भोपाल. विद्वत परिषद, विद्याभारती मध्यभारत प्रांत के तत्वाधान में नारी शिक्षा की प्रेरणा स्रोत प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की 187वी जयंती पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय राज्य पशुपालन प्रशिक्षण केन्द्र कोटरा में पूर्व पुलिस महानिदेशक स्वराज पुरी जी की अध्यक्षता में किया गया. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री भारतीय शिक्षण मण्डल डॉ. उमाशंकर पचौरी उपस्थित थे, विशेष अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक सतीश पिंपलीकर जी तथा विद्याभारती के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री श्रीराम जी आरावकर उपस्थित थे. माता सरस्वती तथा सावित्री बाई फूले के चित्र पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया. अतिथियों का स्वागत वीरेन्द्र सिंह जी व विभाग समन्वयक विद्याभारती अवधेश त्यागी जी ने किया.
मुख्य वक्ता डॉ. उमाशंकर जी ने कहा कि सवित्रीबाई ने यह साबित किया कि वही नवजागरण काल की प्रथम भारतीय समाज सेविका एवं शिक्षिका हैं, जिसने आने वाली पीढ़ी के लिये दीप स्तम्भ बनकर प्रदर्शन किया है. अस्पृश्यता उन्मूलन का क्रांतिकारी कार्य सावित्रीबाई ने पूरी तन्मयता से किया. सावित्रीबाई ने यथार्थ की ओर ध्यान देते हुए स्त्री शिक्षा पर बल दिया. उन की कथनी और करनी में कोई भेद नहीं था. उन्होंने अस्पृश्यता निवारण को अपने कार्य का एक अभिन्न अंग माना था, अस्पृश्यता उन्मूलन के साथ ही खेतिहर किसान, मजदूर किसान की सेवा, बाल विवाह प्रतिबंध, विधवा विवाह को प्रोत्साहन, सती प्रथा की रोकथाम, बाल हत्या प्रतिबंध आदि सामाजिक क्षेत्रों में परिवर्तन लाने के भरसक प्रयास किये.
अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वराज पुरी जी ने कहा कि भले ही मैं पुलिस महानिदेशक रहा हूँ. लेकिन आज यहाँ आकर जो ज्ञान प्राप्त हुआ है, वह अभिभूत करने वाला है. जब आधुनिक युग में महिला पर तरह तरह के अत्याचार होते हैं तो सावित्रीबाई के युग में कार्य करते समय उन पर क्या बितती होगी, यह ध्यान में आता है. सारी कठिनाईयों को सहते हुये भी वे अपने लक्ष्य से डिगी नहीं तथा नारियों को समाज में एक स्थान उपलब्ध करवाया.
कार्यक्रम में विद्याभारती के क्षेत्र संगठन मंत्री भालचंद्र रावले जी, शिक्षाविद डॉ. प्रेमभारती जी, वरिष्ठ साहित्यकार देवेन्द्र दीपक जी सहित अन्य गणमान्य जन उपस्थित थे. कार्यक्रम के अंत में राजेन्द्र परमार जी ने अतिथियों व उपस्थित महानुभावों का आभार व्यक्त किया.
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