Saturday, January 31, 2015

बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलता पूर्वक परीक्षण

बालेश्वर
अंतरमहाद्वीप बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलता पूर्वक परीक्षण किया गया। तीन चरणों में ठोस ईंधन से चलने वाली अग्नि-5 मिसाइल को ह्वीलर द्वीप के एकीकृत परीक्षण क्षेत्र के परिसर-4 से शनिवार सुबह 8:10 बजे प्रक्षेपित किया गया। यह मिसाइल कई विस्फोटकों के सहारे एक ही बार में कई निशाने साध सकती है। 17.5 मीटर लंबा 50 टन वजन की यह मिसाइल एक टन वजन तक विस्फोटक ढोने की ताकत रखती है। इसके परीक्षण को भारतीय मिसाइल कार्यक्रम में मील का पत्थर माना जाता है। आज उड़ान भरने के दौरान इसके अनेक मापदंडों पर अध्ययन किया गया।

खुला मंदिर का ताला

संबलपुर : महिमा धर्म प्रचार के लिए कमलीबाजार के घुनघुटीपाड़ा में निर्मित धूनी मंदिर का बंद ताला 25 वर्ष बाद खोले जाने के बाद विधिवत पूजा अर्चना शुरू कर दी गई है। मंदिर परिसर को जबरन कब्जाधारियों के चंगुल से मुक्त कराया गया और अब मंदिर परिसर में मरम्मत का कार्य शुरू होने वाला है।
वर्ष 1982 में निर्मित इस मंदिर में करीब आठ वर्ष तक नियमित पूजा अर्चना और हवन किया जाता था। बाद में वर्षो में कुछ लोगों ने मंदिर परिसर में जबरन कब्जा कर वहां रहने वाले महिमा धर्म के बाबा और माता को अपमानित कर खदेड़ दिया था। इसी के बाद से 25 वर्ष तक मंदिर में ताला बंद रहा, जिसे 11 जनवरी को खोलने समेत मंदिर परिसर से कब्जाधारियों को हटाया गया और साफ-सफाई व रंग-रोगन कराया गया। शुक्रवार को मंदिर परिसर को पवित्र किया गया और इसके बाद पूजा अर्चना शुरू हुई। शाम में मंदिर में संकीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें महिमा धर्मावलंबियों ने हिस्सा लिया।

हर दिन पांच सौ बांग्लादेशी घुसपैठिये गैरकानूनी ढंग से ओडिशा में घुस रहे हैं

भुवनेश्वर : बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आंदोलन छेड़ते हुए भारत रक्षा मंच ने गत शनिवार को राजधानी भुवनेश्वर में विशाल रैली निकाली और सभा की। मंच की तरफ से निकाली गई रैली मैं राज्य भर से हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया। खासकर रैली में शामिल युवाओं में देश प्रेम की अलग ही झलक देखने को मिली।
रैली राष्ट्रभाषा प्रचार समिति कार्यालय से निकलकर राममंदिर चौक होते हुए श्रीया चौक पहुंची और श्रीया चौक से फिर सभा स्थल पर पहुंची। रैली में शामिल पाईक भाइयों ने अपने पाइक करतब दिखाने के साथ घुसपैठियों को खदेड़ने को आवाज बुलंद की। सभा में भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक सूर्यकांत केलकार, कार्यकारिणी अध्यक्ष रघुनंदन शर्मा, सह संयोजक मुरली शर्मा, साधारण संपादक अनिल धीर, राष्ट्रीय संपादक नीरज श्रीवास्तव व राज्य अध्यक्ष डॉ. विमलेंदु महांती आदि नेताओं ने अपने उद्बोधन में बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश के लिए गंभीर खतरा बताया और कहा कि जब तक हम इन्हें ओडिशा ही नहींपूरे देश से खदेड़ नहींदेंगे तब तक चैन से नहीं बैठेंगे।
सभा को कंबोधित करते हुए भारत रक्षा मंच के सह संयोजक मुरली मनोहर शर्मा ने कहा कि घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए किसी प्रकार की सेना की जरूरत नहींहै। इनके लिए तो हमारी पाइक सेना ही काफी है। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल मोदी सेना के कार्यकर्ताओं से कहा कि यदि मोदी सेना के कार्यकर्ता पसीना बहाते हैं तो मंच के कार्यकर्ता खून बहाने से भी पीछे नहींहटेंगे। आज से छह महीने पहले राज्यपाल को एक ज्ञापन दिया था कि मछुआरों को पहचान पत्र की व्यवस्था की जाए। क्योंकि उनके साथ लौटते समय 50 लोगों को और लाते हैं और यहां बस्ती बनाकर रहने लगते हैं। इतने दिन बाद आज जब रघुनंदन जी व केलकर जी यहां पहुंचे तो फिर सरकार चिंता में पड़ गई। आज राज्य सरकार ने कहा है कि तट सुरक्षा में मछुआरों को शामिल किया जाएगा। तट की सुरक्षा के लिए समुद्री थाना बनाया गया है मगर आज तक एक भी घुसपैठिये को ये थाने वालों ने पकड़ा नहीं है। करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं। 4-4 करोड़ रुपये के जहाज उनके पास है। कोस्ट गार्ड वालों ने भले ही एक-दो लोगों को पकड़ा है मगर मेराइन थाना वालों एक भी घुसपैठिये को नहीं पकड़ा है। मुरली मनोहर शर्मा ने कहा कि यहां उपस्थित बुजुर्ग हमें आशीर्वाद दें, माताएं अपने आंचल की छांव दें, दोस्त, छोटे-छोटे बच्चे व छोटी बहनें हमें उत्साह दें। बहनें अपनी रक्षा की डोर भारत रक्षा मंच की बाह में बांध दें और यहां उपस्थित युवा वर्ग आप हमें अपने जीवन के चंद दिन दे दें। हमें कसम है भारत माता की हम भारत का चेहरा बदलकर रख देंगे। नीरज ने कहा कि 4096 किमी बांग्लादेशी सीमा है मगर आज तक हम उस पर तारबंदी नहीं कर पाए हैं। बांग्लादेश सरकार के मुताबिक सन् 2000 में दो करोड़ बांग्लादेशी नागरिक गायब थें। आज यह संख्या चार करोड़ तक पहुंच गई है। जब तक हम एक-एक घुसपैठिये को खदेड़ने में सफल नहीं हो जाते हैं, चुप नहींबैठेंगे। अनिल धीर ने कहा कि



हर दिन पांच सौ बांग्लादेशी घुसपैठिये गैरकानूनी ढंग से ओडिशा में घुस रहे हैं। इसलिए जिस प्रकार गोरखा रेजीमेंट व सिख रेजीमेंट तैयार की गई है, उसी तरह ओडिशा में भी एक रेजीमेंट तैयार करनी चाहिए।

विहिप ने चिकित्सकों से की देशद्रोही गिलानी का इलाज न करने की अपील

नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद ने दिल्ली के चिकित्सकों तथा चिकित्सालयों से अपील की है कि वे भारतीय सेना तथा जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों की जान लेने वाले आतंकवादियों के पक्षधर कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का इलाज बिल्कुल न करें. विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डा सुरेन्द्र कुमार जैन ने अपील की कि दिल्ली के डाक्टर ऐसे देश द्रोहियों को अस्पताल की जगह जेल में भर्ती करायें तथा दिल्ली पुलिस इस मामले में उनकी मदद करे. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का चेयरमैन अलगाववादी गिलानी इन दिनों अपने इलाज के लिये दिल्ली आया हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि अभी हाल ही में पूरी कश्मीर घाटी को अपनी जान पर खेल कर जिस भारतीय सेना ने भीषण प्राकृतिक आपदा से बचाया, उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की बजाय हमारे सैनिकों के हत्यारों का साथ देने वाले गिलानी का सम्पूर्ण देश बहिष्कार करे.
ज्ञातव्य रहे कि जम्मू कश्मीर के त्राल में सेना के कर्नल राय और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक हेड कॉन्सटेबल संजीव सिंह की हत्या करने वाले आतंकवादियों को शहीद का दर्जा देते हुये श्रद्धांजलि तक दे डाली  है. गिलानी ने शहादत का मजाक उड़ाते हुए कहा है कि शहीदों (मारे गये दोनों आतंकी) का पवित्र खून बेकार नहीं जायेगा. 27 जनवरी को इस मुझभेड़ में दोनों आतंकी मारे गये थे.
विहिप ने आशा व्यक्त की है कि देश के अमर शहीदों की शहादत को मद्देनजर रखते हुये दिल्ली के चिकित्सा जगत से जुड़े लोग अपनी राष्ट्र भक्ति का परिचय देते हुये ऐसे राष्ट्र द्रोही को सबक अवश्य सिखाएंगे, जिससे कोई दोबारा भारत की संप्रभुता को चुनौती देने का दु:साहस न कर सके.

आदिवासी मेले






भुवनेश्वर : राजधानी के आदिवासी मैदान में चल रहे आदिवासी मेले में वन उत्पादों के प्रति ग्राहकों की उत्कंठा का आलम यह है कि अधिकतर स्टाल से सामान तेजी से खत्म हो रहे हैं।
रायगढ़ा जिले के डंगरिया कंध संप्रदाय द्वारा उत्पादित जैविक हल्दी, कुचिंड़ा की तेज मिर्ची, पुटा सिं के कान्दुल, मुदुलीपड़ा की गोल मिर्च व मयूरभंज के करंज तेल की मांग सबसे अधिक है। गजपति जिले के खजूर गुड़ को

डायबिटिक रोगियों के लिए उत्तम माना जा रहा है। आदिवासी मेले के प्रति राजधानी के लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा है। हर शाम मेले में खासी भीड़ जुट रही है। शाम को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी दर्शकों की रुचि बढ़ रही है।
 इसके अलावा आदिवासी संस्कृति पर लिखी पुस्तकों के स्टाल में भी भीड़ उमड़ रही है। इस बार लीगल एड द्वारा आदिवासी मेले में एक स्टाल खोला गया है, जिसमें कानूनी सलाह प्रदान की जा रही है।
कुल मिलाकर आदिवासी मेले में इस बार विभिन्न प्रकार के स्टाल का लोग भरपूर आनन्द उठा रहे हैं।

RASHTRAVADI SIKHYAK PARISHAD OBSERVED KARTAVYABODH DIVAS


Bhubaneswar,31/1-Rashtravadi Sikhyak Parishad,Odisha observed Kartavyabodh divas here in Unit-3 Saraswati sishu mandir.Highlighting on the importance of this day chair person Dr.Trinatha Hota expressed the importance of role of teachers in modern day society.Professor Kalyan panda,Laxmidhar Nayak and Sagarika Sahu also expressed their views on the above event.State secretary,Dr.Pabitra Kumar Rath organized the event.

AGNI V SUCCESSFULLY TEST FIRED

AGNI V   SUCCESSFULLY   TEST   FIRED

Balasore,31/1India successfully test-fired its indigenously,intercontinental surface to surface nuclear capable ballistic missile AGNI V .The three stage ,solid propellant missile was test fired from a mobile launcher from the launch complex-4 of the Integrated Test Range(ITR) at about 8.06 hours. The prime minister Narendra Modi has saluted our scientists on the successful test firing of AGNI V missile. It was a .super farewell gift for DRDO chief Avinash Chander who retires today




VHP to organise Hindu Samajotsav on Feb 8 in Bengaluru; RSS’s Bhaiyyaji, VHP’s Dr Togadia to address

Bengaluru January 30: Vishwa Hindu Parishat to organise a mammoth gathering ‘HINDU SAMAJOTSAV’ on February 08, 2015 at 4.00pm at National Highschool grounds of Basavanagudi, Bengaluru.
RSS Sarakaryavah (General Secretary) Suresh Bhaiyyaji Joshi, VHP’s working President Dr Pravin Togadia to address the gathering in which nearly 60,000 people are expected to participate.
The mega gathering Virat Hindu Samajotsav was organised as a part of VHP’s Golden Jubilee Celebrations.
Wellknown socio-spiritual leader Dr D Veerendra Heggade, to whom Padma Vibhushan award was declared recently, to inaugurate Hindu Samajotsav celebrations. VHP International President Raghav Reddy will preside over. Swamiji’s, Sants from different Matha’s will attend the event. The event will be webcasted live on www.samvada.org from 4pm onwards on Febraury 8.
VHP Hindu Samajotsav -1
VHP Hindu Samajotsav -2
Hindu Samajostav Bengaluru Feb-8-2015 (1)

राष्ट्र की प्रकृति के अनुरूप हों विकास की नीतियां: प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी

भोपाल, 30 जनवरी (विसंके). हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र का अपना स्वभाव और प्रकृति होती है. उसी प्रकृति के अनुरूप नीतियां बनें तो विकास होगा, अन्यथा विकृति आयेगी. मनुष्य का बौद्धिक विकास सबसे पहले घर में होता है और फिर समाज में. अब तो मनुष्य के बौद्धिक विकास में मीडिया की अहम भूमिका हो गई है. इसलिये मीडिया को सांस्कृतिक भारत की प्रकृति को जानकर उसका हस्तातंरण करना चाहिये. प्रो. सोलंकी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के तत्वावधान में क्रांतिकारी कवि और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. माखनलाल चतुर्वेदी के पुण्य स्मरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे. कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता केन्द्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार रमेश पतंगे उपस्थित रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की.
राज्यपाल प्रो. सोलंकी ने कहा कि दुनिया के प्रत्येक राष्ट्र का निर्माण किसी न किसी राजा ने किया है, इसलिए वे सब राजनीतिक राष्ट्र हैं. जबकि भारत का निर्माता कोई राजा नहीं है, इसलिए यह सांस्कृतिक राष्ट्र है. संतों की परंपरा और ज्ञान से भारत का निर्माण हुआ है. भारत को जानना है तो महात्मा गांधी और पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन को देख लीजिये. केवल हम ही इनके जीवन से प्रेरणा नहीं लेते, बल्कि दुनिया सीखती है. अमरीका के राष्ट्रपति ने तो बार-बार महात्मा गांधी को याद किया. पत्रकारिता के महत्व को रेखांकित करते हुए राज्यपाल प्रो. सोलंकी ने कहा कि देश की दिशा ठीक रखने के लिये पत्रकारिता का बहुत महत्व है. यदि आज के पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता के आदर्शों का अनुसरण करें तो देश ठीक रास्ते पर चलेगा. पत्रकारिता कभी भी पैसा कमाने का जरिया नहीं हो सकती. पत्रकारों को महात्मा गांधी के प्रिय भजन से प्रेरणा लेनी चाहिये. यदि पत्रकार के मन में ‘पीर पराई’ का भाव आ जाये तो समाज में बहुत बड़ा बदलाव आ जायेगा.
eबौद्धिक स्वतंत्रता की लड़ाई सबसे कठिन है : वरिष्ठ पत्रकार रमेश पतंगे
वरिष्ठ पत्रकार रमेश पतंगे ने कहा कि चार प्रकार की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण होती हैं. राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक स्वतंत्रता. हमने राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है, सामाजिक स्वतंत्रता के लिए लम्बा संघर्ष चलता है और आर्थिक स्वतंत्रता के लिये भी लड़ रहे हैं. बौद्धिक स्वतंत्रता की लड़ाई सबसे कठिन होती है, लेकिन यह बहुत आवश्यक है. आज मीडिया को यह जिम्मेदारी मिली है. उसे चिंतन करना चाहिये कि राष्ट्र का बौद्धिक विकास कैसे करे? श्री पतंगे ने कहा कि इतिहासकारों ने एक बौद्धिक भ्रम समाज के सामने खड़ा कर दिया है. इतिहासकारों ने भारत के गौरवशाली इतिहास को नकारा है, उसे ठीक ढंग से नहीं लिखा. आर्यों का सिद्धांत इसका उदाहरण है. बाबा साहेब आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक में इस बात का पुरजोर खण्डन किया है कि आर्य बाहर से आये थे. मीडिया की जिम्मेदारी है कि भ्रम को दूर करना चाहिये. पतंगे ने कहा कि राष्ट्र का बौद्धिक विकास करना है तो हमें अपने इतिहास, परम्पराओं, दर्शन और तत्व ज्ञान को अच्छे से समझना होगा. आजादी के बाद भले ही पत्रकारिता का परिदृश्य बदल गया हो, लेकिन आज भी महात्मा गांधी और माखनलाल चतुर्वेदी की मूल्य आधारित पत्रकारिता की जरूरत है. सिर्फ पैसा कमाना पत्रकारिता का उद्देश्य नहीं हो सकता, समाज के बौद्धिक विकास में उसकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है.
dमीडिया बढ़ाता है व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता : कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि विद्यालयीन और महाविद्यालयीन शिक्षा के अलावा मीडिया भी व्यक्ति की बौद्धिकता को बढ़ाता है. समाज के बौद्धिक स्तर को श्रेष्ठतम स्तर तक ले जाने की जिम्मेदारी मीडिया की है. अपनी जिम्मेदारी को समझते हुये पत्रकारों को किसी भी समाचार को प्रकाशित करने से पूर्व विकसित विवेक के आधार पर विचार करना चाहिये. पं. माखनलाल चतुर्वेदी की दो कविताओं का संगीतमय पाठ विद्यार्थियों ने किया. कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया.


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इतिहास पुरुष ठाकुर राम सिंह जी का जन्मशताब्दी समारोह

शिमला. वीरव्रती इतिहास पुरुष ठाकुर राम सिंह जी का जन्मशती समारोह 15 फरवरी को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला में मनाया जा रहा है. यह वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों के तहत शुभारंभ कार्यक्रम रहेगा, तत्पश्चात वर्षभर विभिन्न संगोष्ठियों सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.
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जन्शताब्दी कार्यक्रमों की शुरूआत 15 फरवरी को ठाकुर जगदेव चंद शोध संस्थान नेरी जिला हमीरपुर हिमाचल प्रदेश से होगी. जिसके पश्चात संगोष्ठियों का आयोजन होगा. संस्थान में 15 फरवरी को प्रात 11 बजे सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, दोपहर को प्रीति भोज, तत्पश्चात शाम पांच बजे ठाकुर राम सिंह एक व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर गोष्ठी का आयोजन होगा. शाम साढ़े आठ बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिसमें भजन तथा पारंपरिक कुल्लू नाटी मुख्य रूप से शामिल रहेंगे.
समारोह के तहत 16 फरवरी को सुबह नौ बजे से हवन का आयोजन किया जाएगा, उसके पश्चात 11.15 बजे से कार्यकर्ता बैठक होगी. जन्मशताब्दी कार्यक्रम में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के पूर्व कुलपति डॉ सुरेश्वर शर्मा अध्यक्ष तथा हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करेंगे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य मा. इंद्रेश कुमार जी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहेंगे.
ठाकुर राम सिंह एक संक्षिप्त परिचय
हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर के झंडवीं गांव में 1915 में ठाकुर राम सिंह का जन्म हुआ था. क्रिश्चियन कालेज से स्वर्ण पदक के साथ एमए की डिग्री हासिल की, कालेज प्रबंधन ने अच्छे वेतन के साथ प्राध्यापक का पद आफर किया, लेकिन ठाकुर राम सिंह जी ने इसे ठुकरा दिया. 1942 में प्रथम वर्ष करने के पश्चात प्रचारक बन गये. दोनों प्रतिबंधों के दौरान ठाकुर राम सिंह ने स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया, साथ ही जेल गये कार्यकर्ताओं के परिवारों को भी संभाला. 1949 में श्री गुरूजी ने ठाकुर राम सिंह जी को पूर्वोत्तर भारत भेजा, ram singhजहां उन्होंने कठिन परिस्थितियों में संघ कार्य की नींव रखी. ठाकुर जी को अपने रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल पर बहुत भरोसा था. सैकड़ों किमी. की यात्रा वे इसी से कर लेते थे. पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक दुर्घटना में उनकी एक आंख और घुटने में भारी चोट आयी, जो जीवन भर ठीक नहीं हुई. पर, उनका प्रवास निरंतर जारी रहा. वर्ष 1984 में इतिहास संकलन योजना की जिम्मेवारी मिली, 1991 में राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेवारी मिली, जिसके पश्चात देश के वास्तविक इतिहास को सामने लाने के लिये निरंतर प्रयासरत रहे, अनेकों कार्यकर्ताओं को वास्तविक इतिहास के लेखन और खोज के लिये प्रोत्साहित किया. उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि विदेशी, और वामपंथी इतिहासकारों के सिकंदर विजय, आर्य आक्रमण पर तथ्यों को झूठा साबित किया जा सका. ठाकुर राम सिंह 94 वर्ष की आयु के बावजूद अकेले प्रवास करते थे, किसी कार्यकर्ता या छड़ी का कभी सहारा नहीं लिया. छह सितम्बर, 2010 को लुधियाना में संघ के वयोवृद्ध प्रचारक एवं भारतीय इतिहास के पुरोधा का देहांत हुआ. उनकी इच्छानुसार उनका दाह संस्कार उनके पैतृक गांव में ही किया गया.

जो युगानुकूल और देशानुकूल हो उसे स्वीकार करो

नई दिल्ली (इंविसंके). माननीय बजरंगलाल जी गुप्त ने दीनदयाल जी के एकात्म मानववाद विषय पर कहा कि जब दीनदयाल जी के एकात्म मानववाद को पढ़ते हैं और तो आज के वातावरण में वित्त सलाहकारों की वित्तीय नीतियों को देखते हैं तो कनफ्यूजन होता है. आज जिस प्रकार की इकोनोमिक डायरेक्शन चल रही है. उसे देखते हुये लगता है कि कौन हैं दीनदयाल, ऐसा समझ में आना और समझाना दोनों कठिन है. डॉ बजरंग लाल गुप्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रांत संपर्क विभाग द्वारा 17 जनवरी को आयोजित वित्त सलाहकार विचार गोष्ठी में संबोधित कर रहे थे.DSC03799
उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी को समझने के लिये दो बातें आवश्यक हैं, पहली बात भारतीय मन और मानस चाहिये. इतने समय तक एक खास परिस्थिति, वातावरण में रहने के कारण धीरे-धीरे भारतीय मन और मानस कुंद पड़ गया है, इसलिये अगर दीनदयाल को समझना है तो इस भारतीय मन और मानस को फिर से जागृत करना पड़ेगा. भारतीय मन और मानस के साथ दीनदयाल जी के एकात्म मानववाद को वैस्टर्न टर्मनोलॉजी से नहीं समझा जा सकता. आपने और मैंने जो पढ़ाई की है, एक ही प्रकार में की है. मैंने भी अर्थशास्त्र पढ़ाया है, कौन सी टर्मनोलोजी में पढ़ाता रहा, वैस्टर्न टर्मनोलोजी में पढ़ाता रहा. आज जितने इकोनोमिक्स पॉलिसी के डायरेक्टर हैं, सब वैस्टर्न टर्मनोलोजी के हैं. दीनदयाल जी तो अपेक्षित ही नहीं रहते. आप दीनदयाल जी का आंकलन उनका मूल्यांकन कौन सी टर्मनोलोजी पर करना चाहते हैं. अगर वैस्टर्न टर्मनोलोजी से करेंगे तो दीनदयाल जी फेल हैं, दीनदयाल समझ में ही नहीं आयेंगे, दीनदयाल रिलेवेंट ही नहीं हैं. इसलिये दीनदयाल जी को समझना चाहते हो तो भारतीय टर्म एंड टर्मनोलोजी के अनुसार ही उनको समझ सकते हैं.
DSC03783मैंने यह इसलिये आपके सामने निवेदन किया है कि कठिन विषय को समझने के लिये दोनों दृष्टियों में हम धरातल पर दीनदयाल को पढ़ने का प्रयत्न करें, तो शायद दीनदयाल वर्तमान परिस्थिति में भी रिलेवेंट लगेंगे. दीनदयाल जी ने जो विचार रखा था, उसे लगभग पचास वर्ष हो गये. यह उनके विचार का स्वर्ण जयंती वर्ष है और अगले वर्ष दीनदयाल जी का जन्मशताब्दी वर्ष आने वाला है. तो उनके जीवन का शतायु वर्ष और उनके चिंतन का स्वर्ण जयंती वर्ष देश में होने वाले हैं. इसलिये दीनदयाल जी के चिंतन के सम्बन्ध में देश में चिंतन, मंथन होना आवश्यक है.
दीनदयाल जी को यह विचार क्यों रखना पड़ा, इसका भी कारण है. सन् 1965 की कल्पना करिये जब दीनदयाल जी ने यह विषय रखा, उस समय भारत का नेतृत्व पश्चिमी विचारों से आवश्यकता से अधिक प्रभावित था. बल्कि पश्चिमी विचारों से आतंकित था. दीनदयाल जी ने उस समय पर हस्तक्षेप किया, और जब भारत के नेतृत्व पर पश्चिमी विचारों का इतना जबरदस्त प्रभाव हो, तो फिर शैक्षणिक संस्थानों, या शोध संस्थानों, नीति निर्माण संस्थान, सभी में चिंतन और नीति निर्माण का आधार वैस्टर्न विचार ही थे.
DSC03798दीनदयाल जी ने कहा कि इससे भारत का भला नहीं होगा. स्वतंत्रता हासिल करने के लिये इतनी बड़ी जद्दोजहद चल रही थी, वह स्व को खोजने के लिये थी. अगर पश्चिमी विचारों पर हम चलेंगे तो जो स्वतन्त्रता हासिल की है उसका कोई औचित्य नहीं रह जायेगा.
एक दूसरा भी बैकग्राउंड था, 1965 और उसके पहले के घटनाक्रम को याद करें. दीनदयाल जी ने देखा कि सत्ता प्राप्ति के लिये विचारधारा विहीन गठजोड़ करो, राजनीति में अलायंस हो रहे थे, बगैर विचार के हो रहे थे, कोई वैचारिक तालमेल नहीं था, केवल सत्ता प्राप्ति के लिये हो रहा था, कोई वैचारिक समानता भी ठीक नहीं बैठती थी. केवल सत्ता प्राप्ति के लिये किया जा रहा था, विचारधारा विहीन गठजोड़. दीनदयाल जी ने कहा था कि केवल सत्ता प्राप्ति के लिये विचारधारा विहीन गठजोड़ के आधार पर सत्ता चलेगी तो देश या समाज का क्या भला होने वाला है. देश के भीतर कि केवल सत्ता द्वारा ही समाज परिवर्तन का सर्वाधिक काम किया जा सकता है, दीनदयाल जी ने कहा यह गलतफहमी है. समाज के परिवर्तन का मुख्य उपकरण, सर्वाधिक महत्व का उपकरण सत्ता नहीं हो सकता.
मेरा सौभाग्य है कि दीनदयाल जी को प्रत्यक्ष सुना, मैं जब संघ का शिक्षण लेने के लिये उदयपुर द्वितीय वर्ष में गया था, दीनदयाल जी बौद्धिक देने के लिये आये थे और उन्होंने एकात्ममानववाद को समझाया. एक प्रश्न पैदा होता है कि दीनदयाल जी ने पश्चिमी विचारों को क्यों नकारा, पश्चिमी प्रणाली को क्यों नकारा. अपने अध्ययन, अनुभव के आधार पर कहा कि जितने भी पश्चिमी विचार, संस्थान, प्रणाली है, उनमें कुछ कमियां, खामियां हैं.
DSC03782दीनदयाल जी ने कहा कि सम्पूर्ण पश्चिमी जगत के विचार और चिंतन रिएक्क्षनरी हैं, प्रतिक्रियात्मक हैं. तो क्या भारत में प्रतिक्रियात्मक विचार को स्वीकार करना चाहिये. दूसरा यह एकांगी है, यह खंडित दृष्टिकोण हैं, सम्पूर्ण विचार नहीं करते टुकड़ों-टुकड़ों में विचार करते हैं तो एकांगी विचार भी स्वीकार नहीं किया जा सकता. दीनदयाल जी ने कहा कि सम्पूर्ण जगत का विचार, सिस्टम और सारे विचार, सिद्धान्त भौतिकतावादी है, भोगवादी है या जड़वादी है, इनमें केवल भौतिक तथ्यों का विचार किया. अध्यात्म का विचार ही नहीं किया.
दो भागों में अपनी बात थोड़ा-थोड़ा कहने का प्रयत्न करूंगा. जब कोई नया चिंतन दिया जाता है, नई फिलोसफी दी जाती है, कोई नया सिद्धान्त दिया जाता है तो पहले कोई उसका दार्शनिक आधार होता है. दार्शनिक आधार के बिना कोई नया कांसेप्ट या फ्रेमवर्क नहीं दिया जा सकता, कोई वैचारिक सैद्धान्तिक अभिख्यान नहीं दिया जा सकता. दीनदयाल जी ने जो वैचारिक सैद्धान्तिक अभिख्यान देने का प्रयत्न किया है, उसके लिये एक थिआटिकल बैकग्राउंड दिया है, दार्शनिक पृष्ठभूमि दी है. भारतीय संस्कृति में भारतीय मनीषी परम्परा जो कहती रही, उसी को प्रस्तुत किया.
पांच बातें मुख्य रूप से दीनदयाल जी ने कहीं, पहली बात वर्ल्ड व्यू क्या होगा, विश्व दृष्टि क्या होगी, सृष्टि को कैसे देखते हो, क्या है सृष्टि, यह समाज क्या है, उसको देखने का तुम्हारा दृष्टिकोण क्या है. जिस विश्व दृष्टि के आधार पर सम्पूर्ण राष्ट्र और सिद्धान्त बने हैं, उसे बोलते हैं खण्डित यांत्रिक विश्व दृष्टि. यह मानकर चलते हैं कि सृष्टि मशीन से चलेगी, और मशीन कल-पुर्जों से मिलकर बनती है. मशीन के किसी पार्ट में खराबी आ गयी तो कोई भी मैकेनिक ठोक-पीट कर उस पार्ट को बाहर निकाल देगा. कोई संवेदना नहीं है, कोई कष्ट नहीं है, काई परेशानी नहीं है, उसके साथ कोई आत्मीयता का भाव नहीं है, दूसरा नया पार्ट उस जगह पर लगा देता है. प्रकति के साथ ऐसा व्यवहार उचित नहीं है. दुनिया के बड़े-बड़े सम्पन्न कहे जाने वाले देश दुनिया के विकासशील देशों का शोषण करते हैं, उन्होंने सम्पूर्ण सृष्टि को संसार को माना ही मैकेनिटी है। किसी का भी यूज किया जा सकता है, जब तक उपयोग होगा उपयोग करेंगे और उपयोग होने लायक नहीं होगा तो उसको निकाल बाहर कर देंगे. इस दृष्टि के आधार पर यह दुनिया और देश नहीं चल सकता, दृष्टि बदलनी पड़ेगी.
दूसरी बात दीनदयाल जी ने कही कि सृष्टि को समझने के लिये समझें कि मनुष्य क्या है, वित्त का मैनेजमेंट करो, वित्त के बारे में सलाह देना चाहते हो या आर्थिक समृधि लाना चाहते हो, उसके लिये कुछ करना चाहते हो, उसके लिये बहुत सारी इकोनोमिक पालिसी बनाना चाहते हो, राजनीतिक डायरेक्शन देना चाहते हो, उसके लिये सिस्टम खड़ा करना चाहते हो, मनुष्य के लिये खड़ा करना चाहते हो क्या,  मनुष्य को समझा है क्या कि मनुष्य है. वर्तमान में मनुष्य को समझने में ही भूल है. पॉलिटिकल साइंस वाले कहते हैं मनुष्य पॉलिटिकल एनिमल है, सोशियोलॉजी वाले कहते हैं कि मनुष्य सोशल एनिमल है, बायोलोजी वाले मनुष्य को बंडल ऑफ़ थाउजेंड ऑफ़ थाउजेंड ऑफ़ सैल्स कहते हैं. अर्थशास्त्र में मनुष्य के लिये मनुष्य एक इकोनोमिक मैन है, मनुष्य को आर्थिक मनुष्य कहा है. उपभोक्ता के नाते बाजार जाता हूं तो मेरा इकोनोमिक मैन के नाते आधार क्या होगा, कम दाम खर्च किया जाये और ज्यादा ले लिया जाये. मैं श्रमिक हूं, लेबर हूं, तो लेबर के नाते इकोनोमिक मैन के नाते से मेरा व्यवहार क्या होगा, कम से कम काम किया जाये और मालिक से ज्यादा से ज्यादा पैसा ले लिया जाये.
वास्तव में मनुष्य चार चीजों से मिलकर बनता है, शरीर, मन बुद्धि और आत्मा, इसको एकात्म कहा है, अगर मनुष्य को सुख देना चाहते हैं तो इन चारों की आवश्यकता होती है. शरीर की आवश्यकतायें भी पूरी होनी चाहिये, मन अशांत है और शरीर की आवश्यकतायें पूरी हो रही हैं तो भी टेंशन होगी, डिपरेशन होगा, मानसिक शांति नहीं है, मानसिक आनन्द नहीं है, तो सुख कैसे होगा.
तीसरी बात कही कि विविधता में एकता होनी चाहिये. आपसी भाईचारे को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं, तो फिर संघर्ष क्यों हो रहा है. इससे कोई अछूता नहीं है. संसार ने जिस प्रकार के दर्शन को स्वीकार किया वह ‘मेरा ही विचार ठीक है’ और इसे मानो, जैसे-तैसे मानो, लोभ-लालच से मान लो, या लोभ-लालच से नहीं माने तो तलवार की धार पर मानना होगा. संसार में विविधता रहने वाली है, और इसी में एकता के सूत्र खोजने का प्रयत्न करना. इसलिये दीनदयाल जी ने कहा कि विविधता में एकता को भी स्वीकार करना चाहिये.
दीनदयाल जी ने अगली बात बहुत महत्व की कही है, व्यश्ठि और समश्ठि के बीच क्या अंतर है? माइक्रो-मैक्रो रिलेशनशिप क्या है? सबसे बड़ी उलझन इसी को लेकर है. हम सब लोग कहीं न कहीं इकोनोमिक से कामर्स और अकाउंटेंसी से जुड़े लोग हैं, न माइक्रो समझ में आ रहा है, न मैक्रो और माइक्रो-मैक्रो का रिलेशनशिप तो कतई नहीं समझ में आ रहा है. इस संपूर्ण चिंतन को दीनदयाल जी ने नकारा.
भारतीय चिंतन में दीनदयाल जी ने जैसे सर्प को कुंडली मारे देखते हैं तो सर्प के कई सर्कल होते हैं, एक छोटा सर्कल दूसरा उससे बड़ा, तीसरा और बड़ा सर्कल, परन्तु सबका एक दूसरे सर्कल से एक नाता रिश्ता है, अगर उसके पूछ वाले सर्कल को पिन चुभाआगे तो सम्पूर्ण सर्प खड़ा हो जायेगा. संवेदनशीलता है, आत्मीयता है, परस्पर का सम्बन्ध है, जिस माइक्रो-मैक्रो रिलेशनशिप को भारत ने स्वीकार किया है, दीनदयाल जी ने ऐसा आर्गेनिक रिलेशनशिप वाला एक छोटा सा फिलोसिफिकल बैकग्राउंड भारतीय चिंतन के आधार पर दिया.
गुप्त जी ने कहा कि दीनदयाल जी जनसंघ के संगठन मंत्री थे. वो मेरी तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विशुद्ध काम करने वाले नहीं थे. संघ के प्रचारक थे जो जनसंघ नाम की राजनैतिक पार्टी में काम करते थे. उनका मानना था कि राष्ट्र के लिये राजनीति होनी चाहिये, राजनीति के लिये राष्ट्र का प्रयोग नहीं करना चाहिये. ऐसी राजनीति नहीं चाहिये जो राष्ट्र और राष्ट्रीयता को क्षीण करे, राष्ट्र और उसकी मर्यादा, राष्ट्र की जीवनधारा, जीवन मूल्य कमजोर हो जायें, ऐसी अवांछनीय राजनीति नहीं चाहिये, ऐसी सत्ता नहीं चाहिये.
दीनदयाल जी कहते थे कि लोकतंत्र की सफलता के लिये दल अच्छा चाहिये, अच्छी पार्टी चाहिये. पार्टी बहुत अच्छी है और मेंबर खराब हैं ऐसी स्थिति भी नहीं चाहिये. दूसरा पार्टी भी अच्छी चाहिये और उम्मीदवार भी अच्छा चाहिये. उम्मीदवार अच्छा और पार्टी गलत हो तो भी काम नहीं चलेगा, क्योंकि लोकतंत्र में काम तो पार्टी की नीतियों के आधार पर करना होता है. इसलिये दल भी अच्छा हो, उम्मीदवार भी अच्छा हो, और तीसरी बात कही थी कि मतदाता भी अच्छा हो.
दीनदयाल जी ने स्वदेशी, स्वावलम्बी, विकेन्द्रित अर्थतंत्र पर जोर दिया है, तीनों ही आपस में एक दूस रे से संबिंधत हैं. भारत में अर्थतंत्र स्वावलम्बी बनाना है. दीनदयाल जी केंद्रीकृत अर्थतंत्र के पक्ष में नहीं थे. टैक्नोलोजी के बारे में दीनदयाल जी ने शब्द प्रयोग किये, ‘युगानुकूल और देशानुकूल’। उन्होंने कहा कि समय के अनुसार पुरानी नीतियों, तकनीकों में सुधार करो, और दूसरे देश का बना है, इसलिये आंख बंद करके ठोकर मत मारो, जो देशानुकूल हो उसे स्वीकार करो. अपने देश की परिस्थितियों के हिसाब से सामंजस्य बिठाकर चयन करो. जिस प्रकार चिकित्सक ट्रांसप्लांट करता है तो आर्गन का ट्रांसप्लांट करने से पहले मरीज का टिष्यू मैचिंग करता है. अगर टिष्यू मैचिंग नहीं किया और बाहर का आर्गन बगैर मैचिंग के ट्रांसप्लांट कर दिया तो राम नाम सत्य हो जाएगा.
दीनदयाल जी विकास के मॉडल के लिये देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की न्यूनतम आवश्यकता पूर्ति की गारंटी पर जोर देते थे. दुनिया का कोई देश दावा नहीं कर सकता कि मैं अपने देश में रहने वाले सब लोगों की न्यूनतम आवश्यकता की पूर्ति ग्रोथ मॉडल से कर रहा हूं. देश में विकास का ऐसा मॉडल विकसित होना चाहिये जो भोजन, कपड़ा, मकान, रक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करे. अगर ऐसा नहीं है तो बेकार है.
अर्थ व्यवस्था के बेहतर स्वास्थ्य के लिये दो आयामों का संतुलित रहना आवश्यक है, न अर्थ का अभाव रहना चाहिये और न उसका प्रभाव रहना चाहिये. अर्थ अभाव भी झगड़ा करवाता है और प्रभाव भी पचास तरह के दोष पैदा करता 

Friday, January 30, 2015

राष्ट्रवादी चिंतक और स्वदेशी के अग्रदूत लाला लाजपत राय का पुण्य स्मरण

जालंधर (विसंके). पंजाब केसरी के नाम से विख्यात लाला लाजपत राय न केवल एक महान क्रांतिकारी बल्कि परम राष्ट्रवादी चिंतक और स्वदेशी आंदोलन के दूत थे. उनके प्रेरक जीवन से मार्गदर्शन ले हजारों युवा देश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े और अपना जीवन देश पर न्योछैवर कर दिया. इन्हीं बलिदानों के फलस्वरूप 15 अगस्त, 1947 को देश सदियों की परतंत्रता से मुक्त हो पाया. यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बौद्धिक प्रमुख श्री विजय सिंह ने शहीद भगत सिंह चौक पर स्थित विश्व संवाद केंद्र के परिसर में लाला लाजपत राय की 28 जनवरी को 150 वीं जयंती के उपलक्ष में आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये. इस परिचर्चा में इलाके के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया और लाला जी को श्रद्धासुमन अर्पित किये.
श्री विजय सिंह जी ने कहा कि लाला जी ने अपने दृढ़ चरित्र से कांग्रेस को ब्रिटिश भक्ति से देश भक्ति की ओर मोड़ा. पहले कांग्रेस का सारा कामकाज अंग्रेजी में चलता था परंतु लाला जी ने इलाहबाद अधिवेशन में सर्वप्रथम हिंदी में भाषण देकर इस परंपरा को तोड़ा. उन्होंने कांग्रेस की कार्यवाही के आरंभ और समापन में ‘लोंग लिव किंग-लोंग लिव क्वीन’ की परंपरा को बंद करवाया और 1897 में जब देश में प्लेग फैला था, उन्होंने लाहौर में ब्रिटिश महारानी की प्रतिमा लगाने का सफल विरोध किया.
Lala Lajpat Rai Jayantiश्री सिंह ने कहा कि लाला जी केवल क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं बल्कि एक महान पत्रकार, स्वदेशी के अग्रदूत और राष्ट्रवाद के स्तंभ भी थे. उन्होंने ‘एंग्लो वैदिक’ समाचारपत्र का प्रकाशन कर देश विशेषकर पंजाब में राष्ट्रवाद की अलख को जगाया. उन्होंने स्वदेशी के मंत्र को इस तीव्रता से घर-घर पहुंचाया कि मानचेस्टर व लंकाशायर के कारखानों तक उसका असर दिखा. उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक व लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना की और सात बार बैंक के डायरेक्टर रहे. वे देशवासियों को मानसिक, आर्थिक व सामाजिक तौर पर परतंत्रता से मुक्त करना चाहते थे. 1907 में उनकी सभा में ही सबसे पहले बांके दयाल ने ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ गीत गाया जो बाद में कांग्रेस के हर अधिवेशन में गाया जाने लगा. यही गीत आगे जाकर भगत सिंह के चाचा स. अजीत सिंह के ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ आंदोलन का बीजमंत्र बना. उन्होंने लाला लाजपत राय को केवल भारत का ही नहीं बल्कि मानवमात्र का नेता बताते हुए उनके जीवन पथ पर चलने का संदेश दिया.
परिचर्चा की प्रस्तावना में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख श्री रामगोपाल जी ने लाला जी के जीवन वृतांतों पर प्रकाश डाला. दैनिक भास्कर के स्थानीय संपादक श्री योगेश्वर दत्त ने महापुरुषों को क्षेत्रों व विशेषणों से बांधने को गलत बताते हुए कहा कि इससे उनके विराट चरित्र दब जाते हैं. दूरदर्शन के उप-महानिदेशक श्री नरेंद्र सिंह ने मीडिया जगत को महापुरुषों के जीवन वृतांतों को प्रचारित करने का आग्रह किया. पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता व जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. रणवीर ने इस बात पर चिंता जताई कि हम अपनी संस्कृति एवं महापुरुषों से कट रहे हैं. एडवोकेट वीरेंद्र शर्मा ने महापुरुषों की परंपरा को आगे ले जाने की जरूरत पर जोर दिया. वरिष्ठ पत्रकार श्री कृष्ण लाल ढल्ल ने इस बात पर चिंता जताई कि स्वतंत्रता संग्राम में हजारों महापुरुषों ने अपने जीवन का बलिदान दिया परंतु आज कुछ एक लोगों को ही उभारा जा रहा है. उन्होंने कहा कि लाला लाजपत राय देश के सांस्कृतिक मूल्यों पर ही आजादी चाहते थे. वरिष्ठ स्तंभकार श्री सुरेश सेठ ने लाला जी के जीवन के अनछुये पहलुओं पर प्रकाश डाला. प्रसिद्ध नेत्ररोग विशेषज्ञ डा. विजय जोशी ने नई पीढ़ी में संस्कार पैदा करने की जरूरत पर जोर दिया. चार्टर्ड एकाउंटेंट श्री विक्रम अरोड़ा ने इस बात पर चिंता जताई कि लाला जी के जीवन पर आधारित साहित्य का नितांत अभाव है. उन्होंने इस कमी को पूरा करने पर जोर दिया. परिचर्चा के समापन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत-सह संघचालक ब्रिगेडियर (से.नि) जगदीश गगनेजा ने सभी आगतों को धन्यवाद दिया.
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देश के लिये प्राणों की आहुति देने वालों का सही इतिहास नहीं लिखा गया – अभय कुमार जी

वाराणसी (विसंके), 24 जनवरी. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने घोष की थाप पर पथसंचलन किया. स्वयंसेवक जोश से भरे जिस मार्ग से गुजरे वहीं लोग स्वागत के लिये अनायास ही आगे बढ़ आए. विश्वविद्यालय के विभिन्न छात्रावासों से स्वयंसेवकों के ब्रोचा छात्रावास के सामने मैदान में पहुंचने का सिलसिला 2.30 बजे से ही प्रारम्भ हो गया था. प्रातःकाल तक खाली पड़ा यह मैदान दो बजते-बजते सफेद शर्ट, खाकी निकर और काली टोपी पहने स्वयंसेवकों से भर गया. पथ संचलन में विद्यार्थी स्वयंसेवक शामिल हुए. इसके पश्चात् विश्वविद्यालय स्थापना स्थल पर वन्देमातरम गीत से कार्यक्रम का समापन हुआ.
बसन्त पंचमी के शुभ अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ब्रोचा छात्रावास के मैदान में पथसंचलन से पूर्व स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक श्री अभय कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना अंग्रेजों के शासन काल में हुई. दोनों के संस्थापक समान विचारधारा के थे. महामना देशभक्त, स्वतंत्रता सेनानी, सुप्रसिद्ध शिक्षक, पत्रकार तथा कुशल अधिवक्ता थे. इसी प्रकार डॉ. हेडगेवार भी जन्मजात देशभक्त तथा स्वतंत्रता सेनानी थे. संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने बचपन में ही अंग्रेज अधिकारी के खिलाफ वन्देमातरम् का नारा बुलन्द किया.
उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने लोकमान्य तिलक के सम्पर्क में आकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. बाद में क्रांतिकारियों के संगठन अनुशीलन समिति में सम्मिलित हुये. उन्होंने कहा कि महर्षि अरविन्द अखण्ड भारत का मानचित्र बनाकर उसकी पूजा किया करते थे. उन्होंने अपने मृत्यु के पहले ही यह घोषणा कर दी थी कि देश अब स्वतंत्र हो जायेगा. डॉ. हेडगेवार ने विचार किया कि देश तो स्वतंत्र हो जायेगा, लेकिन पुनः परतंत्र न हो, इसलिए इस देश के लोगों को संगठित करना चाहिये. इसीलिए उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में की और घोषणा की कि ‘भारत हिन्दू राष्ट्र है.’ मालवीय जी संघ कार्य के प्रशंसक थे. एक बार मालवीय जी ने संघ के लिये धन देने की इच्छा प्रकट की लेकिन डॉ. हेडगेवार ने विनम्रता पूर्वक कहा- ‘‘मुझे धन नहीं चाहिये, मुझे तो मालवीय जी चाहिये.’’ मालवीय जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना नौकर पैदा करने के लिये नहीं की थी. उन्होंने हिन्दू धर्म तथा हिन्दू संस्कृति की रक्षा करने वाले देशभक्त पैदा करने के लिये विश्वविद्यालय बनवाया था. दोनों महापुरूषों में अद्भुत वैचारिक मेल था. आज के इस पावन अवसर पर महामना के विचारों को जीवन में उतारने की जरूरत है.
kashi1उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता के लिये अपने प्राणों की आहुति देने वाले क्रांतिकारियों का सही इतिहास नहीं लिखा गया. यह अत्यन्त दुःखद है. इन क्रांतिकारियों की एक विशाल श्रृंखला है. किन्तु हमारे बच्चे बड़े मुश्किल से 25 क्रांतिकारियों का नाम बता पायेंगे. इससे पूर्व महामना के चित्र पर पुष्पार्चन एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का कुलगीत तथा एकलगीत हुआ.

सुदर्शन सेवा संस्थान ने आयोजित किया पाणिग्रहण कुंभ


जोधपुर सर्वजातीय सामूहिक विवाह समारोह
जोधपुर सर्वजातीय सामूहिक विवाह समारोह
जोधपुर (विसंके). बसंतपंचमी के शुभावसर पर सुदर्शन सेवा संस्थान की ओर से कमला नेहरू नगर स्थित आदर्श विद्या मंदिर केशव नगर परिसर में सर्वजातीय सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किया गया.
सामाजिक समरसता के अनूठे आयोजन में 51 दूल्हों की बारात जूना खेड़ापति हनुमान मंदिर से और 50 दूल्हों की बारात रावण का चबूतरा मैदान से रवाना हुई. एक साथ दूल्हों की बारात के दृश्य ने राह चलते लोगों का ध्यान भी अपनी तरफ आकर्षित किया. बारात विभिन्न मार्गों से होते हुये विवाह स्थल “श्रुतम्” आदर्श विद्या मंदिर पहुंची. जहां आयोजकों ने बारातियों का स्वागत किया.
समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक ललित जी शर्मा, महिला एवं बाल कल्याण राज्यमंत्री अनीता भदेल, भाजपा के वरिष्ठ नेता ओंकार सिंह लखावत, जोधपुर नगर निगम के महापौर घनश्याम ओझा ने संबोधित किया. अतिथि गणों का परिचय संस्थान के उपाध्यक्ष निर्मल गहलोत ने करवाया. मंच संचालन मंत्री नथमल पालीवाल ने किया.

जोधपुर सर्वजातीय सामूहिक विवाह समारोह
जोधपुर सर्वजातीय सामूहिक विवाह समारोह
भव्य पंडाल में सजाये गये मंडपों में 101 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे
पाणिग्रहण संस्कार का अद्भुत कार्यक्रम देखते ही बन रहा था. १०१ कुटिया बनाई गई थी जहाँ दूल्हे-दुल्हनों तथा परिवारजनो के बैठने की उचित व्यवस्था की गई थी, हर वैवाहिक मंडप में एक पण्डित था जो पाणिग्रहण संस्कार को पूर्ण करवा रहा था. मुख्य पंडित राजेश दवे पंडाल के मध्य एक मंच से मंत्रोच्चारण कर रहे थे. पाणिग्रहण संस्कार के पश्चात सामूहिक भोजन की व्यवस्था भी की गई थी.
सुदर्शन सेवा संस्थान के अध्यक्ष रतन लाल गुप्ता “काका” ने बताया कि सुदर्शन सेवा संस्थान का गठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं सहकार भारती की प्रेरणा से तीन वर्ष पूर्व सेवा एवं सहकार के लिये किया गया था. महामंत्री कमलेश गहलोत ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुये बताया कि वर्तमान में विवाह समारोह में आर्थिक प्रदर्शन एवं दहेज़ प्रथा की समस्याओं के चलते सामान्य व्यक्ति को वैवाहिक कार्यक्रम को पूर्ण करने में कठिनाई अनुभव करता हैं. सुदर्शन सेवा संस्थान ने सर्व सामान्य वर्ग को आडम्बरपूर्ण एवं दहेज़ प्रथा से मुक्त हो स्वाभिमान से अपने पुत्र-पुत्रियों के पाणिग्रहण संस्कार को सम्पन्न करवाने की पहल की है. समाज में समानता, समरसता एवं एकात्मता का भाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से सर्वजातीय सामूहिक विवाह करने का निर्णय लिया गया था, जिसे समाज ने स्वीकारा और उत्साहजनक परिणाम के कारण इस बार १०१ जोड़े परिणय सूत्र में बंधे, गत वर्ष भी अक्षय तृतीया के दिन ५७ जोड़ों का सामूहिक विवाह करवाया गया था.
जोधपुर सर्वजातीय सामूहिक विवाह समारोह
जोधपुर सर्वजातीय सामूहिक विवाह समारोह
सामूहिक विवाह के कार्यक्रम में प्रत्येक वधु को उसके नाम से १० हजार रूपये की सावधि जमा (Fixed Deposit) राजस्थान सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा दी गई. सुदर्शन सेवा संस्थान द्वारा प्रत्येक नवदम्पति को घर संचालन हेतु काम आने वाली वस्तुएं भी भेंट की गई.
सामूहिक विवाह में पंजीयन के लिये लड़के एवं लड़की के जन्म प्रमाण पत्र, आवासीय प्रमाण पत्र , ४-४ फोटो सहित पंजीयन प्रपत्र भर कर, लड़के, लड़की, माता-पिता अथवा सरंक्षक तथा दो गवाह के हस्ताक्षर करने विवाह हेतु पंजीयन किया जाता हैं. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक मुरलीधर जी, प्रांत संघचालक ललित कुमार जी शर्मा, प्रान्त कार्यवाह जसवंत जी खत्री, सह प्रान्त कार्यवाह श्याम मनोहर जी, महाधिवक्ता नरपत मल जी लोढ़ा, सांसद गजेंद्रसिंह शेखावत, राज्यसभा सदस्य नारायण पंचारिया, उपमहापौर देवेन्द्र सालेचा, विधायक कैलाश भंसाली, सूर्यकांता व्यास, तथा जोगाराम पटेल, अतिरिक्त महाधिवक्ता कान्ति लाल जी ठाकुर, श्रीकिशन गहलोत, नन्द लाल भाटी सहित अनेक गणमान्य लोग पहुंचे और नव 

त्राल (जम्मू-कश्मीर) में मारे गए आतंकियों को गिलानी ने बताया ‘शहीद !

माघ शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११६

आतंकियों को ‘शहीद’ बतानेवाले गिलानी को पाकिस्तान भेज देना चाहिए !

श्रीनगर – जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने त्राल एनकाउंटर में मारे गए आतंकवादियों को ‘शहीद’ बताया है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन गिलानी ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “हजारों लोग आबिद अहमद खान के अंतिम संस्कार कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं, जो पेशेवर फौज से लड़ता हुआ २७ जनवरी को शहीद हो गया।’
इसी मुठभेड़ में भारतीय सेना के कर्नल एमएन राय और जम्मू पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल शहीद हो गए थे। गिलानी से इसके बाद एक और ट्वीट किया जिसमें कहा, ‘पूरा कश्मीर वर्चुअल जेल है जिसमें भारतीय सेना को किसी की भी हत्या की छूट है। हमें कोई भी धमकी बोलने से नहीं रोक सकती है।’
स्त्रोत : नव भारत टाइम्स

जिहादीयोंद्वारा चलाए जा रहे सेक्स रैकेट का भंडाफोड़, मुक्त कराई गईं आठ किशोरियां

माघ शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११६
भागलपुर (बिहार) : किशनगंज के बहादुरगंज थाना क्षेत्र के सिलीगुड़ी मार्ग स्थित प्रेम नगर के एक घर में चल रहे सेक्स रैकेट का भंड़ाफोड़ कर पुलिस ने मंगलवार की देर रात आठ किशोरियों को मुक्त कराया। महिला हेल्प लाइन किशनगंज विंग की मौजूदगी में हुई कार्रवाई में अनैतिक व्यापार कराने के आरोप में दस लोगों को बुधवार को जेल भेजा गया। इनमें छह ग्राहक व चार महिला दलाल शामिल हैं। एसपी राजीव रंजन ने पुलिस कार्रवाई की जानकारी दी। इस मौके पर एसडीपीओ किशनगंज मोहम्मद कासिम, बहादुरगंज थानाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह व महिला हेल्प लाइन की संचालिका राहत संस्था की सचिव डॉ. फरजाना बेगम व महिला थाना किशनगंज की सहायक अवर निरीक्षक चंद्रवती सिंह मौजूद थीं।

गोपनीय योजना सफल

एसपी की गोपनीय योजना को एसडीपीओ मोहम्मद कासिम के नेतृत्व में गठित टीम ने अंजाम दिया। देर रात किशनगंज व बहादुरगंज पुलिस मौके पर पहुंची और १८ लोगों को हिरासत में लिया। इनमें आठ युवतियां शामिल हैं। बाद में चार महिलाओं को चकला घर चलाने व छह को अनैतिक व्यापार में लिफ्त होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। मुक्त कराई गईं आठ युवतियों में दो मानसिक रूप से बीमार हैं। दो को पहले भी देह व्यापार से मुक्त कराया जा चुका था। सभी युवतियों को महिला हेल्प लाइन राहत संस्था अल्पावास में रखा गया है।

ये भेजे गए जेल

चकला घर संचालिका नीलम खातून, सलीना खातून, सैरा खातून, आमना खातून, अताउर रहमान, फिरोज इब्राहिम, फिरोज, महबूब आलम, सोहेल व असलम।

संचालक फरार

चकला घर का संचालक इसहाक खलीफा व मोहम्मद कुर्बान खलीफा।
इनका कहना है कि…
एसपी किशनगंज राजीव रंजन ने बताया कि संचालिका व संचालक द्वारा देह व्यापार से कमाई गई संपत्ति जब्त की जाएगी। जो लोग देह व्यापार कराते हैं वे बाहर की लड़कियों को लाकर उनसे फर्जी शादी का कागजात बनाकर धंधा कराते हैं। कुछ युवतियां मजबूरी में देह व्यापार से जुड़ती हैं तो कुछ को जबरन धकेल दिया जाता है।
स्त्रोत : जागरण

आतंकवादी हाफीज सईद का वीडियो प्रसारित करनेवाले जालस्थलों पर पाबंदी

माघ शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११६

 हिन्दू विधिज्ञ परिषद द्वारा प्रदान किए गए पत्र के पश्चात ही मुंबई पुलिस द्वारा कार्रवाई

 हिन्दू विधिज्ञ परिषद से मांग करने के पश्चात ही कार्रवाई करनेवाली पुलिस स्वयं इस प्रकार की कार्रवाई क्यों नहीं कर सकती ?

मुंबई : हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने १७ जुलाई २०१४ को महाराष्ट्र के पुलिस विभाग एवं गृहमंत्री से एक पत्र द्वारा मांग की थी कि ‘पाकिस्ताना स्थित जमात-उद-दावा आतंकवादी संगठन के प्रमुख हाफीज सईद के व्याख्यान भारत में ‘यु-ट्युब’ तथा अन्य सामाजिक जालस्थलों पर प्रसारित हो रहे हैं । इन व्याख्यानोंके माध्यम से हाफीज सईद कश्मीर को भारत से पृथक करने का प्रयास कर रहा है । इस प्रकार के व्याख्यान प्रसारित कर हाफीज सईद भारत के मुसलमानोंको प्रक्षोभित करने का प्रयास कर रहा है ।
‘पाकिस्तान में होनेवाले बमविस्फोट, हत्या, हिंसा, अपघात ये सभी भारत ही कर रहा है’, ऐसा झूठा वक्तव्य दे कर सईद भारत के प्रति मन दूषित करने का प्रयास कर रहा है । इन वीडियोज पर त्वरित पाबंदी लगानी चाहिए, जिससे पाकिस्तान द्वारा भारत में आंतरिक गृहयुद्ध निर्माण करने का षडयंत्र निष्फल हो जाए तथा पुलिस का जातीय समझौते की रक्षा करने का सपना भी पूरा हो जाए ।’’
इस पत्र की ओर ध्यान देते हुए २८ जनवरी २०१५ को मुंबई के माता रमाबाई आंबेडकर मार्ग पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक ने हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता श्री. संजीव पुनाळेकर को पत्र भेजा । उस पत्र में यह प्रस्तुत किया गया कि जिन १२ जालस्थलों पर भारत के मुसलमानों को प्रक्षोभित करनेवाले वीडियोज हैं, उन पर पाबंदी लगाई जाएगी । ऐसे जालस्थलों की सूचना देने के लिए पुलिस ने पत्र के माध्यम से अधिवक्ता श्री. संजीव पुनाळेकर के प्रति आभार भी पुलिस ने पत्र द्वारा व्यक्त किए हैं ।