Saturday, June 28, 2014

‘राष्ट्र प्रथम’ का भाव जगाता है संघ : रामदत्त जी

दमोह. ‘राष्ट्र प्रथम है’ का भाव जागृत करने का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार करता आ रहा है, व्यक्ति निर्माण राष्ट्रोत्थान के कार्य में जुटा संघ आज चर्चा एवं जिझासाओं का कारण बना हुआ है, परन्तु निकट से देखने पर पता चलता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या है?
OTC Damoh-1स्थानीय केशवनगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय के विशाल प्रांगण में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के समापन अवसर पर क्षेत्र प्रचारक माननीय रामदत्त जी ने उपस्थित प्रशिक्षणार्थी स्वयंसेवकों एवं गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में भीड़ तो है, परन्तु देश को प्रथम मानने वालों की कमी आज भी दिखायी देती है. गत कुछ दशक पूर्व हुये एशियाड खेलों के दौरान भारत आयी एक अमेरिकी खिलाड़ी की कोलकाता  यात्रा का वृतांत सुनाते हुये उन्होंने बताया कि क्त महिला खिलाड़ी ने कोलकाता की गंदगी के बारे में जानना चाहा कि इसकी सफाई के लिये कितने और लोगों की आवश्यकता पड़ेगी? यदि सब अपना उत्तरदायित्व समझकर राष्ट्र को प्रथम मानने लगें तो कोई समस्या नहीं रहेगी.
OTC Damoh-2रामदत्त जी ने कहा कि हिन्दुओं के संगठन के बारे में विभिन्न प्रकार की बातें चलती रहती हैं. कुछ लोग साम्प्रदायिक होने की बात करते हैं?  उन्होने कहा कि यह सब निराधार बातें हैं. अरे! जो हिंदू जहरीले नाग को दूध पिलाने और चींटी को शक्कर खिलाने तथा पेड़-पौधे, पशु-पक्षी में भी जीव और ईश्वर के वास होने का विश्वास रखता हो, वह कैसे साम्प्रदायिक एवं संकीर्ण दृष्टिकोण का हो सकता है? समानता और समरसता का भाव लेकर सम्पूर्ण विश्व की शांति की बात करने वाले हैं हम सब. देश के महान संतों के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सभी ने एक ही भाव लेकर कार्य किया है कि भारत एक राष्ट्र है.
OTC Damoh-3क्षेत्र प्रचारक जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्वयं की प्रेरणा से देश के लिये कार्य करने वालों का संगठन है. इसमें किसी भी प्रकार की जाति-पांति और लिंग भेद को स्थान नहीं है. समरसता का भाव लेकर यह प्रारम्भ से ही लगातार कार्य करता आ रहा है. इसीलिये आप देखते होंगे कि कहा जाता है एकसह:सम्पत, यह नहीं कहा जाता कि पहले आप फिर दूसरा? उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभिन्न योगदानों का भी विस्तार से उल्लेख किया. रामदत्त जी ने कहा कि राष्ट्र ही नहीं सम्पूर्ण विश्व इस समय तीन समस्याओं से जूझ रहा है- वैश्विक आंतकवाद, वैश्विक वार्मिंग और वैश्विक मंदी. तीनों समस्याओं का समाधान हिन्दुत्व में छिपा हुआ है.
OTC Damoh-4विश्व में एकल परिवारों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने इसका समाधान भी देश के दर्शन में बताया और संयुक्त परिवार की भारतीय अवधारणा को स्पष्ट किया.
अपने  उद्बोधन में अनेक बार उपस्थितों को विचारोत्तेजित करने में सफल क्षेत्र प्रचारक ने कहा, “इस पुण्य भूमि भारत का पत्थर बनना भी सौभाग्य की बात कही जाती है फिर हम तो मनुष्य हैं हम से सौभाग्यशाली कौन है? इस से भी ज्यादा सौभाग्य की बात तो यह है कि हम सब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं.”
मंच पर वर्गाधिकारी रविन्द्र जी श्रीवास्तव एवं कार्यक्रम अध्यक्ष घनश्याम जी पटेल उपस्थित थे.
दिलाया संकल्प-
अपने प्रेरणादायी उद्बोधन के अंत में रामदत्त जी ने कहा कि आज गंगा दशहरा का पवित्र दिन है. हम सबको सरकार पर आश्रित रहने की आवश्यकता नहीं है गंगा को स्वच्छ तो बनाना ही है साथ ही हम सब संकल्प लें कि अपने क्षेत्र की नदी,तालाब,कुओं को स्वच्छ और निर्मल बनाने में अपना योगदान करेंगे.
स्वयंसेवकों का प्रदर्शन-
सत्य का आधार लेकर हम हिमालय से खड़े हैं… की पंक्तियों के एक स्वर में गायन ने उपस्थित जन समूह को रोमांचित कर दिया. स्वयंसेवकों ने गीत के पश्चात् प्रस्तुतियां देना प्रारंभ किया. नियत समय पर सम्पत तथा अधिकारी आगमन के साथ ध्वजारोपणम एवं प्रार्थना के बाद स्वयंसेवकों ने शारीरिक प्रदर्शन प्रारंभ किया. इस अवसर पर श्रीराम,श्री शिव,श्री लक्ष्मण एवं पवनपुत्र के वेश को धारण किये स्वयंसेवक विशेष आर्कषण का केन्द्र रहे वहीं, साथ में चलने वाले जामवंत एवं वानरों ने भी सबको आकर्षित करने का कार्य किया. स्वयंसेवकों ने दण्ड, नियुद्ध, दण्डनियुद्ध, मनोरे/गोपुर, योगासन, घोषव्यायाम योग, सूर्य नमस्कार को प्रस्तुत कर सबको प्रभावित किया. भारत माता के रूप में एक स्वयंसेवक भी आकर्षण का केन्द्र बना रहा.
किसने क्या कहा -
उक्त संघ शिक्षा वर्ग के सर्व व्यवस्था प्रमुख एवं सागर विभाग के विभाग कार्यवाह रामलाल जी ने वर्ग के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूं मातृ भूमि अभी तुझ को और कुछ दूं. वर्ग का प्रतिवेदन कैलाशनाथ जी वर्गवाह ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि महाकौशल प्रांत में आठ विभाग एवं उन्नतीस जिले हैं जिसमें चार विभाग के चौदह जिलों का यह वर्ग दमोह में आयोजित किया गया था. 21 दिनों तक चले उक्त वर्ग में प्रशिक्षणार्थियों के भोजन के लिये रामरोटी एकत्रित करने प्रतिदिन छ:सौ परिवारों से संपर्क किया गया. जिसमें प्रतिदिन छ:हजार रोटियां एकत्र की गयीं. हमने इस दौरान 12 हजार 600 परिवारों से संपर्क किया तथा 1 लाख 26 हजार रोटियां एकत्र कीं. इन्होंने वर्ग सम्पन्न कराने में समस्त सहयोगियों का आभार भी व्यक्त किया. कार्यक्रम के अध्यक्ष घनश्याम जी पटेल ने कहा कि मनुष्य को सेवा एवं सहयोग के लिये सदैव तत्पर रहना चाहिये. ऐसा करने वाले को भगवान ठीक उसी रूप में लौटाता है जैसे कि एक गेंहूं का दाना बोने पर उसकी पैदावार होती है.
डा.एल.एन.वैष्णव

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