भुवनेश्वर : राजधानी के आदिवासी मैदान में चल रहे आदिवासी मेले में वन उत्पादों के प्रति ग्राहकों की उत्कंठा का आलम यह है कि अधिकतर स्टाल से सामान तेजी से खत्म हो रहे हैं।
रायगढ़ा जिले के डंगरिया कंध संप्रदाय द्वारा उत्पादित जैविक हल्दी, कुचिंड़ा की तेज मिर्ची, पुटा सिं के कान्दुल, मुदुलीपड़ा की गोल मिर्च व मयूरभंज के करंज तेल की मांग सबसे अधिक है। गजपति जिले के खजूर गुड़ को
डायबिटिक रोगियों के लिए उत्तम माना जा रहा है। आदिवासी मेले के प्रति राजधानी के लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा है। हर शाम मेले में खासी भीड़ जुट रही है। शाम को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी दर्शकों की रुचि बढ़ रही है।
इसके अलावा आदिवासी संस्कृति पर लिखी पुस्तकों के स्टाल में भी भीड़ उमड़ रही है। इस बार लीगल एड द्वारा आदिवासी मेले में एक स्टाल खोला गया है, जिसमें कानूनी सलाह प्रदान की जा रही है।
कुल मिलाकर आदिवासी मेले में इस बार विभिन्न प्रकार के स्टाल का लोग भरपूर आनन्द उठा रहे हैं।
डायबिटिक रोगियों के लिए उत्तम माना जा रहा है। आदिवासी मेले के प्रति राजधानी के लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा है। हर शाम मेले में खासी भीड़ जुट रही है। शाम को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी दर्शकों की रुचि बढ़ रही है।
इसके अलावा आदिवासी संस्कृति पर लिखी पुस्तकों के स्टाल में भी भीड़ उमड़ रही है। इस बार लीगल एड द्वारा आदिवासी मेले में एक स्टाल खोला गया है, जिसमें कानूनी सलाह प्रदान की जा रही है।
कुल मिलाकर आदिवासी मेले में इस बार विभिन्न प्रकार के स्टाल का लोग भरपूर आनन्द उठा रहे हैं।
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