कुरुक्षेत्र. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केन्द्रीय कार्यसमिति के सदस्य एवं वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि ऐसे लोगों के लिये हिंदुस्थान में कोई जगह नहीं है, जो देश के विभाजन की बात करते हों. ऐसे लोगों को केवल एक ही विकल्प है कि या तो वे भारत भूमि से प्रेम करें अन्यथा इसे छोड़ कर चले जायें.
21 जून को संघ के 20 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर इंद्रेश जी ने कहा कि कोई उन्हें संविधान के अनुच्छेद 370 के दस लाभ गिनवा दे, तो भारतीय इसके समर्थन को तैयार हैं, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं, बल्कि बहुत हानि हुई है. जो अनुच्छेद देश में दो ध्वज, दो संविधान व दोहरी नागरिकता का पक्षधर हो, वह किसी भी प्रकार से जोडऩे वाला प्रावधान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि कश्मीर में तिरंगे के अपमान, संविधान के अपमान पर कार्रवाई का प्रावधान नहीं है. कश्मीर का संविधान भारत के संविधान का अपमान करता है. इसके कारण कश्मीर में भारत के ही नागरिकों व महिलाओं में भेद किया जाता है, ऐसे विध्वंसक संवैधानिक प्रावधान का समाप्त होना आज देश की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि अब देश न तो एक इंच भूमि किसी को देगा और न ही कोई जान आतंकवाद की भेंट चढ़ेगी.
उन्होंने कहा कि 1947 में भारत को जो आजादी मिली, वह अधूरी थी. ऐसी सरकारें सत्ता में आईं, जिन्होंने सरदार भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, सरदार बल्लभ भाई पटेल, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को भुलाकर ऐसे लोगों के नाम से विकास योजनायें चलाईं, जिनका देश की आजादी व विकास में रत्ती भर भी योगदान नहीं रहा. इन्हीं गलत योजनाओं के परिणामस्वरूप देश में दुराचार, नशा, गोहत्या, भ्रूण हत्या, गरीबी व अनेकानेक कुरीतियां पैदा हुईं.
उन्होंने कहा कि 2014 का आम चुनाव भारत की आजादी की दूसरी लड़ाई के रूप में जाना जायेगा. अब पूरे भारत के 125 करोड़ नागरिकों को सशक्त भारत के निर्माण की आशा बंधी है, जिसमें आतंकवाद, अपराध, महिला, भ्रूण हत्या, दुराचार, नशा जैसी प्रवृत्तियों के लिये कोई स्थान नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे भारत के निर्माण का दायित्व केवल सरकार का नहीं, बल्कि पूरे समाज का है. इसलिये हर व्यक्ति को इस दिशा में अपना योगदान करना चाहिये.
इंद्रेशजी ने बताया कि 1925 में संस्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज विश्व का सबसे बड़ा संगठन है, जिसकी प्रतिदिन 60 हजार शाखायें लगती हैं. विश्व के 137 देशों में हिंदू स्वयंसेवक संघ के नाम से 750 शाखायें चल रही हैं तथा महिलाओं के लिये 4500 स्थानों पर राष्ट्र सेविका समिति की शाखायें हैं. 30 हजार विद्यालयों के माध्यम से लाखों-करोड़ों युवाओं को सुसंस्कृत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज चीन, अमेरिका तथा पूरा पश्चिमी जगत परिवार के पारस्परिक रिश्तों में आई गिरावट के दुष्परिणाम भुगत रहा है, जिसके कुप्रभाव भारत में भी दिखाई देते हैं. हमें ऐसा भारत बनाना है, जिसमें महिला को मां, बहन की दृष्टि से देखा जाता है.
सेवानिवृत्त परमविशिष्ट सेवा मेडल ले. जरनल पीएन हून ने कहा कि देश को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों की अवश्यकता है, जो भारत को सबल व सभ्य नागरिक देता है. उन्होंने कहा कि आज ईरान, इराक सहित पूरा विश्व जब आपसी फूट व टकराव की स्थिति में है, तो संघ जैसे संगठन की वजह से ही भारत एकजुट है.
21 जून को संघ के 20 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर इंद्रेश जी ने कहा कि कोई उन्हें संविधान के अनुच्छेद 370 के दस लाभ गिनवा दे, तो भारतीय इसके समर्थन को तैयार हैं, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं, बल्कि बहुत हानि हुई है. जो अनुच्छेद देश में दो ध्वज, दो संविधान व दोहरी नागरिकता का पक्षधर हो, वह किसी भी प्रकार से जोडऩे वाला प्रावधान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि कश्मीर में तिरंगे के अपमान, संविधान के अपमान पर कार्रवाई का प्रावधान नहीं है. कश्मीर का संविधान भारत के संविधान का अपमान करता है. इसके कारण कश्मीर में भारत के ही नागरिकों व महिलाओं में भेद किया जाता है, ऐसे विध्वंसक संवैधानिक प्रावधान का समाप्त होना आज देश की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि अब देश न तो एक इंच भूमि किसी को देगा और न ही कोई जान आतंकवाद की भेंट चढ़ेगी.
उन्होंने कहा कि 1947 में भारत को जो आजादी मिली, वह अधूरी थी. ऐसी सरकारें सत्ता में आईं, जिन्होंने सरदार भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, सरदार बल्लभ भाई पटेल, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई को भुलाकर ऐसे लोगों के नाम से विकास योजनायें चलाईं, जिनका देश की आजादी व विकास में रत्ती भर भी योगदान नहीं रहा. इन्हीं गलत योजनाओं के परिणामस्वरूप देश में दुराचार, नशा, गोहत्या, भ्रूण हत्या, गरीबी व अनेकानेक कुरीतियां पैदा हुईं.
उन्होंने कहा कि 2014 का आम चुनाव भारत की आजादी की दूसरी लड़ाई के रूप में जाना जायेगा. अब पूरे भारत के 125 करोड़ नागरिकों को सशक्त भारत के निर्माण की आशा बंधी है, जिसमें आतंकवाद, अपराध, महिला, भ्रूण हत्या, दुराचार, नशा जैसी प्रवृत्तियों के लिये कोई स्थान नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे भारत के निर्माण का दायित्व केवल सरकार का नहीं, बल्कि पूरे समाज का है. इसलिये हर व्यक्ति को इस दिशा में अपना योगदान करना चाहिये.
इंद्रेशजी ने बताया कि 1925 में संस्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज विश्व का सबसे बड़ा संगठन है, जिसकी प्रतिदिन 60 हजार शाखायें लगती हैं. विश्व के 137 देशों में हिंदू स्वयंसेवक संघ के नाम से 750 शाखायें चल रही हैं तथा महिलाओं के लिये 4500 स्थानों पर राष्ट्र सेविका समिति की शाखायें हैं. 30 हजार विद्यालयों के माध्यम से लाखों-करोड़ों युवाओं को सुसंस्कृत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज चीन, अमेरिका तथा पूरा पश्चिमी जगत परिवार के पारस्परिक रिश्तों में आई गिरावट के दुष्परिणाम भुगत रहा है, जिसके कुप्रभाव भारत में भी दिखाई देते हैं. हमें ऐसा भारत बनाना है, जिसमें महिला को मां, बहन की दृष्टि से देखा जाता है.
सेवानिवृत्त परमविशिष्ट सेवा मेडल ले. जरनल पीएन हून ने कहा कि देश को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों की अवश्यकता है, जो भारत को सबल व सभ्य नागरिक देता है. उन्होंने कहा कि आज ईरान, इराक सहित पूरा विश्व जब आपसी फूट व टकराव की स्थिति में है, तो संघ जैसे संगठन की वजह से ही भारत एकजुट है.
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