत्तर-पूर्व क्षेत्र में जहाँ-जहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक होते गये, उनकी सुरक्षा को लेकर प्रश्न निर्माण होते रहें हैं । इसके पूर्व भी मेघालय के शिलांग क्षेत्र से असमीया, बंगलाभाषी तथा हिन्दीभाषीक समूहों के हजारों लोगो को समय समय पर भगाया गया है । वे विगत 13 वशों से अन्य प्रान्तों में विस्थापित जीवन जीने को मजबूर हैं । मिजोरम से स्वधर्म में आस्था रखने वाले रियांग जनजाति के 40000 लोगों को भी विस्थापित होना पड़ा है । इन क्षेत्रो में रहने वाली विभिन्न जनजातियों की मान्यताओं एवम् परपंराओं की रक्षा भी नितान्त आवश्यक है ।

भ्रष्टाचार: एक चुनौती
विविध अध्ययनों के निष्कर्ष भ्रष्टाचार के भयानक स्वरूप को प्रकट करते है। उपभोगवाद के बढ़ते स्वार्थ-लालसा बढ़ती गई, परिणाम स्वरूप अनैतिक अवैध मार्ग से अर्थसाधन प्राप्त करने की बढ़ती प्रवृत्ति यही वर्तमान भ्रष्टाचार की समस्या का मूल कारण है । संवैधानिक पदों का दुरूपयोग करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है । ऐसी मनोवृत्ति के कारण संवैधानिक व्यवस्थाएँ भी भ्रष्ट होती दिखाई देती हैं । दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष यह है कि व्यवस्थाओं में सुधार का प्रयास करने वाले एवं विरोध करने वालों के जीवन की सुरक्षा को लेकर प्रश्नचिन्ह लगा है। कालाधन और भ्रष्टाचार के कारण देश की अर्थव्यवस्था तथा आर्थिक संतुलन को लेकर देश के नीति-निर्धारक, अर्थशा स्त्री, सामाजिक चिंतकों के मध्य मूलभूत चिंतन हो एवं स्वस्थ व्यवस्था निर्माण हो इसकी आवश्यकता है । छुपाई गई अवैध संपत्ति को विदेश से देश में लाने की व्यवस्था भी होनी चाहिए ।

विविध समूह तथा संस्थाओं द्वारा भ्रष्टाचार के विरोध में होनेवाले आंदोलनों को जनता का बढ़ता समर्थन, जनभावनाओं को ही व्यक्त करता है।

हिन्दू जागरण के शुभ संकेत
हिन्दू समाज के सम्मुख कई प्रकार की चुनौतियाँ और संकट होने के बावजूद भी जन सामान्य हिन्दुत्व के प्रति श्रद्धा रखते हुए, विभिन्न आयोजनों में सहभागी होता है । गत कुछ कार्यक्रमों ने इस जनभावना का दर्शन कराया है ।

माँ नर्मदा सामाजिक कुंभः
माँ नर्मदा सामाजिक कुंभ फरवरी 2011 में मंडला में संपन्न हुआ। इस कुंभ में अद्भुत शक्ति का परिचय मिला है । सामाजिक समस्याओं तथा हिन्दु समाज को दुर्बल बनाने के चल रहे प्रयासों के निर्मुलन करने हेतु ‘जनजागरण’ की कल्पना से ‘‘माँ नर्मदा सामाजिक कुंभ“ का आयोजन किया गया था। इस समारोह में 336 जिलों से 1179 तहसीलों से 40000 ग्रामों से 415 विभिन्न अनुसूचित जाति, जनजाति, तथा अन्य 400 जातियों का प्रतिनिधित्व रहा। अनुमान है कि तीन दिनों में लगभग 30 लाख यात्री इस कुंभ में सहभागी हुये है । पू. शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वतीजी महाराज, पू. स्वामी सत्यमित्रानंदजी, साध्वी ऋतंभराजी, पू. आसाराम बापू और अनेक साधु-संत, महात्माओं की उपस्थिति ने आयोजन को सफल बनाया । प.पू. सरसंघचालक मा. मोहनजी भागवत, रा. से. समिति की प्रमुख संचालिका वन्दनीय प्रमिलाताई, म. प्र. व छत्तीसगढ़ के मा. मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और डा. रमन सिंह आदि महानुभाव भी उपस्थित थे। जनता व प्रशासन का सहयोग इस आयोजन की विशेषता रही।

विश्व संस्कृत पुस्तक मेला:
देश की प्रतिष्ठित संस्कृत संस्थाओं ने मिलकर बंगलौर में विश्व संस्कृत पुस्तक मेले का आयोजन किया । यह मेला 14 संस्कृत विश्व विद्यालय, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, अ.भा. संस्कृत पुस्तक प्रकाशन संघ, संस्कृत भारती आदि संस्थाओं की सहभागिता से 7से 10 जनवरी तक सम्पन्न हुआ । इस प्रकार का आयोजन संस्कृत के इतिहास में पहली बार हुआ है ।

इस मेले में विभिन्न राज्यों के 128 प्रकाशको ने साहित्य उपलब्ध कराये। विशेषता यह रही कि मेंले में केवल संस्कृत अथवा संस्कृत संबध्द पुस्तकों को ही रखना था, 4 दिन में 4 करोड़ रूपयों की 12 लाख पुस्तकों की बिक्री हुई है । 4 लाख लोगो ने मेला दर्शन किया। ‘‘ज्ञानगंगा’’ नामक भारतीय ज्ञान विज्ञान परंपरा की प्रदर्शनी इस मेले का आकर्षण रही । प्रदर्शनी देखकर प्रबुध्द वर्ग समेत लगभग तीन लाख लोग आश्चर्यचकित रहे व प्रेरणा पायी ।

भारत के 26 राज्यो से व विश्व के 12 देशों से 7146 प्रतिनिधि आये थे। इस कार्यक्रम में 310 नयी संस्कृत पुस्तकों का लोकार्पण हुआ जो अपने आप में एक उच्चांक है।


विश्व संघ शिबिर:
विश्व अध्ययन केंद्र द्वारा 29 दिसंबर 2010 से 3 जनवरी 2011 तक पुणे में एक शिबिर का आयोजन किया गया । 35 देशों से 330 बंधु, 152 बहने तथा 35 छोटे बालक उत्साह से सम्मिलित हुए। भारत के बाहर जिन्होने हिन्दु संगठन कार्य प्रारंभ किया ऐसे श्री जगदीश जी शास्त्री भी उपस्थित थे । विदेशों में हिन्दुओं की स्थिति, हिन्दु संस्कृति प्रचार, प्रसार के प्रयास, स्थान स्थान पर होने वाले हिन्दु सम्मेलन आदि विषयों पर चर्चा हुई । भारत में चलनेवाले विविध कार्यो की जानकारी भी प्रस्तुत की गयी । शिबिर का समापन कार्यक्रम प्रसिद्ध उद्योगपति अभय फिरोदिया, भाऊसाहेब चितले जी की उपस्थिति में संपन्न हुआ। प.पू. सरसंघचालक जी का उद्बोधन हुआ। समापन समारोह में पुणे के 15000 गणमान्य महानुभावों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। विभिन्न देशों से आये हुये बंधुओं को स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही ‘शिवराज्याभिषेक’ के मंचन का दर्शन भी हुआ।

आवाहन
समय समय पर तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक परिस्थिति की समीक्षा के साथ ही अपने संघ कार्य की भी हम समीक्षा करते रहते है, यही अपनी पद्धति है । हमें वर्तमान चुनौतियों और अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर अपने कार्य की गति व शक्ति को बढ़ाते रहना है । इसी दृष्टी से अपनी सभी संरचनायें सशक्त बने व कार्यकर्ताओं की शक्ति बढ़ती रहे, इसपर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है । पू. श्री गुरूजी के वचनों का स्मरण होता है । वे कहते हैं “आज का संसार एक ही भाषा, शक्ति की भाषा समझता है। केवल अपरिमित शक्ति के दृढ़ आधार पर ही राष्ट्र का उत्कर्ष होता है और उसकी यशस्वी स्थिति बनी रह सकती है । यह हमारी कर्तव्यभूमि है, इस प्रकार की भावना रखकर प्रयत्नपूर्वक कर्तव्यपथ पर अग्रसर होना चाहिए । साधारण व्यक्ति अपने जीवन के उद्देष्यों की पूर्ति में पूर्णरूपेण सफल होता है”।



English

RSS national annual meet; ABPS-2011 inaugurated at Puttur

RSS national annual meet; ABPS-2011 inaugurated at Puttur
March 11th, 2011, 10:13 am
RSS national annual meet Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha (ABPS) is inaugurated today at Vivekananda College Premises Puttur. RSS Sarasanghachalak Mohanji Bhagwat inaugurated the event in by lighting the lamp, followed by unfurling coconut flower as a local tradition. Sangh Sarakaryavah Suresh Joshi also present in dias during the inaugural. Vedic chanting was organised as part of invocation along with traditional panchavadyam*.


Mohanji Bhagwat inaugurating the ABPS-2011

Around 1400 delegates from across the country are participating in this 3 day annual meet. office bearers of various Sangh organisations including VHP, Bharateeya Kisan Sangh, working for the farmers; Vanavasi Kalyan Ashram, a tribal welfare organization; Akhil Bharateeya Vidyarthi Parishad, one of the biggest student organization of the contry; Bharateeya Mazdoor Sangh, a leading trade union; Bharatiya Janata Party, one of the two most important political parties of India; are attending the meeting.

Office bearers of Vidhya Bharati, Vijnana Bharati, Kreeda Bharati, Seva Bharati, Samskrit Bharati, Samskar Bharati, Laghu Udyog Bharati as well as leaders from Rashtra Sevika Samithi, Swadeshi Jagaran Manch, Deendayal Samshodhan Samsthan, Bharat Vikas Parishad, Shaikshanika Mahasangh, Dharmajagaran will be participating in the conclave.

Several organizations with special focus like – Sakshama, working for the blind; Seema Suraksha Parishat, which is committed to boost confidence among people of border districts, Poorva Sainik Parishat, working among retired soldiers will be represented in the meeting.

Reports of activities of all these organizations will be submitted in the meeting. State wise activities of the RSS will be reviewed. Important national issues will be discussed and necessary resolutions will be passed in the meeting.

Later there was a Press-briefing by RSS Akhil Bharatiya Prachar Pramukh Dr Manamohan Vaidya.


Mohanji Bhagwat unfurls the coconut flower, inaugurates as a local tradition

delegates gathered at ABPS-2011

Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha-2011

Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha-2011
March 11, 12, 13, Puttur- Karnataka
Anuual report presented by RSS Sarakaryavah (General Secretary) Sri Suresh Joshi
It is but natural to remember all those great personalities who awakened the spirit of affection, feeling of commitment to one’s duty and total devotion to goals and ideals dear to all of us; but who are no more with us.
Respected Kalidas ji Basu, a renowned legal luminary, a great pillar of strength for Sangh work from its inception in Bengal, one whose guidance through his incisive thinking in many difficult situations benefited our karyakartas has left us. Shri Shaligram ji Tomar, who nurtured A.B.V.P. for years in Madhya Bharat left behind his earthly existence after fighting many physical ailments since last few years. Prachar Pramukh of Nagpur city, Shri. Vijay ji Patki, whose father was a close associate of Parampoojaneeya Doctor ji, was seriously injured in a road accident. All efforts to save him proved futile and he departed from this world. A sunny personality with every ready smile, Shri Somasunderji who was vibhag pracharak of Andhra Pradesh, prant boudhik pramukh and looking after Sanskrit Bharati work currently was suffering from Cancer for some time. He has also departed from this world. Past Sanghchalak of Brij prant respected Krishna Sahay ji passed away at a ripe old age.
Former Sanghchalak of Delhi prant respected Satyanarayan ji Bansal, who played a crucial role in many social service projects, passed away in old age after prolonged illness. Recently, Senior Pracharak Shri. Arvindrao Chauthaiwale, Seva Pramukh of V.H.P. departed us due to Sevier heart attack. Shrimati Sudesh Malik ji, karyavahika of Rajasthan region of Rashtra Sevika Samiti and Shrimati Usha Jain ji founder member of Matrishakti Seva Nyas of Agra founded under the auspices of V.H.P., also left for their heavenly abode in the past year. Resident of Vidarbha Shri Babasaheb Takwale, who was General Secretary of A.B. Kisan Sangh and used to guide farmers with his deep study of agriculture, had played a major role in growth of Kisan Sangh; as also senior swayamsevak of Jalandhar, Shri Balkishen Vaid who was also former Boudhik pramukh of Punjab prant, and Shri Satya Raju, former head of Sewa karya in Andhra are also no more with us. We always used to receive blessings for our work from Parampoojneeya Shankaracharya of Karveer Peeth (Kolhapur) Vidyashankar Bharati, who departed from this material world. Shrimati Sumatitai Sukalikar, who had a special place in Maharashtra’s political life due to her highly respected words and actions, also left behind her memories and left us in this flow of time.
A great poet Shri Uttam Muley who had made a place for himself with his impressive writings in Dalit literature and contributed greatly to maintain harmony and co-operative spirit in the society; Shri Vamanrao Nimbalkar recognized as a creative writer also left this world. One of the best ‘shahir’ from Mumbai, Vitthal Umap ji completed his life’s journey on the stage at Deeksha Bhoomi, Nagpur itself while performing his play. Shri Prabhakar Panshikar who had carved a niche for himself on Marathi stage and gave pleasure to thousands of his fans in Marathi theatre merged back into the five elements. A rich voice that carried deep emotions that enraptured the hearts of millions of souls with his rich devotional songs, shastriya sangeet, great singer, Eternally shining Sun of music, Bharat Ratna Pandit Bhimsen Joshi left behind his musical voice for us and passed into eternity. Well known personalities of Gujarati music Shri Dilipbhai Dholakia ji also departed from this world. Highly energetic spokesperson for Swadeshi philosophy and life style, leader of Desh Bhachao movement, a person who could arouse unrivalled support for Swadeshi movement, Shri Rajeev Dikshit was snatched away from us by cruel fate in prime of his life.
Resident of Gorakhpur and former Governor, Shri Mahavir Prasad, top leader of Congress Shri Karunakarn, senior literature and former Chairman of A.B. Marathi Sahitya Sammelan, Shri Subhash Bhende; Founder of Sadvichar Parivar and an ever dedicated person to humanitarian work Shri Haribhai Panchal are no more with us. Famous industrialist of Gujarat, Shri Pranlal Bhogilal who always used to support us in various activities and had earned respect due to his social activities; as also Shri Ishwarbhai Patel who worked in the field of sewa and social harmony with inspiration from Mahatma Gandhiji completed their live’s journeys.
These great souls are the ones who led an exemplary ideal life of purity and transparency even as they trod the self chosen path of duty, firm in their faith for the ideals for which they lived.
We shall feel surcharged with energy by simply remembering such noble souls. We shall never be able to see them again through our physical eyes. They shall always live in our memories.
We express our deep condolences for our brethren who departed from this world due to accidents that took place during Sabarimala yatra and natural disasters, or died due to violence perpetrated by terrorists and Naxalites, and we pay our homage to noble departed souls.
Overview of Activities
Sangh Shiksha Vargas were organized at 70 places all over Bharat between May to June 2010 like every year. Camps for Pratham Varsh (First Year) were held as per programmes decided by respective prants (states) and Dweetaya Varsh (Second Year) camps were organized at Kshetra (Zonal) level. Camps in South were planned on the basis of languages. Second Year training camps for senior swayamsevaks were organized at four places all over Bharat, viz. Kanyakumari, Delhi, Ranchi and Vadodara. Triteeya Varsh (Third year) training camp was held in Nagpur as usual. There was no special third year training in the last year. This will be organized in the winters this year.
11556 swayamsevaks took part from 7230 places in the First Year Camps, 2678 swayamsevaks participated from 2087 places for the Second Year; 497 participants from 370 places for special Second year (for seniors), and 877 swayamsevaks from 788 places took part in Third Year training camp. 63741 swayamsevaks from 24530 places participated in the Prathamik Shiksha Vargas all over Bharat.
Retired Chief Secretary of Assam state, Shri J. S. Rajkhowa, was the Chief Guest in the concluding ceremony of the Third Year.
As per information available, at present 39908 shakhas are active in 27078 places all over Bharat. Sangh work is also going on through 7990 Saptahik Milans (Weekly get-togethers) and 6431 Sangh Mandalis at different places in Bharat.
Critical analysis of quantitative aspect of Sangh work was done during the meeting of A. B. Karyakari Mandal in Jalgaon in October 2010. There was constructive discussion about the causes of growth or lack of growth in different places. We have received information about some good experiments. It was felt that qualitative analysis should also be done along with quantitative analysis.
Tours of Parampoojaneeya Sarsanghchalak
The core message in the tours undertaken at Kshetra level by Parampoojaneeya Sarsanghchalak was about ‘karyakarta’. Interactive programmes with discussions and questions-answers sessions organized by Sampark vibhag with renowned influential celebrities in small groups in Mumbai, Surat, Sambhajinagar, Bhuvaneshwar, Sambalpur, Dhanbad etc. proved to be great success. A programme, called ‘Samvad’ witnessed the presence of 165 influential leaders from all walks of social life in Pune.
During the tours of other A.B. adhikaris under programmes organized at national level, constructive discussions were held about work among College students, growth at ‘Nagar’ level and quality of work.
Special Mentions
Ghosh Varg:
Training workshops or camps were organized at state level by Ghosh vibhag in some states. 2363 swayamsevaks took part at 13 places. National Ghosh Varg was held in Lucknow which saw presence of 298 swayamsevaks.
Nav Chaitanya Shivir:
A special camp was held for College students and other young swayamsevaks of Merut prant in Merut. There were 2247 participants from all over the state. The trainees had come from 644 places, 416 colleges and 89 hostels. Highlight of the camp was that there were 1061 new entrants. Programmes were conducted in such a way that they would arouse a sense of responsibility for the society and nation in the youth. Camp participants expressed firm resolve about issues like Water management, environment, blood donation, eye donation etc. This was the achievement of this camp. Karyakartas of Merut prant had begun preparatory work from July 2010 for this camp with various programmes to make this camp a big success.
Workshop conducted for College and University teachers in Punjab:
Special exercises were undertaken in Punjab to improve participation of College students and teachers teaching in colleges and universities in Sangh work. Small group meetings were organized in all districts and efforts were done to see that literature about Sangh is studied, and students begin attending local shakhas.
Poojaneeya Sarsanghchalak’s programme was organized as a part of this exercise in October 2010 in Amritsar. Many directors, vice-chancellors, deans, heads of departments and principals were present in this workshop to make it a success. Total number of participants was 248 and a plan for follow up action is in place. Mailing of e-bulletin twice a month has begun.
Vishal Sanchalan (Grand parade) in Malwa prant and other programmes:
Malwa prant had organized sanchalan (parade) programmes at district/vibhag level for extending its mass contact and expansion of Sangh work. Sanchalans (Parades) were conducted in 5 places in the prant that saw participation of 43600 swayamsevaks. Public programmes of physical drills were conducted at 3 places in which 2077 swayamsevaks participated. Winter camps saw 10387 young swayamsevaks’ participation.
Support to Narmada Samajik Kumbh by Mahakoshal prant:
A detailed plan was made for the entire prant to seek co-operation from society at large. Heads for districts, gatnayak pramukhs and gatnayaks were nominated. A programme was chalked out that each gatnayak would contact a minimum of 20 households and get support for the kumbh in form of one kg rice, half a kg of pulses and donation of One rupee. This mass contact programme was undertaken in 27 districts of Mahakoshal prant in 214 places through 641 shakhas. In all 21593 swayamsevaks contacted 502674 families and collected 386 tonnes of food grain.
Special achievement of the programme was that swayamsevaks were able to invoke support from the families and households at different levels of society. As a follow up, plans are afoot to conduct workshops for introducing Sangh in small villages, inculcating family values through various programmes and Bharatmata poojan. Plans are also afoot to send greetings on the occasion of Varsh Pratipada (Hindu New Year).
Relief work for flood affected families in North Karnataka:
Floods in North Karnataka last year resulted in destruction of large number of villages and displacement of thousands of families. Relief material for 180 villages with the help of 2400 swayamsevaks was arranged immediately. It was resolved to build 1680 homes in 9 villages for rehabilitation under the auspices of ‘Sewa Bharati’. So far, 130 houses have been handed over in 2 Villages. Handing over ceremony of houses in Sabbalahunasi village of Bagalkot dist. was done at the hands of Poojaneeya Sudarshanji in the presence of Shri Govind Karnol Minister of Karnataka state government.
Meeting for Social Harmony in West Maharashtra:
644 brethren from 66 communities in 11 places came together in West Maharashtra for Social harmony meetings. These meetings were organized in the presence of A.B. Sewa Pramukh Shri Sitaram ji. There was a special Bharatmata Poojan in Talegaon of Pune district on 26th January. It saw participation of organizations of different castes, linguistic groups and educational institutions. 1498 citizens participated in this programme.
His Holiness Shankaracharya’s programme in Devgiri prant:
Missionary activities are going on for past many years in Navapur tehsil of Nandurbar district adjoining Gujarat state. There would be objections to any kind of Hindu religious programmes. A five day Padyatra of His Holiness Shankaracharya of Karveer Peeth walk was organized in such an area. 4000 tribal homes were contacted in 20 villages during this walk. Tribal get-togethers were held in 3 places. Participation of matrishakti (Woman), in great numbers in these programmes was noticeable.
Kashmir Merger Day:
Public programmes were organized on October 26, the day on which Kashmir was merged with Bharat. 2491 programmes were organized in 2018 places that saw presence of 99380 women and 308708 men. Apart from this, programmes were also organized in 8917 shakhas at 7603 places in which 179809 young swayamsevaks and 72466 school going swayamsevaks took part.
Follow up action on Vishwa Mangal Gau Gram Yatra:
A national level three day conference was held at Kanyakumari for the organizations working in the field of Rural upliftment. 154 karyakartas including 27 sisters from 65 organizations participated in this conference.
In the same way, Akhil Bharatiya Gram Vikas Varg (National Rural Development Workshop) was also held at Deendayal Dham in Farah of District Mathura. 188 active karyakartas from all prants involved in rural development took part in this workshop. Poojaneeya Sudarshan ji was present in this workshop. Guidance from experienced experts on varied subjects like water, earth and forest conservation, environment, bio-diversity, cottage industry, village health etc. was received. Renowned Gandhian Padmashri Shri Kutti Menon ji was specially present in this workshop.
Meeting of Mahila (women) karyakartas of Sewa Vibhag:
A special meeting was organized in Nagpur to discuss the projects run by women karyakartas and for women. 127 karyakartas from 15 prants took part in this meeting. Ideas were discussed about an independent initiative to bring together and co-ordinate such women oriented projects. It was felt that some more activities also need to be taken up about various problems faced by women.
Dharna programme
Hindutva is being tarnished with terms like Hindu terrorism, Saffron terrorism etc. Efforts are also being made to drag Sangh into this controversy. Public resentment against this kind of politics must be exhibited; with this objective a programme was chalked out to offer ‘dharna’ in all the district centres of Bharat on 10th November. This programme was widely successful across Bharat though it was taken up at a very short notice.
Almost one million, to be more exact 10,58,438 citizens were present in 750 places for this dharna. Participation in big numbers by mothers and sisters, well organized and disciplined way the dharnas were offered were the highlights of this programme. Highest number of participation of 25000 citizens in Jabalpur. At a short notice, success of programme shows the feelings within the society about the subject. This programme has raised the self confidence of karyartas in a big way.
Press Conferences
A programme had been chalked out at the meeting of A.B. Karyakari Mandal held in Jalgaon, to conduct press conferences at state centres. 3492 journalists were present in 224 places. Approach of media to these press meets was positive. By giving requisite coverage to these press conferences, media has shown sensitivity and respect to the popular feeling.
National Scenario
Decision on Ram Janmabhoomi by Allahabad High Court
Decision handed down by Lucknow Bench of Allahabad High Court on 30th September is an acceptance of the faith and belief of Crores of Hindus. Legal system of our country has not only kept their feelings in mind but has based its decision on all the facts available to it in this regard, thus respecting the sentiments of the people.
Some vested interests had tried to generate a tense atmosphere before the ruling. But, restraint and calm that different communities and groups have shown after the decision was made public is in tune with the culture and traditions of this country. But, Hindu society desires that all sections of the society should come together to build a grand temple for Lord Ram and present an ideal example of amity and goodwill. Enthusiastic participation of people in large numbers during the Hanumat Shakti Jagaran programmes conducted all over the country is an indication of this feeling. These programmes took place at 11467 places and attended by 63,78,680 people of which 21,22,669 were women.
Now, there is a need to pass a law in the Parliament with consensus of all law makers to clear the way for temple construction.
Terrorism
Thousands of innocent people, police and military personnel have been killed mercilessly during the continued Jihadi terrorism in last two decades. National security is sought to be destructed time and again. Not only Bharat, but the whole world community is suffering from terrorism. But, it is unfortunate that anti-Hindu forces in our country are trying to weaken the efforts to counter Jihadi terrorism by labeling the Hindu community as terrorist by citing a few incidents.
Instead of assuring security to patriotic Hindu organizations, holy saints and centres of faith of Hindu society, these people are trying to create confusion about these forces in the minds of common people. With a selfish urge to remain in power or capture power, policies are being framed to pander to some communities while closing eyes to the anti-national and terrorist forces. So called leaders consider Hindu organizations to be even a greater danger than the elements fomenting Islamic terrorism. They are not even shy of sharing such views with foreign powers.
But, we are sure that Hindu society can see through this conspiracy. It will foil all such attempts to manufacture falsehood and create confusion, and will co-operate wholeheartedly with the efforts towards nation building in future.
Worrisome situation in Jammu & Kashmir
A consensus regarding complete and final merger of Kashmir with Bharat has been arrived at many a times since 1947, but situation in Jammu-Kashmir remains a cause of worry. Infact, the root cause of Jammu-Kashmir problem is weak and indecisive policies of the central government. We have not been successful in achieving integration and sense of oneness in social, mental, economic and political sense in Jammu-Kashmir as we have done in other states of our country inspite of providing grants worth lakhs of crores of rupees for various projects and plans, sacrifice of more than one lakh innocent citizens and thousands of jawans of police and army during last 63 years. Various political parties are strengthening the forces of separatism directly or indirectly to fulfill their vested political interests. Conspiracy to remove all Hindus from the valley by forcing more than 4 lakh indigenous Hindus to run away from Kashmir, armed incursions from across the border, open support by ISI and terrorist commanders of Pakistan to leaders of active separatist organizations and training the youth, providing them with arms etc.; are all forms of undeclared war against Bharat. Having failed to fulfill their objectives through terrorism, they have changed their tactics now. Agitational terrorism is but a new form of terrorism.
Anti-national forces are striking their roots deeper with time. Separatist forces are engaged in anti-Bharat propaganda by organizing seminars in capital city of Delhi and other cities.
The real truth is that these anti-Bharat agitations are limited to only 5 out of 22 districts of Jammu-Kashmir. Gujjars, Bakarwals, Shias, Kashmiri Sikhs and Pandits, various refugee groups in Jammu, Dogras, Buddhists and nationalist Muslims are not part of this separatist movement. But, atmosphere being created all around is as if entire Jammu-Kashmir wants to secede from Bharat. Actually, less than half of the population from only 14% of the state’s area is part of this agitation. By using women and boys to throw stones at security forces anti-national groups spread across Bharat are trying to create an atmosphere with the help of media as if all the citizens of the valley want independence or ‘azadi’.
Negation of complete merger of Jammu-Kashmir with Bharat by Chief Minister Omar Abdullah, claiming Jammu-Kashmir to be a disputed territory, creation of such an environment by interlocutors of the Centre and open support to them by Central government and Congress leaders indicates that separatists, State and the Central government have embarked upon such a path to strike some agreement. It is difficult to imagine what kind of pronouncements would have been made had Indian Army and other nationalist forces not exerted pressure. Terming Jammu-Kashmir as a political problem and reversing its merger that began in 1953 when Dr. Mukherjee sacrificed his life and Praja Parishad conducted a historic agitation; there are now talks about formulae of autonomy, self-rule etc.
Bogey of ‘Human Rights violations’ is being raised by citing a few incidents. It is extremely important that morale of Armed forces is kept high by maintaining their special powers. This is the only way that security of common people would be assured.
It is call of the times that strong action be taken against separatist elements and nationalist forces be strengthened. People in different states of the country must pressurize state and central governments in an organized manner. This is the only way that unity of the nation would be secured. Jammu-Kashmir should also have the same sense of unity with Bharat like other states. Keeping in mind the activities across the border, only solution to achieve this is abrogation of article 370, system of separate constitution and separate flag be scrapped and treating it like any other state. The right solution to this problem is to establish a sense of one country – on people – one nation.
Atrocities on Rabha Hindus
Incidents that took place on the first day of Christian New year near the border areas of Assam and Meghalay are a pointer to us about the dangers that we would face in future. Garo and Rabha communities are living together for many generations with cordial relations. They celebrate their festivals and follow their traditions happily together. Both the groups have been staying together respecting each others’ sentiments and respecting each other’s faith and beliefs. With increase in conversions to Christianity and a large section of Garo tribes converting to Christianity, there is a widening chasm between Garo and Rabha tribes. With failure to convert people of Rabha community to Christianity these differences have widened further, resulting in an atmosphere of intolerance. Despite this Rabha community had been co-operating in the programmes organized by Christian missionaries. After Meghalaya got the status of a State, political influence of Garo community became stronger, resulting in increase in Missionary activities. This is the reason behind current atmosphere of confrontation, violence and terror between Garo and Rabha people. Combined efforts of separatist elements, Bangladeshi infiltrators Muslims and some political leaders have generated a situation of conflict. This is the atmosphere that led to the horrible incidents in the initial weeks of January.
Conflicts between Dimasa and Karbi, Dimasa and Jemi in the past few years are a manifestation of activities of such anti-national forces. Violence of January 2011 reminds us of such incidents that took place earlier too. So called secular lobby is only exposing its pseudo-secularism by turning a blind eye to these facts.
Meghalaya government does not have courage to get to the root of the issue and is trying to pass it off as a result of misunderstandings. Nearly 30000 Rabha brethren from 30 villages have become homeless. There is an urgent need for their permanent rehabilitation and security.
Hindus have faced serious security concerns wherever they have become a minority in North East. Assamese, Bengalis and Hindi speaking groups have been forced to flee from Shillong region of Meghalaya earlier too. They have been forced to live their lives as refugees in other states since last 13 years. 40000 Riyangs, who follow their own faith, were also forcibly displaced. It is critically important to defend the traditions and faiths of various tribes in this region.
Corruption: A Challenge
Various studies expose the terrible extent of corruption. Increasing consumerism has led to lust for self-aggrandizement, resulting in urge to accumulate wealth through unethical and illegal means. This is the root cause of this problem of corruption. There is a strong tendency to misuse constitutional positions. We are witnessing devastation of constitutional system due to this mentality. Unfortunately, there are question marks about the safety of the people who are opposing this and trying to clean up the system. It is extremely important that there should be serious thinking by the policy makers of the nation, economic experts and social thinkers about the effect on fiscal system and economic stability resulting from black money and corruption and methodologies to create a healthy system. Serious efforts must be made to bring back illegal wealth stashed away in foreign lands.
Increasing support from the common people to agitations being organized by different groups and organizations gives us a clear indication about the public opinion in this regard.
Positive signs of Hindu awakening
Maa Narmada Samajik Kumbh
Maa Narmada Samajik Kumbh took place in February 2011 in Mandla. This Kumbh has manifested extra-ordinary power of the society. Maa Narmada Samajik Kumbh was organized to awaken the people against social problems and efforts to weaken the Hindu society. This festival saw participation of 415 different scheduled castes and scheduled tribes and 400 other social groups from 4000 villages of 1179 tehsils from 336 districts. It is estimated that nearly 30lac pilgrims took part in the Kumbh during these three days. Presence of Revered Shankaracharya Vasudevanand Saraswati ji Maharaj, Revered Satyamitranand ji, Sadhvi Ritambharaji, Revered Asaram Bapu and many other saints and sadhus made this kumbh a great success. Other important dignitaries like Parmpoojaneeya Sarsanghchalak Shri Mohanrao Bhagwat, Chief of Rashtra Sevika Samiti Vandaneeya Pramilatai, Chief Ministers of Madhya Pradesh and Chhattisgarh Shri Shivraj Chauhan and Dr. Raman Singh were also present in this programme. The highlight of this festival was the co-operation of common people and the state government for this programme.
Vishwa Sanskrit Pustak Mela (World Sanskrit Book Fair)
Prestigious Sanskrit institutions came together to organize Vishwa Sanskrit Pustak Mela. This fair was conducted with the help of 14 Sanskrit Universities, National Sanskrit institute, Akhil Bharatiya Sanskrit Pustak Prakashan Sangh and Sanskrit Bharati etc. from 7 to 10 January 2010. This is the first time in the chequered history of Sanskrit that such a programme was organized.
128 publishers exhibited their publications at this fair. Specialty of this fair was that only Sanskrit books and books about Sanskrit were show cased. 12 lakhs books worth 4 crore were sold in this period of 4 days. 4 lakhs people visited the fair. An exhibition titled ‘Gyanganga’ (Traditions of Bharatiya Knowledge) was a major attraction of this fair, and left even well versed citizens in awe.
7146 delegates from 26 states and 12 countries were present in the fair. 310 Sanskrit books were released on this occasion which was a record by itself.
Vishwa Sangh Shivir
Vishwa Adhyayan Kendra organized a camp in Pune from 29 December 2010 to 3 January 2011 in Pune, that saw enthusiastic participation of 330 brothers, 152 sisters and 35 children from 35 countries. Shri Jagdish Shastriji who had initiated the Hindu organised work outside Bharat was also present in the camp. Discussions were held about status of Hindus staying outside Bharat, spreading and publicizing Hindu Sanskriti, organization of Hindu conferences at different places etc. Delegates were also given information about various types of activities being conducted in Bharat. Concluding valedictory public function was held in the presence of famous industrialist Shri. Abhay Firodia and Shri. Bhausaheb Chitale. Parampoojaneeya Sarsanghchalak ji addressed the august gathering. 15000 distinguished citizens participated in this function. Brethren from overseas enjoyed the cultural programmes presented by local groups and a drama titled ‘Shiv Rajyabhishek’ about coronation of Chhatrapati Shivaji Maharaj.
Appeal
We undertake a critical appraisal of our Sangh work even as we review the current social and political scenario from time to time. This is how we traditionally work. Keeping in mind the challenges that we face and expectations of the society, we have to increase our velocity and strength in a sustained manner. It is necessary for us to keep focus on strengthening our organization and systems and increasing the strength of our karyakartas.
Here we recall the words of Parampoojaneeya Sri Guruji. He had said, “World today understands only one language – language of strength. A nation can progress and maintain its position only on the basis of strong foundation and immeasurable strength. We must proceed on this path of duty with great effort with this sentiment. Even an ordinary person can be completely successful in attaining one’s goal in life with this resolve.”

Suresh (Bhaiyyaji) Joshi at ABPS-2011
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Tuesday, March 01, 2011

Death for 11, life sentence for 20 in Godhra train burning case

http://timesofindia.indiatimes.com/india/Death-for-11-life-for-20-accused-in-Godhra-train-burning-case/articleshow/7600059.cms




NEW DELHI: A special court on Tuesday pronounced the death penalty for 11 convicted in the Godhra train burning case and handed down life sentence to 20 others.

Special judge P R Patel considering the case as "rarest of rare" pronounced death penalty for 11 out of the 31 convicted in the case while 20 others were sentenced to life imprisonment, PTI reported.

"The court looking into their active role in the conspiracy and setting afire the S6 coach of Sabarmati Express train near Godhra, gave death penalty to 11 people," public prosecutor J M Panchal said.

The court also slapped punishment on them under various other sections, which will be concurrent to their life term.

The prosecution had sought death sentence for all the 31 convicts, saying that it was a heinous act.

Thirty-one people were convicted and 63 others, including the main accused Maulvi Umarji, were acquitted on February 22 by a special court here in the 2002 Godhra train burning incident that left 59 people dead and triggered violence in Gujarat that had claimed the lives of over 1200 people, mainly Muslims.

The court acquitted prime accused Umarji while other prominent accused Haji Billa and Rajjak Kurkur were convicted.

Scientific evidence, statement of witnesses, circumstantial and documentary evidence placed on record formed the basis of the judgement.

The trial conducted inside the Sabarmati Central Jail here began in June 2009 with the framing of charges against 94 accused in the carnage that had triggered widespread communal riots in Gujarat.

The accused have been charged with criminal conspiracy and murder in burning of the S-6 coach of the train on February 27, 2002 near Godhra, about 125 km from here in which 59 people were killed.

Defence counsel I M Munshi said the convicts will definitely appeal against the punishment awarded to them.

"It (the punishment) is very difficult to swallow. Till we get the copy of the judgement, we cannot comment much," Munshi said.

"We will definitely appeal against the verdict in the high court. Till the high court confirms the judgement, it cannot be implemented," he said

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