Saturday, August 27, 2016

Rastrabadi Pathak Samilani Bhubaneswar

                              Meeting of Nationalist readers forum

Bhubaneswar (VSK). A discussion forum was organised on behalf of nationalist magazines at “Bhagwat Gita Vidya Mandir, Nayapalli”. Readers of weekly magazines such as “Organiser”, “Panchajanya” and “Rastradeepa” of English, Hindi and languages, monthly “Jagaran” had participated in this discussion forum. Discussion include in quality of news and views, increase in circulation and digitisation of old magazines etc.  Issues and suggestions of readers will be viewed seriously for rectification in coming issues, was consented by the representative of Magazine. All the suggestions received from readers will be informed to the respective editor as soon as possible. This forum was presided by columnist such as Saumendra Jena, JngyaBalka Mohanty, Dharmendra Panda, Susanta Nayak, Manas R Mohanty. Columnist had shared their valuable comment to magazine representative. Chief speaker RSS  Purb kshetra karyavah Gopal Prasad Mopatra reiterate the issue on increasing circulation and focusing on analysis of news, those are not coming in daily newspapers. He also emphasises to make magazine reachable to common people.
RSS Bhubaneswar Mahanagar sah Karyavah Jayakrusna Prusti had presided over the forum and RSS  Nagar karyavah Saumendra Jena had introduced the dignitaries present in the gathering. Patriotic song was recited by Ansuman and students of Vidya Mandir recited “Vande Mataram”. Journalist Vikram Parija , Journalist  Durgaji, Journalist  Siba parad nayak, Journalist  Siba Prasad Das had cooperated the organisers for making the forum successful. Meeting ended with a decision to meet at least five time a year and it was the second meeting for such purpose. Meeting ended with vote of thanks to all.












Friday, August 26, 2016

हिमाचल में नहीं रुक रही गौ-तस्करी की घटनाएं

शिमला (विसंकें). हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है. लेकिन गौ-तस्करी के कारण अब यही देवभूमि कलंकित हो रही है. प्रदेश में पिछले काफी समय से लगातार कहीं न कहीं से गौ-तस्करी और गौवंश पर अत्याचार के समाचार आ रहे हैं. सोमवार 22 अगस्त को राजधानी के जुन्गा में गौ तस्करी से जुड़ा मामला सामने आया है. पुलिस ने गौ-तस्करों को रंगे हाथ पकड़ा. गौ-तस्करी के चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. चारों आरोपी 2 पिकअप गाडि़यों में गाय और बैलों को भरकर सिरमौर की तरफ ले जा रहे थे. गाड़ियों में गौवंश को ठूंस-ठूस कर भरा गया था. एक गाड़ी में 7 गाय और 4 बैल, जबकि दूसरी गाड़ी में 4 बैलों को रखा गया था. पुलिस की नियमित गश्त के दौरान पुलिस को सूचना मिली कि गाड़ी में गौ-तस्कर गौवंश को ले जा रहे हैं. पुलिस ने शक के आधार पर गाड़ी को रोका और उसकी जांच की तो मामले का खुलासा हुआ. दोनों गाडि़यां हिमाचल के नम्बर पर पंजीकृत हैं.
आरोपियों में दौलतराम और कृष्ण सिरमौर के संगड़ाह, नेकराम और हरीश घनेरी के रहने वाले हैं. घटना के बाद प्रशासन फिर से सवालों के घेरे में आ गया है. लगातार हो रही गौ-तस्करी की घटनाओं ने इसके जारी रहने की पुष्टि की है. इससे पता लगता है कि गौ-तस्करी के पीछे काम कर रहे गिरोह का अभी तक पता नहीं लग पाया है. शिमला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भजन नेगी का कहना है कि पुलिस गौ-तस्करों के खिलाफ पूरी तरह सक्रिय है और आवश्यक कार्रवाई कर रही है. एएसपी ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि पुलिस ने चार आरोपियों को हिरासत में लिया है. ये लोग पशुओं को सिरमौर की तरफ ले जा रहे थे. पुलिस मामले की तह तक जाने के लिए गहनता से छानबीन कर रही है. घटना के बाद लोग भी हैरत में हैं कि गौ-तस्कर गैंग चुपचाप चोरी छिपे ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहा है, जबकि प्रशासन गंभीर नहीं दिखाई दे रहा.

Thursday, August 25, 2016

VHP SEEKS LAXMANANADA KILLERS PUNISHED SOON

Brahmapur,25/8(vsk Odisha)Members of the Vishwa Hindu Parishad (VHP), Brahmapur on Thursday blamed the State Government for the negligence in meting out stringent punishment to the killers of Swami Laxmanananda Saraswati, who had been shot dead at his Jalaspeta Ashram in Kandhamal district on the Janmastami Day in August 2008.
“It is better for the Government to take all steps for giving punishment to the real culprits in the Laxmanananda Saraswati killing case at the earliest as there is every possibility of the Hindu Samaj resuming agitation anytime,” said the members at the VHP foundation day programme held here on the Janmastami Day.
The VHP also observed the day as Swamiji’s Balidan Divas.
Activists took out a well decorated Rath of Lord Shrikrisha amid chanting of Sankirtan (devotional praising song) from Gandinagar Square to the Nilakantheswar Temple to mark the day. A Jajna and a religious meeting were held in the temple premises under chairmanship of VHP, Mahanagar president Dr Bhabani Shankar Das.
Among others, Mahanagar secretary Ramakant Rath and field organiser Sachindra Singh and Bajrang Dal coordinator Manas Mohanty graced as guests. Besides, VHP member Ramesh Charan Tripathi, Gau Protection regional chief Sushant Moharana, district president Narayan Panigraihi, secretary Ramahari Sahu and treasurer Golak Bihari Sahu shared the dais. 

Wednesday, August 24, 2016

सभी संगठन राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिये समर्पित – डॉ. मोहन भागवत जी

आगरा (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा 33 सम – विचारी संगठनों के स्वयंसेवक कार्यकर्ताओं की एक दिवसीय समन्वय बैठक सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी की उपस्थिति में सम्पन्न हुई. समन्वय बैठक में पश्चिम उत्तर प्रदेश (ब्रज और मेरठ प्रान्त) तथा उत्तराखण्ड के 33 संगठनों के 236 शीर्ष कार्यकर्ता सम्मिलित हुए.
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि सभी संगठन स्वतन्त्र, स्वायत्त, स्वावलम्बी हैं. सभी के कार्यक्षेत्र, कार्य पद्धति, कार्यकर्ता भिन्न – भिन्न हैं. फिर भी सभी राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिये काम करते हैं. स्वयंसेवक भाव की व्याख्या करते हुए कहा कि संघ की प्रतिज्ञा और प्रार्थना में व्यक्त भाव ही स्वयंसेवक भाव है. स्वयंसेवक प्रतिज्ञा करते हैं कि वे प्रमाणिकता, निस्वार्थ बुद्धि और तन-मन-धन पूर्वक राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति हेतु आजन्म कार्य करेंगे. संघ की प्रार्थना में भी स्वयंसेवक मातृभूमि के लिए स्वयं को अर्पित करने का भाव नित्य व्यक्त करते हैं. समाज की संगठित कार्य शक्ति, जो विविध संगठनों के काम से विकसित होगी, के द्वारा भारत को परम वैभव पर ले जाने का आशीर्वाद स्वयंसेवक ईश्वर से मांगते हैं.
सरसंघचालक जी ने कहा कि सभी संगठनों में काम करने वाले स्वयंसेवकों को अपनी प्रतिज्ञा का रोज स्मरण करना चाहिये. इसी प्रकार प्रतिदिन शाखा जाकर प्रार्थना बोलने का प्रमाणिक प्रयास करना चाहिये. इसके अलावा अपने संगठन से भिन्न संगठनों से मैत्री भाव से मिलना चाहिये. उन्होंने कहा कि ये सब होता रहा तो बेहतर तालमेल व समन्वय बनता चलेगा.
बैठक में उपस्थित कई संगठनों ने पिछले दो-तीन वर्षो में अपने बढ़ते कार्य प्रभाव का उल्लेख किया. स्वदेशी जागरण मंच ने कहा कि चीनी माल के बहिष्कार की उसकी अपील असरदार सिद्ध हुई है, तथा हजारों परिवारों ने चीनी की जगह स्वदेशी माल अपनाया है. भारत विकास परिष्द ने बताया कि उसके द्वारा छापी गयी पुस्तक ’’ भारत को जानो’’ तथा ’’गुरू वंदन छात्र अभिनंदन’’ जैसे शैक्षिक कार्यक्रम बेहद लोकप्रिय बन बये हैं. हजारों विद्यालयों ने उक्त कार्यक्रम अपनाया है. उक्त पुस्तक की 10 लाख से अधिक प्रति अभी तक छापी जा चुकी हैं.
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत और हिन्दू जागरण मंच ने भी अपने कार्यक्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताओं की चर्चा की. बैठक में विश्व हिन्दू परिषद, भारतीय जनता पार्टी, विद्या भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, अखिल भारतीय मजदूर संघ, किसान संघ, सहकार भारती, क्रीड़ा भारती, पूर्व सैनिक सेवा परिषद्, राष्ट्रीय सिख संगत, विज्ञान भारती, लघुउद्योग भारती, आदि संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक डॉ. दर्शऩ लाल अरोड़ा जी मंच पर उपस्थित रहे. अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख सुरेश चन्द्र जी भी बैठक में थे. संचालन क्षेत्र कार्यवाह मनवीर सिंह जी ने किया.

समाज का दर्पण होती है पत्रिकाएँ – देवप्रसाद भारद्वाज जी

हरियाणा (विसंकें). पाञ्चजन्य व आर्गनाइजर सदस्यता अभियान के लिए आयोजित बैठक में हरियाणा प्रान्त कार्यवाह देवप्रसाद भारद्वाज जी ने प्रान्त भर से आए कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि ये पत्रिकाएँ गत 70 वर्षों से समाज में राष्ट्रीयता के संस्कारों का प्रचार प्रसार कर रही हैं. देश समाज की सही जानकारी पाठकों तक पहुँचाने का काम पूरी प्रमाणिकता से कर रही हैं. हरियाणा में संघ के कार्यकर्ता घर-घर जाकर अलख जगाते हुए प्रबुद्ध नागरिकों को वार्षिक सदस्य बनने के लिए प्रेरित करेंगे.
भारत प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित पाञ्चजन्य व आर्गनाइजर के इतिहास की जानकारी देते हुए महाप्रबंधक जितेन्द्र मेहता ने बताया कि ‘पाञ्चजन्य’ की यात्रा साधनों के अभाव एवं सरकारी प्रकोपों के विरुद्घ राष्ट्रीय चेतना की जिजीविषा और संघर्ष की प्रेरणादायी गाथा है. समय-समय पर प्रारंभ किए गए स्तम्भों से स्पष्ट होता है कि राष्ट्र जीवन का कोई भी क्षेत्र या पहलू उसकी दृष्टि से ओझल नहीं रहा.
अन्तरराष्ट्रीय घटनाचक्र हो या राष्ट्रीय घटना चक्र, अर्थ जगत, शिक्षा जगत, नारी जगत, युवा जगत, राष्ट्र चिन्तन, सामयिकी, इतिहास के झरोखे से, फिल्म समीक्षा, साहित्य समीक्षा, संस्कृति-सत्य जैसे अनेक स्तंभ ‘पाञ्चजन्य’ की सर्वांगीण रचनात्मक दृष्टि के परिचायक रहे हैं. 01 से 18 सितम्बर तक सदस्यता अभियान सारे हरियाणा में चलाया जाएगा. केवल 625 रुपए में वर्षभर में 52 अंक पाठकों तक पहुंचाए जाएँगे. उन्होंने कार्यकर्ताओ का आह्वान किया कि अधिकाधिक विद्यार्थियों को भी सदस्य बनाया जाए. आज का विद्यार्थी कल को विभिन्न जिम्मेदारियां लेकर आगे बढ़ने वाला है. इस आयु में राष्ट्रीय साहित्य के संस्कारों से वह एक सजग और जागरूक नागरिक बनेगा.

Monday, August 22, 2016

साम्राज्यवादी इतिहासकारों ने इतिहास को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया – डॉ. बालमुकुंद पाण्डेय जी

वाराणसी (विसंकें). काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इतिहास विभाग, सामाजिक विज्ञान संकाय में आयोजित इतिहास दृष्टि, इतिहास लेखन, एवं इतिहास के स्रोत पर दो दिनों तक चली राष्ट्रीय महिला इतिहासकार संगोष्ठी के समापन सत्र के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. बालमुकुंद पाण्डेय जी थे.
उन्होंने कहा कि इतिहास के साथ कोई दुराग्रह, कोई भी पूर्वाग्रह नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि वह पवित्रता एवं ज्ञान का प्रतीक है. उन्होंने इतिहास को मानव शास्त्र कहकर सम्बोधित किया. इसका सम्बन्ध मानव जीवन से है, जिसका आधार ममत्व एवं संवेदना है और क्योंकि भारतीय नारी मां सरस्वती का स्वरूप, ममत्व, संवेदना एवं वाणी की स्वामिनी है, इसलिये भारतीय नारी को इतिहास लेखन के कार्य से अलग नहीं किया जा सकता. हिस्ट्री एवं इतिहास में वही अन्तर है जो गंगा एवं गटर में है. साहित्य लोककला एवं संस्कृति हमारे इतिहास लेखन के मुख्य स्रोत होने चाहिये. वर्ष 1950 के बाद भारत में जो भी इतिहास लेखन किया गया है, उसे साम्राज्यवादी इतिहासकारों ने कहीं ज्यादा तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत किया गया है.
इसके साथ ही इतिहास लेखन में लेखन की दृष्टि पर बल देते हुए उन्होंने भारतीय दृष्टि एवं भारतीय चैतन्य के प्रकाश में भारत के इतिहास को लिखे जाने पर बल दिया. इसी दृष्टि से हमें एक नये भारत का निर्माण एवं एक नये युग का निर्माण कर सकते हैं.
समापन सत्र में उपस्थित अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के मार्ग दर्शक मधु भाई कुलकर्णी जी ने देश के विभिन्न भागों से आई महिला इतिहासकारों का मार्गदर्शन किया. सत्र में उपस्थित अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश मित्तल जी एवं उपाध्यक्ष ईश्वर शरण विश्वकर्मा जी एवं डॉ. देवी प्रसाद सिंह जी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं का अभिनन्दन किया.
संगोष्ठी की संयोजिका एवं इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. अरूणा सिन्हा जी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया. प्रतिवेदन इतिहास विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जयलक्ष्मी कौल ने प्रस्तुत किया. सत्र का संचालन डीएवी पीजी कालेज वाराणसी की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. उर्जस्विता सिंह ने की. दो दिनों तक चली राष्ट्रीय महिला इतिहासकार संगोष्ठी में चार सत्र आयोजित किये गये. जिनका विषय क्रमशः इतिहास दृष्टि विभिन्न आयाम, स्वरूप, लेखन पद्धति, व्यावहारिक एवं दार्शनिक पक्ष – इतिहास लेखन में नकारवाद एवं इतिहास में उपयोग किये गये शब्द एवं उनके अर्थ-इतिहास के स्रेात उनके अनुवाद एवं उनपर की गयी टिप्पणियां, व्याख्यायें एवं इतिहास के अध्ययन हेतु समुचित प्रविधि रही.
प्रथम सत्र की मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण नई दिल्ली की अध्यक्ष प्रो. सुस्मिता पाण्डेय जी ने वैज्ञानिक इतिहास लेखन, वेदान्त एवं पुराणों के इतिहास लेखन में क्वांटम थ्योरी के प्रयोग पर बल दिया साथ ही यह भी कहा कि इतिहास दर्शन को अन्य विधाओं से मिक्स नहीं करना चाहिये क्योंकि ये हमारे संस्कृति से जुड़ा हुआ है. भौतिकवादी इतिहास लेखन सभी पक्षों को उत्पादन से जोड़ता है, बौद्ध धर्म का विकास भी इसी की पहचान है.
इस सत्र में उपस्थित पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा जी ने कहा कि भारत का इतिहास एवं संस्कृति विश्वगुरू बनने के लिये अग्रसर है तथा राष्ट्रीय महिला इतिहास संगोष्ठी एक नींव का पत्थर साबित होगी. विशेषज्ञ की भूमिका में  विवेकानंद कॉलेज नई दिल्ली से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. युथिका शर्मा जी रही. सत्र की अध्यक्षता जम्मू विश्वविद्यालय से प्रो. अनीता बिल्लावरिया ने की.

Sunday, August 21, 2016

समाज में परिवर्तन सम्यक आचरण, बंधुत्व की भावना के आत्मीयतापूर्वक प्रबोधन से होगा – डॉ. मोहन भागवत जी

आगरा (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि वर्तमान में समाज परिवर्तन की आवश्यकता है और यह परिवर्तन समाज में सम्यक आचरण और बंधुत्व की भावना का आत्मीयता के प्रबोधन के साथ उत्प
न्न होगा. अतः हम सभी को कुटुम्ब को आधार बनाकर संघर्ष करना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिवाजी ने कुटुम्ब को आधार बनाकर संघर्ष किया था और यही वजह थी कि वे संस्कारवानों की फौज खड़ी कर सके.
सरसंघचालक जी रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, ब्रजप्रांत द्वारा आगरा में आयोजित युवा दम्पत्ति सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास सबसे पुराना है. जब हमने आंख खोली, तभी भी हम परम वैभव सम्पन्न राष्ट्र थे. सभ्यता समय के अनुसार बदलती है, परंतु नहीं बदलती तो केवल संस्कृति. एक बच्चे को यह सिखाने की जिम्मेदारी परिवार की होनी चाहिए कि वह दूसरों के लिये कैसे जिये. उन्होंने कहा कि पश्चिम में बाजार का भाव समाज को प्रभावित करता है. भारतीय समाज में जरूरतमंद की आवश्कताओं को पूरा करने की सीख मिलती है. उस बाजार भाव का कोई मतलब नहीं है, जहां आत्मीयता, अनुशासन, पूर्वजों की दी गयी सीख को किनारे कर दिया जाए. हमें पूर्वजों की दी हुई सीख से ही आगे बढ़ना है.
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि देश को दिशा देने के लिए कुटुम्ब को मजबूत करना होगा और बच्चों को संस्कारों की शिक्षा देनी पड़ेगी. तभी देश को आगे बढ़ाने में नवदम्पतियों का सहयोग पूरा होगा. अपनी पहचान देश से होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय परिवार अपने आप में अर्थशास्त्र की यूनिट है क्योंकि वह सारे समाज को अपना मानता है. उन्होंने नवदंपत्तियों से पारिवारिक मूल्यों के लिए काम करने तथा बच्चों में राष्ट्रभक्ति की भावना पैदा करने की अपील की.
विविधता और भारतीय मूल्य कभी भी परिवर्तित नहीं हो सकते. वहीं कश्मीर समस्या पर कहा कि पहले कश्मीर में आतंकवाद था और अटल जी की सरकार के प्रयासों से कश्मीर में बहुत हद तक आतंकवाद कम हुआ. अगर पहले की सरकारें प्रयास करतीं तो कश्मीर की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाती. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकारें अच्छा काम कर रही हैं. कश्मीर के लोग पाकिस्तान के साथ रहना नहीं चाहते. हम कश्मीर के लोगों में राष्ट्रीय विचारों को उत्पन्न करने का प्रयास करें. कार्यक्रम के दौरान मंच पर क्षेत्र संघचालक दर्शन लाल अरोड़ा जी, प्रांत संघचालक जगदीश जी उपस्थित रहे.

Saturday, August 20, 2016

आगरा में जनसंख्या असंतुलन पर पूछा गया प्रश्न व सरसंघचालक जी द्वारा प्रदत्त उत्तर

आगरा में ब्रज प्रांत की ओर से 20 अगस्त को महाविद्यालयी शिक्षक सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसमें प्रांत भर से एक हजार से अधिक शिक्षक उपस्थित थे. इस दौरान मुक्त चिंतन सत्र में शिक्षकों ने अपने प्रश्न, सुझाव व शंकाएं पू. सरसंघचालक जी समक्ष रखे. इसी सत्र में डॉ. अग्रवाल जी ने जनसंख्या दर पर सवाल पूछा…..उनका सवाल कुछ इस प्रकार था……
हमारे देश में हिन्दुओं की जन्म दर 2.1 प्रतिशत है, जबकि मुस्लिम समाज की जन्म दर 5.3 प्रतिशत है, अभी यहां मंच से कहा गया कि हमारा देश हिन्दू राष्ट्र है. तो अगर इसी तरह से हिन्दुओं की दर पीछे रही, मुसलमानों की दर ढाई गुनी आगे बढ़ती रही तो अगले पचास साल के बाद कैसे हम हिन्दू राष्ट्र के रूप में इस देश में रह सकेंगे, क्या यह देश एक इस्लामिक कंट्री नहीं बन जाएगा…यह मेरा प्रश्न है
सरसंघचालक जी का उत्तर…………….
हिन्दू जनसंख्या अगर घट रही है तो कोई कानून है क्या जिसमें कहा गया है, हिन्दुओ जनसंख्या घटाओ. ऐसा है क्या, ऐसा कुछ नहीं है. बाकी लोगों की बढ़ रही है तो आपकी क्यों नहीं बढ़ती. ये कोई व्यवस्था का प्रश्न थोड़े ही है, ये समाज का वातावरण है. समाज में अपने हित का ध्यान रखना, अपने परिवार का ध्यान रखना, अपने राष्ट्र के हित का ध्यान रखना. तीनों पर साथ चलने की प्रवृत्ति चाहिए. आज हम परिवार-परिवार पकड़ कर बहुत चल रहे हैं, उसकी अच्छा बात यह है कि हमारी कुटुंब पद्धति का अनुकरण अब विदेशों में भी होने लगा है. वो अच्छा है, वो परंपरागत हमारा वैशिष्ट्य है. लेकिन हमारे कुटुंब ऐसे रहे हैं, जिसमें पितृ वचन के पालन की खातिर 14 साल वनवास में जाने की अनुमति मिलती है. जिसमें  घर का ब्याह छोड़कर स्वराज्य की लड़ाई लड़ने के लिए, किला जीतने के लिए भेजा जाता है. हमारे परिवार की कल्पना ऐसे परिवारों की है. हमको ऐसा व्यक्ति बनना चाहिए, हमको ऐसा परिवार बनना चाहिए, हमको ऐसा समाज बनना चाहिए. हमको ऐसा व्यक्ति बनना चाहिए, जो परिवार और समाज दोनों का विचार करे. हमारे परिवार में वातावरण ऐसा होना चाहिए कि परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को आत्मीयता मिले और पूरे समाज का लाभ हो. असंतुलित जीवन हो गया है, संतुलन वापिस आना चाहिए और अगर एक को ही पकड़ने की बारी आती है तो देश की खातिर चार-चार पुत्रों को वार दिया, ये इतिहास हमीं ने रचा है. गुरू गोविंद सिंह जी ने रचा है, वो हमारे आदर्श हैं. पहले देश बाद में मेरा परिवार, वो तो हम करते हैं. भाई बहुत बीमार है, सेवा करने वाला मैं अकेला हूं, मेरी परीक्षा है, मैं परीक्षा छोड़ देता हूं. भाई पढ़े, इसलिए मैं अपनी पढ़ाई छोटी रखता हूं, ये मैं करता हूं. ऐसे ही परिवार का हित पहले कि समाज का हित पहले, समाज का हित पहले. ऐसा हमको चलना पड़ेगा तब ये सारी बातें अपने आप ठीक होंगी.

Friday, August 12, 2016

ध्येय के प्रति समर्पित विश्वास के साथ चलने की प्रेरणा विश्वामित्र जी के जीवन से मिलती है – भय्याजी जोशी

नई दिल्ली (इंविसंके). लघु उद्योग भारती के संस्थापक सदस्य व प्रसिद्ध समाजसेवी स्वर्गीय विश्वामित्र बहल के नाम पर पटेल नगर मेट्रो स्टेशन से पूर्वी पटेल नगर जाने वाले मुख्य मार्ग का नामकरण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी, सांसद मीनाक्षी लेखी द्वारा 11 अगस्त को किया गया.
सरकार्यवाह जी ने इस अवसर पर कहा कि सभी के सहयोग व मार्गदर्शन से इस मार्ग का नामकरण हुआ है. आने-जाने वाले लोग इस नाम को देखकर प्रेरणा प्राप्त करेंगे तथा पूछेंगे कि यह कौन है, जिसके नाम से यह मार्ग बना है. जनता में प्रसिद्ध नाम विश्वमित्र जी का शायद नहीं होगा, लेकिन अपने संघ जीवन में, सामाजिक जीवन में उनका स्थान सब जानते हैं. लेकिन वह कोई राजनीतिक नेता नहीं थे, बहुत ही अच्छे भाषण करने वाले भी नहीं थे, जिनसे लोग जाने जाते हैं, जिन कारणों से लोग समाज में जाने जाते हैं, इस प्रकार का उनका व्यक्तित्व नहीं था, पर यहां पर बैठे हुए और जो यहां नहीं आए हैं, ऐसे सैकड़ों लोगों के अन्तःकरण में जिसका स्थान है उनका नाम है विश्वमित्र.
भय्या जी ने कहा कि उनका सामान्य परिचय यही होगा कि वह संघ के एक स्वयंसेवक हैं. उनका संघ से परिचय जिस कालखण्ड में आया, वह कालखण्ड बड़ा विचित्र है. वर्ष 1945-46 की बात करते हैं, उस समय की घटनाओं को अगर नजरों के सामने लाते हैं, उस समय अत्याचार और हिंसा का जो माहौल, लाखों की संख्या में पाकिस्तान से विस्थापित हुए लोग, उसमें हिन्दू समाज को साहस देने वाले लोगों का अभाव, आज हमें सभी प्रकार का सहयोग करने के लिए समाज तत्पर है, लेकिन उस समय ऐसा नहीं था. उसी कालखण्ड में, युवावस्था में विश्वमित्र जी ने संघ में प्रवेश किया. आज जिस मार्ग का नामकरण उनके नाम पर हुआ है, उस मार्ग पर चलने वाले स्वयंसेवकों को, कार्यकर्ताओं को जब यह पता चलेगा कि यह जो संघ के स्वयंसेवक के नाम का बोर्ड लगा हुआ है तो उसे भी लगेगा कि हां कुछ प्रेरणा देना वाला व्यक्तित्व उनका रहा होगा. लघु उद्योग भारती के कार्यकर्ता जो यहां बैठे हुए हैं वह जानते हैं, विश्वामित्र जी लघु उद्योग भारती के संस्थापक सदस्य थे, इस प्रकार नये-नये क्षेत्रों में काम करना बहुत कठिन होता है. वो उन्होंने लघु उद्योग भारती की स्थापना करके दिखाया. लघु उद्योग भारती उनकी रखी गई नींव के कारण ही आज अन्य संस्थाओं के लिए मार्गदर्शक बन गई है. क्योंकि इसका बीज इतना सशक्त है और यह बीजारोपण विश्वामित्र जी जैसे व्यक्तित्व के कारण हुआ है. ध्येय के प्रति समर्पित विश्वास के साथ चलने की प्रेरणा विश्वामित्र जी के जीवन से मिलती है. आज जिस मार्ग का उद्घाटन हुआ है उस मार्ग से उनकी गरिमा बढ़ेगी ऐसा नहीं है, वह मार्ग तो उन्होंने पहले से ही बनाया है, उस मार्ग पर वह स्वयं चले हैं. उनका अनुसरण करते हुए हम भी उसी मार्ग पर चलें. एक कृत्रिम रूप में यह मार्ग भी बना हुआ है तो इस मार्ग से आने-जाने वाले लोगों को निश्चित रूप से एक अलग प्रकार की अनुभूति मिलती रहेगी, ऐसा विश्वास है. इस अवसर पर स्वर्गीय विश्वामित्र जी की धर्मपत्नी, पुत्र सुनील बहल जी, प्रेमजी गोयल, कुलभूषण आहूजा जी, भारत जी, पूर्णिमा विद्यार्थी व बड़ी संख्या में लघु उद्योग भारती के कार्यकर्ता व स्थानीय निवासी उपस्थित थे.

तकनीकी राष्ट्रवाद एवं आर्थिक राष्ट्रनिष्ठा आज की आवश्यकता – प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा

भोपाल (विसंकें). अर्थशास्त्री एवं पैसिफिक विश्वविद्यालय उदयपुर के कुलपति प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा जी ने कहा कि विश्व में यदि हमें अग्रिम पंक्ति में स्थान पाना है तो ज्ञान आधारित क्षेत्रों में अपना योगदान बढ़ाना होगा. इसके लिए आवश्यक है कि हम अपने खुद के उत्पाद एवं ब्रांड विकसित करें. तकनीकी क्षेत्रों में भारतीय मानव संसाधन दुनिया में पहचाना जाता है, परंतु इनके द्वारा तैयार किए गए तकनीकी उत्पाद का फायदा वैश्विक मल्टीनेशनल कंपनियाँ उठाती हैं. इससे भारतीय ज्ञान एवं प्रतिभा से प्राप्त मुनाफा विदेशी कंपनियों को प्राप्त होता है. इसे रोकने के लिए भारत को तकनीकी राष्ट्रवाद एवं आर्थिक राष्ट्रनिष्ठा की ओर जाना होगा. वह टीटी नगर स्थित समन्वय भवन में पत्रकारिता विश्वविद्यालय के सत्रारम्भ कार्यक्रम के दूसरे दिन संबोधित कर रहे थे.
सत्रारम्भ कार्यक्रम की शुरूआत में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को भावभीनी श्रृद्धांजलि दी गई. कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने डॉ. कलाम के वर्ष 2012 में हुए प्रवास के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए सभागर में उपस्थित विद्यार्थियों को वह शपथ दिलवाई जो वर्ष 2012में डॉ. कलाम ने विद्यार्थियों को दिलवाई थी. दो मिनट के मौन के उपरांत सत्रारम्भ कार्यक्रम डॉ. कलाम की स्मृतियों के साथ संचालित हुआ.
भारत का आर्थिक परिदृश्य – अवसर और चुनौतियाँ विषय पर प्रो. शर्मा ने कहा कि टेली टेलीकाम सहित अनेक क्षेत्र ऐसे हैं, जिसमें स्वदेशी तकनीक अपनाई जा सकती थी. परंतु इन तकनीकी क्षेत्रों में आज हमारी निर्भरता यूरोप की कंपनियों पर है, जबकि चीन ने अपनी तकनीक विकसित कर ली है. मीडिया एफडीआई को इस तरह प्रस्तुत करता है जैसे देश के लिए वह कोई बड़ी उपलब्धि है, जबकि इसके विपरीत एफडीआई से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि मुनाफा देश के बाहर जाएगा. आज हमें अपने अर्थतंत्र को ठीक तरह से समझने की आवश्यकता है. आर्थिक चुनौतियों को आर्थिक अवसरों में कैसे बदला जाए, इस पर विचार किया जाना चाहिए. इस दौरान सत्रारंभ कार्यक्रम के प्रथम दिवस की गतिविधियों पर आधारित समाचारपत्र का विमोचन भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया.
डिजिटल दुनिया का बदलता परिदृश्य‘ विषयक सत्र में बोलते हुए सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ प्रशांत पोल जी ने कहा कि पूरी दुनिया डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रही है. दुनिया को बदलने वाले कारकों में मोबाईल फोन सबसे आगे है. भारत मोबाईल डेनस्टी के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है. हमारे देश में आज लगभग95 करोड़ के आसपास मोबाईल फोन हैं. पहले नदियों के पास शहर एवं संस्कृतियाँ विकसित होती थीं. अब फाइबर आप्टिक्स के पास शहर एवं संस्कृतियाँ विकसित होंगी. डिजिटल दुनिया के विस्तार का अंदाज हम इस बात से लगा सकते हैं कि आज चाईना के बाद फेसबुक दुनिया की दूसरी बड़ी कम्युनिटी है. संचार के प्रभावी सूत्र‘ विषयक सत्र में डॉ. प्रियंका जैन ने कहा कि प्रभावी संचार के लिए सुनना एवं पढ़ना बहुत जरूरी है. तोलमोल के बोल संचार की सफलता का एक बड़ा सूत्र है. हमें संचार करते समय स्वाभिमान एवं अभिमान के बीच स्पष्ट अंतर करना चाहिए. उन्होंने विद्यार्थियों को संचार की सफलता के अनेक सूत्र बताए.
अंतिम सत्र में विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव लाजपत आहूजा ने विश्वविद्यालय की संरचना का परिचय देते हुए दादा माखनलाल चतुर्वेदी के योगदान से विद्यार्थियों को अवगत कराया. पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्षडॉ. राखी तिवारी ने रैगिंग के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला. साथ ही विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के विभागाध्यक्ष,डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने पुरुष-महिला व्यवहारिक सम्मान पर अपनी बात रखी.

युवाओं को अपनी भारतीय संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए – राजेश लोया जी

नागपुर. नागपुर के चार्टर्ड अकाउंटेंट तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नागपुर महानगर संघचालक राजेश लोया जी ने कहा कि हमारा देश युवाओं का देश है और युवा ही आने वाले भारत के रचयिता हैं. परन्तु आज का युवा थोड़ा भटक गया है और अध्ययन से दूर जा रहा है. वर्तमान समय में सोशल मीडिया कोई बुरी बात नहीं, परन्तु उसका सही उपयोग करना आवश्यक है. राजेश जी समर्थ भारत सामाजिक संस्था (नागपुर) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘आइडिया ऑफ़ इंडिया’ नामक यूथ थिंकर सम्मिट के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे.
महानगर संघचालक जी ने कहा कि युवाओं को बड़े धैर्य और संयम के साथ हर पग आगे ही बढ़ते जाना है, यह अति आवश्यक है. अपने बड़ों के आशीर्वाद से ही जीवन में अग्रेसर हो सकते हैं. इसलिए बड़ों का आदर और सम्मान हमारा कर्तव्य है. हमारे युवक फ्री स्पीच के चक्कर में फंसकर सिर्फ सुनी सुनाई बात को दोहराते हुए सिर्फ टीकाकार न बनें, बल्कि विचारों का अध्ययन कर उस पर अपने मन के विचारों को अभिव्यक्त करें, उसे लिखकर रखें. ये विचार भविष्य में आपके लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि नियती कब आपको कोई विधायक कार्य करने का अवसर प्रदान करेगी, यह कह नहीं सकते. हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि ज्ञान, अध्ययन और अनुभव हमेशा जीवन के लिए उपयोगी रहते हैं. हमारे युवा अपनी संस्कृति के प्रति उदासीन है. आज आवश्यकता है कि अपने सांस्कृतिक ज्ञान को बढ़ाया जाए, इसके लिए हमें अपनी भारतीय संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए.
समर्थ भारत सामाजिक संस्था (नागपुर) द्वारा ‘आइडिया ऑफ़ इंडिया’ नामक यूथ थिंकर सम्मिट का आयोजन सिविल लाइन्स स्थित चिटनविस सेंटर में किया गया. आयोजन का मूल उद्देश्य सामाजिक विषयों पर लेखन और चिंतन करने वाले तथा सोशल मीडिया का उपयोग कर अपने विचारों को प्रगट करने वाले युवाओं को एक मंच प्रदान करना था. आइडिया ऑफ़ इंडिया थीम पर आधारित कार्यक्रम में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े युवा विद्यार्थी तथा अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यरत युवा सहभागी हुए. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से तीन अलग-अलग विषयों पर विद्यार्थियों से मत लिए गए थे. संगोष्ठि में 80 से अधिक युवा सहभागी हुए.
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता अदिति हर्डीकर, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष अडोनी और विदर्भ वैधानिक विकास महामंडल के सदस्य तथा युवा अर्थशास्त्री डॉ. कपिल चान्द्रायण उपस्थित थे. ‘आइडिया ऑफ़ इंडिया’ के अंतर्गत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression – How Free can free speech be?), भारतीय संस्कृति (Indian culture – flowing river or a stagnant pond) और भारतीय अर्थशास्त्र (Bharatiya Arth Sutras – A global perspective or Impractical approach?) पर युवाओं ने मंथन किया. तीन अलग-अलग समूहों में विभक्त होकर युवाओं ने अपने विचार ग्रुप डिस्कशन में रखे. इस दौरान प्रत्येक समूह में बतौर निरीक्षक कार्यक्रम के मुख्य वक्ता उपस्थित रहे.
कार्यक्रम का प्रारंभ भारतीय अर्थशास्त्र विषय को प्रस्तुत करते हुए डॉ. कपिल चान्द्रायण ने कहा कि भारतीय अर्थशास्त्र के केन्द्र स्थान में मानव है और पश्चिम का अर्थव्यवस्था बाजार केन्द्रित है. हमारा आर्थिक चिंतन प्रत्येक व्यक्ति के सबलीकरण को महत्त्व देता है जो अंततोगत्वा आर्थिक व सामाजिक स्तर में सुधार का मूल आधार होता है. महाभारत ग्रंथ में भारतीय अर्थशास्त्र के पथदर्शी सूत्र हमें मिलते हैं और इस विषय का युवाओं को अधिक अध्ययन करना चाहिए.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अदिति हर्डीकर ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करती है, लेकिन वाचन और अध्ययन में रूचि नहीं रखते. हमें फ्री स्पीच या अभिव्यक्ति स्वतंत्रता जैसे विषयों में न उलझकर हर मुद्दे का गहरा अध्ययन करने की जरुरत है. युवा होने के नाते हमें सामूहिक चिंतन के लिए ऐसे अभ्यास वर्गों की रचना करनी चाहिए, जिससे युवा चिंतन को बल मिले. युवाओं को सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों के लिए समय देना चाहिए.
भारतीय संस्कृति पर वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष अडोनी ने कहा कि भारत दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जिस पर हजारों वर्षों से अनेकों आक्रमण हुए, इसके बावजूद यहां की संस्कृति अभी तक टिकी हुई है. भारतीय संस्कृति प्राचीन होने के साथ ही वैज्ञानिक और तर्काधारित है और सभी प्रकार के दर्शन इसमें समाहित हैं. सारी सृष्टि हमारा कुटुंब है, यह विचार हमारी संस्कृति और जीवन प्रणाली का अविभाज्य घटक है. भारतीय संस्कृति सबसे उदार और सहनशील है और आगे भी उसकी प्रासंगिकता युगों तक रहने वाली है. कार्यक्रम का संचालन ब्रिज गोपला सारडा ने किया. राष्ट्रगीत से कार्यक्रम का समापन हुआ.

Wednesday, August 10, 2016

सौहार्द बिगाड़ने वाले तत्वों से सावधान एवं सतर्क रहे-सरकार्यवाह

सौहार्द बिगाड़ने वाले तत्वों से सावधान एवं सतर्क रहे-सरकार्यवाह
 वर्तमान समय में देश के विभिन्न स्थानों  पर अनुसूचित जाति के बंधुओं पर अत्याचार एवं उत्पीडन की हो रही घटनाओं की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कड़े शब्दों मे घोर निंदा करता है. कानून अपने हाथ में  लेकर अपने ही समाज के बंधुओं को प्रताडित करना यह केवल अन्याय ही नहीं, अमानवीयता को भी प्रकट करता  है.

प्रसार माध्यम परिस्थिति का समग्रता से आकलन करते हुए तथ्यों के आधार पर ऐसें समाचारो को प्रसारित कर सौहार्द का वातावरण बनाने के स्थान पर अवि१वास, अशांति, संघर्ष बढाने का ही कार्य करते दिखाई पड़ रहे हैं. यह भी निंदनीय है. विभिन्न राजनैतिक दल एवं जाति-बिरादरी के शीर्षस्थ नेतृत्व ने अधूरी-अवास्तव जानकारी देकर समरस समाज मे असमंजस का वातावरण बनाने का प्रयास किया है, जो समरस समाज के लिए हितकर नहीं है. संघ ऐसे सभी राजनीतिक दल, जाति-बिरादरी के शीर्षस्थ नेतृत्व से आह्वाहन करता है कि सामान्य जनसहयोग से समाज के असमंजस स्वरुप वातावरण को सामान्य बनाने का प्रयास करने की आवश्यकता है और पीडित बंधुओं के प्रति संवेदना व्यक्त कर ऐसी घटनाएँ न घटे इसकी चिंता करने की जरूरत है.

 हम समाज के सभी वर्गों से आह्वाहन करते है कि परस्पर सौहार्द एवं विश्वास का वातावरण बिगाड़ने वाले तत्वों से सावधान एवं सतर्क रहे. प्रशासन से अपेक्षा है कि इस प्रकार की कानून की धज्जियाँ उडाने वाले व्यक्ति एवं समूहों पर त्वरित क़ानूनी कार्यवाही कर दोषियों को दण्डित किया जाये. - सरकार्यवाह श्री भय्याजी जोशी का वक्तव्य.

Tuesday, August 09, 2016

पाश्चात्य नेशन की कल्पना Exclusiveness, जबकि भारतीय राष्ट्र की कल्पना Inclusivness पर आधारित – डॉ. कृष्ण गोपाल जी

इंदौर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि भारत के शिक्षक का दायित्व बनता है कि भारतीय आध्यात्मिक दृष्टि से विद्यार्थियों को परिचित करवायें. भारतीयों में अपार प्रतिभा है, जिसका लोहा सारा विश्व मानता है. पाश्चात्य जगत के शिक्षक और भारतीय शिक्षक में ये ही अंतर है कि पाश्चात्य जगत में शिक्षक का विद्यार्थी से व्यावसायिक सम्बन्ध है, भारी शुल्क लेकर शिक्षक ज्ञान प्रदान करता है. परंतु भारत में शिक्षक विद्यार्थी सम्बन्ध गुणात्मक है, जिसमें मनुष्य तत्व गुण जगाने हेतु शिक्षक विद्यार्थियों को विश्व ज्ञान के साथ साथ संस्कार एवं आध्यात्मिक क्षमता तथा राष्ट्रीय दायित्व बोध प्रदान करता है ताकि विद्यार्थी का सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास हो. आज शिक्षक को इसी दिशा में अपना ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.
भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़ों से यह पता चलता है कि पूरे भारत वर्ष में लगभग 31.5  करोड़ विद्यार्थी हैं. युवा देश की इस धरोहर के निर्माण में संलग्न प्राध्यापक सही मायनों में देश के भविष्य के निर्माता हैं. इसी लक्ष्य को लेकर मालवा प्रान्त में लगातार दूसरे वर्ष एक तीन दिवसीय प्रांतीय प्राध्यापक नैपुण्य वर्ग दिनांक 5,6,7 अगस्त को इंदौर में संपन्न हुआ. वर्ग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ.
सह सरकार्यवाह जी ने भारत जीवन दर्शन और राष्ट्र की परिकल्पना पर विचार रखते हुए कहा कि भारत एक सनातन राष्ट्र है, इसको बनाना नहीं समझना है. नेशन और राष्ट्र दोनों अलग अलग शब्द हैं अर्थात दोनों के निहितार्थ अलग अलग है. वर्ष 1789 में फ़्रांस क्रांति हुई, उसके बाद नेशनलिज्म शब्द अस्तित्व में आया. अन्यान्य देशों में इसकी अलग अलग परिभाषा है, विश्व में कई नेशन (देश) भाषा, जाति, संप्रदाय, आर्थिक आधार पर निर्मित हुए. इसी नेशन शब्द को भारत के राष्ट्र की कल्पना से जोड़ दिया गया, जबकि भारत के राष्ट्र की कल्पना बहुत अलग है. भारत में कई आक्रमणकारी आए, परंतु वे भारत की संस्कृति में विलीन हो गए. पाश्चात्य नेशन की कल्पना Exclusiveness पर आधारित है, जबकि भारतीय राष्ट्र की कल्पना Inclusivness पर आधारित है. भारत के राजा, सेना, सेनापति तो हारे पर राष्ट्र दर्शन सदैव विजयी रहा क्योंकि हमारे राष्ट्र का आधार राजा नहीं था, संस्कृति में आध्यात्मिकता थी, सर्वसमन्वयता का गुण भारत का दर्शन है जो विश्व में अद्वितीय है, इस्लाम के आक्रमण के समय भी विभिन्न धर्मगुरु जैसे कबीर, नानकदेव, रैदास, तुलसीदास, समर्थ रामदास आदि द्वारा हिन्दुत्व का प्रचार प्रसार चलता रहा अर्थात राष्ट्र जीवित रहा. अंग्रेजों के शासनकाल में भी महर्षि अरविन्द, स्वामी विवेकानंद, तिलक, बंकिमचंद चटोपाध्याय आदि के माध्यम से आध्यात्मिकता जीवित रही. यह धरती हमारी माँ है, यह दर्शन भी हमारे ऋषियों ने दिया ”माता भूमि पुत्रोहम पृथिव्या ”हमारे दर्शन में पृथ्वी का प्रत्येक अवयय पूजनीय है ( नदी, पर्वत, सरोवर, वृक्ष आदि) और इन सबके पीछे भारत राष्ट्र का आधार हिन्दू है.
प्रांतीय प्राध्यापक नैपुण्य वर्ग में कुल 7 विभागों से प्रतिनिधित्व रहा, जिसमें 76 महाविद्यालयों से कुल 17 प्राचार्य/डायरेक्टर, 16 रिसर्च स्कॉलर तथा कुल 188 प्राध्यापक उपस्थित थे. इस तीन दिवसीय नैपुण्य वर्ग में राष्ट्र का गौरव, शिक्षक की भूमिका, भारतीय जीवन दर्शन आदि विषयों पर सत्र हुए एवं जिज्ञासा समाधान भी किया गया. तीन दिवसीय वर्ग में मुख्य रूप से  क्षेत्रीय संघ चालक अशोक जी सोहनी, प्रान्त संघचालक डॉ. प्रकाश जी शास्त्री, प्रान्त प्रचारक पराग जी अभ्यंकर, सह प्रान्त प्रचारक डॉ. श्रीकांत जी, सह प्रान्त कार्यवाह विनीत नवाथे जी उपस्थित थे.

पाथेय कण के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण

जयपुर (विसंकें). प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रसार संख्या वाली पाक्षिक पत्रिका पाथेय कण के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी और प्रसिद्ध फिल्म निर्माता – निर्देशक एवं फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य डॉ. चन्द्रप्रकाश द्विवेदी जी ने किया. इस अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बीके कुठियाला जी और प्रसिद्ध संत सुबोधगिरि महाराज जी भी उपस्थित थे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि हिन्दुत्व का मतलब राष्ट्रीय बनना और उसकी विचार परंपरा से जुड़ना है. इस देश को जो लोग एक सूत्र के रूप में देखना नहीं चाहते, वे ही हिन्दुत्व शब्दावली पर प्रहार करते हैं, वो यह नहीं चाहते कि हम एक रहें.
कार्यक्रम के प्रारंभ में पाथेय कण के प्रधान संपादक कन्हैयालाल चतुर्वेदी जी ने कार्यक्रम की भूमिका सबके समक्ष रखी. उन्होंने बताया कि पाथेय कण राजस्थान के 22 हजार गांवों में पहुंचती है. हमारा लक्ष्य राज्य के इसे सभी 32 हजार गांवों और ढाणियों तक पहुंचाने का है.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संत सुबोध गिरि जी महाराज ने कहा कि धर्म निरपेक्षता भारतीयता का आधार नहीं है, यह पश्चिम की कल्पना है. हमारे यहां राष्ट्र एक सांस्कृतिक इकाई है, जबकि पश्चिम राष्ट्र को एक राजनीतक इकाई मानता है. उन्होंने कहा कि जब देश में साढ़े पांच सौ से अधिक रियासतें थी, इसके बाद भी भारत एक सांस्कृतिक राष्ट्र था.