Monday, January 30, 2017

ओडिशा में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण उपजी समस्या एवं खतरा तथा वामपंथी माओवाद पर चर्चा

भुवनेश्वर प्रवासी ओड़िआ विकास समिति के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेते हुए वक्ताओं ने कहा कि ओडिशा के लिए बांग्लादेशी घुसपैठिया सबसे बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। सेमिनार का आयोजन दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मास कम्यूनिकेशन परिसर में 'ओडिशा में सुरक्षा ¨चता' विषय पर किया गया था। सेमिनार में मुख्य रूप से तटीय ओडिशा में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण उपजी समस्या एवं खतरा तथा वामपंथी माओवाद पर चर्चा की गई।
सेमिनार के उद्घाटन अवसर पर पूर्व पुलिस डीजी अरुण उपाध्याय, बीएसएफ के पूर्व एडीजी प्रकाश मिश्र, इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मास कम्यूनिकेशन के पूर्व निदेशक केजी सुरेश, आरएसएस के सह संपर्क प्रमुख नंद किशोर एवं भारत रक्षा मंच के सह संयोजक मुरली मनोहर शर्मा प्रमुख ने भाग लिया। इस मौके पर अरुण उपाध्याय ने कहा कि राज्य में माओवाद प्रभावित जिलों के लोगों का जीवन हर पल खतरे में रहता है। इससे वहां के डरे सहमे लो अपनी जीविका भी ठीक से चला पाते। कभी पुलिस मुखबिर के संदेह में माओवादी उनकी हत्या कर रहे हैं तो कभी पुलिस की गोलियों का इन्हें शिकार होना पड़ रहा है। प्रकाश मिश्र ने कहा कि ओडिशा शांतिपूर्ण एवं संदेहरहित माहौल आतंकवादियों के लिए सुरक्षित स्थान बन गया है। बांग्लादेशी घुसपैठिया सरेआम विचरण कर रहे हैं। ऐसे में राज्य के तटीय क्षेत्रों की चौकसी और अधिक बढ़ाने की जरूरत है। भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक मुरली मनोहर शर्मा ने कहा कि आतंकवादियों से अधिक समस्या इन दिनों देश को बांग्लादेशी घुसपैठियों से है। बंगाल की खाड़ी के गुप्तचर ओडिशा के तट पर आकर अब्दुल कलाम द्वीप का नक्शा हासिल कर चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम जब ओडिशा के चांदीपुर आए थे तब वह हवाई जहाज से बांग्लादेशी झंडा एवं गैरसकारी रेडियो स्टेशन देखकर आश्चर्य में पड़ गए थे। शर्मा ने कि असम के पूर्व राज्यपाल एसके सिन्हा के मुताबिक हर दिन पांच हजार से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठिया भारत में आ रहे हैं। सीबीआइ के पूर्व मुख्य निदेशक योगेंद्र ¨सह ने कहा कि भारत सरकार को बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या को गंभीरता से लेना होगा। असम में नेशनल रजिस्ट्रार ऑफ सिटीजेंसी के जरिए बांग्लादेशियों की पहचान हकी जा रही है। ओडिशा में भी इसे लागू किया जाना चाहिए। जेएनयू के प्रो. ¨चतामणि महापात्र की अध्यक्षता में आयोजित इस आयोजन में एबीवीपी के राष्ट्रीय व्यवस्थापक सचिव सुनील अंबेडकर एवं केजी सुरेश ने भी अपने विचार रखे। सेमीनार संचालन समिति के अध्यक्ष डा. कृष्णचन्द्र साहू एवं सचिव प्रसन्न परिड़ा ने सफलता पूर्वक किया।

Tuesday, January 24, 2017

केरल में हो रही हिंसा पर मानवाधिकार आयोग, एससी-एसटी आयोग, न्यायालय अब तक चुप क्यों है – दत्तात्रेय होसबाले जी

नई दिल्ली (इंविसंके). केरल में राज्य सरकार के वरदहस्त के नीचे माकपा के नरसंहारी कार्यकर्ताओं द्वारा संघ एवं बीजेपी के खिलाफ हो रही खूनी हिंसा के विरोध में जनाधिकार समिति द्वारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर  धरना दिया गया. प्रदर्शन के बाद जनाधिकार समिति के प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर जी को ज्ञापन सौंपा, जिसमें केंद्र सरकार से मांग की गयी कि केरल सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाए.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार से मांग की कि केरल की राज्य सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाए. ये मांग हिन्दुस्तान की जनता भी प्रत्येक माध्यम से केंद्र सरकार से करे कि केरल सरकार को बर्खास्त किया जाए. क्योंकि केरल की राज्य सरकार के संरक्षण में सीपीएम के नरसंहारी कार्यकर्ता आए दिन निर्मम तरीके से इंसानियत का गला घोंट रहे हैं. जंतर-मंतर पर विशाल प्रदर्शन केरल में राज्य सरकार की सरपरस्ती में माकपा के नरसंहारी कार्यकर्ताओं द्वारा संघ एवं बीजेपी के खिलाफ हो रही खूनी हिंसा के विरोध में आयोजित किया गया था. सह सरकार्यवाह जी ने संघ व बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ केरल में हो रही राजनीतक हिंसा पर चेतावनी दी कि अगर केरल सरकार अभी भी उचित कार्यवाही नहीं करती है तो इसका परिणाम भुगतने के लिए उसे तैयार रहना चाहिए. वामपंथियों का आधार कठोर नफरत है. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि वो माताओं-बहनों और मासूम बच्चों तक को नहीं छोड़ते हैं. लेकिन, अब ऐसा नहीं चलेगा.
उन्होंने मानवाधिकार आयोग, सुप्रीम कोर्ट, एससी-एसटी आयोग से पूछा कि केरल में मारे जा रहे अधिकतर  नागरिक दलित है तो वो स्वतः संज्ञान क्यों नहीं ले रहे हैं? वामपंथियों द्वारा की जा रही कितनी हत्याओं के बाद इनकी आखें खुलेगी? केरल के लोगों के मानवाधिकारों की हत्या अब नहीं होने देंगे. आज का यह विरोध-प्रदर्शन संघ और स्वयंसेवकों का नहीं है, ये देश के बुद्धिजीवियों की हुंकार है, केरल की नरसंहारी वामपंथी सरकार और मुख्यमंत्री पी. विजयन के खिलाफ.
अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नंदकुमार जी ने कहा कि आज भगवान की धरती कही जाने वाली केरल की धरती को कम्युनिस्ट गुंडों ने कसाईखाना बना रखा है. पिछले कुछ वर्षों में केरल के अंदर 270 संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं की मार्क्सवादी आतंकवादियों ने निर्मम हत्या की है. मार्क्सवादी नरसंहारियों ने महिलाओं और बच्चों तक को भी नहीं छोड़ा है. केरल के मुख्यमंत्री तीन दिन के लिए दिल्ली आए हुए थे. हम आज उन्हें केरल में हुई हिंसा के खिलाफ ज्ञापन देने वाले थे. लेकिन, केरल के मुख्यमंत्री कल ही दिल्ली से भाग गए. पी. विजयन संवाद नहीं करना चाहते हैं. विजयन हत्यारे हैं, क्योंकि लगभग 50 साल पहले 1968 में उन्होंने रामकृष्णन नामक स्वयंसेवक की हत्या की थी. जो प्रदेश में पहली हत्या थी. आरोप लगाया कि केरल सरकार लोकतंत्र और मानवता विरोधी सरकार है. इसलिए केंद्र सरकार से मांग करता हूं कि केरल सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाये. मैं आप सभी को बता दूं कि पिछले साल जनवरी से लेकर आजतक 28 दिसंबर 2016, 19 दिसंबर 2016, 12 अक्टूबर 2016, 7 अक्टूबर 2016, 3 सितम्बर 2016, 11 जुलाई 2016, 22 मई 2016, फरवरी 2016 में हत्याएं हुई हैं.
बीजेपी के अखिल भारतीय सचिव अनिल जैन जी ने कहा कि अगर ऐसे ही वामपंथियों द्वारा लगातार हिंसा जारी रही तो अब जवाब पत्थर से दिया जाएगा. हमारी सहनशीलता को मार्क्सवादी कमजोरी न समझें. बीजेपी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि संतोष की हत्या जिस प्रकार से उनके द्वारा की गई है वो मैं बता भी नहीं सकता. वो मारने के बाद शरीर को क्षत-विक्षत कर देते हैं. वो शायद भूल गए हैं कि भगवान विष्णु ने दुराचारियों के संहार के लिए चक्र को धारण किया था.
बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि वामपंथी दलितों, महिलाओं के हक की बात करते हैं. क्या यही उनके द्वारा दिया जा रहा हक है? अब तो अवार्ड वापसी गैंग की दलितों की हो रही इन निर्मम हत्याओं पर संवेदनाएं फूट ही नहीं रही है? आप सबको जानकार हैरानी होगी कि केरल राज्य में दलितों द्वारा 2016 में वामपंथियों की हिंसा के खिलाफ 400 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं केरल की जनता आतंक के साए में जिन्दगी जीने को मजबूर है, क्योंकि राज्य की सरकार एक आतंकवादी विचारधारा समर्थित सरकार है.
राष्ट्रीय उलेमा फाउंडेशन के अध्यक्ष मौलाना मुर्तजा ने कहा कि केरल की नरसंहारी सरकार को केंद्र सरकार जितनी जल्दी हो सके बर्खास्त करे और राष्ट्रपति शासन लगाए. केरल में राज्य सरकार की सरपरस्ती में माकपा के नरसंहारी कार्यकर्ताओं द्वारा संघ एवं बीजेपी के खिलाफ हो रही खूनी हिंसा के विरोध में जनाधिकार समिति द्वारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर विशाल प्रदर्शन के दौरान दिल्ली प्रान्त के संघचालक कुलभूषण आहूजा जी, विहिप के राष्ट्रीय मंत्री सुरेन्द्र जैन जी, विद्यार्थी परिषद् के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्रीनिवास जी, सुप्रसिद्ध नृत्यांगना सोनल मानसिंह जी, कवि गजेन्द्र सोलंकी जी, स्क्रिप्ट राइटर अद्वैत काला जी, टीवी व फिल्म कलाकार मुकेश खन्ना जी, रिटायर्ड आईएसएस अधिकारी एसपी राय जी, ध्रुव कटोच जी ने भी संबोधित किया.

अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा उपलब्ध करवाएगी सर्वहितकारी शिक्षा समिति – एडवोकेट यशपाल गोयल जी

जालंधर (विसंकें). सर्वहितकारी शिक्षा समिति भारतीय संस्कारों को समाहित करते हुए अपने विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा उपलब्ध करवाएगी, जिससे वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा का मुकाबला कर सकें. सर्वहितकारी शिक्षा समिति के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट यशपाल गोयल जी ने गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में स्थित समिति कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में जानकारी प्रदान की. उन्होंने समिति की ओर से पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस जीनियस स्कॉलरशिप के परिणामों की घोषणा की और विजेता विद्यार्थियों के लिए उज्ज्वल भविष्य की कामना की. इस अवसर पर समिति के महामंत्री अशोक बब्बर जी, संगठन मंत्री विजय नड्डा जी भी उपस्थित थे.
छात्रवृति के परिणामों की घोषणा करते हुए प्रधानाचार्य पीएस खिमटा जी ने बताया कि छात्रवृति योजना के तहत परीक्षा में पहले पांच स्थानों पर रहने वाले विद्यार्थियों को 5000 और अगले 10 स्थानों पर आने वाले विद्यार्थियों को 3100 रुपये छात्रवृति दी जाएगी. विभिन्न वर्गों में 65 विद्यार्थियों को यह पुरस्कार दिया जाएगा. नाभा के वैभव, फाजिल्का के नितिन, नाभा के बाहुल्य ऋषि, मानसा के दीपक गर्ग, चवन जिंदल चयनित हुए हैं.
इस क्रम में दसवी कक्षा वर्ग में पहले पांच स्थान हासिल करने वाले विद्यार्थियों में सर्वहितकारी विद्या मंदिर फाजिल्का के सक्षम सेठी ने 73 प्रतिशत अंकों के साथ पहला, अग्रिम ने  71.5 प्रतिशत अंकों के साथ दूसरा, एसवीएम भिखी के हार्दिक जिंदल ने 69 प्रतिशत अंकों के साथ तीसरा, मलेरकोटला की हिमांशी ने 67 प्रतिशत अंकों के साथ चौथा, दीक्षा ने पांचवां स्थान हासिल किया है.
प्लस टू (नॉन मेडिकल) वर्ग में तलवाड़ा की अनन्या शर्मा, चंडीगढ़ की सोनल, नाभा की साक्षी बंसल, तलवाड़ा के साहिल जस्सल, मलेरकोटला के ध्रुव किंगर ने सफलता हासिल की है. प्लस टू (मेडिकल) में मलेरकोटला की हरमनजोत कौर सपरा, चंडीगढ़ की शिवानी, सपना, भिखी से तेजस्वी शर्मा, चंडीगढ़ दिव्यजोत कौर, भिखी के जश्नप्रीत ने सफलता हासिल की है. समिति के संगठन मंत्री विजय नड्डा जी ने बताया कि समिति की ओर से शिक्षा व विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक तरह के प्रकल्प शुरु किए हैं. जल्द ही समाज के वंचित वर्ग तक शिक्षा के प्रकाश को पहुंचाया जाएगा.

Monday, January 23, 2017

बलिदानियों द्वारा आजाद भारत के लिए देखे गए सपने अब तक साकार नहीं हो सके हैं: भागवत

संबलपुर :
अंचल के दो महान माटीपुत्रों नेताजी सुभाषचंद्र बोस और वीर सुरेंद्र साय की जयंती पर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अफसोस जताया कि आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी हम इन माटीपुत्रों द्वारा आजाद भारत के लिए देखे गए सपनों को पूरा करने की कसौटी में खरे नहीं उतर सके हैं।
सोमवार को मंदलिया मैदान में संघ के पश्चिम प्रांत की ओर से आयोजित सभा को संबोधित करते हुए डॉ. भागवत ने बताया कि आज का दिन एक संयोग है जिसमें 1857 के सिपाही विद्रोह से पहले अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करने वाले वीर सुरेंद्र साय और इस संघर्ष को अंतिम चरण तक पहुंचाने वाले आजाद हिंद फौज के सेनापति नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती है। सुरेंद्र साय और नेताजी का सशस्त्र संघर्ष काफी वर्षों तक चला और अंग्रेजी हुकूमत ने चालाकी के साथ सुरेंद्र साय को पकड़कर जेल में डाल दिया और नेताजी को किसी साजिश का शिकार होना पड़ा। अगर नेताजी को अधिक समय मिलता तो भारत का एक अलग इतिहास बन सकता था। आज उनके जयंती अवसर पर हमें उनके ऐसे बलिदान से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि आजादी मिलने के बाद हमारे ही लोग राजपाट चला रहे हैं लेकिन
बलिदानियों द्वारा आजाद भारत के लिए देखे गए सपने अब तक साकार नहीं हो सके हैं। उन सपनों को साकार करने की जरूरत है। स्वतंत्रता की परिभाषा को सार्थक करने के लिए तंत्र में स्व की आवश्यकता है। देश की भलाई और विकास के लिए सरकार और प्रशासन है लेकिन यह किसी बड़े लोग के सेवक की तरह है। इनके हवाले जिम्मेदारी छोड़ने से देश व समाज का भला संभव नहीं है। संघ का मानना है कि समाज को उसके लिए जागरूक होना पड़ेगा। समाज को अपनी पहचान बनानी होगी। एकजुटता दिखानी होगी। एकजुटता के लिए किसी एक धर्म या भाषा का होना आवश्यक नहीं। भारत विविधताओं का देश है। यहां के लोगों की धर्म और भाषा भले ही अलग है। लेकिन भारत एक और इसकी माटी में पैदा होने वाला भारत माता का पुत्र है। संघ इसी आदर्श को लेकर आगे बढ़ रहा है जहां भेदभाव से मुक्त समाज हो। सभा के आरंभ में डॉ. दुर्गाप्रसाद साहू ने स्वागत भाषण दिया जबकि पश्चिम प्रांत के संघचालक विपिन बिहारी नंद, क्षेत्र संघ चालक अजय कुमार नंदी और सम्मानित अतिथि ब्रजकिशोर भोई मंचस्थ रहे। इस अवसर कालाहांडी जिला के पर्वतारोही योगव्यास भोई को सात महादेश को पहाड़ों पर विजय पताका फहराने, ब्रजकिशोर ¨सह भोई को आदिवासियों के कल्याण लिए डॉ. भागवत ने सम्मानित करने समेत ओडिशा में संघ नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर डॉ. भागवत के संबलपुर की आराध्य देवी मां समलेश्वरी का प्रतिरूप प्रदान किया गया।

चार दिवसीय संबलपुर दौरे पर आए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने वीर सुरेंद्र साय के जन्मभूमि ¨खडा गांव जाकर श्रद्धांजलि अर्पित किए

संबलपुर :
आजादी की लड़ाई के दो महान माटीपुत्रों नेताजी सुभाषचंद्र बोस और वीर सुरेंद्र साय की जयंती अवसर पर सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
चार दिवसीय संबलपुर दौरे पर आए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने वीर सुरेंद्र साय के जन्मभूमि ¨खडा गांव जाकर श्रद्धांजलि अर्पित किए। इसके साथ ही उन्होंने वीर सुरेंद्र साय के परपोते लालफकीर साय व परिजनों से मुलाकात कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ 1857 से पहले संघर्ष किए जाने और उनके बलिदान को याद किया। जबकि संबलपुर में संघ की ओर से नारी सेवासदन मैदान और मंदलिया मैदान से अलग- अलग रूटमार्च निकालकर नगर परिक्रमा किया। नारी सेवासदन मैदान से निकाले रूट मार्च के जेल चौक पहुंचने पर वहां वीर सुरेंद्र साय की प्रतिमा पर मार्च में शामिल लोगों ने माल्यार्पण किया।uf

पत्रकार प्रशिक्षण वर्ग का समापन

पटना (विसंकें). त्रुटिरहित पत्रकारिता के लिए आवश्यक है कि प्रत्रकारों का समुचित प्रशिक्षण हो. पर्याप्त प्रशिक्षण के अभाव में त्रुटिपूर्ण एवं अपूर्ण खबरें प्रकाशित हो जाती है, जिससे अखबार की साख प्रभावित होती है. दीघा के विधायक डा. संजीव चौरसिया विश्व संवाद केन्द्र द्वारा आयोजित बारह दिवसीय पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर छात्रों द्वारा तैयार पत्रिका ’वर्तमान’ का लोकार्पण भी किया गया.
उन्होंने कहा कि आजकल आए दिन अखबारों में व्याकरणिक, तथ्यात्मक, प्रारूपात्मक गलतियां देखने को मिल जाती हैं. इसका कारण है, वर्तमान पीढ़ी के कुछ पत्रकारों में प्रशिक्षण का अभाव, संपादक, उपसंपादक, मुख्य संवाददाता, विशेष संवाददाता आदि के स्तर पर शुद्धता का ध्यान रखा जाता है. लेकिन दूरदराज के क्षेत्र में तैनात संवाददाता द्वारा फाईल की रिपोर्ट में अनेक अशुद्धियां होती हैं. इससे बचने के लिए अखबार विशेष द्वारा भी समय-समय पर अपने पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. इस संदर्भ में विश्व संवाद केन्द्र द्वारा चलाया जा रहा पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यक्रम सराहनीय है. वरिष्ठ पत्रकार एसएन श्याम ने कहा कि मीडिया के क्षेत्र में लंबे समय तक बने रहने के लिए ठोस ज्ञान का होना आवश्यक है. ये काम उचित प्रशिक्षण द्वारा किया जा सकता है. जानकारी के अभाव में पत्रकार का विकास रुक जाता है.
विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष श्रीप्रकाश नारायण सिंह ने आभार व्यक्त किया. मंच संचालन प्रशांत रंजन ने किया. इस अवसर में राजधानी के विभिन्न मीडिया संस्थानों के वरिष्ठ पत्रकार, पत्रकारिता के विद्यार्थी उपस्थित रहे.

भारत के युवाओं में देश के हालात बदलने की क्षमता है – अजीत महापात्रा जी

गोरखपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख अजीत महापात्रा जी ने 15 जनवरी को गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में युवा भारती द्वारा आयोजित गोष्ठी सेवा, समरसता और युवा में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया.
उन्होंने कहा कि युवा देश के बारे में सोचें. गरीब होना क्या गुनाह है? सबकी सेवा करने वाला समाज का सबसे वंचित वर्ग सर्वाधिक उपेक्षित क्यों है? इतना विकसित होने के बावजूद आज भी देश के 27.2 करोड़ लोग दो वक्त की रोटी को क्यों मोहताज हैं ? मेरा युवाओं से सवाल है कि क्या वे देश के वर्तमान, भविष्य और समाज के वंचित तबके के बारे में भी सोचते हैं? ऐसा सोचना ही आपके ज्ञान और पढ़ाई की सार्थकता होगी. आप असंभव को संभव बना सकते हैं. इसके लिए संकल्प लेना होगा. विद्या बेचने की नहीं, दान की वस्तु है. हमारी परंपरा ने भी विद्या को सबसे बड़ा दान माना है. समाज के सबसे वंचित वर्ग के पात्रों में इसका दान करें. वे आपको देवता मान लेंगे. इससे बड़ा सम्मान और सुख कोई और नहीं. यदि युवा इसके बारे में विचार करेगा तो निश्चित रूप से आपकी संवेदनाएं जगेंगी, परेशान करेंगी और आप युवाजन इसके समाधान के बारे में अवश्य सोचेंगे, और युवा यदि इन समस्याओं को दूर करने का प्रयास करेंगे तो इस वंचित उपेक्षित समाज की स्थिति में बदलाव के साथ साथ देश की तस्वीर भी जरूर बदलेगी.
उन्होंने कहा कि हर साल करीब तीन करोड़ युवा ऊंचे पदों पर तैनाती पाते हैं. करीब 10 करोड़ कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर खुद के बारे में सोचते हैं. विवेकानंद ने कहा था कि मुझे अगर 100 सेवा भावी समर्पित युवा मिल जाएं तो मैं देश की तकदीर बदल सकता हूँ. वह बात आज भी उतनी ही प्रासंगिक है. उन्होंने गरीब किसान और उसके बेटे के संवाद का उदाहरण देते हुए बताया कि यदि लाभ और हानि की परवाह किये बिना कपास उगाने वाला वह किसान कपास उगाना छोड़ दे तो लोगों को पहनने को वस्त्र नहीं मिलेंगे, इसलिए वह किसान सामाजिक समरसता हेतु कपास उगाता है.
भगिनी निवेदिता और एक अमरीकी व्यवसायी के प्रसंग का उदाहरण देते हुए उन्होंने दरिद्र नारायण की सेवा हेतु समर्पण का अत्यन्त ही मार्मिक ढंग से वर्णन किया, कि किस प्रकार से उपेक्षा, तिरस्कार और गाल पर थप्पड़ खाने के पश्चात भी भगिनी निवेदिता ने दीन दुखियों की सेवा का संकल्प नही छोड़ा, न हिम्मत हारी और अंततः उस कठोर ह्रदय उद्योगपति का भी ह्रदय परिवर्तन करने में सफल हुई. उन्होंने कहा यदि देश के 18 प्रतिशत सामर्थ्यवान युवा भी सेवा का संकल्प लें तो देश में कोई गरीब नहीं रहेगा. रामकृष्ण परमहंस जी का प्रसंग और हैदराबाद (भाग्यनगर) की एक घटना का उदहारण देते हुए युवाओं को सेवा के प्रति प्रोत्साहित किया.
कार्यक्रम के अध्यक्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि ने युवाओं से सोच बदलने और संकल्प लेने की अपील की. कार्यक्रम में डॉ. राजेश चंद्र गुप्त ने अतिथि परिचय करवाया, तत्पश्चात मुख्य अतिथि व अन्य द्वारा भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन, दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. मुख्य अतिथि द्वारा गोरखपुर विश्वविद्यालय की वर्तमान महामंत्री ऋचा चौधिरी को सम्मानित किया गया. विषय प्रवर्तन के दौरान डॉ. राजेश गुप्ता और डॉ. रविप्रकाश ने कहा कि नर के जरिये नि:स्वार्थ भाव से नारायण सेवा ही सेवा भारती का मिशन है. सब समान होंगे तो देश महान होगा, इसके पीछे की सोच है. कार्यक्रम का संचालन उग्रसेन सोनकर ने किया. अविरल शर्मा के सेवा गीत, विश्वनाथ अग्रहरि के देश भक्ति के गीतों और रामानंद यादव के बिरहा को सबने सराहा. युवा भारती के प्रांत संयोजक कुलदीप मौर्य ने आभार जताया.

Saturday, January 21, 2017

जब-जब जरूरत पड़ी देश की बेटियों ने भी अपनी जान की बाजी लगाई है – मोनिका अरोड़ा जी

हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले की तैयारियों के तहत हिपा में संगोष्ठी का आयोजन
हरियाणा (विसंकें). दो फरवरी से शुरू होने वाले हरियाणा के पहले हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले के तहत महिलाओं को बढ़ावा विषय पर हिपा संस्थान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर और प्रोफेसर्स ने महिलाओं की स्थिति पर मंथन किया. पहले के मुकाबले महिलाएं अब ज्यादा आत्मनिर्भर हो रही है.
मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा जी ने भी माना कि कामकाजी महिलाओं की स्थिति पहले के मुकाबले मजबूत हुई है और महिलाएं घर से निकलकर परिवार, आर्थिक व राजनीतिक रूप से भी सुदृढ़ हुई हैं. संगोष्ठी में सिरसा में स्थित देवीलाल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर विजय कयात जी, जींद स्थित सीआरएस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर मेजर जनरल रणजीत सिंह जी, आईटीटीआर की प्रोफेसर सुमन दलाल जी, हीरो मोटो कॉर्प के डॉ. राधा आर. शर्मा जी सहित अनेक बुद्धिजीवियों ने महिलाओं की स्थिति पर अपने विचार रखे और माना कि महिलाओं के विकास के बिना वर्तमान समाज की उन्नति की कल्पना नहीं की जा सकती.
मुख्य वक्ता मोनिका अरोड़ा जी ने कहा कि अब समय तेजी से बदल रहा है. एक जमाना था – जब औरतों के घर से निकलने पर पूरा परिवार घबराता था और असुरक्षा की भावना ज्यादा थी, लेकिन अब स्थिति तेजी से बदल रही है. यही कारण है कि हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है. हालांकि भारतीय महिलाओं ने अपनी संस्कृति की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना सीखा है. देश को जब-जब जरूरत पड़ी देश की बेटियों ने भी अपनी जान की बाजी लगाई है.
देवीलाल यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. विजय कयात जी ने कहा कि भारतीय महिलाएं कभी भी कमजोर नहीं रही. फरवरी से गुरुग्राम के लेजर वैली पार्क में लगने जा रहे पहला हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में महिलाओं की इसी ताकत की झलक देखने को मिलेगी. इतिहास गवाह है कि झांसी की रानी और इससे पहले भी अनेक भारतीय महिलाओं ने अपने देश का सम्मान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों से लोहा लिया. सीआरएस यूनिवर्सिटी के वीसी ने कहा कि महिलाओं को इतिहास से सबक लेते हुए आगे बढऩा होगा. प्रोफेसर सुमन दलाल जी ने कहा कि कल्पना चावला हो या सुनीता विल्यम जैसी भारतीय मूल की महिलाओं ने तो अंतरिक्ष में पहुंचकर देश का मान बढ़ाया है. महिलाओं को बराबर का अधिकार मिलने पर उन्होंने साबित किया है कि वे इसकी हकदार है. संगोष्ठी में उपस्थित अन्य लोगों ने उपस्थित प्रोफेसरों, उद्योगपतियों व कानूनविदों विषय से संबंधित सवाल पूछे. संगोष्ठी में शिक्षाजगत, उद्योगजगत की हस्तियों व कानूनविदों सहित लगभग 200 लोगों ने भाग लिया.

Friday, January 20, 2017

हमारी शिक्षा व पत्रकारिता नित्य संस्कार व साधना से युक्त होनी चाहिए – डॉ. मनमोहन वैद्य जी

रायपुर (विसंकें). कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा पत्रकारिता विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन महंत घासीदास संग्रहालय सभागार में किया गया. इसमें मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी उपस्थित रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति प्रो. डॉ. मानसिंह परमार जी ने की. कार्यक्रम का शुभारंभ सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ हुआ. जिसमें शिवानी अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ी सरस्वती वंदना, तेजराम साहू ने छत्तीसगढ़ी कविता, जयश्री नायर ने देशभक्ति गीत व कुशुमवेली देवी ने स्वागत गीत की प्रस्तुति दी. मुख्य वक्ता के रूप डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने संगोष्ठी में शामिल विद्यार्थियों से बातचीत की व उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया.
उन्होंने कहा कि “आखिर भारत बोध क्या है?” वास्तविक भारत को देखना है, तो गांवों को जानना होगा. एक ऐसी दृष्टि पैदा करनी पड़ेगी जो सभी मानवमात्र को समानभाव से माने. आजकल के समाचार पत्रों में गांवों का दृश्य नदारद है जो वास्तविक भारत नहीं है. यह जानना, समझना पड़ेगा, जो हमारी पत्रकारिता में दिखाई भी देना चाहिए. देश में भ्रष्टाचार, बलात्कार, हिंसा आदि कुत्सित कार्य हो रहें हैं, किन्तु पूरे भारत के परिदृश्य में ऐसा नहीं है.
उन्होंने भारत की विशेषता के बारे में कहा कि सत्य एक है. पहले भारत को पूरी दुनिया असहिष्णु मानती थी. आज का दृश्य बदलते हुए दिखाई दे रहा है, क्योंकि हम विश्व मानवता की बात करते हैं. भारत भूमि को ही नहीं हम गांव, नदी, तुलसी पौधा को भी माता मानते हैं. भारत किसी एक व्यक्ति या समुदाय का नहीं है, यह देश भारत के लोगों का है. भारत ही दुनिया में ऐसा अकेला देश है, जिसकी विशेषता, दर्शन, चिंतन, दृष्टि का आधार अध्यात्म है. हम मानते हैं कि सभी जीवों का निर्माण चैतन्य से हुआ है. हमें ऐसे समाज का निर्माण करना है, जिनके मन, शरीर, बुद्धि का अंतिम लक्ष्य केवल अर्थ प्राप्त करना नहीं, बल्कि देवत्व को प्राप्त करने वाला होना चाहिए. कर्मयोग, भक्तियोग, ध्यान योग से ही हम अर्थ व काम मोक्ष पर पुरुषार्थ से विजय प्राप्त कर सकते हैं. हमारी शिक्षा व पत्रकारिता नित्य संस्कार व साधना से युक्त होनी चाहिए, जिससे कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना का निर्माण हो सके.
विवि के कुलपति प्रो. परमार ने कहा कि जब तक हम अपने भूगोल, संस्कृति व देश को नहीं समझेंगे, तब तक हम अच्छी पत्रकारिता नहीं कर पाएंगे. इस अवसर पर उन्होंने घोषणा भी की, कि आज से प्राज्ञ संवाद व गुरु- शिष्य संवाद की अवधारणा को लेकर सभी विभागों में माह में एक बार कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. संगोष्ठी में विवि के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, अध्यापकगण, कर्मचारी, विद्यार्थी तथा नगर से आमंत्रित सुधिजन उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष आशुतोष मंडावी, आभार प्रदर्शन विवि के कुलसचिव डॉ. गिरीशकांत पाण्डेय जी ने किया.