Monday, June 30, 2014

धीर जी ने म्यांमार में चमत्कार कर डाला: डा. कृष्ण गोपाल

धीर जी ने म्यांमार में चमत्कार कर डाला: डा. कृष्ण गोपाल

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने म्यांमार में संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री राम प्रकाश धीर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने वहां हिंदू और बौद्ध समाज के साथ एकात्मभाव विकसित करने का चुनौतीपूर्ण कार्य करने में मिली सफलता चमत्कार से कम नहीं है.
Sradhanjali Sabha Keshav Kunj- Shri Ram Prakash ji dheerडा.कृष्ण गोपाल ने झण्डेवाला स्थित संघ कार्यालय ‘केशव कुंज’ में आयोजित श्रद्धांजलि सभा  में कहा  कि श्रीमान रामप्रकाश जी धीर 1947 से लेकर के 2014 तक वहां प्रचारक रहे. उनका प्रचारक जीवन कुछ समय यहां, कुछ समय वहां, ऐसा जरूर रहा. 65-66 वर्ष तक प्रचारक जीवन वहां उनका चला, संघ की योजना से वे म्यांमार गये, उस समय की वहां की परिस्थितियों में उन्होंने काम खड़ा किया. एक बड़ी कठिनाई यह थी कि म्यांमार का भूगोल अधिकांश पहाड़ी है. एक से दूसरी जगह जाने में असुविधा तब भी बहुत होती थी और आज भी होती है. इस तरह के देश में, उस परिस्थिति में वहां पर रहना, वहां के समाज में एक स्थान बनाना, वैचारिक दृष्टि से उस सारे समाज को अपने साथ जोड़ना, यह कठिन काम था. सबसे बड़ी बात यह है कि भारत की पूर्वी दिशा में जिसको पहले बर्मा कहते थे, आज हम म्यांमार बोलते हैं, वहां बहुसंख्या में बौद्ध हैं. बौद्धों और हिन्दुओं का आपसे में  सम्बन्ध क्या है, इस पर सारा काम निर्भर था.
डा कृष्ण गोपाल ने कहा कि पिछले 200 वर्षों मे यहां पर जो ब्रिटिशर्स रहे, उन्होंने यहां यही कोशिश की कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज को जितने छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट सकते हैं, बांट कर अलग-अलग रखो. बौद्ध हिन्दू नहीं हैं और हिन्दू बौद्ध नहीं हैं, दोनों के बीच बड़ा भारी अंतर है, एक वेदांतिक परंपरा है और एक अवैदिक परंपरा है इस मान्यता को ब्रिटिशर्स ने गहराई से स्थापित करने की कोशिश की. लेकिन बौद्ध धर्म के जानकार बुद्धिजीवी जानते हैं कि भगवान बुद्ध जीवन भर हिन्दू ही रहे. उन्होने अपने जीवन में कभी नहीं कहा कि मैं हिन्दू धर्म या सनातन धर्म या वैदिक धर्म छोड़कर के कोई दूसरा धर्म या दूसरा मत-सम्प्रदाय पैदा कर रहा हूं, ऐसा उन्होंने कभी नहीं कहा. उनका जन्म एक क्षत्रिय परिवार में हुआ, विवाह क्षत्रिय से हुआ, बेटा क्षत्रिय था. धीरे-धीरे उन्होंने एक साधना की परंपरा विकसित की. सारे दुख का निवारण कैसे हो सकता है, इस परंपरा में वे आगे बढ़े. करुणा, प्रेम, दया, ममता यह तो सारे हिन्दू धर्म के एक वैदिक धर्म के प्राण तत्व हैं. हां, कुछ कर्मकांडों से वह दूर गये. कुछ प्रश्नों के उत्तर उन्होंने इसलिये नहीं दिये क्योंकि इन प्रश्नों को लेकर विवाद खड़ा होता था. ईश्वर है कि नहीं है, आत्मा है कि नहीं है आदि-आदि प्रश्नों का ऐसा उत्तर देना सम्भव नहीं, जिस पर सभी एकमत हो जायें. इसलिये बुद्ध इस पर शांत रहे.
सह सरकार्यवाह ने कहा कि धीर जी के समक्ष यह बड़ी चुनौती थी कि म्यांमार के बौद्ध स्वयं को विराट हिन्दू समाज का ही एक अंग मानें. हम परम्परा से कौन हैं, यह बातें ध्यान से उन्होंने बताईं. हिन्दू विभाजनकारी नहीं है, यह विचार उन्होंने वहां के लोगों के बीच रखा. हिन्दू का एक मौलिक सिद्धान्त है कि यह सारी पृथ्वी के लोगों के बीच विभाजन नहीं करता, हिन्दू ऐसा कभी नहीं कहता कि तुम्हारी जो पूजा पद्धति है-वह नरक में ले जाने वाली है और हमारी जो पूजा पद्धति वाले स्वर्ग में जायेंगे. उन्होंने म्यांमार के लोगों से कहा कि क्या आप ऐसा बोलते हों तो उन्होंने कहा हम बौद्ध भी ऐसा नहीं बोलते, हम लोग भी ऐसा बोलते हैं कि अच्छा काम करने वाले सब लोग स्वर्ग में जायेंगे, होता है स्वर्ग तो सब लोग स्वर्ग में जायेंगे. पूजा के आधार पर हम लोग भेद नहीं करते. ऐसा मानने वाले सब हिन्दू ही हैं. वहां के लोगों को जब यह दर्शन समझ में आया तो धीरे-धीरे जो सनातन परम्परा का, वैदिक परम्परा का जो मौलिक तत्व है वह हिन्दू है या बौद्ध है, वह शैव है या वैष्णव है, वह मौलिक तत्व उनकी समझ में आया. जिस तरह विचार उन्होंने उनके सामने रखा, वह लोगों को समझ में आ गया. भगवान बुद्ध ने कब कहा था कि तुम मेरी बात नहीं मानोगे तो तुम नरक में जाओगे, यह कभी नहीं कहा, बुद्ध ने कब कहा था कि जो मैं बता रहा हूं, वही सच है, बाकी सब झूठ है. इन सब बातों को बहुत अच्छे प्रकार से वहां के लोगों के मन में उन्होंने बैठा दिया. यह एक चमत्कारिक काम था, बिना कुछ बोले, बिना कोई संघर्ष किये सारे समाज के अन्दर एक एकात्मक दृष्टि पैदा करने का काम उन्होंने किया.
डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि प्रचारक जीवन के जिस संकल्प को लेकर धीर जी वहां गये थे, उसका अंतिम सांस तक उन्होंने निर्वाह किया. वहां के सारे समाज में उन्होंने अुकूलता उत्पन्न की. वैदिक परम्परा को मानने वाले अनेक लोग वहां खड़े कर दिये, कार्यकर्ता खड़े कर दिये और उस वृत के साथ वह चले गये. संघ के बारे में, हिन्दू समाज के बारे में, हिन्दू दृष्टि के बारे में, हिन्दू परम्परा और दर्शन के बारे में सारे म्यांमार में सम्मान का भाव जगाने का काम उन्होंने किया. अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में वे चाहे भौगोलिक, राजनीतिक, वैचारिक हों, उन्होंने अच्छा संदेश वहां दिया. विशेषतौर पर उन्होंने भारत-म्यांमार सीमा पर बड़ी संख्या में होने वाले ईसाई धर्मांतरण के बारे में म्यांमार को समझाने में सफल रहे. इसी कारण म्यांमार सरकार ने चर्च पर अनेक प्रतिबंध लगाये.
श्री श्याम परांडे ने म्यांमार में उनके के कार्य के बारे में बताया कि हिन्दू बौद्ध में एक आपसी सहमति बनाने का श्रेय श्री धीर जी को है. उन्होंने महात्मा गौतम बुद्ध के जीवन पर एक प्रदर्शनी बनाई तब बर्मा की सरकार ने उनकी पूरी तरह से मदद की, संरक्षण दिया और यह आग्रह किया कि यह प्रदर्शनी बर्मा के सभी शहरों में जाये. यह प्रदर्शनी वहां पर खूब लोकप्रिय हुई, बाद में, वह थाईलैंड में भी लगाई गई वहां भी यह लोकप्रिय हुई, इस तरह वहां हिन्दुओं और बौद्धों के बीच आपसी सहमति बनी.
श्रद्धांजलि सभा के समापन पर दो मिनट का मौन रखा गया बाद में शांति मंत्र का उच्चारण किया गया.

गो सेवक दिलशाद भारती की हत्या का प्रयास

गो सेवक दिलशाद भारती की हत्या का प्रयास

मेरठ. महानगर में गोकशी रोकने का अभियान चलाने वाले दिलशाद भारती को नगर की घनी बादी वाले भूमिया पुल के पास गोली मार दी. वारदात को अंजाम देकर हमलावर फरार हो गये. गंभीर घायल अवस्था में श्री भारती को परिजनों और पुलिस की मदद से पहले जसवंत राय अस्पताल ले जाया गया. हालत गंभीर होने के कारण वहां से दिल्ली रेफर कर दिया गया.
Gou Hatya Rokne par Goli Mariकपड़े की दुकान चलाने वाले नीचा सद्दीक नगर के दिलशाद भारती पीपुल फॉर एनीमल के नाम से संस्था का संचालन करने के साथ गोकशी और अवैध रूप से पशु कटान रोकने में असरदार भूमिका निभाते रहे हैं. पुलिस के साथ-साथ मीडिया और सामाजिक संस्थाओं को भी हस्तक्षेप योग्य मामलों की जानकारी देते रहे हैं. जिसके आधार पर लिसाड़ी गेट क्षेत्र में घरों में चल रहे अनेक मिनी कमेले ध्वस्त कर दिए गये. इसी के चलते गोकशी और अवैध कटान के काले कारोबार से जुड़े लोग उनके दुश्मन बन गये थे.
कुछ दिन पहले ही दिलशाद ने लिसाड़ी गेट क्षेत्र में बड़ी संख्या में अवैध रूप से आए कटड़ों की खेप को पकड़वाया था. उसके बाद दिलशाद को धमकी भी मिल चुकी थी. इसकी सूचना दिलशाद ने लिसाड़ी गेट पुलिस को दी थी. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री ओंकार सिंह ने आशा व्यक्त की कि पुलिस हमलावरों को जल्द ही पकड़ लेगी. इसके लिये पुलिस की टीमों को लगा दिया गया है. दिलशाद के भाई ने बताया कि हमलावरों को पहचान लिया है. उन पर पहले से ही हमारा मुकदमा चल रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि हमले के पीछे गो तस्करों की साजिश है.

Saturday, June 28, 2014

‘राष्ट्र प्रथम’ का भाव जगाता है संघ : रामदत्त जी

दमोह. ‘राष्ट्र प्रथम है’ का भाव जागृत करने का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार करता आ रहा है, व्यक्ति निर्माण राष्ट्रोत्थान के कार्य में जुटा संघ आज चर्चा एवं जिझासाओं का कारण बना हुआ है, परन्तु निकट से देखने पर पता चलता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या है?
OTC Damoh-1स्थानीय केशवनगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय के विशाल प्रांगण में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के समापन अवसर पर क्षेत्र प्रचारक माननीय रामदत्त जी ने उपस्थित प्रशिक्षणार्थी स्वयंसेवकों एवं गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में भीड़ तो है, परन्तु देश को प्रथम मानने वालों की कमी आज भी दिखायी देती है. गत कुछ दशक पूर्व हुये एशियाड खेलों के दौरान भारत आयी एक अमेरिकी खिलाड़ी की कोलकाता  यात्रा का वृतांत सुनाते हुये उन्होंने बताया कि क्त महिला खिलाड़ी ने कोलकाता की गंदगी के बारे में जानना चाहा कि इसकी सफाई के लिये कितने और लोगों की आवश्यकता पड़ेगी? यदि सब अपना उत्तरदायित्व समझकर राष्ट्र को प्रथम मानने लगें तो कोई समस्या नहीं रहेगी.
OTC Damoh-2रामदत्त जी ने कहा कि हिन्दुओं के संगठन के बारे में विभिन्न प्रकार की बातें चलती रहती हैं. कुछ लोग साम्प्रदायिक होने की बात करते हैं?  उन्होने कहा कि यह सब निराधार बातें हैं. अरे! जो हिंदू जहरीले नाग को दूध पिलाने और चींटी को शक्कर खिलाने तथा पेड़-पौधे, पशु-पक्षी में भी जीव और ईश्वर के वास होने का विश्वास रखता हो, वह कैसे साम्प्रदायिक एवं संकीर्ण दृष्टिकोण का हो सकता है? समानता और समरसता का भाव लेकर सम्पूर्ण विश्व की शांति की बात करने वाले हैं हम सब. देश के महान संतों के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सभी ने एक ही भाव लेकर कार्य किया है कि भारत एक राष्ट्र है.
OTC Damoh-3क्षेत्र प्रचारक जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वयं की प्रेरणा से देश के लिये कार्य करने वालों का संगठन है. इसमें किसी भी प्रकार की जाति-पांति और लिंग भेद को स्थान नहीं है. समरसता का भाव लेकर यह प्रारम्भ से ही लगातार कार्य करता आ रहा है. इसीलिये आप देखते होंगे कि कहा जाता है एकसह:सम्पत, यह नहीं कहा जाता कि पहले आप फिर दूसरा? उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभिन्न योगदानों का भी विस्तार से उल्लेख किया. रामदत्त जी ने कहा कि राष्ट्र ही नहीं सम्पूर्ण विश्व इस समय तीन समस्याओं से जूझ रहा है- वैश्विक आंतकवाद, वैश्विक वार्मिंग और वैश्विक मंदी. तीनों समस्याओं का समाधान हिन्दुत्व में छिपा हुआ है.
OTC Damoh-4विश्व में एकल परिवारों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने इसका समाधान भी देश के दर्शन में बताया और संयुक्त परिवार की भारतीय अवधारणा को स्पष्ट किया.
अपने  उद्बोधन में अनेक बार उपस्थितों को विचारोत्तेजित करने में सफल क्षेत्र प्रचारक ने कहा, “इस पुण्य भूमि भारत का पत्थर बनना भी सौभाग्य की बात कही जाती है फिर हम तो मनुष्य हैं हम से सौभाग्यशाली कौन है? इस से भी ज्यादा सौभाग्य की बात तो यह है कि हम सब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं.”
मंच पर वर्गाधिकारी रविन्द्र जी श्रीवास्तव एवं कार्यक्रम अध्यक्ष घनश्याम जी पटेल उपस्थित थे.
दिलाया संकल्प-
अपने प्रेरणादायी उद्बोधन के अंत में रामदत्त जी ने कहा कि आज गंगा दशहरा का पवित्र दिन है. हम सबको सरकार पर आश्रित रहने की आवश्यकता नहीं है गंगा को स्वच्छ तो बनाना ही है साथ ही हम सब संकल्प लें कि अपने क्षेत्र की नदी,तालाब,कुओं को स्वच्छ और निर्मल बनाने में अपना योगदान करेंगे.
स्वयंसेवकों का प्रदर्शन-
सत्य का आधार लेकर हम हिमालय से खड़े हैं… की पंक्तियों के एक स्वर में गायन ने उपस्थित जन समूह को रोमांचित कर दिया. स्वयंसेवकों ने गीत के पश्चात् प्रस्तुतियां देना प्रारंभ किया. नियत समय पर सम्पत तथा अधिकारी आगमन के साथ ध्वजारोपणम एवं प्रार्थना के बाद स्वयंसेवकों ने शारीरिक प्रदर्शन प्रारंभ किया. इस अवसर पर श्रीराम,श्री शिव,श्री लक्ष्मण एवं पवनपुत्र के वेश को धारण किये स्वयंसेवक विशेष आर्कषण का केन्द्र रहे वहीं, साथ में चलने वाले जामवंत एवं वानरों ने भी सबको आकर्षित करने का कार्य किया. स्वयंसेवकों ने दण्ड, नियुद्ध, दण्डनियुद्ध, मनोरे/गोपुर, योगासन, घोषव्यायाम योग, सूर्य नमस्कार को प्रस्तुत कर सबको प्रभावित किया. भारत माता के रूप में एक स्वयंसेवक भी आकर्षण का केन्द्र बना रहा.
किसने क्या कहा -
उक्त संघ शिक्षा वर्ग के सर्व व्यवस्था प्रमुख एवं सागर विभाग के विभाग कार्यवाह रामलाल जी ने वर्ग के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूं मातृ भूमि अभी तुझ को और कुछ दूं. वर्ग का प्रतिवेदन कैलाशनाथ जी वर्गवाह ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि महाकौशल प्रांत में आठ विभाग एवं उन्नतीस जिले हैं जिसमें चार विभाग के चौदह जिलों का यह वर्ग दमोह में आयोजित किया गया था. 21 दिनों तक चले उक्त वर्ग में प्रशिक्षणार्थियों के भोजन के लिये रामरोटी एकत्रित करने प्रतिदिन छ:सौ परिवारों से संपर्क किया गया. जिसमें प्रतिदिन छ:हजार रोटियां एकत्र की गयीं. हमने इस दौरान 12 हजार 600 परिवारों से संपर्क किया तथा 1 लाख 26 हजार रोटियां एकत्र कीं. इन्होंने वर्ग सम्पन्न कराने में समस्त सहयोगियों का आभार भी व्यक्त किया. कार्यक्रम के अध्यक्ष घनश्याम जी पटेल ने कहा कि मनुष्य को सेवा एवं सहयोग के लिये सदैव तत्पर रहना चाहिये. ऐसा करने वाले को भगवान ठीक उसी रूप में लौटाता है जैसे कि एक गेंहूं का दाना बोने पर उसकी पैदावार होती है.
डा.एल.एन.वैष्णव

चीन ने फिर की गुस्ताखी, अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर के बड़े हिस्से को बताया अपना

नई दिल्ली. चीन ने एक बार फिर अपना नया नक्शा जारी करके नये विवाद को जन्म दिया है. पिछले कई वर्षों की तरह ड्रैगन ने फिर अरुणाचल प्रदेश और इस बार जम्मू-कश्मीर के एक बड़े हिस्से को भी अपने नक्शे में दिखाया है.
China ne jari kiya apna nakshaप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए की नई सरकार बनने के बाद चीन ने पहली बार यह विवादित नक्शा जारी किया है. अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन अकसर विवाद खड़ा करता रहता है. भारत अरुणाचल प्रदेश को अपना अभिन्न अंग मानता है, जबकि चीन इसे अपना हिस्सा बताता है.
उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी चीन के दौरे पर हैं. उनकी इस यात्रा के दौरान ही चीन ने नया नक्शा जारी कर सीमा विवाद को फिर से जन्म दे दिया है. उपराष्ट्रपति यहां व्दिपक्षीय वार्ता के साथ पंचशील समझौते की 60वीं वषर्गांठ पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेंगे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ. भा. सहसम्पर्क प्रमुख श्री राम माधव ने कहा है चीन ने हमेशा पंचशील समझौते की उपेक्षा की है. पूरा अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है.
जम्मू एवं कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच आजादी के बाद से विवाद चला आ रहा है. अब चीन ने भी जम्मू-कश्मीर के एक बड़े हिस्से को अपनी सीमा में दिखाकर नये विवाद को जन्म दे दिया है. हालांकि अक्साई चीन के हिस्से पर पहले से ही चीन कब्जा करके बैठा हुआ है.
इस बीच, खबर है कि चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाके में घुसपैठ की है. इस हफ्ते चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग झील के भारतीय इलाके में घुसपैठ की और उस पर अपना दावा भी जताया.
एक अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि 24 जून को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नावें झील के भारतीय हिस्से में साढ़े 5 किलोमीटर अंदर तक घुस आईं थीं. गौरतलब है कि पेंगोंग झील का ज्यादातर हिस्सा तिब्बत में आता है और यह चीन के नियंत्रण में है. खबर है कि चीनी सैनिक दो घंटे तक भारतीय सीमा के अंदर रुके और बाद में भारतीय सैनिकों ने उन्हें खदेड़ा.
ये पहला मौका नहीं है जब चीनी सैनिकों ने ऐसी कोई हरकत की हो. कई बार इस झील में भारतीय और चीनी सैनिकों का आमना-सामना हो चुका है. समुद्रतल से 4300 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई पर स्थ‍ित इस झील की लंबाई 134 किलोमीटर और चौड़ाई 5 किलोमीटर है. इस झील को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे अर्से से खींचतान चल रही है.
चीन अक्सर भारतीय इलाके में घुसपैठ करके उस पर अपना दावा जताता रहता है. पिछले साल भी चीनी सैनिक कई बार लद्दाख में घुस आए और इसे अपना हिस्सा बताया.

Friday, June 27, 2014

लंदन में हिंदू स्वयंसेवक संघ के कार्यालय का उद्घाटन

लंदन में हिंदू स्वयंसेवक संघ के कार्यालय का उद्घाटन


IMG_6822लंदन. संघ संस्थापक परम पूज्य डा. केशव बलिराम हेडगेवार की पुण्य तिथि पर गत 21 जून को लंदन में हिंदू स्वयंसेवक संघ के नये कार्यालय का उद्घाटन किया गया. संयोग से 2014 संघ संस्थापक की 125 वीं जयंती भी है.



IMG_6836उद्घाटन के अवसर पर तानाजी आचार्य ने वैदिक रीति से पूजापाठ  किया. ब्रिटेन के संघचालक श्री धीरज भाई शाह ने अपने उद्बोधन में अपनी शुभकामनायें दीं और हिंदू समाज की चिंताओं को रेखांकित किया.




IMG_6823लंदन कार्यालय का पता:
110, हाई स्ट्रीट, एजवेयर, मिडिलसेक्स HA8 7HF- (एजवेयर भूमिगत ट्यूब स्टेशन से 10 मिनट से कम की पैदल दूरी पर)
(निकटतम ट्यूब स्टेशन नॉर्दर्न लाइन पर एजवेयर स्टेशन है- गोल्डर्स ग्रीन भूमिगत टयूब स्टेशन के पांच स्टेशन बाद)

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सरसंघचालक की गायकवाड़ राजपरिवार से मुलाकात

वड़ोदरा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सरसंघचालक डा. मोहन राव भागवत ने 27 जून को यहां गायकवाड़ राजपरिवार से भेंट की.
संघ प्रमुख नर्मदा के गरुडेश्वर जाते समय यहां रुके थे. वहां उन्हें महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज की पुण्य तिथि के सौवें वर्ष में होने वाले समारोहों में भाग लेना है.
वे यहां एक घंटे ठहरे, इस दौरान वे लक्ष्मी विलास पैलेस में वड़ोदरा के राजपरिवार के सदस्यों से मिले. विशेषतौर पर उनकी राजमाता शुभांगिनी देवी गायकवाड़ और समरजीत सिंह से मुलाकात हुई. 
डा.भागवत ने कहा, समरजीत जी हमारे मित्र रहे हैं,इसलिये मैं यहां आया हूं. जब वे नागपुर आते हैं तो मुझसे जरूर मिलते हैं, मैं आज वड़ोदरा में हूं और इसलिये मैं उनसे मिला. मैंने निश्चय किया है जब भी मैं वड़ोदरा में रहूंगा अपने मित्रों से मिलूंगा. समरजीत पहले से ही हमारी मित्र-मंडली के सदस्य हैं, लेकिन मैंने अभी सोचा, चूंकि काफी समय से उनसे लगातार बात नहीं हो पाई है, इसलिये संबंधों को प्रगाढ़ बनाये रखने के लिये मिलना जरूरी है.  
व्यापम घोटाले पर डा. भागवत ने कहा कि यह न्यायिक क्षेत्राधिकार का मामला है और इसका हल उसी प्रकार निकाला जायेगा. संघ का इससे कोई लेना-देना नहीं है और न ही इसकी हमें कोई जानकारी है.
 डा. भागवत वड़ोदरा से राजपीपला जायेंगे. वे शुक्रवार को प्रातकाल  ट्रेन से यहां पहुंचे थे.


Thursday, June 26, 2014

आपातकाल की बरसी पर लोकतंत्र रक्षा का संकल्प

लखनऊ. आपातकाल की 39व़ीं बरसी पर प्रदेश भर के लोकतंत्र रक्षक 25 जून को प्रतिवर्ष की भांति जीपीओ पार्क हजरतगंज स्थित गाँधी प्रतिमा पर एकत्र हुये और उन्होंने दीप जलाकर एवं काले गुब्बारे हवा में छोड़कर लोकतंत्र की रक्षा का अपना संकल्प दृढ़ किया.
अपनी सत्ता और कुर्सी सदा सर्वदा बनाये रखने की नीयत से तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने 25 जून सन 1975 को देश में आपातकाल घोषित कर देश के बुद्धिवियों तथा अपने विरोधी राजनेताओं को मीसा- डी०आई०आर० जैसे काले कानूनों के अंतर्गत कारागारो में बंद कर दिया था.
समिति के प्रदेश अध्यक्ष ब्रज किशोर मिश्र ने कहा कि देश में 26 जून 1975 से आपात्काल लागू हो गया था और इस प्रकार स्वतंत्र भारत एक बार फिर आंतरिक गुलामी की बेड़ियों में जकड़ गया था. आपातकाल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आज भी उन कालरात्रियों को याद करने पर सिहरन होने लगती है. तानाशाही सरकार ने न अपीलन वकीलन दलील” के सिद्धांत पर आपातकाल का विरोध करने वाले समस्त राजनेताओं, विद्याथियों और अन्य समाजसेवियों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया था.  उन्हें अमानवीय यातनायें देकर आन्दोलन को कमजोर करने का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि जनता के मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात कर तत्कालीन तानाशाह ने आचार्य विनोवा भावे तक को अपमानित किया था किन्तु तानाशाह सरकार को उखाड़ फेंकने की कसम खा चुके लोकतंत्र रक्षक हटे नहींडिगे नहींडटे रहे”. लोकशक्ति और तानाशाही के मध्य हुए इस जबरदस्त संघर्ष में तानाशाही को मुंह की खानी पड़ी. अलोकतांत्रिक शक्तियों को पराजित करते हुए लोकतंत्र पुनः बहाल हुआ.
आपातकाल के दौरान तानाशाह सरकार की चूल्हें हिला देने वाले बड़ौदा डायनामाइट काण्ड के प्रमुख आरोपी एवं वरिष्ठ पत्रकार के०विक्रम०राव ने आपातकाल की यातनाओं का स्मरण कराते हुए कहा कि अहिंसक आन्दोलन करके जेल जाने वाले लोगों को रात-रात भर बर्फ की सिल्लियों से बाँध कर लिटाना, नाखूनों में कील ठोकना, पंखो से उल्टा लटकाने जैसी ना जाने कितनी ही अमानवीय यातनायें लोकनायक जयप्रकाश तथा अन्य अनेक लोकतंत्र समर्थक राजनीतिक बंदियों को दी गईं. उन्होंने स्व० मोरारजी देसाई को 42 वां संविधान संशोधन (मूलाधिकार ख़त्म करने वाला) निरस्त करने का श्रेय देते हुए कहा कि अब कोई भी तानाशाह आपातकाल लगाने का दुस्साहस नहीं कर पायेगा.
समिति के प्रदेश महामंत्री रमाशंकर त्रिपाठी ने कहा कि अपने सिंहासन को बचाने की नीयत से इंदिरा गाँधी ने देश में एमरजेंसी लगा दी और मनमाना शासन चलाने लगीं, आपातकाल के दौरान कानून का राज़ ख़त्म हो गया और ब्रिटिश सरकार से भी ज्यादा बर्बर यातनायें राजनीतिक बंदियों को दी गईं. उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान किए गये जनान्दोलनों और संघर्षों का ही परिणाम है कि देश में लोकतांत्रिक सरकारें शासन कर रही हैं.
लोकतंत्र सेनानी भारत दीक्षित ने आपातकाल के उन उन्नीस महीनों को याद करते हुए कहा कि जेल के अंदर प्रतीत नहीं होता था कि आपातकाल का न्रसंश राज कभी ख़त्म होगा और अब हम लोग कभी जेल की काल कोठरियों से बाहर निकल पायेगे. लोकतंत्र रक्षकों के संघर्ष को याद करते हुए उन्होंने कहा आपातकाल के दौरान हुए संघर्ष में समूचा देश जुड़ गया था, और वक्त साक्षी है कि अगर देश में कभी अलोकतांत्रिक शक्तियों ने सर उठाने की कोशिश की है तो इस देश का युवा इसी प्रकार उसका दमन करेगा.
लोकतंत्र सेनानियों ने मुख्यमंत्री से लोकतंत्र सेनानियों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भातिं सभी सुविधाए एवं सम्मान देने, समस्त जनपद मुख्यालयों पर लोकतंत्र सेनानियों की स्मृति में एक विजय स्तम्भ की स्थापना करने,तानाशाह के विरुद्ध संघर्ष में अपने प्राण न्योछावर करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को शहीद का दर्जा देने, आपातकाल के कालखंड को पाठ्यक्रम में सम्मलित करने एवं लोकतंत्र सेनानियों के लिए पारिवारिक पेंशन ( सम्मान राशि) योजना लागू करने की मांग की.
इस मौके पर प्रमुख रूप से रामसनेही कनोजिया, बद्री प्रसाद यादव, टापूराम गुप्ता, चंद्रशेखर कटियार, नरेन्द्र पाल सिंह जादौन, रामछबीला मिश्र, अनिल तिवारी, सुरेश यादव, विजयसेन सिंह, प्रकाश मिश्र, चन्द्रभान मिश्र, राजकुमार चौबे, डा० आई०ए०शादानी, प्रभाष बाबू सचान, बंशलाल कटियार, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, रूद्र प्रताप शुक्ला, लईक कुरैशी, राम सिंह, चंद्रवीर सिंह गहलोत, राजाराम व्यास, अशोक तलैया, राजमणि पाण्डेय, चन्द्रभान सिंह, हरीशचन्द्र पाण्डेय, अनीस अहमद, रामदीन शाक्य, शिवपाल सिंह, कृष्ण मुरारी पाठक, विजय वर्मा, जगदीश पाण्डेय, सुखेन्द्र पाल दुबे, रामासरे बाल्मीकि, शिवराम सिंह, भूपाल सिंह, जमादार सिंह यादव, शंकरलाल सक्सेना नथुनी यादव श्रीराम यादव, छत्रसाल सिंह सेंगर, समरादित्य सिंह, रामवृक्ष तिवारी, रामनारायण समेत प्रदेश के विभिन्न विभिन्न स्थानों से आये अनेको लोकतंत्र सेनानी मौजूद रहे.

सेवा कार्य में फिर अग्रणी रहे स्वयंसेवक

पटना. विश्व में सेवा कार्य के लिये चर्चित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने अपनी तत्परता और सेवा कार्य से राजधानी एक्सप्रेस दुर्घटना में फंसे सैंकड़ों लोगों को राहत पहुंचाई. दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस रात के सवा दो बजे छपरा के गोल्डेनगंज एवं कचहरी स्टेशन के बीच विशुनपुरा गांव के सामने दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इसमें कम से कम आठ लोगों की मृत्यु हो गई. पचास के करीब घायल हुये, जिसमें तेरह की हालत गंभीर थी. डिब्रूगढ़ जानेवाली इस ट्रेन की कम-से-कम 12 बोगियां पटरी से उतर गईं. हादसे के कारणों की जांच चल रही है.
RSS Rescue operationघटना रात को 2 बजकर 11 मिनट पर घटी. जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय से आधा किलोमीटर पूर्व हुए हादसे की जानकारी मिलते ही काफी संख्या में स्वयंसेवक घटना स्थल की ओर दौड़ पड़े. चार बजे तक सैकड़ों स्वयंसेवक घटनास्थल पर पहुंच गये थे. घटना में फंसे लोगों को स्वयंसेवकों ने ट्रेन से सुरक्षित निकाला. स्थानीय चिकित्सकों एवं जिला प्रशासन के सहयोग से प्राथमिक उपचार किया. ज्यादा घायल लोगों को ट्रॉली से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. प्रात: लगभग 7 बजे स्वयंसेवकों ने सभी यात्रियों को बिस्कुट, नमकीन एवं पेयजल उपलब्ध कराया. पौने आठ बजे सोनपुर से आई विशेष ट्रेन से यात्रियों को हाजीपुर तक भेजने की व्यवस्था की. इस दौरान कई यात्रियों का सामान बिखर गया था, उसे स्वयंसेवकों ने व्यवस्थित कर यात्रियों को सुपुर्द किया तथा विशेष ट्रेन में यात्रियों एवं उनके सामान को रखने की व्यवस्था की. सारा कार्य सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य रामदयाल शर्मा, विभाग प्रचारक राजाराम जी, तथा नगर कार्यवाह सुजीत के नेतृत्व में हो रहा था. छपरा के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. सी. एन. गुप्ता के नेतृत्व में छपरा चिकित्सालय में स्वयंसेवक घायल यात्रियों की सेवा-सुश्रूशा कर रहे थे. विशेष ट्रेन जब हाजीपुर पहुंची तो स्थानीय स्वयंसेवकों ने सभी यात्रियों को भोजन कराया तथा रास्ते के लिये उनके खाने-पीने की व्यवस्था की. गंभीर रूप से घायल यात्रियों को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रेफर किया गया था. ऐसे गंभीर लोगों की सेवा के लिये संघ के स्वयंसेवक पहले से तैयार थे. यहां क्षेत्र कार्यवाह डॉ. मोहन सिंह, प्रांत प्रचार प्रमुख राजेश कुमार पांडेय, प्रांत शारीरिक प्रमुख अजीत जी, अशोक जी सरीखे दर्जनों स्वयंसेवक सेवा कार्य के लिये तत्पर थे. घायल लोगों में 45 वर्षीय अचिन्त्य सैकिया की हालत अभी तक गंभीर बनी हुई है. श्री सैकिया दिल्ली से पेस मेकर लगाकर लौट रहे थे. परंतु विधाता को कुछ और ही मंजूर था. इसी प्रकार 65 वर्षीय सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी मेवा राम ने असम के लिये अपनी यात्रा सुनिश्चत की थी, परंतु इस दुर्घटना में उनका पैर टूट गया. वहीं, पतंजलि योगपीठ से लौट रहे निरुपम मजमूदार, चितरंजन मजमूदार तथा जीतेंद्र नाथ बर्मन भी घायल हो गये. सबसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना तेरह वर्षीया मौली धवन के साथ हुई. मौली के पिताजी फिरोजाबाद में नोकिया में कार्यरत थे. ये सब लोग विशेष प्रयोजन में पूर्वोत्तर जा रहे थे. परंतु इस हादसे में मौली ने अपने मां-बाप गवां दिये. पटना में रीता नाथ, कविता सैकिया, आशना बोदो, संजीव बोदो तथा श्याली शर्मा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. वैसे अचिन्त सैकिया को छोड़कर शेष लोगों की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है.
एक घायल यात्री ने दुर्घटना वाली रात को भुला पाने को कठिन बताते हुए बताया कि वे भोजन लेकर  सो गये थे. अचानक उन्हें लगा कि ट्रेन एक ही ओर झुकती चली जा रही है. जब तक ये लोग संभलते तब तक सारे यात्री बेहोश हो गये. जब उनकी आंखें खुलीं तो चारों ओर अंधेरा था. उनका पैर सुन्न हो गया था तथा सिर में तेज दर्द हो रहा था. कुछ लोग यात्रियों को ट्रेन से बाहर निकाल रहे थे. उन्होंने सोचा कि उनकी मृत्यु हो गई है परंतु ठीक से देखने पर उन्हें लगा कि ट्रेन क्षतिग्रस्त हो गई है तथा सेवा करने वाले ये सभी स्वयंसेवक हैं. पटना में एनएमओ की टीम इन लोगों की सेवा में जी-जान से लगी हुई है.
इस घटना ने प्रशासन का दोमुहां चेहारा भी सामने किया. जहां स्वयंसेवक जी-जान से सेवा-सुश्रूशा में जुटे थे, वहीं प्रशासनिक कर्मचारी उनको किनारे करने में अपना परिश्रम लगा रहे थे. इस क्रम में स्वयंसेवक मनोज सिंह के साथ इन प्रशासनिक कर्मचारियों की नोकझोंक भी हो गई. दुर्घटनास्थल पर स्थानीय सांसद एवं पूर्व मंत्री श्री राजीव प्रताप रूडी भी पूरे समय उपस्थित रहे.

Monday, June 23, 2014

लव भारत और लीव भारत : इंद्रेशजी

कुरुक्षेत्र. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केन्द्रीय कार्यसमिति के सदस्य एवं वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि ऐसे लोगों के लिये हिंदुस्थान में कोई जगह नहीं है, जो देश के विभाजन की बात करते हों. ऐसे लोगों को केवल एक ही विकल्प है कि या तो वे भारत भूमि से प्रेम करें अन्यथा इसे छोड़ कर चले जायें.
21 जून को संघ के 20 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर इंद्रेश जी ने कहा कि कोई उन्हें संविधान के अनुच्छेद 370 के दस लाभ गिनवा दे, तो भारतीय इसके समर्थन को तैयार हैं, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं, बल्कि बहुत हानि हुई है. जो अनुच्छेद देश में दो ध्वज, दो संविधान व दोहरी नागरिकता का पक्षधर हो, वह किसी भी प्रकार से जोडऩे वाला प्रावधान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि कश्मीर में तिरंगे के अपमान, संविधान के अपमान पर कार्रवाई का प्रावधान नहीं है. कश्मीर का संविधान भारत के संविधान का अपमान करता है. इसके कारण कश्मीर में भारत के ही नागरिकों व महिलाओं में भेद किया जाता है, ऐसे विध्वंसक संवैधानिक प्रावधान का समाप्त होना आज देश की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि अब देश न तो एक इंच भूमि किसी को देगा और न ही कोई जान आतंकवाद की भेंट चढ़ेगी.
उन्होंने कहा कि 1947 में भारत को जो आजादी मिली, वह अधूरी थी. ऐसी सरकारें सत्ता में आईं, जिन्होंने सरदार भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, सरदार बल्लभ भाई पटेल, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को भुलाकर ऐसे लोगों के नाम से विकास योजनायें चलाईं, जिनका देश की आजादी व विकास में रत्ती भर भी योगदान नहीं रहा. इन्हीं गलत योजनाओं के परिणामस्वरूप देश में दुराचार, नशा, गोहत्या, भ्रूण हत्या, गरीबी व अनेकानेक कुरीतियां पैदा हुईं.
उन्होंने कहा कि 2014 का आम चुनाव भारत की आजादी की दूसरी लड़ाई के रूप में जाना जायेगा. अब पूरे भारत के 125 करोड़ नागरिकों को सशक्त भारत के निर्माण की आशा बंधी है, जिसमें आतंकवाद, अपराध, महिला, भ्रूण हत्या, दुराचार, नशा जैसी प्रवृत्तियों के लिये कोई स्थान नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे भारत के निर्माण का दायित्व केवल सरकार का नहीं, बल्कि पूरे समाज का है. इसलिये हर व्यक्ति को इस दिशा में अपना योगदान करना चाहिये.
इंद्रेशजी ने बताया कि 1925 में संस्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज विश्व का सबसे बड़ा संगठन है, जिसकी प्रतिदिन 60 हजार शाखायें लगती हैं. विश्व के 137  देशों में हिंदू स्वयंसेवक संघ के नाम से 750 शाखायें चल रही हैं तथा महिलाओं के लिये 4500  स्थानों पर राष्ट्र सेविका समिति की शाखायें हैं. 30 हजार विद्यालयों के माध्यम से लाखों-करोड़ों युवाओं को सुसंस्कृत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज चीन, अमेरिका तथा पूरा पश्चिमी जगत परिवार के पारस्परिक रिश्तों में आई गिरावट के दुष्परिणाम भुगत रहा है, जिसके कुप्रभाव भारत में भी दिखाई देते हैं. हमें ऐसा भारत बनाना है, जिसमें महिला को मां, बहन की दृष्टि से देखा जाता है.
सेवानिवृत्त परमविशिष्ट सेवा मेडल ले. जरनल पीएन हून ने कहा कि देश को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों की अवश्यकता है, जो भारत को सबल व सभ्य नागरिक देता है. उन्होंने कहा कि आज ईरान, इराक सहित पूरा विश्व जब आपसी फूट व टकराव की स्थिति में है, तो संघ जैसे संगठन की वजह से ही भारत एकजुट है.

Sunday, June 22, 2014

भारत की राष्ट्र की अवधारणा आध्यात्मिक

नई दिल्ली- राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल जी ने कहा है कि भारत की राष्ट्र की अवधारणा राजनीतिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक है.
ipfभारत नीति प्रतिष्ठान द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार जी की 75वीं पुण्यतिथि के अवसर पर ‘डा. हेडगेवार और भारतीय राष्ट्रवाद’  विषय पर संगोष्ठी का आयोजन दीन दयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली में किया गया. इस अवसर पर डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत में राष्ट्र की अवधारणा 1947 से नहीं शुरू हुई. उन्होंने कहा कि यह सदियों पुरानी विचारधारा है, जिसे हमारे ऋषि-मुनियों, सुधारकों ने जीवित रखा और मजबूती प्रदान की है. पश्चिम के नेशन की अवधारणा जहां राज्य, आर्थिक, धार्मिक, जन-जातियां तथा इसी तरह के मसलों से निकलकर आती है. वहीं भारत में राष्ट्र की अवधारणा हमारी सांस्कृतिक पहचान से बनी है और यह लोगों को आपस में जोड़ती है, न कि लोगों को दूर करती है.
डा. कृष्ण गोपाल ने कहा, “संघ संस्थापक परम पूज्य डा. हेडगेवार ने लोगों तक मौलिक दर्शन पहुंचाने का काम किया है. उन्होंने कुछ नया नहीं किया लेकिन ऋषि परम्परा को जीवित रखा है. यही काम विवेकानन्द और अरबिन्दो भी कर रहे थे. बुद्ध से लेकर कबीर तक और शंकरदेव तक हमारी राष्ट्र की अवधारणा इन्हीं विचारकों के साथ मजबूत हुई है. और जब हम वन्दे मातरम् की बात करते हैं तो हम इसी समर्पण की बात करते हैं.”
भारत नीति प्रतिष्ठान के निदेशक प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि वामपंथी और नेहरूवादी इतिहासकारों ने इस देश के इतिहास को और समाज शास्त्र को बहुत नुकसान पहुंचाया है. इन लोगों ने सही सूचनायें लोगों तक नहीं पहुंचने दीं. यहां तक कि संघ से संबंधित 109 फाइलों का कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है. लगता है कि या तो उन्हें नष्ट कर दिया गया है या गायब कर दिया गया है. इन लोगों ने देश के साथ और इतिहास के साथ आपराधिक अन्याय किया है. उन्होंने कहा कि भारत में सभ्यता और संस्कृति को-टर्मिनस रहे हैं.
photo-प्रो. सिन्हा ने कहा कि भारत में इतिहास लेखन कितना त्रुटिपूर्ण है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां विचारधारा पहले बन जाती है, उसका विश्लेषण उसी के अनुसार किया जाता है और तथ्य गायब हो जाते हैं. जबकि तथ्य आधारित इतिहास ज्यादा प्रमाणित होता है. इसी आधार पर  उनका विश्लेषण किया जाना चाहिये.
डा. शारदेन्दु मुखर्जी ने कहा कि कॉरपोरेट इतिहासकारों ने न केवल देश को बल्कि इतिहास को भी क्षति पहुंचाई है. भारत नीति प्रतिष्ठान के चेयरमैन प्रो. कपिल कपूर ने उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया.

Thursday, June 19, 2014

सहकार भारती दिल्ली का अधिवेशन संपन्न

सहकार भारती दिल्ली का अधिवेशन संपन्न

नई दिल्ली. सहकार भारती दिल्ली प्रांत का 2 दिवसीय तृतीय अधिवेशन गत 14-15 जून को सम्पन्न हुआ. अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के  संघचालक श्री बजरंग लाल गुप्त ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का  विधिवत् शुभारंभ किया.
Sahkar Bharati-Photo-2अधिवेशन में सहकारी क्षेत्र की उपलब्ध्यिों का  ब्योरा प्रांत अध्यक्ष श्री लक्ष्मी नारायण गुप्ता ने प्रस्तुत किया. प्रांत के  महामंत्री श्री किशोर सारसर ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. इस  अवसर पर आयोजित सहकार प्रदर्शनी में सहकारी उपक्रमों द्वारा  उत्पादित विभिन्न वस्तुओं का का प्रदर्शन किया गया. सहकार ध्वज को  फहराकर सहकार शपथ कार्यकर्ताओं का दिलाई गई. सहकार भारती के  राष्ट्रीय अध्यक्ष-श्री सतीश मराठे, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष-श्री जीतू भाई व्यास,  राष्ट्रीय महामंत्री-श्री विजय देवांगन सहित भारतीय जनता पार्टी,  सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय प्रभारी-श्री भगवत शरण ठाकुर, भारतीय  राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष-श्री चन्द्रपाल सिंह यादव, दिल्ली राज्य  सहकारी संघ के महामंत्री-श्री पी.एम. शर्मा, दिल्ली स्टेट कोऑपरेटिव बैंक फेडरेशन के अध्यक्ष-श्री लक्ष्मीदास, गुजरात स्टेट कोऑपरेटिव बैंक फैडरेशन के चेयरमैन-श्री ज्योतिन्द्र भाई मेहता, राष्ट्रीय मध्य प्रदेश  एपेक्स बैंक के पूर्व निदेशक पं. हरिचन्द तिवारी, सहकार भारती के  राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय डेयरी विकास फेडरेशन निगम लि. के  अध्यक्ष-श्री सुभाष मांडगे ने सहकारिता पर वर्तमान परिस्थितियों किए  जा रहे प्रयासों पर विचार प्रकट किये.
DSC_0474सहकार भारती द्वारा दिल्ली सरकार एवं केन्द्र सरकार को सहकारिता की वृद्धि एवं शुद्धि हेतु चार ज्ञापन भी सौंपे गये. अधिवेशन के संयोजक श्री सुनील गुप्ता ने कार्यकर्ताओं का उनके सहयोग के लिये हार्दिक धन्यवाद किया. इस  अवसर पर दिल्ली प्रान्त सहकार भारती की नई कार्यकारिणी की घोषणा भी की गई. सहकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिये विभिन्न  सहकारी संस्थाओं एवं उनके कार्यकर्ताओं को सहकार सम्मान से  सम्मानित किया गया.

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Wednesday, June 18, 2014

हिन्दू मुन्नानी के नेता केपी सुरेश की हत्या से जनरोष

हिन्दू मुन्नानी के नेता केपी सुरेश की हत्या से जनरोष


padi sureshचेन्नई. हिन्दू मुन्नानी ने वेल्लौर में श्री वेल्लईयप्पन एवं सलेम में श्री रमेश की हत्या के बाद चेन्नई में अपने एक और कार्यकर्ता को खो दिया. हिन्दू मुन्नानी तिरुवल्लूर के जिलाध्यक्ष 48 वर्षीय श्री के. पी. सुरेश की बुधवार, 18 जून को रात करीब साढ़े 9 बजे निर्मम हत्या कर दी गई.
श्री सुरेश कन्याकुमारी के बड़े ही मृदुभाषी स्वयंसेवक थे. बताया जाता है कि तीन अज्ञात लोगों के गिरोह ने अचानक सुरेश जी पर हमला किया, जिससे उनके चेहरे, गर्दन और शरीर पर गंभीर चोटें आईं. सदमा पहुंचाने वाली यह खबर सुनते ही सैंकड़ों हिन्दू कार्यकर्ता सड़कों पर एकत्र हो कर पुलिस कार्रवाई की मांग करने लगे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता और हिन्दू मुन्नानी के संस्थापक श्री रामगोपालन ने राज्य में निरंतर हो रहीं हिन्दू नेताओं की हत्याओं की तीव्र निंदा की है. अपने वक्तव्य में उन्होंने राज्य सरकार पर प्रहार करते हुए कहा, “ श्री वेल्लाईयप्पन की हत्या को अभी एक साल भी नहीं गुजरा कि गत 17 जून को चेन्नई के संघ कार्यालय पर बम विस्फोट (1993) सहित विभिन्न मामलों में वांछित आतंकवादी हैदर अली को रिहा कर दिया गया. साफ जाहिर है कि आतंवादियों के साथ नरमी बरता जा रही है और तमिलनाडु अब आतंकवादियों का शांतिपूर्ण स्वर्ग बन गया है.”
IMG_3626 (Small)उन्होंने मुख्यमंत्री सुश्री जयललिता से इन हत्याओं से संबंधित मामलों को सीधे खुद देखने की अपील करते हुए कहा कि अपराधियों को कानून के दायरे में लाना उन्हें सुनिश्चित करना चाहिये. हिन्दू मुन्नानी औरक परिवार के अन्य संगठनों ने राज्य भर में रैली और विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का आह्वान किया है. चेन्नई में हुई रैली में परिवार के लगभग 2000 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. हिन्दू मुन्नानी के श्री रामगोपालन, प्रांत सेवक प्रमुख श्री रामराजशेखर, विभाग प्रचारक श्री एम.डी. शंकर, हिन्दू मुन्नानी के नगर सचिव एलानगोवन, भाजपा की श्रीमती वनथी श्रीनिवासन और अन्य अधिकारियों ने रैली में भाग लिया और दिवंगत आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. श्री सुरेश का अंतिम संस्कार उनके पैतृकस्थान कन्याकुमारी में होगा.

HINDUNKA SWAVIMANA SAHITA KHELA KHALA NAJAU-ODIA FEATURE

18/06/2014

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gâúc¦òee _âPkòZ icÉ ùiaû_ìRû gûÈ _âcûY\ßûeû I _eµeû @û]ûeùe iõNUòZ û gâúc¦òee ]ûcòðK aýaiÚû ù^A ~\ò K\ûPòZþ iciýû ù\Lû\òG  I Zûjû gâúc¦òee ÊZß fò_ò cû¤cùe icû]û^ jêG û  gâúc¦òee _êeûZ^ _eµeûùe ùiaû_ìRû @û\ò eúZò^úZò Puri Shri Jagannath Temple (Administration) Act,1952 @]ú^ùe _âÉêZ ùjûA[ôaû gâúc¦òe ÊZßfò_ò (Record-of-Rights) ùe a‰òðZ ùjûAQò û Gjò ÊZßfò_òùe bqcûù^ e[ûùeûjY Keò gâúaòMâjcû^uê \gð^ I Ægð Keòaû aòhd CùfäL ^ûjó û gâú aòMâjcû^ue Zò^òe[ ^òcðûY I @^êKìk gâúc¦òe ÊZßfò_ò \ßòZúdbûM _éÂû 66 Gaõ e[ _âZòÂû gâúc¦òe ÊZßfò_òùe ZéZúd bûM _éÂû 38-39ùe CùfäL @Qò û _eµeû @^êiûùe _âZò e[e gâúaòMâjcû^ue @ûiÚû^e ^òcÜbûMe Zò^ò _ûgßùe _ûgßðù\aZûcûù^ _âZòÂòZ ùjûA[û«ò û gâúRM^Üû[ue ^ò¦òùNûh e[ùe aeûj, ùMûa¡ð^ Ké¾, ^éiòõj, eûc, ^ûeûdY,ZâòaòKâc, j^êcû^ I eê\â _ûgßð ù\aZû bûùa _âZòÂû jê@«ò û gâú akb\âue Zûk]ßR e[ùe MùYg,KûZòðùKd,iaðcwkû, _âf¸eú,jkûdê], céZêý¬d,^ûùUgße, cùjgße I ùghù\a _ûgßù\aZû bûùa _âZòÂòZ jê@«ò û  ùijò_eò cû iêb\âûu  ù\a\k^ e[ùe PŠú,PûcêŠû, CMâZûeû,a^\êMðû, gìkú\êMðû, aûeûjò, gýûcûKûkú, cwkû I aòckû _ûgßð ù\aZû bûùa _âZòÂòZ jê@«ò û ùZYê bqcûù^ e[ C_eKê CVòaû\ßûeû Gjò _ûgßðù\aZûcûù^ e[ ùa\úe ^òcÜ bûMùe ejê[ôaûeê  ù\aZûcû^u C_ùe _û\]ìkò _ZòZ ùjaû K\û_ò MâjYúd ^êùjñ û  gâúc¦òe ÊZßfò_ò \ßòZúdbûM _éÂû 79ùe ~ûZâûe _âùZýK \òaiùe ]ßRû _ìRûe aýaiÚû eLû~ûAQò û ~ûjûKò gâúaòMâjcûù^ e[ûeìX [û@û«ê @[aû ^[û«ê Kò«ê e[~ûZâûe _âùZýK \òaiùe ]ßRû_ìRû _ìRû_Šûcû^u \ßûeû Keû~ûG û Cq Kû~ðýûakú \ßûeû e[Zâd ù\aZßfûb Keòaû aòhd ÆÁ RYû~ûC@Qò û ùZYê Kû~ðý KûeY ^[ûA @^ý ùKøYiò aýqò e[ @ûùeûjY Keòaû iµì‰ð ^òùh] Z[û _û_ I @_eû] @ùU û
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gâ¡ûkêcû^u e[ûùeûjY R^òZ @iêaò]ûKê jé\dwcKeò 2006 ciòjû Rê^ 6 ZûeòL \ò^ gûÈúd aò]ô aýaiÚû iµKðùe  @^ê¤û^ ^Keò RM\þMêeê gueûPû~ðý I cêqòcŠ_ _ŠòZ ibûuê G aòhdùe ^_Pûeò gâúc¦òe _âgûi^ _leê e[ùe fêjû gòXò fMû ~ûA[ôfû û 2011 ciòjû e[ ~ûZâû ~ûGñ ~[ûeúZò _âPkòZ ùjûA ejòfû û fêjûgòXò cû¤cùe e[ C_eKê CVòaû _âiwKê ù^A ù_ûfòi Gaõ ùiaûdZu c¤ùe iõNhð NUòfû û 2011 @ùKÖûae 12 ZûeòL ùa÷VKùe _eòPûk^û icòZò  ^ò¿Zò ù^ùf ù~ @ûi«û  e[ ~ûZâûùe fêjû iòXòe aýajûe a¦ Keû~òa û  IWògû ieKûeu MéjaòbûM 2012 ciòjû cûyð 23 ZûeòL ùe gâúc¦òe _âgûi^Kê ^òùŸðg ù\ùf e[ùe fêjû iòXò ^fMûAaûKê û ùijò ahð Rê^ 13 ZûeòLùe _eòPûk^û KcòUò ùa÷VKùe ^ò¿Zò MâjYKeûMfû ù~,e[ C_eKê bquê CVòaûKê ^òùh] Keû~òa I e[ Zùk ejò @ûaûk aé¡ a^òZû gâúaòMâjcû^uê \gð^ Keòùa û Gjû iùZß 2012 e[~ûZâû icdùe \AZû_Zò ùiaKcû^u @^êùeû] Kâùc _ê^aðûe gòXò _Kû~ûA  [ôfû û _eòYZò ~ûjû ùjaû K[û ùjfû û 2012 gâúMêŠòPû _e\ò^ ^Gf cûMò ùjùW^ ^ûcK RùY @ûùceòKúd bq ^¦òùNûh e[C_ùe PXò[ôaû ùaùk ùKùZK ùRUòGi KcðPûeú Zûuê ^òÉêK cûWcûeòaû ij ZkKê IjäûA ù\A[ôùf ö MZahð ^¦òùNûh e[ùe IWÿògú ^éZýgòÌú _\àgâú Afò@û^û iúZûeòÁuê RùY ùiaK cûW cûeò[ôaû @bòù~ûM ùjûA[ôfû ö
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