आगरा (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि वर्तमान में समाज परिवर्तन की आवश्यकता है और यह परिवर्तन समाज में सम्यक आचरण और बंधुत्व की भावना का आत्मीयता के प्रबोधन के साथ उत्प
न्न होगा. अतः हम सभी को कुटुम्ब को आधार बनाकर संघर्ष करना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिवाजी ने कुटुम्ब को आधार बनाकर संघर्ष किया था और यही वजह थी कि वे संस्कारवानों की फौज खड़ी कर सके.
सरसंघचालक जी रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, ब्रजप्रांत द्वारा आगरा में आयोजित युवा दम्पत्ति सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास सबसे पुराना है. जब हमने आंख खोली, तभी भी हम परम वैभव सम्पन्न राष्ट्र थे. सभ्यता समय के अनुसार बदलती है, परंतु नहीं बदलती तो केवल संस्कृति. एक बच्चे को यह सिखाने की जिम्मेदारी परिवार की होनी चाहिए कि वह दूसरों के लिये कैसे जिये. उन्होंने कहा कि पश्चिम में बाजार का भाव समाज को प्रभावित करता है. भारतीय समाज में जरूरतमंद की आवश्कताओं को पूरा करने की सीख मिलती है. उस बाजार भाव का कोई मतलब नहीं है, जहां आत्मीयता, अनुशासन, पूर्वजों की दी गयी सीख को किनारे कर दिया जाए. हमें पूर्वजों की दी हुई सीख से ही आगे बढ़ना है.
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि देश को दिशा देने के लिए कुटुम्ब को मजबूत करना होगा और बच्चों को संस्कारों की शिक्षा देनी पड़ेगी. तभी देश को आगे बढ़ाने में नवदम्पतियों का सहयोग पूरा होगा. अपनी पहचान देश से होनी चाहिये. उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय परिवार अपने आप में अर्थशास्त्र की यूनिट है क्योंकि वह सारे समाज को अपना मानता है. उन्होंने नवदंपत्तियों से पारिवारिक मूल्यों के लिए काम करने तथा बच्चों में राष्ट्रभक्ति की भावना पैदा करने की अपील की.
विविधता और भारतीय मूल्य कभी भी परिवर्तित नहीं हो सकते. वहीं कश्मीर समस्या पर कहा कि पहले कश्मीर में आतंकवाद था और अटल जी की सरकार के प्रयासों से कश्मीर में बहुत हद तक आतंकवाद कम हुआ. अगर पहले की सरकारें प्रयास करतीं तो कश्मीर की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाती. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकारें अच्छा काम कर रही हैं. कश्मीर के लोग पाकिस्तान के साथ रहना नहीं चाहते. हम कश्मीर के लोगों में राष्ट्रीय विचारों को उत्पन्न करने का प्रयास करें. कार्यक्रम के दौरान मंच पर क्षेत्र संघचालक दर्शन लाल अरोड़ा जी, प्रांत संघचालक जगदीश जी उपस्थित रहे.
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