Sunday, June 22, 2014

भारत की राष्ट्र की अवधारणा आध्यात्मिक

नई दिल्ली- राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल जी ने कहा है कि भारत की राष्ट्र की अवधारणा राजनीतिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक है.
ipfभारत नीति प्रतिष्ठान द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार जी की 75वीं पुण्यतिथि के अवसर पर ‘डा. हेडगेवार और भारतीय राष्ट्रवाद’  विषय पर संगोष्ठी का आयोजन दीन दयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली में किया गया. इस अवसर पर डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत में राष्ट्र की अवधारणा 1947 से नहीं शुरू हुई. उन्होंने कहा कि यह सदियों पुरानी विचारधारा है, जिसे हमारे ऋषि-मुनियों, सुधारकों ने जीवित रखा और मजबूती प्रदान की है. पश्चिम के नेशन की अवधारणा जहां राज्य, आर्थिक, धार्मिक, जन-जातियां तथा इसी तरह के मसलों से निकलकर आती है. वहीं भारत में राष्ट्र की अवधारणा हमारी सांस्कृतिक पहचान से बनी है और यह लोगों को आपस में जोड़ती है, न कि लोगों को दूर करती है.
डा. कृष्ण गोपाल ने कहा, “संघ संस्थापक परम पूज्य डा. हेडगेवार ने लोगों तक मौलिक दर्शन पहुंचाने का काम किया है. उन्होंने कुछ नया नहीं किया लेकिन ऋषि परम्परा को जीवित रखा है. यही काम विवेकानन्द और अरबिन्दो भी कर रहे थे. बुद्ध से लेकर कबीर तक और शंकरदेव तक हमारी राष्ट्र की अवधारणा इन्हीं विचारकों के साथ मजबूत हुई है. और जब हम वन्दे मातरम् की बात करते हैं तो हम इसी समर्पण की बात करते हैं.”
भारत नीति प्रतिष्ठान के निदेशक प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि वामपंथी और नेहरूवादी इतिहासकारों ने इस देश के इतिहास को और समाज शास्त्र को बहुत नुकसान पहुंचाया है. इन लोगों ने सही सूचनायें लोगों तक नहीं पहुंचने दीं. यहां तक कि संघ से संबंधित 109 फाइलों का कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है. लगता है कि या तो उन्हें नष्ट कर दिया गया है या गायब कर दिया गया है. इन लोगों ने देश के साथ और इतिहास के साथ आपराधिक अन्याय किया है. उन्होंने कहा कि भारत में सभ्यता और संस्कृति को-टर्मिनस रहे हैं.
photo-प्रो. सिन्हा ने कहा कि भारत में इतिहास लेखन कितना त्रुटिपूर्ण है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां विचारधारा पहले बन जाती है, उसका विश्लेषण उसी के अनुसार किया जाता है और तथ्य गायब हो जाते हैं. जबकि तथ्य आधारित इतिहास ज्यादा प्रमाणित होता है. इसी आधार पर  उनका विश्लेषण किया जाना चाहिये.
डा. शारदेन्दु मुखर्जी ने कहा कि कॉरपोरेट इतिहासकारों ने न केवल देश को बल्कि इतिहास को भी क्षति पहुंचाई है. भारत नीति प्रतिष्ठान के चेयरमैन प्रो. कपिल कपूर ने उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया.

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