Saturday, January 21, 2017

जब-जब जरूरत पड़ी देश की बेटियों ने भी अपनी जान की बाजी लगाई है – मोनिका अरोड़ा जी

हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले की तैयारियों के तहत हिपा में संगोष्ठी का आयोजन
हरियाणा (विसंकें). दो फरवरी से शुरू होने वाले हरियाणा के पहले हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले के तहत महिलाओं को बढ़ावा विषय पर हिपा संस्थान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर और प्रोफेसर्स ने महिलाओं की स्थिति पर मंथन किया. पहले के मुकाबले महिलाएं अब ज्यादा आत्मनिर्भर हो रही है.
मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा जी ने भी माना कि कामकाजी महिलाओं की स्थिति पहले के मुकाबले मजबूत हुई है और महिलाएं घर से निकलकर परिवार, आर्थिक व राजनीतिक रूप से भी सुदृढ़ हुई हैं. संगोष्ठी में सिरसा में स्थित देवीलाल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर विजय कयात जी, जींद स्थित सीआरएस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर मेजर जनरल रणजीत सिंह जी, आईटीटीआर की प्रोफेसर सुमन दलाल जी, हीरो मोटो कॉर्प के डॉ. राधा आर. शर्मा जी सहित अनेक बुद्धिजीवियों ने महिलाओं की स्थिति पर अपने विचार रखे और माना कि महिलाओं के विकास के बिना वर्तमान समाज की उन्नति की कल्पना नहीं की जा सकती.
मुख्य वक्ता मोनिका अरोड़ा जी ने कहा कि अब समय तेजी से बदल रहा है. एक जमाना था – जब औरतों के घर से निकलने पर पूरा परिवार घबराता था और असुरक्षा की भावना ज्यादा थी, लेकिन अब स्थिति तेजी से बदल रही है. यही कारण है कि हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है. हालांकि भारतीय महिलाओं ने अपनी संस्कृति की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना सीखा है. देश को जब-जब जरूरत पड़ी देश की बेटियों ने भी अपनी जान की बाजी लगाई है.
देवीलाल यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. विजय कयात जी ने कहा कि भारतीय महिलाएं कभी भी कमजोर नहीं रही. फरवरी से गुरुग्राम के लेजर वैली पार्क में लगने जा रहे पहला हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में महिलाओं की इसी ताकत की झलक देखने को मिलेगी. इतिहास गवाह है कि झांसी की रानी और इससे पहले भी अनेक भारतीय महिलाओं ने अपने देश का सम्मान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मनों से लोहा लिया. सीआरएस यूनिवर्सिटी के वीसी ने कहा कि महिलाओं को इतिहास से सबक लेते हुए आगे बढऩा होगा. प्रोफेसर सुमन दलाल जी ने कहा कि कल्पना चावला हो या सुनीता विल्यम जैसी भारतीय मूल की महिलाओं ने तो अंतरिक्ष में पहुंचकर देश का मान बढ़ाया है. महिलाओं को बराबर का अधिकार मिलने पर उन्होंने साबित किया है कि वे इसकी हकदार है. संगोष्ठी में उपस्थित अन्य लोगों ने उपस्थित प्रोफेसरों, उद्योगपतियों व कानूनविदों विषय से संबंधित सवाल पूछे. संगोष्ठी में शिक्षाजगत, उद्योगजगत की हस्तियों व कानूनविदों सहित लगभग 200 लोगों ने भाग लिया.

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