नई दिल्ली. चीन ने एक बार फिर अपना नया नक्शा जारी करके नये विवाद को जन्म दिया है. पिछले कई वर्षों की तरह ड्रैगन ने फिर अरुणाचल प्रदेश और इस बार जम्मू-कश्मीर के एक बड़े हिस्से को भी अपने नक्शे में दिखाया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए की नई सरकार बनने के बाद चीन ने पहली बार यह विवादित नक्शा जारी किया है. अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन अकसर विवाद खड़ा करता रहता है. भारत अरुणाचल प्रदेश को अपना अभिन्न अंग मानता है, जबकि चीन इसे अपना हिस्सा बताता है.
उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी चीन के दौरे पर हैं. उनकी इस यात्रा के दौरान ही चीन ने नया नक्शा जारी कर सीमा विवाद को फिर से जन्म दे दिया है. उपराष्ट्रपति यहां व्दिपक्षीय वार्ता के साथ पंचशील समझौते की 60वीं वषर्गांठ पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेंगे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ. भा. सहसम्पर्क प्रमुख श्री राम माधव ने कहा है चीन ने हमेशा पंचशील समझौते की उपेक्षा की है. पूरा अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है.
जम्मू एवं कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच आजादी के बाद से विवाद चला आ रहा है. अब चीन ने भी जम्मू-कश्मीर के एक बड़े हिस्से को अपनी सीमा में दिखाकर नये विवाद को जन्म दे दिया है. हालांकि अक्साई चीन के हिस्से पर पहले से ही चीन कब्जा करके बैठा हुआ है.
इस बीच, खबर है कि चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाके में घुसपैठ की है. इस हफ्ते चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग झील के भारतीय इलाके में घुसपैठ की और उस पर अपना दावा भी जताया.
एक अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि 24 जून को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नावें झील के भारतीय हिस्से में साढ़े 5 किलोमीटर अंदर तक घुस आईं थीं. गौरतलब है कि पेंगोंग झील का ज्यादातर हिस्सा तिब्बत में आता है और यह चीन के नियंत्रण में है. खबर है कि चीनी सैनिक दो घंटे तक भारतीय सीमा के अंदर रुके और बाद में भारतीय सैनिकों ने उन्हें खदेड़ा.
ये पहला मौका नहीं है जब चीनी सैनिकों ने ऐसी कोई हरकत की हो. कई बार इस झील में भारतीय और चीनी सैनिकों का आमना-सामना हो चुका है. समुद्रतल से 4300 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई पर स्थित इस झील की लंबाई 134 किलोमीटर और चौड़ाई 5 किलोमीटर है. इस झील को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे अर्से से खींचतान चल रही है.
चीन अक्सर भारतीय इलाके में घुसपैठ करके उस पर अपना दावा जताता रहता है. पिछले साल भी चीनी सैनिक कई बार लद्दाख में घुस आए और इसे अपना हिस्सा बताया.
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