शिमला (विसंकें). हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है. लेकिन गौ-तस्करी के कारण अब यही देवभूमि कलंकित हो रही है. प्रदेश में पिछले काफी समय से लगातार कहीं न कहीं से गौ-तस्करी और गौवंश पर अत्याचार के समाचार आ रहे हैं. सोमवार 22 अगस्त को राजधानी के जुन्गा में गौ तस्करी से जुड़ा मामला सामने आया है. पुलिस ने गौ-तस्करों को रंगे हाथ पकड़ा. गौ-तस्करी के चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. चारों आरोपी 2 पिकअप गाडि़यों में गाय और बैलों को भरकर सिरमौर की तरफ ले जा रहे थे. गाड़ियों में गौवंश को ठूंस-ठूस कर भरा गया था. एक गाड़ी में 7 गाय और 4 बैल, जबकि दूसरी गाड़ी में 4 बैलों को रखा गया था. पुलिस की नियमित गश्त के दौरान पुलिस को सूचना मिली कि गाड़ी में गौ-तस्कर गौवंश को ले जा रहे हैं. पुलिस ने शक के आधार पर गाड़ी को रोका और उसकी जांच की तो मामले का खुलासा हुआ. दोनों गाडि़यां हिमाचल के नम्बर पर पंजीकृत हैं.
आरोपियों में दौलतराम और कृष्ण सिरमौर के संगड़ाह, नेकराम और हरीश घनेरी के रहने वाले हैं. घटना के बाद प्रशासन फिर से सवालों के घेरे में आ गया है. लगातार हो रही गौ-तस्करी की घटनाओं ने इसके जारी रहने की पुष्टि की है. इससे पता लगता है कि गौ-तस्करी के पीछे काम कर रहे गिरोह का अभी तक पता नहीं लग पाया है. शिमला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भजन नेगी का कहना है कि पुलिस गौ-तस्करों के खिलाफ पूरी तरह सक्रिय है और आवश्यक कार्रवाई कर रही है. एएसपी ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि पुलिस ने चार आरोपियों को हिरासत में लिया है. ये लोग पशुओं को सिरमौर की तरफ ले जा रहे थे. पुलिस मामले की तह तक जाने के लिए गहनता से छानबीन कर रही है. घटना के बाद लोग भी हैरत में हैं कि गौ-तस्कर गैंग चुपचाप चोरी छिपे ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहा है, जबकि प्रशासन गंभीर नहीं दिखाई दे रहा.
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