Monday, November 30, 2015

सूक्ष्म रूप में अभी भी हमारे बीच हैं अशोक सिंघल जी – बाल कृष्ण नाइक

Ashok jiनई दिल्ली. बाबा विरसा सिंह जी महाराज द्वारा स्थापित पवित्र स्थल गोविन्द सदन ने आज विश्व हिन्दू परिषद के दिवंगत नेता अशोक सिंघल जी के लिए अन्तिम अरदास कर उनको अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी. बाबा विरसा सिंह जी महाराज मैमोरियल ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. रापा सिंह, बाबा महीप सिंह, रणवीर सिंह खन्ना ने अशोक जी को एक महान समाज सेवी और धर्म निष्ठ महात्मा बताते हुए कहा कि हमारे ट्रस्टी के रूप में उनका योगदान और मार्ग दर्शन हमें सदैव याद रहेगा.
राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार गुरबचन सिंह गिल, महा मंत्री अविनाश जयसवाल ने कहा कि राष्ट्रीय सिख संगत के उत्थान में उनकी अहम भूमिका थी. विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बाल कृष्ण नाइक ने अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए कहा कि चाहे वह शरीर छोड गये हों, किन्तु सूक्ष्म रूप में अशोक जी आज भी हमारे साथ विद्यमान हैं. अशोक जी का सदा यह मत रहता था कि राम जन्म भूमि का आन्दोलन या उसकी मुक्ति के संघर्ष में हम सभी चाहे निमित्त मात्र बने हैं, किन्तु वास्तव में संत बिरसा सिंह जी महाराज जैसे अनेक सिद्ध महापुरुषों की प्रेरणा और आशीर्वाद ही आन्दोलन को इस स्थिति में ला सका है. यही वह पवित्र स्थान है, जहां स्वयं बाबा जी ने बीएल शर्मा प्रेम को अमृत चखा कर प्रेम सिंह ‘शेर’ का नाम देकर सरदार बनाया था और जीवन भर राष्ट्र के लिए समर्पित रहने की दीक्षा दी.
संस्थान के ट्रस्टी गुरदेव सिंह जी द्वारा संचालित श्रद्धांजलि सभा में प्रिंसीपल सुरजीत कौर जौली के अलावा विहिप के ओम प्रकाश, दिनेश गोयल, सुरेन्द्र सिंह सहित अनेक संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे.

राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने वाले परिवार को जाना पड़ा सिनेमा घर से बाहर

मुंबई. मुंबई के एक सिनेमा घर (मल्टीप्लेक्स) में कथित तौर पर एक परिवार द्वारा राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने के कारण अन्य कुछ दर्शकों ने आपत्ति जताई और उनकी आलोचना की. दर्शकों के साथ जब उस परिवार की कहा सुनी बढ़ने लगी तो बाद में उन्हें (उक्त परिवार को) सिनेमा घर से बिना फिल्म देखे ही बाहर का रुख करना पड़ा. घटना है मुंबई के कुर्ला स्थित पीवीआर मल्टीप्लेक्स की. जहां संभवतः नई फिल्म प्रदर्शित होने वाली थी. पूरी घटना के विवाद वाला अंश सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसमें कुछ रुष्ट दर्शकों ने राष्ट्रगान के लिए खड़े न होने वाले परिवार की खूब खिंचाई की और अंततः उन्हें बाहर जाना पड़ा. दर्शकों ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया.
क्या किसी जिम्मेदार नागरिक को राष्ट्रगान के समय खड़ा हो कर सम्मान नहीं करना चाहिए ? क्या किसी की नासमझी या गलतियों पर केवल इसीलिए पर्दा डाल देना चाहिए कि वह एक विशेष समुदाय से आता है? देश का सम्मान सर्वोपरि होता है और इसकी अनदेखी करना या अपमान करने पर वह व्यक्ति आलोचना के लायक है या नहीं, फिर वो भले ही किसी भी धर्म विशेष का क्यों न हो. कुछ राहत की बात यह जरूर रही कि सोशल मीडिया पर समाज के सभी वर्गों, लोगों ने घटनाक्रम पर एक सी राय रखी और राष्ट्रगान का अपमान करने वालों की एक आवाज से आलोचना की.
लेकिन कुछ प्रतिष्ठित समाचार एजेंसियों व वेबसाइटों ने खबर को पेश करने के लिए सनसनीखेज रिपोर्टिंग का सहारा लिया और धर्म सूचक शब्द का प्रयोग किया. शीर्षक में गैर जिम्मेदाराना ढंग से प्रकाशित किया गया कि ‘एक मुसलमान परिवार को राष्ट्रगान में खड़ा न होने के कारण लोगों ने सिनेमा घर से किया बाहर’. घटना भले जो भी हुई हो, लेकिन अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच बनाने एवं सुर्खियां बटोरने की आड़ में कुछ समाचार एजेंसियां अक्सर इस तरह की घटिया करतूत करने से बाज नहीं आती और धर्म की बात को उछालने में मीडिया का विशेष (गैरजिम्मेदार) वर्ग हमेशा तत्पर रहने लगा है. वे इसकी भी चिंता नहीं करते कि ऐसा करके समाज को विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं.

सभी को एक साथ लेकर चलना ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मूल मंत्र – इंद्रेश कुमार जी


PRAYAG SAGIT SAMETE (3)इलाहाबाद (काशी). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एकता को अपना सूत्र माना हैजिसमें सबसे अहम सभी को एक साथ लेकर चलने का मूल मंत्र है. इंद्रेश जी रविवार को प्रयाग संगीत समिति में आयोजित एक दिवसीय तरूण संगम के उद्घाटन सत्र में सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आजकल लोग पश्चिम का कल्चर अपना रहे हैं, जो अनिष्ट करने वाला है. फीयर फ्रॉम गॉड यानि भगवान से डरोपश्चिम की मान्यता है, भारतीय मान्यता में इससे अंतर है, हमारे अनुसार भगवान पर विश्वास करो, ईश्वर सबका उद्धार करता है. सजा देने की पद्धति पश्चिम की है. उन्होंने कहा कि सभी को जानने की आवश्यकता है कि भ्रूण हत्या कहां कितनी होती है. अमेरिका में 32 प्रतिशत से अधिक कुंवारी युवतियां मां बनती हैं. चीन में 18 प्रतिशत युवतियां मां बनती हैं. जहां कुंवारी युवतियां मां बनती है, वहां ही सबसे अधिक भ्रूण हत्याएं हो रही है. उन्होंने कहा कि प्यार को भोगवाद बनाने का नतीजा पश्चिम की धारणा है. जहां से वैलनटाइनडे जैसी विकृतियां निकलती हैं, जो पश्चिम से चलकर अब अपने देश में फैलती जा रही हैं. जिसे रोकने के लिए प्यार को भोगवाद से दूर करने का प्रयास करना अति आवश्यक है. प्यार गलत नहीं हैउसे भोगवाद बनाना गलत है जो पश्चिम का कल्चर है.
PRAYAG SAGIT SAMETE (4)हिन्दू संस्कृति पर अपना विचार रखते हुए चन्द्रबली हंस जी महराज ने कहा कि विश्व के सभी जीवों सहित मानव जाति के कल्याण के लिए पृथ्वी सूरज का चक्कर काट रही है. सूर्य जीवों के कल्याण के लिए प्रत्येक क्षण हवन कर रहा हैजिससे निकलने वाली ऊर्जा से संसार का कल्याण हो रहा है. सूर्य के हवन से प्रति मिनट 25 करोड़ टन ऊर्जा हमें प्राप्त हो रही है. लेकिन वहां से पृथ्वी पर पहुंचने वाली ऊर्जा आधे का अरबवां हिस्सा ही है. पृथ्वी उस ऊर्जा का 45 प्रतिशत ही उपयोग कर पा रही है. उन्होंने कहा कि हिन्दू संस्कृति प्रकृति से उत्पन्न हुई है. प्रकृति के अनुकूल चलने वाले ही मानव हैं और जो प्रकृति के विपरीत कर्म कर रहे हैं, वह राक्षस की श्रेणी में आते हैं. हिन्दू संस्कृति व धर्म से ही अन्य धर्मों का उद्गम हुआ है.
उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. कृष्ण बिहारी पाण्डेय ने भारत के इतिहास के सम्बन्ध में अपना विचार रखा और कार्यक्रम में अन्त में इन्द्रेश जी ने इच्छुक तरूणों के मन में उत्पन्न होने वाले सवालों के उत्तर दिये. कार्यक्रम के प्रथम सत्र में डाक्टर मिलन मुखर्जी ने अध्यक्षता की. कार्यक्रम का उद्घाटन इन्द्रेश जी और पण्डित राम शिरोमणिप्रो. कृष्ण बिहारी पाण्डेय ने दीप प्रज्ज्वलन करके किया.

Sunday, November 29, 2015

News From 61st National Conference of ABVP

29/11/2015

भारत में पत्रकारिता की परंपरा गौरवशाली रही है – बलदेव भाई शर्मा

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मेरठ (विसंकें). भारत की पत्रकारिता की परम्परा गौरवशाली रही है. पत्रकारिता के इतिहास में इसके अनेकों उदाहरण हैं. विश्व संवाद केन्द्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय पत्रकारिता प्रशिक्षण वर्ग के उद्घाटन सत्र पर बोलते हुए नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इण्डिया के चेयरमैन बलदेव भाई शर्मा ने कहा. उन्होंने मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए कहा कि पत्रकारिता जीवन का बहुत बड़ा मिशन है, सही अर्थों में यदि पत्रकारिता है तो सिर्फ और सिर्फ राष्ट्र का जागरण करना है. लेकिन आज मीडिया में भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी है. विचारों के नाम पर इस जगत में प्रदूषण फैलाया जा रहा है. ये सब बंद होना चाहिये.
प्राचीन भारत के पत्रकारों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि युगल किशोर शुक्ललोकमान्य तिलक से लेकर गणेश शंकर विद्यार्थीदीनदयाल उपाध्यायअरविन्द घोष तक के पत्रकारों ने देश में पत्रकारिता से राष्ट्र जागरण की अलख जगायी थी. कलम के बल पर स्वाधीनता दिलाने में स्वतंत्रता सेनानियों की भांति कार्य किया. सामाजिक सरोकार व लोगों की मदद के लिये नवोदित पत्रकारों को बलदेव भाई ने बताया कि आम आदमी एक पत्रकार के पास अपनी समस्या के हल के लिये बड़ी उम्मीद लेकर आता है. हमें उसकी समस्या दूर करने का अथक प्रयास करना चाहिये. उसके आंसू पोंछना ही असली समाजसेवा होती है. यही एक पत्रकार का ध्येय भी है.
दूसरे सत्र में चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष मनोज कुमार श्रीवास्तव ने शिक्षार्थियों को ग्रामीण पत्रकारिता के गुर सिखाये. दूसरे सत्र की अध्यक्षता विश्व संवाद केन्द्र न्यास के महामंत्री श्री श्यामबिहारी ने की. तीसरे सत्र में लोकसभा टीवी के एंकर रामवीर उपाध्याय ने छात्रों को इलैक्ट्रोनिक मीडिया के विषय में अवगत करवाया. वर्ग के प्रथम दिन के अन्तिम सत्र को आईआईएमटी के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र मिश्र ने छात्र एवं छात्राओं को विज्ञप्ति एवं पत्रलेखन के विषय में बताया. दो दिवसीय पत्रकारिता प्रशिक्षण वर्ग में विभिन्न जिलों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. कार्यक्रम का संचालन चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के प्रेस प्रवक्ता डॉ. प्रशांत ने किया. सत्र की अध्यक्षता विश्व संवाद केन्द्र न्यास के अध्यक्ष आनन्द प्रकाश अग्रवाल एवं रूद्रा ग्रुप के चेयरमैन सोमेन्द्र तोमर ने की.
DSCN5490दो दिवसीय पत्रकारिता प्रशिक्षण वर्ग में अन्तिम दिन छात्रों को सोशल मीडिया के विषय में बताया गया. इस अवसर पर विशेषज्ञ मधुर जी ने छात्रों को कहा कि सोशल मीडिया एक बहुत तेज गति से बढ़ने वाला क्षेत्र है. क्षेत्र में आने वाले समय में बड़ी क्रांति आने की सम्भावना है. सोशल मीडिया से आज लोगों का जीवन जुड़ चुका है. पत्रकारिता के छात्रों को इस क्षेत्र में रोजगार की बड़ी सम्भावना उपलब्ध है. सोशल मीडिया के कारण पिछले दिनों इजिप्ट की राजसत्ता का तख्तापलट होते हुए पूरे विश्व ने देखा है. फेस बुकट्वीटरवाट्सअपयूट्यूब जैसी सोशल साइट्स में रोजगार की अपार सम्भावनाएं हैं.
कार्यक्रम में अध्यक्षीय भाषण में सुभारती विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरविन्द कुमार ने कहा कि पत्रकारिता के नये छात्रों को समाज का हित देखकर आगे बढ़ना चाहिये. सोशल मीडिया का दुरुपयोग नहीं करना चाहिये. दूसरे सत्र में राष्ट्रदेव के सम्पादक अजय मित्तल जी ने भारत की गौरवशाली परम्परा विषय पर कहा कि भारत जैसा देश विश्व में कहीं नहीं है. नये पत्रकारों को हिन्दुत्व को जानने के लिये अध्ययन की जरूरत है. उन्होंने 1966 में आये भारत के चीफ जस्टिस गजेन्द्र गड़कर के फैसले को पढ़ने का आग्रह किया. सुभारती विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने छात्रों को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से रूबरू कराया. अन्तिम सत्र में मैमोरी गुरू सुधांषु मित्तल ने नवोदित पत्रकारों को मैमोरी बढ़ाने के गुर सिखाये. सीखने को आदत बना लेना चाहिये.

Friday, November 27, 2015

Channelisation of energy to build a stronger Nation

Channelisation of  energy to build a stronger Nation
61st national conference of ABVP begins in Odisha capital
BHUBANESWAR: The four-day 61st national conference of the Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad (ABVP) began at the SOA University premises here on Thursday. 
Inaugurating the convention, eminent economist Bibek Debroy said, “Development of the country not only depends on the Government but vastly on the youth power, which accounts for a major part of the country’s development.” Eminent economist and member of NITI Ayog Bibek Debroy called upon members of Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad (ABVP) to channelise their energy towards building of a stronger nation.
Inaugurating the 61st national conference of ABVP here, Debroy said it is not only the job of the Government but also the responsibility of every student and youth of the country in making a stronger nation.

61st national conference of ABVP begins in Odisha capital
 Without referring to the debate on intolerance, Debroy said he is a proud Indian. “It is a country we are proud of. For the first time, we have a leader (Prime Minister Narendra Modi) who has brought optimism and enthusiasm among people,” he said.

Writer Amish Tripathi said, “The youth should not run after modernity. Instead they should focus on their family, culture and country.” Around 2,000 students and teachers from 500 universities across the country have participated in the national meet.
In his brief speech, celebrated writer Amish Tripathy said the youths of the country have vast potential to bring rapid transformation in the society. But they need to be law abiding. “We are not law-abiding people. Some people take pride in breaking laws. This is not good for civilised society,” he said.
Stating that opportunities have opened up in the country, the author of ‘Shiva Trilogy’ said now anyone can pursue his dream and make good living out of it which was not possible a decade back. Tripathy said he left his banking job to pursue writing because the royalty he gets from his books are more than what he was earning.
National president of ABVP Nagesh Thakur and general secretary Srihari Borikar spoke about the activities of student wing of Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) in nation building.
Alleging that a section of people having Left leanings has been trying to create vicious atmosphere in the country by raking up issue like ‘intolerance’, Borikar said these people are unable to digest the success of NDA Government.
Reacting to the statement of actor Aamir Khan, Borikar said, “If the youths of the country can make him hero, they can also make him zero.”
Among others, Chairman of the reception committee and former chairman of AICTE Damodar Acharya. ABVP national president Prof Nagesh Thakur, national general secretary Shrihari Borikar and national organising secretary Sunil Ambedkar were present.

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पहला हमला नेहरू सरकार ने 1951 में किया था – जे नंदकुमार जी

जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नंदकुमार जी ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पहला हमला पहले संविधान संशोधन के रूप में नेहरू सरकार ने साप्ताहिक पत्रिका पर प्रतिबंध लगाकर किया था. मद्रास स्टेट से रोमेश थापर की क्रास रोड्स नामक पत्रिका में नेहरू की आर्थिक एवं विदेश नीतियों के खिलाफ एक लेख लिखा गया था, जिसके फलस्वरूप इस पत्रिका को मद्रास सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया.
IMG-20151126-WA0068नंदकुमार जी 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर प्रेस क्लब में पत्रकार सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि यद्यपि रोमश थापर न्यायालय में मद्रास सरकार के विरूद्ध मुकदमा जीत गए थे, तो भी मई 1951 में संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया. 25 मई को यह संशोधन पारित हो गया जो वर्तमान में भी है. असहिष्णु कौन है, और इसकी शुरूआत किसने की, इस पर विचार करना चाहिए. संविधान को लोकतंत्र में ईश्वर के समान बताते हुए उन्होंने कहा कि संविधान में पंथ निरपेक्षता शब्द आने से पूर्व भी भारत में सनातन परंपरा से सर्वपंथ समभाव का व्यवहार होता था. सेक्यूलरिज्म पर कहा कि संविधान निर्माण होते समय इस शब्द को शामिल करने की जरूरत महसूस नहीं की गई थी, किन्तु वर्ष 1976 में आपातकाल के दौरान तत्कालीन सरकार ने इसे संविधान में शामिल किया.
देश में असहिष्णुता के लेकर छिड़ी बहस और अवार्ड वापसी पर कहा कि असहिष्णुता के नाम पर देश में बौद्धिक आतंकवाद फैलाया जा रहा है. असहिष्णुता का डर दिखाकर लोगों को एक किया जा रहा है तथा आक्रामक विरोध जताने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. देश आगे बढ़ रहा है और विकास को अवरुद्ध करने के लिए यह सब साजिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता से शुरू हुई यह बहस असहिष्णुता पर आ गई है. असहिष्णुता मामले में प्रधानमंत्री की ओर से सफाई नहीं दिए जाने के सवाल उनका कहना था कि जरूरी नहीं कि हर बात का स्पष्टीकरण प्रधानमंत्री ही दे. यह कुछ लोगों की साजिश है जो उकसा कर साध्वी प्राची और साक्षी महाराज के बयान का इंतजार कर रहे हैं. अवार्ड वापस करने वालों पर कटाक्ष करते हुए नंदकुमार जी ने कहा कि वे ऐसा कर देश की जनता का अपमान कर रहे हैं. उदाहरण देते हुए बताया कि नयनतारा ने सिक्ख दंगों के 18 माह बाद अवार्ड लिया था, उस समय कोई विरोध दर्ज नहीं करवाया. किन्तु अब वे 18 वर्ष बाद अवार्ड वापस कर रही है. अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता पर उनका कहना था कि सबको अपने विचार प्रकट करने का अधिकार है, किन्तु कानून को हाथ में लेने का नहीं. उन्होंने दादरी जैसी घटनाएं रोकने का समर्थन किया तथा कहा कि ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि हमारे देश में ऐसा माहौल नहीं है. पाकिस्तानी साहित्यकार और पत्रकार व कनाडा के नागरिक तारक फतह ने भी एक बयान दिया है कि अगर विश्व में मुसलमानों के रहने के लिए सबसे बेहतर माहौल है तो वह सिर्फ भारत में है. आमिर खान पर कहा कि भारत में उनकी पत्नी असुरक्षित महसूस करती हैं, पर क्या वे पीके जैसी फिल्म पाकिस्तान में बना सकते थे. जब देश उनकी फिल्म को सहन कर सकता है तो वे देश में असुरक्षित कैसे हुए.

डॉ. आंबेडकर ने धारा 370 का कभी समर्थन नहीं किया – इंद्रेश जी

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नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि आज संविधान की प्रस्तावना को सही से समझने की सबसे ज्यादा जरुरत है. जिसके अनुसार भारत एक देश है, जिसमें विभिन्न पंथ, मत, भाषा, जाति के लोग रहते हैं. जिसका मतलब है कि भारतीय संस्कृति इन सब विविधताओं के साथ भी एक है. इंद्रेश कुमार जी संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी पर संविधान के मौलिक रूप की व्याख्या कर रहे थे. उन्होंने संविधान के बारे में मूलत: तीन बातों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर ने कभी भी धारा 370 का समर्थन नहीं किया व इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री के कहने पर अस्थाई रुप से जोड़ा गया, उस समय तो संविधान बनाने वाली सभा के 10 में से 6 सदस्य इसके खिलाफ थे. उन्होंने सेक्लूयर शब्द को लेकर कहा कि यह शब्द मूल प्रस्तावना में नहीं था, इसे बाद में जोड़ा गया. अन्य धर्मों के लोगों से प्रश्न करते हुए कहा कि वे यह तो चाहते हैं कि हिंदू चर्च, मस्जिद आदि में जाये, पर क्या यह वे अपने ऊपर भी लागू करते हैं. अब समय आ गया है, जब एकतरफा सेक्यूलरिज्म़ नहीं चलेगा.
‘सविंधान की प्रस्तावना’ विषय पर दिल्ली के इंडिया इंटरनेश्नल सेंटर पर राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद् व राष्ट्रीय उर्दु भाषा विकास परिषद् द्वारा संयुक्त रुप से संगोष्ठी आयोजित की गई थी. संगोष्ठी के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार जी थे. संगोष्ठी के IMG_20151126_130146अन्य वक्ता नेशनल बुक्स ट्रस्ट के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा, इग्नू की प्रो. चांसलर सुषमा यादव, राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद् की उपाध्यक्षा अरुणा जेठवानी, वरिष्ठ सिंधी शिक्षाविद् प्रो. मुरलीधर जेटली, वरिष्ठ उर्दु शिक्षाविद् प्रो. ख्वाजा मुइंतिन थे. संगोष्ठी का संचालन राष्ट्रीय उर्दु भाषा विकास परिषद् के निदेशक सैयद अली करीम ने किया और आभार राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद् डा. रविप्रकाश टेकचंदाणी ने व्यक्त किया. बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि प्रत्येक नागरिक के लिये संविधान जानना बेहद जरुरी है, तभी वह उसमें निहित आचरण को निभा पायेगा. हम भारतवासी है व भारत हमारा है, यही भाव संविधान का मूल मंत्र है. प्रो. मुरलीधर जेटली ने सिंधी भाषा कैसे संविधान में जोड़ी गई, उसका विस्तार से इतिहास बताया. सुषमा यादव ने संगोष्ठी की प्रशंसा करते हुए कहा कि विभिन्न भाषाओं द्वारा संविधान को जानने का प्रयास हो रहा है. बाबा साहेब आंबेडकर के जीवन का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर उनकी चलती तो आज भारत आर्थिक व सामाजिक लोकतंत्र के ज्यादा नजदीक होता. अरुणा जेठवानी व प्रो. ख्वाजा मुइंतिन ने भी संगोष्ठी को महत्वपूर्ण बताया.

Thursday, November 26, 2015

RSS TARAPHARU BINDU SAGAR SAPHAI

26/11/2015

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Wednesday, November 25, 2015

ABVP NATIONAL CONVENTION FROM TOMORROW

Bhubaneswar,25/11-The Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad (ABVP) would organise its 61st national convention here from November 26 at Dr APJ Abdul Kalam Nagari in the SOA University premises.
The four-day convention would have discussions on the topics of environment, education, employment, terrorism, women protection, youth politics and terrorism in Odisha, informed ABVP national general secretary Shrihari Borikar at a Press meet here on Tuesday.
Students are now interested in patriotism and social works, said Borikar. Four proposals, role of younger generation in tackling terrorism and protecting environment, new education policy for development and the importance of students and youths for the growth of the North-Eastern States in the country would be passed in the convention, he added. 
Eminent economist Bibek Debroy and eminent author Amish Tripathi would inaugurate the meet. They would felicitate renowned Bollywood film director and writer Imtiaz Ali on the occasion. Around 2,000 students across the country would participate in the national meet, Borikar informed. Among others, ABVP national president Prof Nagesh Thakur and State secretary Pramod Rout were present. 

संतों ने अशोक सिंघल जी को दी श्रद्धांजलि

मेरठ (विसंकें). विश्व हिन्दू परिषद द्वारा रामजन्मभूमि मन्दिर आन्दोलन के पुरोधा अशोक सिंघल जी के निधन पर मेरठ के कमिश्नरी पार्क में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. सभा के प्रारम्भ में गुरकुल प्रभात आश्रम टीकरी से आये ब्रह्मचारियों ने वेदपाठ किया. धर्म जागरण समन्वय विभाग के क्षेत्र संगठन मंत्री ईश्वर दयाल ने कहा कि अशोक जी का हमारे बीच से चले जाना राष्ट्र की बहुत बड़ी क्षति है. रामजन्म भूमि मंदिर और हिन्दू समाज के लिये सिंघल जी ने जीवन लगा दिया. कार सेवा के समय दिया हुआ, उनका नारा ‘‘आगे बढ़ो जोर से बोलो, ताला खोलो ’’ आज भी हमारे दिलों में गूंज रहा है.
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मेरठ के सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि अशोक जी अद्भुत व्यक्तित्व के धनी थे. देश में चल रही तथाकथित असहिष्णुता के विषय पर कहा कि विरोधी मानसिकता के कुछ लोग रोज बयानबाजी कर देश को बदनाम करने पर तुले हैं. भारत जैसे सहिष्णु देश में जितनी शांति है और कहीं नहीं है. विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री राधाकृष्ण मनोड़ी ने कहा कि आशोक जी ने देश से लेकर विदेशों तक हिन्दू धर्म का प्रचार- प्रसार किया. भारत में चारों शंकराचार्यों को एक मंच पर लाने वाले और हिन्दू समाज को एकता के सूत्र में बांधने वाले सिंघल जी का जाना हमारे लिये किसी सदमे से कम नहीं है. उनका जाना हिन्दू समाज की क्षति है. यशपाल महाराज, शनि मंदिर के महंत महेन्द्रदास, मेरठ के महापौर हरिकान्त आहलूवालिया, संघ के विभाग संघचालक जतन स्वरूप, विहिप के विभाग संगठन मंत्री सुदर्शन चक्र, बलराल डूंगर सहित अनेक लोगों ने अपने विचार रखे. सभा में विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, संस्कृत भारती, संस्कार भारती, भारतीय जनता पार्टी, सहित अनेक संगठनों, संस्थाओं एवं सन्त समाज ने अशोक सिंघल जी के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर अपनी श्रद्धांजलि दी.
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