Tuesday, March 31, 2015

रेल हादसे के घायलों की सेवा में जुटे हैं संघ के स्वयंसेवक

लखनऊ. रायबरेली के बछरांवा रेलवे स्टेशन पर 20 मार्च को रेल दुर्घटना के शिकार हुए घायलों की मदद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक आज भी दिनरात जुटे हैं. केजीएमयू के ट्रामा सेन्टर में रेल हादसे के शिकार 20 लोग भर्ती हैं. इन मरीजों को समय पर भोजन उपलब्ध करवाने के साथ ही स्वयंसेवक उनकी जांच कराने से लेकर हर प्रकार की चिंता कर रहे हैं.
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20 मार्च को देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस लखनऊ और रायबरेली के बीच स्थित बछरांवा स्टेशन पर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी. हादसे में 32 लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी थी और काफी संख्या में लोग घायल हुए थे. घटना की सूचना मिलते ही रायबरेली के स्वयंसेवकों ने तत्काल मौके पर पहुंचकर राहत व बचाव कार्य में हाथ बंटाया. घायलों को लखनऊ के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया था और गंभीर रूप से घायलों को ट्रामा सेन्टर में भर्ती किया गया था.
कई गंभीर रूप से घायलों को तत्काल रक्त की आवश्यकता थी, ऐसे में स्वयंसेवकों ने बीस यूनिट रक्तदान कर गंभीर रूप से घायलों को नई जिंदगी दी. स्वयंसेवक ट्रॉमा सेंटर के डिजास्टर, सर्जरी, न्यूरो, ऑर्थोपेडिक और लिंब सेंटर के वार्ड में भर्ती मरीजों की सेवा और देखरेख कर रहे हैं.
लखनऊ के विभाग कार्यवाह प्रशांत भाटिया ने बताया कि अलग-अलग वार्ड में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों को पैकेटबंद खाना और पानी की बोतलें तीनों टाइम वितरित की जा रही हैं. हादसे के दिन जिन घायलों के परिजन ट्रॉमा नहीं पहुंचे थे, उनकी देखरेख के लिए हर बेड पर एक स्वयंसेवक को तैनात किया गया था. वे पूरे समय मरीज की सेवा में खड़े रहे. टीम में पचास से अधिक स्वयंसेवक शामिल हैं जो पांच से छह घंटे की शिफ्ट में मरीजों की सेवा में लगे रहे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अलावा वंदे मातरम आरोग्य मंच,पतंजलि ,गायत्री परिवार और मालवीय मिशन जैसी संस्थाओं ने भी सहयोग किया. वंदेमातरम आरोग्य मंच के संयोजक राहुल वर्मा ने कहा कि सेवा हमारा धर्म है. नर सेवा नारायण सेवा मानकर हम लोगों ने सेवा की.

रामनवमी, नवसंवत्सर के उपलक्ष्य में भजन संध्या का आयोजन

मेरठ (विसंकें). संस्कार भारती मेरठ महानगर की महिला शाखा द्वारा नवसंवत्सर और रामनवमी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. भजन संध्या में गीतों के माध्यम से गौ रक्षा और भारतीय संस्कृति का महत्व बताया.
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कार्यक्रम की शुभारम्भ रेनू काम्बोज और पिंकी भाटिया ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया तथा  सभी को हिन्दू नव वर्ष की शुभकामनायें दी. प्रसिद्ध भजन गायिका ने गणेश वंदना के साथ कार्यक्रम शुरू किया और फिर एक के बाद एक भजनों की प्रस्तुति दी. ‘गोधाम बनेगा हर एक मोड़ पे, ऐलान कर रहा हूं डंके की चोट पर’ भजन द्वारा कार्यक्रम में गोरक्षा का संकल्प दोहराया गया. नीता गुप्ता ने भजन ‘स्वच्छ भारत का इरादा कर लिया हमने, देश से अपने ये वादा कर  लिया हमने’ सुनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया. नीता गुप्ता ने भजन ‘गंगा मईया ओ गंगा मईया’ के माध्यम से गंगा को स्वच्छ रखने का संदेश दिया. भजन ‘झिलमिल झिलमिल चुनरी में तारा चमके, आजा रे भवानी तेरा सेवक तरसे’ सुनाया. कार्यक्रम के अंत में भजन ‘बांके बिहारी की  देख छटा झूमे’ पर हॉल में मौजूद लोगों ने डांडिया नृत्य किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शैल अग्रवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया.

रामनवमी का अखाड़ा जुलूस

बीरमित्रपुर:शहर की तीन अखाड़ा कमेटियों की ्ओर से सोमवार को धूमधाम से रामनवमी का अखाड़ा जुलूस निकाला गया। इस जुलूस में कमेटी के सदस्यों द्वारा सुंदर लाठी खेल समेत हैरतअंगेज करतबों का प्रदर्शन किया गया। गत शनिवार को यहां सड़क दुर्घटना में अंचल के एक युवक की मौत होने के कारण जुलूस स्थगित रखा गया था
सोमवार की शाम संडे मार्केट से शिवाजी अखाड़ा, कोलदफाई से कोल दफई अखाड़ा, गोल मार्केट से बजरंग बलि टाउन अखाड़ा का जुलूस निकला। वहां से जुलूस जगन्नाथ मंदिर के पास पहुंचा। यहां पर अखाड़ा कमेटियों के सदस्यों द्वारा लाठी खेल का प्रदर्शन किया गया। गाजे-बाजे के साथ निकले अखाड़ा जुलूस में भक्तों की ओर से जय श्री राम का उद्घोष भी होता रहा। यहां से जुलूस मंगलालदफाई, सिनेमा हाल रोड, गोल मार्केट से होकर चाइना टाउन में पहुंचने के बाद खत्म हुआ।

Monday, March 30, 2015

निस्वार्थ और पूजा भाव से की गई सेवा ही सच्ची सेवा है – सुहास राव हिरेमठ

सच्चे अर्थों में सेवा का भाव क्या है, सेवा का उद्देश्य क्या है, संघ और सेवा भारती किन क्षेत्रों में सेवा कार्य कर रहे हैं, सेवा को लेकर भारतीय चिंतन क्या कहता है, सेवा की आड़ में मतांतरण और स्वार्थ सिद्धि के प्रयास कितने उचित हैं, ईसाई मिशनरी की सेवा के पीछे का सच क्या है….सहित अन्य विषयों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख सुहास हिरेमठ जी से विश्व संवाद केंद्र भारत के प्रतिनिधि ने विस्तृत बातचीत की. सेवा से जुड़े विभिन्न विषयों पर उनके साथ बातचीत के अंश……
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विसंकें – सेवा क्षेत्र में राष्ट्रीय सेवा भारती कब से कार्यरत है ?
सुहास जी – सेवा भारती प्रांत में काम करने वाली संस्थाएं हैं, हर प्रांत में सेवा कार्य करने के लिये प्रांतीय स्तर पर स्वयंसेवकों ने संघ की योजना से संस्थाएं बनाई हैं. अधिकतर स्थानों पर सेवा भारती के नाम से संस्थाएं हैं, पर कुछ प्रांतों में अलग नाम से भी सेवा कार्य चल रहा है. महाराष्ट्र में जनकल्याण समिति, कर्नाटक में हिंदू सेवा प्रतिष्ठान, राष्ट्रोत्थान सेवा परिषद है, विदर्भ में लोक कल्याण समिति, डॉ हेडगेवार जन्मशताब्दी समिति सहित अनेक नामों से संस्थाएं सेवा कार्य कर रही हैं, अधिकांश प्रांतों में सेवा भारती नाम है. इन सारी संस्थाओं की अंब्रेला (छाता) आर्गेनाइजेशन है राष्ट्रीय सेवा भारती, संघ प्रेरणा से प्रांत स्तर पर कार्य करने वाली संस्थाएं, संघ के अलावा सेवा कार्य में निष्ठापूर्वक रत अन्य संस्थाओं को जोड़ने का कार्य राष्ट्रीय सेवा भारती करती है. वर्ष 2002 में राष्ट्रीय सेवा भारती का शुभारंभ हुआ था, जिसे कार्य करते हुए करीब अब 13 साल हो गए हैं.
विसंकें – सही अर्थों में सेवा का भाव क्या होता है, उद्देश्य क्या है ?
सुहास जी –  सेवा कार्यों को लेकर हिंदू चिंतन ही संघ का चिंतन है, संघ का अपना अलग कोई चिंतन नहीं है. हिंदू चिंतन के अनुसार सेवा का मतलब है निस्वार्थ भाव से, पूजा भाव से, जैसे स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कर्तव्य भाव से सेवा करना. दुर्भाग्यवश किसी न किसी वजह से जो लोग पीछे रह गए हैं, उनकी उन्नति के लिये, उन्हें आगे लाने के लिये एक साधन सेवा है. संघ के लिये सेवा ही साधन है, साध्य नहीं है.
अपना सेवा का यह उद्देश्य नहीं है कि समाज के दो वर्ग बनाएं, एक जीवन भर सेवा लेता रहे है और दूसरा जीवन भर सेवा करता रहे. सेवा कार्य का उद्देश्य सेवित जन के मन में स्वाभिमान जगाना है. आज जो सेवा ले रहा है, वह जल्दी से जल्दी सेवा करने वाला बने, आज जो लेने के लिये हाथ आगे बढ़ा रहा है, आगे चलकर देने के लिये हाथ बढ़ाए. सेवा कार्य के दौरान ऐसे कई अनुभव सामने आए हैं कि सेवा लेने वाले आगे चलकर अच्छे कार्यकर्ता बने हैं, पूर्ण कालिक कार्यकर्ता बने हैं.
पुणे की स्वरूप वर्धिनी संस्था में गरीब परिवार की (जिनके माता पिता दूसरों के घरों में काम कर परिवार का पालन पोषण कर रहे थे) तीन छात्राएं एमकॉम, बीएएमएस, एमएससी-बीएड की डिग्री हासिल करने के बाद सेवा में लगीं, तीनों लड़कियों ने डिग्री पूरी करने के पश्चात सेवा का निश्चय किया और अरुणाचल में तीन साल तक पूर्णकालिक के रूप में वनवासी कल्याण आश्रम के तहत कार्य किया. मन में भावना यह थी कि समाज से हमें जो मिला, उसके बदले समाज को कुछ लौटाया जाए. ऐसे ही उदाहरण सारे देश में सामने आते हैं.
केवल सेवित बन कर जीवन भर नहीं रहूंगा, स्वाभिमानी बनूंगा, स्वावलंबी बनूंगा, परिश्रमी बनूंगा, की भावना सेवा कार्य के माध्यम से सेवित जनों के मन में जागृत की जाती है.
गांव को नशा मुक्त बनाना, अस्पृश्यता को दूर करना, समाज से दूर गए लोगों को दोबारा समाज के नजदीक लाना भी सेवा कार्य का उद्देश्य है. सेवा का परिणाम यह रहा कि समाज से विषमताओं को दूर करने में सफलता मिल रही है.
विसंकें – राष्ट्रीय सेवा भारती क्या कार्य कर रही है ?
सुहास जी – संपूर्ण देश में काफी संख्या में लोग सेवा कार्य कर रहे हैं. समाचार पत्रों, संचार माध्यमों में सेवा कार्यों को लेकर अधिक जानकारी नहीं आती, न ही चर्चा होती है. लेकिन लाखों की संख्या में लोग, परिवार, ग्रुप, संस्थाएं सेवा कार्य कर रहे हैं. इन सबको जोड़ना, सामंजस्य बिठाना तथा कार्य को लेकर विचारों, अनुभवों का अदान प्रदान करें, सेवा कार्य में गुणवत्ता विकसित करना, क्षमता में विकास करना, प्रांत की सेवा संस्थाएं बहु आयामी बनें, स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार आयाम जोड़ना, प्रशिक्षण देना, यह कार्य राष्ट्रीय सेवा भारती का है.
विसंकें – क्या अन्य संगठन भी सेवा भारती के साथ सहभागी हैं, देश में कुल कितने सेवा कार्य चल रहे हैं, कितने संगठन साथ में कार्य कर रहे हैं ?
सुहास जी – हां, अन्य संस्थाएं भी सेवा भारती के साथ संबद्ध हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय सेवा भारती के साथ 800 सेवा संस्थाएं संलग्न (संबद्ध) हैं, इनमें से करीब 40 प्रतिशत सेवा संस्थाएं ऐसी हैं, जो संघ की योजना या स्वयंसेवकों द्वारा नहीं, बल्कि अपनी प्ररेणा से कार्य कर रही हैं और सेवा भारती के साथ संलग्न हैं. ये संस्थाएं निस्वार्थ भाव से सेवा का उद्देश्य लेकर कार्य कर रही हैं.
राष्ट्रीय सेवा भारती के तहत आने वाली संस्थाएं करीब 65000 सेवा कार्य कर रही हैं, इसके अलावा संघ से संबंधित अन्य संगठनों विद्या भारती, विश्व हिंदू परिषद, वनवासी कल्याण आश्रम, सक्षम, आरोग्य भारती, राष्ट्र सेविका समिति, भारत विकास परिषद सहित अन्य संगठनों के सेवा विभाग के माध्यम से भी सेवा कार्य चल रहे हैं, सभी को मिलाकर देश में कुल 1,52,388 सेवा कार्य संघ के स्वयंसेवक कर रहे हैं.
विसंकें – सेवा क्षेत्र में किन आयामों या क्षेत्रों पर विशेष बल दिया जाता है?
सुहास जी – सेवा के मुख्यत चार आयाम हैं, एक है शिक्षा, दूसरा है स्वास्थ्य, तीसरा है सामाजिक, और चौथा है स्वावलंबन. ये चार प्रमुख आयाम सेवा के हैं. इसके अलावा दो विषय है, जिनका कार्य भी चार आयामों के साथ चलता है. एक है ग्राम विकास, दूसरा है गौ सेवा. राष्ट्रीय सेवा भारती भी इन्हीं के बारे में जानकारी, प्रशिक्षण, मार्गदर्शन करती है.
विसंकें – वनवासी व पूर्वोत्तर में इसाई मिशनरी भी सेवा कार्य कर रहे हैं, सेवा भारती और मिशनरी के कार्य में क्या अंतर है?
सुहास जी – संघ में किसी मत, संप्रदाय, जाति का विषय ही नहीं है. सेवा सभी के लिये चलती है, जो भी सेवा लेने के लिये आता है, उसकी सेवा संघ के स्वयंसेवक करते हैं. संघ में उसकी जाति, धर्म, पूजा पद्धति नहीं देखी जाती, न ही पूछी जाती है. संघ का सेवा का दृष्टिकोण अपने देश के दृष्टिकोण से चलता है, जिसमें सेवा एक साधन है, साध्य नहीं. जीव सेवा, शिव सेवा का भाव मन में रहता है. ईसाई मिशनरियों का उन्होंने जैसा कहा है, उस उद्देश्य से सेवा कार्य करते हैं.
ईसाई मिशनरी का सेवा कार्य हमसे विपरीत है, मदर टेरेसा को लेकर पिछले कुछ दिन चर्चा रही. मदर टेरेसा का ही इंटरव्यू समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, संचार माध्यमों में प्रकाशित हुआ है. और उसमें उन्होंने स्वयं सीधा कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को यीशू का पुत्र या कन्या बनाना, यही हमारा इस सबका उद्देश्य है. इसलिये उनकी सेवा का उद्देश्य कनवर्जन है, यह उन्होंने पहले भी कई बार स्पष्ट किया है, और बार-बार सामने आया भी है.
विसंकें – उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, गुजरात. पूर्वोत्तर सहित अन्य राज्यों के वनवासी बहुल क्षेत्र में ईसाई मिशनरियों द्वारा वनवासियों के कनवर्जन के समाचार मिलते हैं. वहां सेवा भारती भी सेवा प्रकल्प चलाती है, क्या सेवा भारती के कार्यों का विरोध हुआ है, या मिशनरी द्वारा बाधा उत्पन्न की गई क्या ?
सुहास जी – जहां संघ का सेवा कार्य प्रभावी होता है, उन क्षेत्रों में मतातंरण रुकता है. यह अभी तक का अनुभव रहा है. कन्याकुमारी एक जिला है, जिसमें छह हजार सेवा कार्य हैं, देश का एकमात्र जिला है, जिसमें इतने सेवा कार्य हैं. अपने देश के तटवर्तीय क्षेत्र में काफी मात्रा में कनवर्जन, ईसाइकरण पिछले कुछ वर्षों में हुआ है, कन्याकुमारी में भी ईसाईकरण हुआ है. लेकिन आज स्थिति यह है कि जिस भी गांव में अपना सेवा कार्य चलता है, कनवर्जन बंद हो गया है. वहां के लोग ईसाई मिशनरियों को गांव में प्रवेश नहीं करने देते. ऐसे ही पूर्वांचल में, देश के सभी भागों में जहां सेवा कार्य प्रभावी होता है, वहां राष्ट्रीयता का भाव जागृत होता ही है. इस कारण ऐसे लोगों द्वारा विरोध करना स्वाभाविक ही है, संघ या सेवा भारती द्वारा किये जा रहे सेवा कार्यों का कई स्थानों पर विरोध होता है. पूर्वोत्तर में, कन्याकुमारी जिले में, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों के विरोध का सामना करना पड़ा है. उड़ीसा में तो स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती जी की हत्या ही इसके कारण हो चुकी है. कनवर्जन बंद होने पर विरोध होता है, लेकिन उनके विरोध को हजम करते हुए अपने कार्यकर्ता काम कर रहे हैं, और जहां अपना कार्य प्रभावी हो रहा है, वहां समाज ही सेवा कार्य, अपने विचारों को समर्थन दे रहा है.
इसाई मिशनरी विरोध के लिये कार्यकर्ताओं के बारे में गांव में गलत धारणा बनाना, गलत जानकारी देना, गांव में जाने वाले कार्यकर्ताओं को रोकने का प्रयास करना, कार्यकर्ताओं के घरों में, जीवन में बाधा निर्माण करने का प्रयास करना, अपप्रचार करने का कार्य करते हैं.
सेवा भारती के कार्यकर्ता जहां भी सेवा के लिये जाते हैं, तो गांव में घूमते समय विभिन्न चिंहों से कनवर्जन का पता चलता है. घर के ऊपर क्रास लगाकर चर्च का रूप दिया गया हो, इससे ध्यान में आता है कि ईसाईकरण हो रहा है. जहां सेवा कार्य प्राथमिक अवस्था में चल रहा है, और यदि उस गांव में ईसाई मिशनरी आते हैं तो उसकी जानकारी भी कार्यकर्ता देते हैं.
अपनी पद्दति है, मिशनरी का विरोध करने के बजाय गांव के लोगों को जागरूक करना, उनके मन में अपने धर्म, संस्कृति, परंपरा के बारे में श्रद्धा का भाव जागृत करना, इस पर कार्यकर्ता जोर देते हैं. सेवा के माध्यम से उनकी उन्नति करते हैं, उनके दुखों को दूर करने का प्रयास करते हैं. जिससे अपने आप लोग दूसरी तरफ जाना बंद करते हैं.
विसंकें – सेवा की आड़ में कनवर्जन को क्या उचित कहा जा सकता है, आपका क्या कहना है ?
सुहास जी – सेवा की आड़ में कनवर्जन पूरी तरह से गलत है. विवेकानंद, राम कृष्ण परमहंस सहित अन्य महापुरुषों के वचनों के अनुसार पीड़ितों की सेवा करना भगवान द्वारा दिया गया अवसर है, और पीड़ित को भगवान के रूप में देखना चाहिये, नर सेवा नारायण सेवा, मानव सेवा, माधव सेवा. या जैसे स्वामी विवेकानंद ने कहा कि मैं उस प्रभु का सेवक हूं, जिसे अज्ञानवश मनुष्य कहते हैं, वह भगवान ही है. जीव सेवा, शिवा की भावना से निस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिये, व्यक्तिगत भी नहीं, संस्था का भी नहीं, या संगठन का किसी भी प्रकार का मन में स्वार्थ नहीं होना चाहिये, सेवा के बदले कोई अपेक्षा भी नहीं रखनी चाहिये. यह अपने भारतीय चिंतन और संघ की सेवा के बारे में धारणा है.
विसंकें – इन क्षेत्रों में कनर्जन के लिये मिशनरी और अन्य संस्थाओं को यूरोप, अमेरिका, ईसाई संस्थाओं की ओर से खूब पैसा मिल रहा है, इस पर क्या तथ्य सामने आए हैं ?
सुहास जी – अभी हाल ही में सरकार ने कुछ संस्थाओं (एनजीओ) पर प्रतिबंध लगा दिया है, फेरा के तहत संस्थाओं के बैंक खाते बंद किये गए हैं, कुछ संस्थाओं के खाते सील किये गए हैं. पूर्व सरकार के समय योजना आयोग के अध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जानकारी दी थी कि विदेशों से पैसा लेकर कई संस्थाएं हमारे विकास के कार्यों में बाधा निर्माण करती हैं. लोगों के मन में विरोध का निर्माण करने का प्रयास करती हैं. इन तथ्यों के आधार पर वर्तमान सरकार ने पूछताछ शुरू की है, जानकारी लेना शुरू किया है और कार्रवाई की जा रही है.
मिशनरी को मिलने वाली मदद को लेकर अलग-अलग आंकड़े हैं. पुख्ता रूप से आर्थिक आंकड़ें स्पष्ट नहीं हैं. पिछले दिनों एक समाचार पत्र में मिशनरी के कार्य व विदेशी मदद को लेकर एक लेख आया था, जिसमें विभिन्न आंकड़े दिये गए थे. जिसमें सालाना बजट 40 हजार करोड़ से 80 हजार करोड़ के बजट का दावा किया था. लेकिन हमारा एक अनुमान कहा जाए तो 8 हजार करोड़ रुपये से लेकर 80 हजार करोड़ रुपये तक की मदद मिशनरी को विदेशों से प्राप्त हो रही है. लाखों की संख्या में मिशनरी वालंटियर कार्य कर रहे हैं.
विसंकें – राष्ट्रीय सेवा भारती द्वारा सेवा संगम का आयोजन किया जा रहा है, इसका उद्देश्य क्या है ?
सुहास जी – अपने – अपने स्थानों पर सेवा संस्थाएं कार्य करती हैं, इनमें कुछ छोटी हैं, कुछ बड़ी हैं, कुछ का कार्य कम है, कुछ का काफी अधिक है. इन सबको संगठित कर एक साथ लाना सेवा संगम का उद्देश्य है.
एक स्थान पर एकत्रित होने से सेवा का विशाल दृश्य देखने को मिलेगा. इतनी संख्या में लोग सेवा कर रहे हैं, इससे समस्त लोगों का आत्मविश्वास और उत्साह बढ़ेगा. कभी अपने स्थानों पर विपरीत परिस्थिति, अनुभव के कारण मन में निराशा आने लगती है, सेवा संगम में आने से निराशा का भाव दूर होता है और आत्मविश्वास का संचार होता है.
तीसरा हम जो कार्य कर रहे हैं, उसके अलावा भी देश में लोग अलग-अलग कार्य कर रहे हैं. उसकी जानकारी भी मिलती है. उनके अनुभव के आधार पर अपने स्थान पर भी हम नए प्रयोग, और कार्य कर सकते हैं, जिससे अपने क्षेत्र में सेवा को बहु आयामी रूप दे सकते हैं. ऐसे कार्यक्रम से सेवा संस्थाओं का गुणात्मक विकास होता है.
प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार राष्ट्रीय स्तर पर सेवा संगम का आयोजन किया जाता है, पहला सेवा संगम 2010 में आयोजित हुआ था, दूसरा अब 4 से 6 अप्रैल तक दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है. प्रांत स्तर पर भी पांच वर्ष में एक बार, जिला स्तर पर सेवा मिलन वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है.
विसंकें – युवाओं को सेवा कार्य से जोड़ने के लिये क्या प्रयास किया जा रहा है ?
सुहास जी – यूथ फॉर सेवा नाम से कार्य दस वर्ष पूर्व शुरू हुआ था, पहले कर्नाटक से इसकी शुरूआत हुई थी. इसका उद्देश्य यही है कि कालेज छात्र तथा पढ़ाई पूरी कर नौकरी कर रहे युवाओं को सेवा के साथ जोड़ना, सेवा कार्य करने के लिये प्रेरित करना. वर्तमान में करीब दो हजार युवा स्वयंसेवी ऐसे हैं जो नियमित सेवा कार्य करते हैं.
कुछ रोज समय देते हैं, कुछ सप्ताह में एक दिन, कुछ माह में सात दिन, कुछ साल में एक माह का समय देते हैं. और कुछ स्वयंसेवी एक या दो साल की नौकरी से छुट्टी लेकर पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में किसी न किसी क्षेत्र में सेवा कार्य करते हैं. यूथ फॉर सेवा का कर्नाटक का प्रयोग धीरे धीरे अन्य प्रांतों में शुरू किया जा रहा है. दिल्ली, मध्य प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र में यूथ फॉर सेवा प्रयोग के आधार पर कार्य चल रहे हैं, जिसमें कालेज विद्यार्थी कार्य कर रहे हैं. इसका अच्छा अनुभव सामने आ रहा है, और देश का युवा वर्ग सेवा कार्य से जुड़ रहा है.

लाखों वर्षों से संचित मूल्यों का पर्याय है भारतीय संस्कृति – अनिल जी ओक

अजमेर, 30 मार्च (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में आज आजाद मैदान अजमेर पर प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन आयोजत किया गया. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल जी ओक मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे. कार्यक्रम का प्रारम्भ भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ. इसके पश्चात अजयमेरू महानगर के माननीय संघचालक सुनील दत्त जी जैन द्वारा संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 2015 में पारित प्रस्तावों का वाचन किया गया. प्रथम प्रस्ताव प्राथमिक शिक्षा मातृ भाषा में हो, द्वितीय प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 जून को अर्न्तराष्ट्रीय योग दिवस स्वीकार करवाने के भारत सरकार के प्रयत्नों की प्रशंसा की गयी.
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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अनिल जी ओक ने कहा कि हिन्दुत्व ही राष्ट्रीयत्व है. उन्होंने बताया कि हिन्दू यह शब्द किसी पूजा पद्धति का पर्याय नहीं है, अपितु संस्कृति है. लाखों वर्षो से संचित ऐसे मूल्यों का पर्याय है, जिसकी बड़ी कीमत हमारे पूर्वजों ने चुकाई है. राम, भरत, सावित्री, चाफेकर बन्धुओं की मां और गुरूगोविन्द सिंह के पुत्रों का उदाहरण देते स्पष्ट किया कि कीमत चुकाने पर ही मूल्य स्थापित होते हैं. भारत की धरती पर इसी प्रकार के मूल्यों का संचय हिन्दुत्व के नाम से जाना जाता है. यही हिन्दुत्व का भाव जब-जब कमजोर हुआ, तब भारत पर संकट आये.
Udaipur (3)उन्होंने सावरकर का उदाहरण देते स्पष्ट किया कि स्वयं निर्वंश रहकर देश हित में जीवन जीने वाले ही हमारे वास्तविक पूर्वज हैं जो युगों तक प्रेरणा देते है. अपने घरों पर हम ऐसे महापुरूषों के चित्र ही लगाते हैं, जिन्होंने अपना जीवन देशहित में जिया है. हमारे यहां धन की नहीं त्याग की पूजा की जाती है. उन्होंने समाज से आह्नवान किया कि वे हिन्दुत्व और संघ के सन्दर्भ में अनुभव के आधार पर अपना प्रबोधन स्वयं करें और संघ के समर्थक ही नहीं, अपितु स्वयंसेवक बनें ताकि विश्व को भारत के जिस स्वरूप की प्रतीक्षा है, वह शक्ति वैभव-सम्पन्न भारत हम शीघ्र निर्मित कर सकें.
कार्यक्रम में प्रबुद्ध नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे. कार्यक्रम के अन्त में माननीय महानगर सह संघचालक जगदीश जी राणा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया. कार्यक्रम का समापन वन्दे मातरम् के साथ हुआ. कार्यक्रम का संचालन सुशील जी बिसु द्वारा किया गया. अतिथियों का परिचय निरंजन जी शर्मा द्वारा करवाया गया.

धर्म रक्षा दिवस पर कच्छ के छोटे रण की यात्रा का आयोजन

मेहसाणा, गुजरात (विसंकें). धर्म जागरण समन्वय विभाग मेहसाणा द्वारा कच्छ के छोटे रण में स्थित वच्छराज बेट (टापू) पर धर्म रक्षा दिवस मनाया गया. वच्छराज बेट, गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले में स्थित है. यहां से कच्छ की सीमा प्रारंभ होती है. यहां की भूमि साल में छह महीने दलदल (कीचड़) से घिरी रहती है तथा छह महीने यह भूमि चलने लायक होती है.
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पिछले सात वर्षो से धर्म जागरण समन्वय विभाग द्वारा यहां पर धर्म रक्षा दिवस के अवसर पर रण यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष 28 मार्च, शनिवार को सायं 5 बजे मेहसाणा जिले के आसपास स्थित पाटण, पालनपुर, राधनपुर जिले से लगभग 2500 कार्यकर्त्ता बाइक, कार तथा बसों में सवार हो कच्छ के छोटे रण पहुंचे.
410जहां धर्म जागरण समन्वय विभाग के अखिल भारतीय प्रमुख मुकुंदराव पणषीकर जी, गुजरात प्रांत सहकार्यवाह किशोर भाई मुंगलपरा, गुजरात प्रांत धर्म जागरण समन्वय विभाग प्रमुख सत्यम राव जी, गुजरात प्रांत धर्म जागरण संयोजक घनश्याम भाई व्यास, सह संयोजक शैलेष भाई ठक्कर आदि ने कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया.
रात्रि में निर्मलदान गढ़वी द्वारा डायरा (भजन संगीत का कार्यक्रम) प्रस्तुत किया गया. प्रातः 6 बजे सभी कार्यकर्ता रण दर्शन के लिए रवाना हुए. कच्छ के छोटे रण की भव्यता और रोमांच का अनुभव करते हुए सभी ने रण के मध्य में स्थित वीर वच्छराज सोलंकी और वीर वेणु परमार दादा (जिन्होंने 11वी सदी में गाय माता की रक्षा हेतु दुश्मनों से लड़ते हुए बलिदान दिया था) के पवित्र स्थान के दर्शन किये. साईट कैंप पर सभी ने समूह भोजन किया. इस अवसर पर रण यात्रा के मार्ग पर सभी सुविधाएं नजदीक के गांव से सेवा के लिये आये युवकों द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं.
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8 मई को राहुल को न्यायालय में होना होगा पेश, अधिवक्ता ने माफी मांग न्यायालय को दिया आश्वासन

मुंबई (विसंकें). भिवंडी न्यायालय में दायर मानहानि मामले में कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को 8 मई 2015 को न्यायालय में पेश होना होगा. राहुल की ओर से अधिवक्ता ने न्यायालय को आश्वासन दिया है. जिसके पश्चात आगामी सुनवाई होगी. 30 मार्च को न्यायालय में सुनवाई के दौरान राहुल के अधिवक्ता ने क्षमा याचना भी की. अधिवक्ता के आश्वासन के पश्चात स्पष्ट हो गया है कि अगली सुनवाई पर राहुल को उपस्थिति दर्ज करवानी होगी.
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लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भिवंडी की एक सभा में बोलते हुए, राहुल गांधी ने संघ का संबंध महात्मा गांधी के हत्या से जोड़ा था, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर गलत आरोप लगाए थे. जिसके खिलाफ संघ के भिवंडी तालुका कार्यवाह राजेश कुंटे ने भिवंडी प्रथम वर्ग न्यायदंडाधिकारी के पास शिकायत कर गांधी के खिलाफ बदनामी (मानहानि) याचिका दायर की थी. न्यायदंडाधिकारी के सामने प्रारंभिक सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के खिलाफ आरोप तथ्यपरक लगने पर न्यायालय की ओर से उन्हें सम्मन जारी किया गया था, और न्यायालय के सामने उपस्थित रहने के आदेश दिये गये थे. लेकिन राहुल गांधी ने निचली अदालत के आदेशों को मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी तथा अपने खिलाफ जारी सम्मन व न्यायालय में केस को खारिज करने की प्रार्थना उच्च न्यायालय से की थी. पर, उच्च न्यायालय ने गांधी के दावों को खारिज करते हुए उन्हें न्यायदंडाधिकारी के सामने पेश होकर अपनी बात रखने के निर्देश दिए गए थे.
मामले में सोमवार 30 मार्च को भिवंडी प्रथमवर्ग न्यायदंडाधिकारी के सामने सुनवाई के दौरान भी राहुल उपस्थित नहीं थे. हालांकि उनके अधिवक्ता ने राहुल गांधी की तरफ से न्यायालय के समक्ष क्षमायाचना की तथा अगली सुनवाई पर गांधी की उपस्थिति का आश्वासन दिया. साथ ही उपस्थिति के बारे में पूर्वसूचना शिकायतकर्ता और उनके अधिवक्ता को देने की लिखित जिम्मेदारी ली. बचाव पक्ष के अधिवक्ता के आश्वासन पर न्यायालय ने 8 मई 2015 को होने वाली सुनवाई के लिए गांधी को पेश होने का आदेश देते हुए सुनवाई स्थगित की.

Sunday, March 29, 2015

युवाओं के कंधे पर राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी : सरसंघचालक जी

रोहतक (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन जी भागवत ने कहा कि भारत प्राचीन काल से दुनिया का सिरमौर रहा है. कुछ कालचक्र घटनाओं को छोड़ दें तो भारत ने हर क्षेत्र में पहल करते हुए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. भारत पुन: दुनिया का सिरमौर बने, इसके लिए युवाओं को भारत की आत्मा को पहचान कर देश के विकास में अपनी भूमिका निर्धारित करनी होगी. वह संघ के हरियाणा प्रांत के तरुणोदय शिविर के समापन अवसर पर स्वयंसेवकों और अन्य उपस्थित बंधुओं को संबोधित कर रहे थे.
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उन्होंने स्वयंसेवकों व देश की युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे देशहित में अपने कार्यों का निर्धारण करते हुए भविष्य की योजनाएं बनाएं. उन्होंने भारतीय समाज को झकझोरते हुए कहा कि भारत की उन्नति तब तक संभव नहीं है, जब तक भारत का प्रत्येक व्यक्ति भारत की सभ्यता, संस्कृति व समन्वय की परंपरा पर नहीं चलेगा. आपसी सभी प्रकार के भेदभावों को मिटाकर हमें अपने राष्ट्र के लिए कार्य करना है. यह भाव देश के जनमानस में पैदा हो और समाज के मूल्यों व गौरवशाली अतीत के प्रति गर्व महसूस करना शुरू करेगा, उस दिन से भारत पुन: अपने यशस्वी स्थान को प्राप्त करेगा.
DSC00381उन्होंने कहा कि संघ को समझना है तो संघ को नजदीक से जानना पड़ेगा. संघ के बाहरी रूप को देखकर लोगों के अनेकों विचार बनते हैं. कोई इसे राजनीतिक संगठन समझता है, कोई व्यायामशाला समझता है, कोई नाटक मंडली समझता है. संघ विशुद्ध रूप से राष्ट्र के प्रति जीने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं को तैयार करने का केवल मात्र निर्माण केंद्र है.
संघ अपने विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा राष्ट्रहित में सोचने का भाव जगाने का कार्य करता है. कार्यकर्ताओं के लिए ऐसे वातावरण का निर्माण करता है कि उसकी राष्ट्र के प्रति समर्पित सोच बने. ऐसी सज्जन शक्ति का समाज में स्थान बढ़े और उसका दायरा बढ़े, हमें इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि संघ केवल पुरुषों में ही काम नहीं करता, अपितु बहनों में राष्ट्र के प्रति भाव जगे, उसके लिए राष्ट्र सेविका समिति कार्य कर रही है. उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि राष्ट्र के उत्थान के लिए संघ कार्य बढ़े, यह जिम्मेदारी स्वयंसेवकों के कंधों पर है.
DSC00379योगेश्वर दत्त को किया सम्मानित
सरसंघचालक डॉ मोहनराव भागवत ने इस अवसर पर ओलंपिक पदक पहलवान योगेश्वर दत्त को गदा देकर सम्मानित किया. इसके अलावा उन्होंने पहलवान परमजीत यादव (राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक) और विजयपाल (गांव-गांव में कुश्ती का निशुल्क प्रशिक्षण देने वाले) को भी सम्मानित किया. पहलवान विजयपाल ने अपना जीवन कुश्ती के लिए समर्पित कर रखा है. डॉ भागवत ने कहा कि योगेश्वर दत्त जैसा मुकाम पाने के लिए बहुत ही कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. कड़ी मेहनत के बल पर भी देश का नाम ऊंचा किया जा सकता है.
देश का सम्मान बढऩे से मिलती खुशी : योगेश्वर
योगेश्वर दत्त ने कहा कि जब हमारे कारण देश का मान-सम्मान बढ़ता है तो उस खुशी का ठिकाना नहीं होता. अगर हमारे काम से देश को फायदा होता है तो यह किसी भी देशभक्क्त नागरिक के लिए गर्व की बात होती है, चाहे खेल हो या अन्य क्षेत्र.
इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख अरुण कुमार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार, अशोक बेरी, महावीर, विहिप के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन, क्षेत्र संघचालक डॉ. बजरंग लाल गुप्त, प्रांत संघचालक मेजर करतार सिंह, शिविर अधिकारी राजेंद्र अनायथ, महंत चांदनाथ आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे.

युवाओं के कंधे पर राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी : सरसंघचालक जी

रोहतक (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन जी भागवत ने कहा कि भारत प्राचीन काल से दुनिया का सिरमौर रहा है. कुछ कालचक्र घटनाओं को छोड़ दें तो भारत ने हर क्षेत्र में पहल करते हुए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. भारत पुन: दुनिया का सिरमौर बने, इसके लिए युवाओं को भारत की आत्मा को पहचान कर देश के विकास में अपनी भूमिका निर्धारित करनी होगी. वह संघ के हरियाणा प्रांत के तरुणोदय शिविर के समापन अवसर पर स्वयंसेवकों और अन्य उपस्थित बंधुओं को संबोधित कर रहे थे.
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उन्होंने स्वयंसेवकों व देश की युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे देशहित में अपने कार्यों का निर्धारण करते हुए भविष्य की योजनाएं बनाएं. उन्होंने भारतीय समाज को झकझोरते हुए कहा कि भारत की उन्नति तब तक संभव नहीं है, जब तक भारत का प्रत्येक व्यक्ति भारत की सभ्यता, संस्कृति व समन्वय की परंपरा पर नहीं चलेगा. आपसी सभी प्रकार के भेदभावों को मिटाकर हमें अपने राष्ट्र के लिए कार्य करना है. यह भाव देश के जनमानस में पैदा हो और समाज के मूल्यों व गौरवशाली अतीत के प्रति गर्व महसूस करना शुरू करेगा, उस दिन से भारत पुन: अपने यशस्वी स्थान को प्राप्त करेगा.
DSC00381उन्होंने कहा कि संघ को समझना है तो संघ को नजदीक से जानना पड़ेगा. संघ के बाहरी रूप को देखकर लोगों के अनेकों विचार बनते हैं. कोई इसे राजनीतिक संगठन समझता है, कोई व्यायामशाला समझता है, कोई नाटक मंडली समझता है. संघ विशुद्ध रूप से राष्ट्र के प्रति जीने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं को तैयार करने का केवल मात्र निर्माण केंद्र है.
संघ अपने विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा राष्ट्रहित में सोचने का भाव जगाने का कार्य करता है. कार्यकर्ताओं के लिए ऐसे वातावरण का निर्माण करता है कि उसकी राष्ट्र के प्रति समर्पित सोच बने. ऐसी सज्जन शक्ति का समाज में स्थान बढ़े और उसका दायरा बढ़े, हमें इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि संघ केवल पुरुषों में ही काम नहीं करता, अपितु बहनों में राष्ट्र के प्रति भाव जगे, उसके लिए राष्ट्र सेविका समिति कार्य कर रही है. उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि राष्ट्र के उत्थान के लिए संघ कार्य बढ़े, यह जिम्मेदारी स्वयंसेवकों के कंधों पर है.
DSC00379योगेश्वर दत्त को किया सम्मानित
सरसंघचालक डॉ मोहनराव भागवत ने इस अवसर पर ओलंपिक पदक पहलवान योगेश्वर दत्त को गदा देकर सम्मानित किया. इसके अलावा उन्होंने पहलवान परमजीत यादव (राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक) और विजयपाल (गांव-गांव में कुश्ती का निशुल्क प्रशिक्षण देने वाले) को भी सम्मानित किया. पहलवान विजयपाल ने अपना जीवन कुश्ती के लिए समर्पित कर रखा है. डॉ भागवत ने कहा कि योगेश्वर दत्त जैसा मुकाम पाने के लिए बहुत ही कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. कड़ी मेहनत के बल पर भी देश का नाम ऊंचा किया जा सकता है.
देश का सम्मान बढऩे से मिलती खुशी : योगेश्वर
योगेश्वर दत्त ने कहा कि जब हमारे कारण देश का मान-सम्मान बढ़ता है तो उस खुशी का ठिकाना नहीं होता. अगर हमारे काम से देश को फायदा होता है तो यह किसी भी देशभक्क्त नागरिक के लिए गर्व की बात होती है, चाहे खेल हो या अन्य क्षेत्र.
इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख अरुण कुमार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार, अशोक बेरी, महावीर, विहिप के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन, क्षेत्र संघचालक डॉ. बजरंग लाल गुप्त, प्रांत संघचालक मेजर करतार सिंह, शिविर अधिकारी राजेंद्र अनायथ, महंत चांदनाथ आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे.

Tuesday, March 24, 2015

VIDEO: RSS SahaSarakaryavah Shri Dattatreya Hoswale’s Message On Hindu New Year-Yugabda 5117

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VIDEO: RSS Members, Central Executive Council: Ashok Bheri’s Message On Hindu New Year- Vikram Samvat 2072

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नन के साथ बलात्कार पर बवाल, साध्वी के साथ रेप पर सन्नाटा !

नई दिल्ली – पश्चिम बंगाल में बीते कुछ समय के दौरान बलात्कार के दो गंभीर मामले सामने आए। नदिया में ईसाई नन के साथ बलात्कार हुआ १४ मार्च को। १३ मार्च को मालदा जिले के करीब इंग्लिश बाजार इलाके में एक साध्वी के साथ सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया। पर नन के साथ हुए बलात्कार को लेकर सारा देश स्वाभाविक रूप से गुस्से में है। मीडिया और राजनीतिक दल इस पर जमकर बवाल काट रहे हैं।

साध्वी से बलात्कार

पर साध्वी के साथ हुए बलात्कार पर उस तरह की तीखी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। प्राप्त जानकारी के अनुसास, साध्वी को चार लफंगे पास के आम के बाग में खिंच कर ले गए। और उसके बाद उसके साथ किया दुष्कर्म।

घर लौट रही थी

साध्वी के साथ बलात्कार तब हुआ जब मिहिर दास कालोनी में रहने वाली यह साध्वी घर लौट रही थी बाजार से। साध्वी का संबंध रामकृष्ण मिशन से है। आरोपियों के नाम हैं भरत हल्दर, प्रणय हल्दर, संजीवन विश्वास और असीम पहाड़ी। जानकारी मिली है कि साध्वी के बार-बार पुलिस में बलात्कार की घटना की जानकारी देने के बाद भी आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार करने से बचती रही। पर बाद में रामकृष्ण मिशन के हस्तक्षेप के पुलिस ने केस दर्ज किया। पुलिस तो चाहती थी सारा मामला ले-देकर खत्म हो जाए। अब खबर मिल रही है कि चार में से दो आरिपयों को पुलिस ने पकड़ लिया है। दो की तलाश जारी है। अब पुलिस के आला अफसर स्थानीय पुलिस वालों से पूछ रहे हैं कि उन्होंने सारे मामले की तफ्तीश में देरी क्यों की।

पत्ता भी नहीं हिला

पर यह सवाल अपनी जगह बना हुआ है कि नन के साथ बलात्कार पर तो विरोध हो रहा है। सीबीआई मामले की जांच करेगी। पर साध्वी के साथ बलात्कार पर पत्ता भी क्यों नहीं हिला।
स्त्रोत : वन इंडिया

सरकार कहे तब भी सूर्य नमस्कार न करें मुस्लिम बच्चे – मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

  •  क्या बोर्ड बताएगी ‘स्वास्थ्य’ बडा या ‘स्वार्थ’ ?

  • सूर्यनमस्कार को धार्मिकता से जोडने वाली मुस्लिम लॉ बोर्ड कमिटी !

जयपुर (राजस्थान) – मुसलमानों की सर्वोच्च संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दो दिनों के २४वें अधिवेशन में मुसलमान बच्चों से सूर्य नमस्कार न करने को कहा गया है। बोर्ड के पदाधिकारियों ने कहा कि अगर सरकार सूर्य नमस्कार करने को कहे तब भी ऐसा नहीं करना है। हालांकि, इस बारे में बोर्ड की ओर से औपचारिक एलान रविवार को किया जाएगा। बोर्ड के मेंबर जफरयाब जिलानी ने माना है कि मजहबी आजादी, स्कूलों में सूर्य नमस्कार, पर्सनल लॉ में संशोधन जैसे मुद्दे पर चर्चा हुई है।
शनिवार को यहां जामिया हिदायत में आयोजित ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दो दिवसीय अधिवेशन के खुतबा सदारत (अध्यक्षीय भाषण) में बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को अब मजहबी आजादी की हिफाजत की जरूरत महसूस होने लगी है। आजादी के बाद देश जिन हालात से गुजरा है, आज जिस जगह हम देख रहे हैं देश को खास विचारधारा की तरफ ले जाया जा रहा है। इस अधिवेशन में देशभर की मुस्लिम संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे। पहले दिन मजहबी आजादी, तालीमी हुकूक (शिक्षा का अधिकार) कानून पर लोगों ने अपने विचार रखे।
नदवी ने कहा कि हमारा यह अधिवेशन देश की विशेष परिस्थितियों में आयोजित हो रहा है। इसमें इन हालात पर चिंतन किया जाएगा और देश के मुसलमानों के लिए उचित मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाएगा जो सभी के लिए अनुकरणीय हो। उन्होंने कहा कि देश के संविधान ने हमें अपने मजहबी सिद्धांतों के अनुसार आचरण करने की आजादी दी है, उसकी हिफाजत करने का काम बोर्ड ने अपने जिम्मे लिया है। बोर्ड की ओर से पिछली मीटिंग में पास हुए प्रस्तावों की रिपोर्ट पेश की गई।

शरीअत के मुताबिक जीवन गुजारें

उन्होंने कहा कि बोर्ड का यह भी काम है कि वह जहां मुसलमानों को शरीअत के अनुसार जीवन गुजारने पर राज़ी करे वहीं शरीअत की सही और तार्किक व्याख्या भी करें। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं। कुरान के निर्देश किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के कल्याण के लिए हैं।

शरीअत कानून नहीं बदल सकता

फ़ज्लुर्रहीममुजद्दिदी ने कहा कि इस समय मुस्लिम पर्सनल लॉ का मुद्दा उभर कर सामने आया है और जब कि समान नागरिक संहिता लागू करने की बात कही जा रही है तो कुछ लोग पर्सनल लॉ मे संशोधन करने की बात करने लगे हैं। इस संबंध में हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि पर्सनल लॉ (निजी क़ानून) शरीअत का हिस्सा है आरै इसमें संशोधन का अधिकार किसी भी मनुष्य को नहीं है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर

Islamic State calls on backers to kill 100 U.S. military personnel

Chaitra Shukla Paksha 5, Kaliyug Varsh 5117




United State of America

Washigton : Islamic State has posted online, says that names, U.S. addresses and photos of 100 American military service members, and called upon “brothers residing in America” to kill them.
The Pentagon said after the information was posted on the Internet that it was investigating the matter. “I can’t confirm the validity of the information, but we are looking into it,” a U.S. defense official, speaking on condition of anonymity, said on Saturday.
“We always encourage our personnel to exercise appropriate OPSEC (operations security) and force protection procedures,” the official added.
In the posting, a group referring to itself as the “Islamic State Hacking Division” wrote in English that it had hacked several military servers, databases and emails and made public the information on 100 members of the U.S. military so that “lone wolf” attackers can kill them.
The New York Times reported that it did not look like the information had been hacked from U.S. government servers and quoted an unnamed Defense Department official as saying most of the information could be found in public records, residential address search sites and social media.
The Times quoted officials as saying the list appeared to have been drawn from personnel mentioned in news articles about air strikes on Islamic State. The group’s forces control parts of Syria and Iraq and have been targeted in U.S.led air strikes.
The posting, addressed to disbelievers, Christians and “crusaders” in America, included what the group said were the names, military service branch, photos and street addresses of the individuals. The posting includes the military rank of some but not all of those named.
Source : Reuters