संबलपुर :
अंचल के दो महान माटीपुत्रों नेताजी सुभाषचंद्र बोस और वीर सुरेंद्र साय की जयंती पर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अफसोस जताया कि आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी हम इन माटीपुत्रों द्वारा आजाद भारत के लिए देखे गए सपनों को पूरा करने की कसौटी में खरे नहीं उतर सके हैं।
सोमवार को मंदलिया मैदान में संघ के पश्चिम प्रांत की ओर से आयोजित सभा को संबोधित करते हुए डॉ. भागवत ने बताया कि आज का दिन एक संयोग है जिसमें 1857 के सिपाही विद्रोह से पहले अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करने वाले वीर सुरेंद्र साय और इस संघर्ष को अंतिम चरण तक पहुंचाने वाले आजाद हिंद फौज के सेनापति नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती है। सुरेंद्र साय और नेताजी का सशस्त्र संघर्ष काफी वर्षों तक चला और अंग्रेजी हुकूमत ने चालाकी के साथ सुरेंद्र साय को पकड़कर जेल में डाल दिया और नेताजी को किसी साजिश का शिकार होना पड़ा। अगर नेताजी को अधिक समय मिलता तो भारत का एक अलग इतिहास बन सकता था। आज उनके जयंती अवसर पर हमें उनके ऐसे बलिदान से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि आजादी मिलने के बाद हमारे ही लोग राजपाट चला रहे हैं लेकिन
बलिदानियों द्वारा आजाद भारत के लिए देखे गए सपने अब तक साकार नहीं हो सके हैं। उन सपनों को साकार करने की जरूरत है। स्वतंत्रता की परिभाषा को सार्थक करने के लिए तंत्र में स्व की आवश्यकता है। देश की भलाई और विकास के लिए सरकार और प्रशासन है लेकिन यह किसी बड़े लोग के सेवक की तरह है। इनके हवाले जिम्मेदारी छोड़ने से देश व समाज का भला संभव नहीं है। संघ का मानना है कि समाज को उसके लिए जागरूक होना पड़ेगा। समाज को अपनी पहचान बनानी होगी। एकजुटता दिखानी होगी। एकजुटता के लिए किसी एक धर्म या भाषा का होना आवश्यक नहीं। भारत विविधताओं का देश है। यहां के लोगों की धर्म और भाषा भले ही अलग है। लेकिन भारत एक और इसकी माटी में पैदा होने वाला भारत माता का पुत्र है। संघ इसी आदर्श को लेकर आगे बढ़ रहा है जहां भेदभाव से मुक्त समाज हो। सभा के आरंभ में डॉ. दुर्गाप्रसाद साहू ने स्वागत भाषण दिया जबकि पश्चिम प्रांत के संघचालक विपिन बिहारी नंद, क्षेत्र संघ चालक अजय कुमार नंदी और सम्मानित अतिथि ब्रजकिशोर भोई मंचस्थ रहे। इस अवसर कालाहांडी जिला के पर्वतारोही योगव्यास भोई को सात महादेश को पहाड़ों पर विजय पताका फहराने, ब्रजकिशोर ¨सह भोई को आदिवासियों के कल्याण लिए डॉ. भागवत ने सम्मानित करने समेत ओडिशा में संघ नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर डॉ. भागवत के संबलपुर की आराध्य देवी मां समलेश्वरी का प्रतिरूप प्रदान किया गया।
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