पटना. विश्व में सेवा कार्य के लिये चर्चित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने अपनी तत्परता और सेवा कार्य से राजधानी एक्सप्रेस दुर्घटना में फंसे सैंकड़ों लोगों को राहत पहुंचाई. दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस रात के सवा दो बजे छपरा के गोल्डेनगंज एवं कचहरी स्टेशन के बीच विशुनपुरा गांव के सामने दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इसमें कम से कम आठ लोगों की मृत्यु हो गई. पचास के करीब घायल हुये, जिसमें तेरह की हालत गंभीर थी. डिब्रूगढ़ जानेवाली इस ट्रेन की कम-से-कम 12 बोगियां पटरी से उतर गईं. हादसे के कारणों की जांच चल रही है.
घटना रात को 2 बजकर 11 मिनट पर घटी. जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय से आधा किलोमीटर पूर्व हुए हादसे की जानकारी मिलते ही काफी संख्या में स्वयंसेवक घटना स्थल की ओर दौड़ पड़े. चार बजे तक सैकड़ों स्वयंसेवक घटनास्थल पर पहुंच गये थे. घटना में फंसे लोगों को स्वयंसेवकों ने ट्रेन से सुरक्षित निकाला. स्थानीय चिकित्सकों एवं जिला प्रशासन के सहयोग से प्राथमिक उपचार किया. ज्यादा घायल लोगों को ट्रॉली से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. प्रात: लगभग 7 बजे स्वयंसेवकों ने सभी यात्रियों को बिस्कुट, नमकीन एवं पेयजल उपलब्ध कराया. पौने आठ बजे सोनपुर से आई विशेष ट्रेन से यात्रियों को हाजीपुर तक भेजने की व्यवस्था की. इस दौरान कई यात्रियों का सामान बिखर गया था, उसे स्वयंसेवकों ने व्यवस्थित कर यात्रियों को सुपुर्द किया तथा विशेष ट्रेन में यात्रियों एवं उनके सामान को रखने की व्यवस्था की. सारा कार्य सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य रामदयाल शर्मा, विभाग प्रचारक राजाराम जी, तथा नगर कार्यवाह सुजीत के नेतृत्व में हो रहा था. छपरा के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. सी. एन. गुप्ता के नेतृत्व में छपरा चिकित्सालय में स्वयंसेवक घायल यात्रियों की सेवा-सुश्रूशा कर रहे थे. विशेष ट्रेन जब हाजीपुर पहुंची तो स्थानीय स्वयंसेवकों ने सभी यात्रियों को भोजन कराया तथा रास्ते के लिये उनके खाने-पीने की व्यवस्था की. गंभीर रूप से घायल यात्रियों को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रेफर किया गया था. ऐसे गंभीर लोगों की सेवा के लिये संघ के स्वयंसेवक पहले से तैयार थे. यहां क्षेत्र कार्यवाह डॉ. मोहन सिंह, प्रांत प्रचार प्रमुख राजेश कुमार पांडेय, प्रांत शारीरिक प्रमुख अजीत जी, अशोक जी सरीखे दर्जनों स्वयंसेवक सेवा कार्य के लिये तत्पर थे. घायल लोगों में 45 वर्षीय अचिन्त्य सैकिया की हालत अभी तक गंभीर बनी हुई है. श्री सैकिया दिल्ली से पेस मेकर लगाकर लौट रहे थे. परंतु विधाता को कुछ और ही मंजूर था. इसी प्रकार 65 वर्षीय सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी मेवा राम ने असम के लिये अपनी यात्रा सुनिश्चत की थी, परंतु इस दुर्घटना में उनका पैर टूट गया. वहीं, पतंजलि योगपीठ से लौट रहे निरुपम मजमूदार, चितरंजन मजमूदार तथा जीतेंद्र नाथ बर्मन भी घायल हो गये. सबसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना तेरह वर्षीया मौली धवन के साथ हुई. मौली के पिताजी फिरोजाबाद में नोकिया में कार्यरत थे. ये सब लोग विशेष प्रयोजन में पूर्वोत्तर जा रहे थे. परंतु इस हादसे में मौली ने अपने मां-बाप गवां दिये. पटना में रीता नाथ, कविता सैकिया, आशना बोदो, संजीव बोदो तथा श्याली शर्मा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. वैसे अचिन्त सैकिया को छोड़कर शेष लोगों की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है.
एक घायल यात्री ने दुर्घटना वाली रात को भुला पाने को कठिन बताते हुए बताया कि वे भोजन लेकर सो गये थे. अचानक उन्हें लगा कि ट्रेन एक ही ओर झुकती चली जा रही है. जब तक ये लोग संभलते तब तक सारे यात्री बेहोश हो गये. जब उनकी आंखें खुलीं तो चारों ओर अंधेरा था. उनका पैर सुन्न हो गया था तथा सिर में तेज दर्द हो रहा था. कुछ लोग यात्रियों को ट्रेन से बाहर निकाल रहे थे. उन्होंने सोचा कि उनकी मृत्यु हो गई है परंतु ठीक से देखने पर उन्हें लगा कि ट्रेन क्षतिग्रस्त हो गई है तथा सेवा करने वाले ये सभी स्वयंसेवक हैं. पटना में एनएमओ की टीम इन लोगों की सेवा में जी-जान से लगी हुई है.
इस घटना ने प्रशासन का दोमुहां चेहारा भी सामने किया. जहां स्वयंसेवक जी-जान से सेवा-सुश्रूशा में जुटे थे, वहीं प्रशासनिक कर्मचारी उनको किनारे करने में अपना परिश्रम लगा रहे थे. इस क्रम में स्वयंसेवक मनोज सिंह के साथ इन प्रशासनिक कर्मचारियों की नोकझोंक भी हो गई. दुर्घटनास्थल पर स्थानीय सांसद एवं पूर्व मंत्री श्री राजीव प्रताप रूडी भी पूरे समय उपस्थित रहे.
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