ई दिल्ली. पाञ्चजन्य व आर्गनाइजर (भारत प्रकाशन) के समूह संपादक जगदीश उपासने जी ने कहा कि देश व समाज के निर्माण में संचार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इंटरनेट के आगमन ने समाज के प्रत्येक व्यक्ति को संचार प्रक्रिया का हिस्सा बना दिया है. संचार क्रांति से जुड़ा विश्व सम्पूर्ण मानव जाति के लिए हितकर होगा. संचार क्रांति ने प्रगति व सफलता के अनेकों मार्ग प्रशस्त किए हैं. जगदीश जी विश्व पुस्तक मेला के दौरान राष्ट्रीय पुस्तक न्यास व प्रेरणा मीडिया नैपुण्य संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित ‘संचार की भारतीय परंपरा’ विषयक विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. प्रेमचन्द्र पतंजलि (पूर्व कुलपति, जौनपुर विश्वविद्यालय) ने वैदिक संचार पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत में संचार सूत्र प्रणाली महत्वपूर्ण रही है. भारतीय संस्कृति में संचार की विविध प्रणालियों व प्रारूपों का वर्णन मिलता है. संचार परंपराओं का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरण होता है. विभिन्न आधुनिक संचार माध्यमों की प्रगति व विकास के आधुनिक दौर में भी संचार की भारतीय परंपरा अपनी सत्ता बनाए हुए है तथा भविष्य में भी अपना स्थान बरकरार रखेगी.
कार्यक्रम संयोजक व संचालक डॉ. प्रदीप कुमार जी ने आयोजन की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए संचार की भारतीय परंपरा के विविध पक्षों का उल्लेख किया. आदित्य देव त्यागी ने ‘प्रिन्ट मीडिया का प्रभाव’ विषय पर कहा कि विश्वसनीयता के संकट व गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दौर में भी प्रिंट मीडिया अपनी अलग पहचान रखता है. पाठक आज भी समाचार पत्र व पत्रिकाओं पर विश्वास करते हैं. पल्लवी सिंह जी ने ‘सोशल मीडिया का प्रभाव’ विषय पर कहा कि सोशल मीडिया वास्तव में समाज के उस वर्ग को मंच प्रदान करता है, जिसकी आवाज वास्तव में सुनी जानी चाहिए. सोशल मीडिया भावाव्यक्ति का एक सार्थक मंच है. कार्यक्रम का समापन प्रभाकर वर्मा (सेवानिवृत्त एडिशनल डायरेक्टर जनरल, सीपीडब्ल्यूडी) के अध्यक्षीय उद्बोधन व आभार ज्ञापन के साथ हुआ. इस अवसर पर गणमान्यजन उपस्थित रहे.
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