Saturday, March 19, 2016

RSS CALLS FOR AFFORDABLE EDUCATION, EFFECTIVE HEALTH CARE AND PRACTICE OF SAMARASATA( FREE FROM UNTOUCHABILITY) IN THE SOCIETY

RSS CALLS FOR AFFORDABLE EDUCATION, EFFECTIVE HEALTH CARE AND PRACTICE OF SAMARASATA( FREE FROM UNTOUCHABILITY) IN THE SOCIETY

Bhubaneswar-19/3 : RSS has demanded accessible, affordable and qualitative education for all. Pratinidhi sabha of RSS is of view that, it is the responsibility of the government and society to make appropriate education available to the youth according to their aptitude, ability and quality for their participation in the scientific, technological, economic and social development of the nation. But this role has been hindered due to inadequate allocation of funds in preceeding years and commercialisation of educational institutions. Pratinidhi Sabha demands before central government, state government and local bodies that they should allocate adequate resouces, curb the rising commercialisation in education sector, build infrastructure in all the educational institutions, especially located in rural, tribal and under developed areas, and appoint requisite trained and duty bound teachers. RSS has appealed to swayamsevaks and society at large to extend their support in this noble deed.
In a press conference held at Saturday, Shri Samir Kumar Mohanty, Pranta Sanghachalak(state president) of Odisha East has told that it is most necessary for all citizens to practise healthy lifestyle, healthy diet, yoga, exercise and cleanliness for their sound health. It is also essential to provide affordable medical services to the common people. Today, deseases arising out of unhealthy life style are growing fast and medical services are becoming out of access for common citizens due to forbidding cost. As a result of which poor families are getting indebted to meet the treatment of their members. Due to concentration of hospitals in the large towns, there is a shotage of medical facilities in the remote rural areas. The Akhila Bharatiya Pratinidhi Sabha calls upon all the country men including swayamsevaks, voluntary organisations and the government to endevour to awaken the society , to make citizens disease free, ensure child and mother's health care, eradication of malnourishment and de-addiction against intoxication. For making proper medical services accesible to common people, especially in rural and tribal areas, central and state governments should bring requisite improvement in the infrastructure, policies and procedures with the allocation of adequate resources. Government and the industrialists should extend support to the hospitals run by various social, religious and community organisations with charitable and philanthropic attitude. The schemes for free distribution of medicines started in some centres in last few years and the proposal made for 3000 such medicine centres by the central govrernment in the recent budget are welcome moves. For control of drug prices government should promote generic medicines and give human touch to patent regime. To ensure quality of medicines they should be regularly tested in the laboratories. This method of testing of medicines of ayurvedic, unani and other traditional systems of treatment should be developed.
Pratinidhi sabha is of the opinion that each individual should conduct one self with samarasata(social harmony) in day to day personal, family and social life. It is this conduct that will eradicate caste discrimination, untouchability and mutual distrust from the society and all of us will experience an integral and samaras life free from exploitation. Akhila Bharatiya Pratinidhi Sabha appeals to all revered saints, preachers, intellectuals, social activists, religious organisations and swayamsevaks to make every possible effort to strenghten this feeling of samarasata(social harmony). Sangha is persistently carrying out this job.
The akhila bharatiya pratinidhi sabha was held at Nagaur(Rajasthan) for 3 days on 11th, 12th and 13th March. The aforesaid 3 resolutions on education,health and social harmony was unanimously passed in the pratinidhi sabha after elaborate discussion. Shri Mohanty has told that a total of 1300 members have participated in this meeting including 29 from odisha. Now we have a total number of 56,859 daily sakhas and 13,784 weekly sakhas functioning throughout the country. Out of 840 districts we have sangha work in 820. Sangha work is visible in 90% of block areas. Out of 2594 towns sangha is functioning in 2406 towns. Last year a number of training camps were organised throughout the country, in which 1,37,351 trainees had participated. Last year a toatl number of 14,500 swayamsevaks remained outside their house for expansion of sangha work. A total number of 1,52,000 seva projects are run by sangha through out the country. In odisha we have 1169 daily sakhas, 276 weekly sakhas, 3300 seva projects. In odisha we have sangha work in all districts, towns and blocks. 102 pracharaks are working in odisha and 5000 swayamsevaks have attended training camps last year. There is a change in uniform. Instead of khaki half pant brown coloured full pant is introduced.
In today's press conference Dr. Basanta Kumar Pati, Bhubaneswar mahanagar sanghachalak(BBSR town president) were also present.
    

Sunday, March 13, 2016

प्रतिनिधि सभा ने किया समाज में समरसता का आव्हान

प्रतिनिधि सभा ने किया समाज में समरसता का आव्हान
नागौर 13 मार्च । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी उपाख्य सुरेश जोशी ने कहा कि समाज के अंदर भेदभावपूर्ण वातावरण चिंतनीय है। मीरा की धरती से अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर समाज में समरसता लाने का आव्हान किया है। प्रत्येक व्यक्ति को दैनंदिन जीवन में व्यक्तिगत, पारिवारिक, तथा सामाजिक स्तर पर समरसता पूर्ण आचरण करना चाहिए।
भैय्याजी जोशी रविवार को पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत का तत्व ज्ञान जो मनीषियों ने दिया है, हिन्दू चिंतन के नाम से जाना जाता है वो श्रेष्ठ है। समाज जीवन में कुछ गलत पंरपराओं के कारण मनुष्य मनुष्य में भेद करना ठीक नहीं है। समाज के अंदर भेदभावपूर्ण वातावरण अपने ही बंधुओं के कारण आया है, जो उचित नहीं है।
पिछड़े समाज की वेदनाओं को समझकर सबके साथ समानता का व्यवहार हो, परिस्थितियों को आधार बनाकर किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। समाज में जाति भेद, अस्पृश्यता हटाकर शोषण मुक्त, एकात्म और समरस जीवन का निर्माण करना है। भेदभाव जैसी कुप्रथा का जड़ मूल से समाप्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा व्यक्तिगत तथा सामूहिक आचरण में देशकाल परिस्थिति के अनुसार सुसंगत परिवर्तन होना चाहिए। इसके लिए समाज में कार्यरत धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं को भी आगे आना होगा। प्रस्ताव में पूज्य संतो, प्रवचनकारों, विद्वजनों, तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं को समाज प्रबोधन हेतु सक्रिय सहयोग देने का अनुरोध किया है।
संघ युगानुकूल चलने वाला संगठन- सरकार्यवाह
नागौर 13 मार्च । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी उपाख्य सुरेश जोशी ने कहा कि संघ जड़वादी नहीं अपितु काल के अनुसार चलने वाला संगठन है, इसलिए समय समय पर हम परिवर्तन करते आए हैं। संघ की पहचान केवल नेकर ही नहीं बल्कि दूसरे कारणों से भी है, पेंट भी आने वाले समय में संघ की पहचान बन जाएगा।
भैय्याजी जोशी रविवार को संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। पेंट का डिजायन ऐसा तैयार किया जाएगा, जिससे शारीरिक कार्यक्रमों में बाधा न आए। वैसे भी आज योग, क्रिकेट, कराटे समेत कई खेलों में ट्राउजर पहने जाते हैं। नई गणवेश लागू करने में चार से छह माह का समय लगेगा।
सरकार के कारण संघ कार्य नहीं बढ़ा है। पिछले एक साल में साढ़े 5500 शाखाएं बढ़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है। समाज के बीच में संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है, देशभर में 58000 हजार गांवो तक संघ की पहुंच है। उन्होंने कहा कि करीब ढ़ाई लाख गांवो में संघ की विभिन्न जागरण पत्र- पत्रिकाएं जाती है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष घर से दूर रहकर विस्तारक के रूप में संघ कार्य करने वाले 14500 कार्यकर्ता रहे।
संघ से आईएस तुलना करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा बयान देने वाले की जानकारी का स्तर देखकर पीड़ा होती है। उन्होंने अपने राजनीतिक अज्ञान को व्यक्त किया है।
आरक्षण –
हरियाणा और गुजरात में आरक्षण की मांग को लेकर हुए हिंसक आंदोलन पर उन्होंने कहा कि वास्तव में यह हम सबके लिए सोचने का विषय है। डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर ने संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया था यह न्योचित था। इससे देश के वंचित वर्ग का बड़ा तबका लाभान्वित हुआ। दलितों में शिक्षा का स्तर बढ़ा। सम्पन्न वर्ग द्वारा आरक्षण की मांग करना उचित दिशा में सोच नहीं है, जो सम्पन्न उन्हें समाज के दुर्बल वर्ग के लिए अधिकार छोड़ने चाहिए।
क्रिमीलेयर को आरक्षण का लाभ पर उन्होंने कहा कि इस पर शास्त्र शुद्ध अध्ययन और सामाजिक स्तर पर विचार विमर्श की आवश्यकता है। किन व्यक्तियों और किन जातियों को अभी तक इसका लाभ मिला नहीं मिला है और वे पिछड़े हुए हैं, इसका अध्ययन होना चाहिए।
श्रीश्री रविशंकर के कार्यक्रम में बाधाएं क्यों-
श्रीश्री रविशंकर के कार्यक्रम पर उन्होंने कहा कि इसके कई पहलु हो सकते है। हो सकता है पर्यावरण को लेकर कुछ कमियां रही होगी। सरकार ने उन्हें सचेत किया और करना भी चाहिए। ऐसे विशाल और गरिमामय कार्यक्रम के लिए कोई मार्ग निकालना चाहिए। लेकिन कानून बताकार दंडित करते रहेंगे तो समाज जीवन में परिवर्तन लाने वाली संस्थाएं दुर्बल होगी। पर्यावरण नियमों का पालना सभी संस्थाओं करने की आवश्यकता है।
जेएनयू मामले में
उन्होंने कहा कि देशभक्त नागरिकों के लिए यह चिंता का विषय है। देशद्रोहियों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने वाली मानसिकता को हम क्या मानें। कानून अपना काम करेगा। भले ही ये लोग कानून के दायरे से बाहर आ जाए, लेकिन परिसर में ऐसे वातावरण का पोषण किसने किया, इस पर प्रबुद्ध वर्ग को सोचना चाहिए। इस विषय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। सत्ता में चाहे जो भी बैठे सबसे पहले देश हित, राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता का विचार करना ही सर्वश्रेष्ठ है। इस मामले में जागरूक नागरिकों द्वारा इस घटना पर दी गई प्रतिक्रिया का उन्होंने स्वागत किया।
महिला मंदिर प्रवेश
भारत में हजारों मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर कोई रोक नहीं रही है। हमारें यहां महिलाएं वेदाध्यन और पौरोहित्य कार्य कर रही है, सन्यासी और प्रवचनकार है। कुछ स्थानों पर प्रवेश को लेकर विवाद हुए, वहां के प्रबंधन ने किसी कारण से ऐसा किया होगा। अनुचित प्रथा को संवाद, समझदारी व आपसी विचार विमर्श से दूर किया जाना चाहिए। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति से प्रेरित आंदोलन चलाना अनुचित है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालयों को बजट स्वयं सृजित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तकनीकी विषय है। हमारा यह मानना है कि आर्थिक दुर्बलता के कारण कोई शिक्षा से वंचित नहीं रहे, इसके लिए समाज और सरकार को भी आगे आना चाहिए।

प्रस्ताव क्रमांक तीन – दैनन्दिन जीवन में समरसतापूर्ण व्यवहार करें

नागौर, जोधपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (नागौर) की बैठक में प्रस्ताव पारित कर समाज से प्रतिदिन के जीवन में समरसतापूर्ण व्यवहार करने का आग्रह किया गया. साथ ही सभी पूज्य संतों, प्रवचनकारों, विद्वज्जनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से विनम्र अनुरोध किया कि इस हेतु समाज प्रबोधन में वे भी अपना सक्रिय योगदान दें.
प्रस्ताव क्रमांक तीन
भारत एक प्राचीन राष्ट्र है और इसकी चिन्तन परम्परा भी अति प्राचीन है. हमारी अनुभूत मान्यता है कि चराचर सृष्टि का निर्माण एक ही तत्व से हुआ है और प्राणिमात्र में उसी तत्व का वास है. सभी मनुष्य समान हैं, क्योंकि प्रत्येक मनुष्य में वही ईश्वरीय तत्व समान रूप से व्याप्त है. इस सत्य को ऋषियों, मुनियों, गुरुओं, संतगणों तथा समाज सुधारकों ने अपने अनुभव एवं आचरण के आधार पर पुष्ट किया है.
जब-जब इस श्रेष्ठ चिन्तन के आधार पर हमारी सामाजिक व्यवस्थाएँ तथा दैनन्दिन आचरण बना रहा तब-तब भारत एकात्म, समृद्ध और अजेय राष्ट्र रहा. जब इस श्रेष्ठ जीवन दर्शन का हमारे व्यवहार में क्षरण हुआ, तब समाज का पतन हुआ, जाति के आधार पर ऊँच-नीच की भावना बढ़ी तथा अस्पृश्यता जैसी अमानवीय कुप्रथा का निर्माण हुआ.
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने दैनन्दिन जीवन में व्यक्तिगत, पारिवारिक तथा सामाजिक स्तर पर अपने इस सनातन और शाश्वत जीवन दर्शन के अनुरूप समरसतापूर्ण आचरण करना चाहिए. ऐसे आचरण से ही समाज से जाति भेद, अस्पृश्यता तथा परस्पर अविश्वास का वातावरण समाप्त होगा एवं तभी हम सब शोषणमुक्त, एकात्म और समरस जीवन का अनुभव कर सकेंगे.
राष्ट्र की शक्ति समाज में और समाज की शक्ति एकात्मता, समरसता का भाव व आचरण और बंधुत्व में ही निहित है. इसका निर्माण करने का सामथ्र्य अपने सनातन दर्शन में है. ‘‘आत्मवत् सर्व भूतेषु’’ (सभी प्राणियों को अपने समान मानना) ‘‘अद्वेष्टा सर्वभूतानां’’ (सभी प्राणियों के साथ द्वेषरहित रहना) तथा ‘एक नूर ते सब जग उपज्या, कौण भले, कौ मन्दे’ (एक तेज से पूरे जग का निर्माण हुआ तो कौन बड़ा और कौन छोटा) के अनुसार सबके साथ आत्मीयता, सम्मान एवं समता का व्यवहार होना चाहिए. समाज जीवन सें भेदभाव पूर्ण व्यवहार तथा अस्पृश्यता जैसी कुप्रथा जड़ मूल से समाप्त होनी चाहिए. समाज जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए समाज की सभी धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं को इसी दिशा में कार्यरत होना चाहिए, यह महती आवश्यकता है.
सनातन काल से समाज जीवन की आदर्श स्थिति का समग्र विचार राष्ट्र के सामने रखते समय अनेक महापुरूषों एवं समाज सुधारको ने समतायुक्त व शोषणमुक्त समाज निर्मिति के लिए व्यक्तिगत तथा सामूहिक आचरण में देश, काल, परिस्थिति सुसंगत परिवर्तन लाने पर बल दिया है. उनका जीवन, जीवनदर्शन और कार्य समाज के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहा है.
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा सभी पूज्य संतों, प्रवचनकारों, विद्वज्जनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से विनम्र अनुरोध करती है कि इस हेतु समाज प्रबोधन में वे भी अपना सक्रिय योगदान दें. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा स्वयंसेवकों सहित सभी नागरिकों से समरसता के अनुरूप व्यवहार करने का तथा सभी धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों से समरसता का भाव सुदृढ़ करने के हर संभव प्रयास करने का आग्रह करती है.

RSS announces change in Ganavesh; Khakhi Shorts will be replaced by Brown Pants; says Bhayyaji Joshi at ABPS

Nagaur, Rajasthan March 13, 2016: In a major morphological change within the organisation, Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) today announced the change in Ganavesh (Uniform) from its traditional Khakhi Shorts to Wood Brown or also called ‘Coffee Coloured’ Trousers or Long Pants (Covering from the waist to the ankles).
Suresh Bhayyaji Joshi at ABPS Press Meet
Suresh Bhayyaji Joshi at ABPS Press Meet
The announcement was made by RSS Sarakaryavah Suresh Bhaiyyaji Joshi at the press conference at the Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha (ABPS) at Nagaur, Rajasthan.
Samaanya jeevan mein full-pants chalti hai to humne usko sweekar kia. Hum samaaj ke saath chalne wale log hain. Trousers are more common in normal life. We are people who move with times. So we had no hesitation (change in dress code). ” said Suresh Bhaiyyaji Joshi.
Sangh ka pahchan nikkar ka nahi. As far as the physical training is concerned the design has been made with that point also in mind. ”  said Bhaiyyaji.
Reacting to the statement of Gulam Nabi Azad to compare RSS with the ISIS, RSS Sarakaryavah Bhaiyyaji said “It shows his Ajnan (Lack of common sense).”
So far, RSS Swayamsevaks had their Ganavesh as khaki shorts with grey belt and white full- sleeve shirts folded up to the elbow, with black caps on head, black lased shoes with khaki socks.

RSS 3-day national meet ABPS concludes at Nagaur, no changes in the National Team

Saturday, March 12, 2016

RSS ABPS Resolution-2: Accessible, affordable and quality Education for all गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा सबको सुलभ हो

Nagaur, Rajasthan March 12, 2016: On its Second day of National Meet Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha (ABPS), RSS passed second major resolution on affordable, accessible and quality education for all common citizens of Bharat.
Prof Aniruddh Deshpande, RSS Akhil Bharatiya Sampark Pramukh addressed Press Conference on RSS ABPS -Day-2 March 12-2106
Prof Aniruddh Deshpande, RSS Akhil Bharatiya Sampark Pramukh addressed Press Conference on RSS ABPS -Day-2 March 12-2106

Resolution No. 2
Accessible, affordable and quality education for all
Education is an essential means for the development of any nation and society for which; both the society and government are responsible for nourishing, promoting and patronizing it. Education is a tool for nurturing the seeds of attributes and potentialities of a pupil for development of his holistic personality. It is a primary responsibility of the government in a welfare state to ensure education and healthcare to every citizen along with food, clothing, shelter and work.
Bharat is a country with the highest number of youngsters. It is the responsibility of the government and society to make unhindered appropriate education available to its youth according to their aptitude, ability and quality for their participation in the scientific, technological, economic and social development of the nation. Today, all the parents want to impart good education to their wards. When there is appreciable rise in the number of pupils acquiring education, it has become difficult for them to get affordable quality education. Inadequate allocation on education and lack of priority to education in government policy during the preceding years has left open this field to the institutions with the motive of profit. Today, poor students are deprived of appropriate quality education. As a consequence, the growing economic disparity in the society is a serious concern for the whole nation.
In the contemporary education scenario, the governments must come forward towards its responsibility of allocating adequate resources and formulating appropriate policies. There is a need to curb the rising commercialization of the education sector so that the pupils are not compelled to acquire education at unaffordable costs.
The government should strengthen the autonomous self-regulatory mechanism for the education institutions in terms of their quality, infrastructure, services conditions, fees and standards so that its policies and are implemented in a transparent manner.
The Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha is of the opinion that every child should get value based, nationalistic, employment-oriented and skill-based education in an atmosphere of equal opportunity. It is utmost essential to ensure proper training, appropriate salaries and strengthen the dutifulness of the teachers to enhance their standard; both in state run and private schools.
Traditionally our society has played a vital role in providing affordable quality education to the common man. In today’s context also, all the social, religious organizations, corporates, educationists and eminent people should come forward in this direction owning their responsibility.
The Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha calls upon the Central and State Governments and local bodies to ensure availability of requisite resources and necessary statutory mechanisms for imparting affordable quality education to all. It also appeals to the society to come forward in this noble cause of imparting education especially in the rural, tribal and undeveloped areas so that a worthy, able and knowledge driven society is created which will play its important role in the development and upliftment of the nation.
प्रस्ताव क्र. 2: गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा सबको सुलभ हो
किसी भी राष्ट्र व समाज के सर्वांगीण विकास में शिक्षा एक अनिवार्य साधन है, जिसके संपोषण, संवर्द्धन व संरक्षण का दायित्व समाज व सरकार दोनों का है। शिक्षा छात्र के अन्दर बीजरूप में स्थित गुणों व संभावनाओं को उभारते हुए उसके व्यक्तित्व के समग्र विकास का साधन है। एक लोक कल्याणकारी राज्य में शासन का यह मूलभूत दायित्व है कि वह प्रत्येक नागरिक को रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार के साथ-साथ शिक्षा व चिकित्सा की उपलब्धता सुनिश्चित करे।
भारत सर्वाधिक युवाओं का देश है। इस युवा की अभिरूचि, योग्यता व क्षमता के अनुसार उसे उचित शिक्षा के निर्बाध अवसर उपलब्ध कराकर देश के वैज्ञानिक, तकनीकी, आर्थिक व सामाजिक विकास में सहभागी बनाना समाज एवं सरकार का दायित्व है। आज सभी अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं। जहाँ शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है वहाँ उन सबके लिए सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाना दुर्लभ हो गया है। विगत वर्षों में सरकार द्वारा शिक्षा में अपर्याप्त आवंटन और नीतियों में शिक्षा को प्राथमिकता के अभाव के कारण लाभ के उद्देश्य से काम करने वाली संस्थाओं को खुला क्षेत्र मिल गया है। आज गरीब छात्र समुचित व गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। परिणामस्वरूप समाज में बढ़ती आर्थिक विषमता समूचे राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है।
वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में सरकार को पर्याप्त संसाधनों की उपलब्धता तथा उचित नीतियों के निर्धारण के अपने दायित्व के लिए आगे आना चाहिए। शिक्षा के बढ़ते व्यापारीकरण पर रोक लगनी चाहिए ताकि छात्रों को महंगी शिक्षा प्राप्त करने को बाध्य न होना पड़े।
सरकार द्वारा शिक्षा संस्थानों के स्तर, ढांचागत संरचना, सेवाशर्ते, शुल्क व मानदण्ड़ आदि निर्धारण करने की स्वायत्त एवं स्वनियमनकारी व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए ताकि नीतियों का पारदर्शितापूर्वक क्रियान्वयन हो सके।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह मानना है कि प्रत्येक बालक-बालिका को मूल्यपरक, राष्ट्र भाव से युक्त, रोजगारोन्मुख तथा कौशल आधारित शिक्षा समान अवसर के परिवेष में प्राप्त होनी चाहिए। राजकीय व निजी विद्यालयों के शिक्षकों का स्तर सुधारने हेतु शिक्षकों को यथोचित प्रशिक्षण, समुचित वेतन तथा उनकी कर्त्तव्यपरायणता दृढ़ करना भी अति आवश्यक है।
परम्परा से अपने देश में सामान्य व्यक्ति को सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने में समाज ने महती भूमिका निभाई है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी सभी धार्मिक-सामाजिक संगठनों, उद्योग समूहों, शिक्षाविदों व प्रमुख व्यक्तियों को अपना दायित्व समझकर इस दिशा में आगे आना चाहिए।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा केन्द्र, राज्य सरकारों व स्थानीय निकायों से आग्रह करती है कि सस्ती व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सबको उपलब्ध कराने के लिए समुचित संसाधनों की व्यवस्था तथा उपयुक्त वैधानिक प्रावधान सुनिश्चित करें। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा स्वयंसेवकों सहित समस्त देशवासियों का भी आवाहन करती है कि शिक्षा प्रदान करने के पावन कार्य हेतु विशेषकर ग्रामीण, जनजातीय एवं अविकसित क्षेत्र में वे आगे आवें ताकि एक योग्य, क्षमतावान व ज्ञानाधारित समाज का निर्माण हो सके जो इस राष्ट्र के उत्थान व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Nagaur Rajasthan March 12, 2016: RSS national meet Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha-2016 (ABPS) has passed its first major resolution on effective health care and easy access to affordable medical services to a common man.

Nagaur Rajasthan March 12, 2016: RSS national meet Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha-2016 (ABPS) has passed its first major resolution on effective health care and easy access to affordable medical services to a common man.
Prof Aniruddh Deshpande, RSS Akhil Bharatiya Sampark Pramukh addressed Press Conference on RSS abps-day-2 March 12-2106
Prof Aniruddh Deshpande, RSS Akhil Bharatiya Sampark Pramukh addressed Press Conference on RSS abps-day-2 March 12-2106
RSS ABPS 2016 Nagaur Rajasthan (7)
Resolution No. 1
Need for effective health care and easy access to affordable medical services
It is most essential to pursue healthy and hygienic life style and provide access to medical facilities to the common people, for ensuring healthy and disease free life for all the citizens. Today, when the diseases arising out of unhealthy life styles are growing fast, medical services are becoming out of access for common citizens due to forbidding cost. Consequently, innumerable families are either getting indebted or large number of families are even deprived of their means of subsistence for want of treatment of the earning members of the family. Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha expresses its deep concern over this state.
For the sound health,  it is most necessary to accord significance to healthy diet, way of -living and lifestyle along with virtuousness, spirituality, yog, daily exercise and cleanliness. Children should be vaccinated timely. It is also very significant that society becomes free from all kinds of intoxications.  Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha is of the opinion that all the conscious citizens, including the sawaymsevaks should endeavour to arouse wider public awareness in this direction.
On account of concentration of medical facilities in the large towns, there is shortage of medical facilities in the remote  and rural areas. Large number of people are deprived of medical facilities due to inadequate medical facilities and shortage of medical personnel, and the long queues for admission,  diagnosis and treatment. Rising cost of medical education is one of the major causes for the expensive medical services and deterioration in their quality and credibility. Quality medical services should be accessible to all citizens, including women and children in the country. For this, well functioning medical services of all kinds and systems need to be expanded across the country especially in rural and tribal areas. Information technology should be effectively used for the continuity in treatment and expert counsel.
Hospitals run by various social, religious and community organisations  with charitable and philathropic attitude at various places in the country, have been providing treatment to the common people in society very effectively and judiciously. Government support needs to be extended to such endeavours, worth emulation. Appreciating all such endeavours, the Pratinidhi Sabha calls upon the country’s industry groups, voluntary and social organisations and charitable trusts to further come forward in this direction. From this perspective, public and community partnerships and co-operative institutions  need to be promoted.
The schemes of free distribution of medicines started in some states in last few years and the proposal made for 3000 generic medicine centres by the central government in the recent budget are welcome moves. To bring medicines within the reach of common people, promotion of generic medicines, effective control of drug prices and making of the patents regime humane is necessary. To ensure the quality of medicines, they should be regularly tested in the laboratories. Standardisation and development of methods of testing of medicines of Ayurvedic, Unani and other systems is also important.
The Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha calls upon all the countrymen, including swayamsevaks, voluntary organisations and the government to endeavour to make lives of all citizens disease free by awakening the society for healthy life style, child and mother’s healthcare, eradication of malnourishment and deaddiction against intoxication. For making all kinds of medical services accessible to common people, the central and state governments should bring requisite improvement in the infrastructure, policies and procedures, with the allocation of adequate resources. For this, coordinated expansion, regulation, teaching and research be promoted in all the systems of medicine, and the regulatory mechanism and statutory provisions be executed transparently.
प्रस्ताव क्र 1.
प्रभावी स्वास्थ्य रक्षा एवं सस्ती व सुलभ चिकित्सा की आवश्यकता
देश में सभी नागरिक आजीवन स्वस्थ व निरोग रहें इस हेतु स्वास्थ्यपूर्ण जीवनशैली का अनुसरण एवं सर्व साधारण के लिये चिकित्सा की सुलभता परम आवश्यक है। आज देश में जहां अस्वास्थ्यकर जीवन शैली से उत्पन्न होनेवाले रोग तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं चिकित्सा सेवाएं महंगी होने से ये सामान्य नागरिकों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। परिणामस्वरूप, अनगिनत परिवार ऋणग्रस्त हो रहे हैं अथवा परिवार के कार्यशील सदस्यों का रोगोपचार नहीं हो पाने की दशा में बड़ी संख्या में परिवारों का जीवन यापन भी कठिन हो रहा है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करती है।
उत्तम स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्यवर्द्धक आहार-विहार व जीवनचर्या, सात्विकता, आध्यात्मिक वृत्ति, योग, दैनिक व्यायाम व स्वच्छता को महत्व दिया जाना आवश्यक है। शिशुओं का समयोचित टीकाकरण होना चाहिए। समाज सभी प्रकार के नशे से मुक्त हो यह भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का मानना है कि स्वयंसेवकों सहित देश के सभी जागरूक नागरिकों को इस दिशा में जनजागरण के व्यापक प्रयास करने चाहिए।
चिकित्सा सेवाओं के बड़े नगरों में केन्द्रित होने से देशभर में दूरस्थ व ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं का भारी अभाव है। सभी स्तरों पर इन सुविधाओं व चिकित्साकर्मियों की भारी कमी और भर्ती, जांच व उपचार के लिए लम्बी प्रतीक्षा सूचियों के कारण बड़ी संख्या में लोग चिकित्सा सुविधा से वंचित रह जाते हैं। चिकित्सा शिक्षा की बढ़ती लागतें भी देश में चिकित्सा सेवाओं के मंहगा होने एवं उनकी गुणवत्ता व विश्वसनीयता में गिरावट का एक प्रमुख कारण है। देश में महिलाओं व शिशुओं सहित सभी नागरिकों को अच्छी गुणवत्ता  वाली सब प्रकार की चिकित्सा सेवाएं उनके द्वारा वहन करने योग्य लागत पर सुलभ होनी चाहिये। इस हेतु देशभर में विशेषकर ग्रामीण व जनजातीय क्षेत्रों तक सभी प्रणालियों की सब प्रकार की चिकित्सा सेवाओं का सुचारू विस्तार आवश्यक है। चिकित्सा में निरन्तरता व विशेषज्ञ परामर्श हेतु सूचना प्रौद्योगिकी का भी प्रभावी उपयोग किया जाना चाहिए।
देश में अनेक स्थानों पर विविध सामाजिक, धार्मिक व सामुदायिक संगठनों द्वारा दानशीलता व परोपकार के भाव से संचालित चिकित्सालयों में सामान्य समाज का उपचार अत्यन्त प्रभावी व न्यायसंगत रीति से किया जा रहा है। समाज के ऐसे अनुकरणीय प्रयासों में भी शासकीय सहयोग का विस्तार आवश्यक है। प्रतिनिधि सभा ऐसे सभी प्रयासों की सराहना करते हुए देश के उद्यम समूहों, स्वैच्छिक व सामाजिक संगठनों व दानशील न्यासों आदि का आवाहन करती है कि उन्हें इस दिशा में और आगे आना चाहिए। इस दृष्टि से सार्वजनिक व सामुदायिक सहभागिता एवं सहकारी संस्थानों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों में प्रारम्भ की गई नि:शुल्क औषधि वितरण योजनाएं एवं केन्द्र सरकार द्वारा हाल के बजट में 3000 जेनेरिक औषधि केन्द्रों का प्रस्ताव स्वागत योग्य है। दवाईयों के मूल्य को आम व्यक्ति की पहुंच में लाने हेतु जेनेरिक औषधियों को प्रोत्साहन, औषधि-मूल्यों पर प्रभावी नियन्त्रण, एवं पेटेण्ट व्यवस्था को मानवोचित बनाया जाना आवश्यक है। औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु उनके सभी प्रकार के नियमित प्रयोगशाला परीक्षण भी होने चाहिए। आयुर्वेदिक, यूनानी व अन्य पद्धतियों की औषधियों का प्रमापीकरण व उनके परीक्षण की विधियों का विकास भी महत्वपूर्ण है।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा स्वयंसेवकों सहित सभी देशवासियों, स्वैच्छिक संगठनों व सरकार का आवाहन करती है कि सभी नागरिकों के जीवन को निरामय बनाने हेतु स्वास्थ्यप्रद जीवनचर्या, शिशु व जननी स्वास्थ्य रक्षा और कुपोषण व नशा विमुक्ति हेतु समाज जागरण के प्रयास करें। केन्द्र व राज्य सरकारों से आग्रह है कि सभी प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं की सर्वसाधारण के लिए सुलभता हेतु पर्याप्त संसाधन आवंटन करते हुए इन सेवाओं में अपेक्षित ढांचागत, नीतिगत व प्रक्रियागत सुधार करने चाहिए। इसके लिए देश में सभी प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों के समन्वित विस्तार, नियमन, शिक्षण व अनुसन्धान को समुचित प्रोत्साहन देवें तथा नियामक व्यवस्था व वैधानिक प्रावधानों को पारदर्शिता पूर्वक लागू करें।

Friday, March 11, 2016

संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि की बैठक शुरू

संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि की बैठक शुरू
नागौर,11मार्च। राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक शुक्रवार सुबह से शुरू हुई। बैठक का उद्घाटनसरसंघचालक डॉ.मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह भैय्याजी (सुरेश) जोशी ने भारत माता के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर की। प्रतिनिधि सभा मेंदेशभर के करीब 1300 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
उद्घाटन सत्र में विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक अशोक सिंहल से लगाकर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा तक समाज जीवन मेंउल्लेखनीय काम करने वाले एवं प्राकृतिक आपदाओं में दिवंगत हो चुके महानुभाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
एक साल में बढ़ी साढ़े पांच हजार शाखाएं
नागौर, 11 मार्च। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ.कृष्णगोपाल ने कहा कि देशभर में संघ के काम में वृद्धि हुई है। पिछले एकवर्ष में 5524 शाखाएं और 925 साप्ताहिक मिलन बढ़े है।
डॉ.कृष्णगोपाल शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में 40922 शाखाएं थीं जो वर्ष 2015 में बढ़कर 51335हो गई। इन तीन वर्षों में 10413 शाखाएं बढ़ी है। वहीं वर्ष 2016 में 5524 शाखाओं की बढ़ोतरी के साथ कुल 56859 शाखाएं हो गई है।उन्होंने बताया कि देश के कुल 840 जिलों में से 820 में संघ कार्य चल रहा है। कुल 90 प्रतिशत ब्लाकों में संघ की उपस्थिति है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि संघ की शाखाओं की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में ही ज्यादा है। 2594 नगरों में से 2406 में संघ काकार्य है। पिछले वर्ष संघ के विभिन्न शिक्षा वर्गों में 137351 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।
प्रतिनिधि सभा में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक समरसता संबंधित प्रस्तावों पर चर्चा होगी और सभा की सहमति से यह प्रस्ताव पारितकिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि प्रतिनिधि सभा में समाज के विभिन्न वर्गों यथा चिकित्सक, इंजिनियर, प्राध्यापक, मजदूर, किसान, व्यापारी, महिला औरअधिवक्ताओं समेत करीब 1300 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
डॉ.कृष्णगोपाल ने बताया कि यह वर्ष रामनुजाचार्य की जयंती का हजारवां वर्ष,  डॉ.भीमराव अंबेडकर की जयंती का 125 वां, पंडित दीनदयालउपाध्याय और संघ के तृतीय सरसंघचालक बाला साहब देवरस का जन्मशताब्दी वर्ष है। इन चारों ही महापुरूषों ने देश में सामाजिक समरसताके लिए उल्लेखनीय काम किया। इस बात को ध्यान में रखते यह वर्ष सामजिक समरसता के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने सामाजिकविषमता पर चिंता जताते हुए कहा कि आज भी समाज में जाति, सम्प्रदाय, वर्ण और जन्म के आधार पर भेदभाव होता है, यह समाप्त होनाचाहिए।
प्रतिनिधि सभा में संघ के शीर्ष पदाधिकारियों के अलावा विश्व हिन्दू परिषद के संगठन महामंत्री दिनेश चन्द्र, राष्ट्रीय अध्यक्ष चम्पतराय, कार्यकारीअध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगडि़या, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह, संगठन महामंत्री रामलाल, राम माधव, शिवकुमार, राष्ट्रीयशैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठनमंत्री महेन्द्र कपूर, किसान संघ से दिनेश कुलकर्णी, प्रभात केलकर, स्वदेशी जागरण मंच से कश्मीरी लाल, डॉ.भगवती प्रसाद, भारतीय मजदूर संघ से वी. सुरेन्द्रन, वनवासी कल्याण आश्रम से सौमेया जूरू, अतुल, सुरेन्द्र सूरी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषदसे सुनील आंबेकर, के. रघुनंदन, लक्ष्मण, श्रीनिवास, डॉ. कैलाश शर्मा, मिलिंद मराठे, हिन्दू जागरण मंच से कमलेश, अशोक पाठक, पूर्व सैनिककल्याण परिषद से विजय कुमार, लघु उद्योग भारती प्रकाशचन्द्र, इसके अलावा विद्याभारती, सीमा जन कल्याण समिति, सेवा भारती, भारतविकास परिषद, सहकार भारती, इतिहास संकलन समिति, प्रज्ञा प्रवाह, आरोग्य भारती, विज्ञान भारती, क्रीड़ा भारती एवं भारतीय शिक्षण मंडल समेत करीब 45 संगठनों और 42 प्रांतो के प्रतिनिधि बैठक में शामिल हैं।