Wednesday, June 11, 2014

अर्थव्यवस्था पर स्वदेशी जागरण मंच का विमर्श

नई दिल्ली. स्वदेशी जागरण मंच की दिल्ली इकाई का प्रांतीय सम्मेलन 8 जून को स्टार बैंक्वट हॉल (कश्मीरी गेट) में संपन्न हुआ. इस सम्मेलन में वर्तमान आर्थिक चुनौतियों पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट किये. साथ ही, दिल्ली प्रदेश के संयोजक श्री गोविन्दराम अग्रवाल ने स्वदेशी जागरण मंच की सक्रियता पर जोर दिया. सम्मेलन में पर्यावरण, जी.एम. फूड, जीवन में स्वदेशी आदि विषयों पर चर्चा की गई. जिसमें डा. अश्वनी महाजन (राष्ट्रीय सहसंयोजक), श्री भोला नाथ (चौपाल, सीबीएमडी), श्री सतीश जी (उत्तरभारत संगठक), श्री कमलजीत जी (संगठक दिल्ली, हरियाणा), श्री दीपक शर्मा ‘प्रदीप’ प्रख्यात स्वदेशी विशेषज्ञ, श्री कमल तिवारी (सहसंयोजक, दिल्ली) श्री सुशील पांचाल (सहसंयोजक, दिल्ली) प्रो. नरेश गुप्ता, योगेन्द्र चंदौलिया (महापौर उत्तरी दिल्ली), रविन्द्र गुप्ता (उपमहापौर उत्तरी दिल्ली), यशवंत जी आदि ने उपरोक्त विषयों पर स्वदेशी कार्यकर्ताओं और आगन्तुकों का मार्गदर्शन किया.
सम्मेलन में देश की अर्थव्यवस्था पर संकट के संदर्भ में व्यापक चर्चा भी हुई. बैठक में भारत में विदेशी निवेश, आर्थिक चुनौतियां और समाधान एंव जीएम फसलों के खुले परीक्षण से संभावित खतरों पर विचार-विमर्श किया गया. विदेशी निवेश पर डा. महाजन ने कहा कि अमेरिका और यूरोप के आर्थिक तंत्र का खोखलापन उजागर हो चुका है. वर्ष 2012-13 में, जबकि देश को मात्र 26 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ, विदेशी निवेशक रॉयल्टी, ब्याज, डिविडेंट और वेतन के नाम पर 31.7 अरब डालर देश से बाहर लेकर चले गये. लगातार ऊंची बनी हुई देश की बचत दर के चलते देश को वास्तव में विदेशी निवेश पर निर्भरता की बजाय अपने संसाधनों का ठीक प्रकार से समायोजन करना चाहिये. सम्मेलन ने नवनिर्वाचित सरकार को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रोजगार, प्रौद्योगिकी उन्नयन और गरीबी निवारण पर प्रभावों के मद्देनजर अध्ययन कराने का सुझाव दिया है. स्वदेशी जागरण मंच ने पिछली सरकार की जन विरोधी आर्थिक नीतियों के कारण बढ़ी बेरोजगारी, भुखमरी, महंगाई और रुपये के अवमूल्यन, बढ़ते भ्रष्टाचार एवं देश पर कसते विदेशी शिकंजे के बारे में आगाह करते हुए कृषि पर अधिक ध्यान देने, कोमोडिटी एक्सचेंजों में कृषि उत्पादों को बाहर कर उनकी कीमतों को बढ़ने से रोकने का सुझाव दिया है. महंगाई को रोकने के लिये रुपये के मूल्य में सुधार हेतु विभिन्न प्रकार के सुझाव भी सम्मेलन में दिए गये.
पिछली सरकार के शासन के 10 सालों में बेरोजगारों की संख्या में 10 करोड़ की वृद्धि हुई है. ऐसे में रोजगारपरक आर्थिक नीति की जरूरत को रेखांकित करते हुए एनडीए शासन के दौरान बनी एस.पी. गुप्ता कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी सम्मेलन में की गई. साथ ही कहा गया है कि अगर देश के निर्माण क्षेत्र में सुधार लाना है तो उसके लिये आयातों और खासतौर पर चीन से आयातों पर लगाम कसने की जरूरत है. इस अवसर पर नईदिल्ली से  भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी  ने भी अपने को स्वदेशी परिवार का बताते हुए कहा कि मैं और हमारी सरकार रोजगारपरक स्वदेशी नीति लागू करेगी.
स्वदेशी जागरण मंच ने जीएम फसलों के खुले में परीक्षण से संभावित खतरों के बारे में आगाह करते हुए मांग की है कि जिन जी.एम. फसलों के परीक्षण की अनुमति पूर्व पर्यावरण मंत्री ने दी दी है, उनके खुले में परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाये. किसी भी हालत में जी.एम. परीक्षण कभी भी बन्द ग्रीन हाउस के बाहर नहीं किये जायें. इसके साथ ही आयातित जी.एम. द्रव्य युक्त खाद्य पदार्थों पर जी.एम. लेबल की अनिवार्य बाध्यता को प्रभावी ढंग से लागू किया जाये. सम्मेलन में श्री सतीश ने न्यूनतम तीन वस्तुओं विदेशी पेय जैसे पेप्सी, कोक, साबुन जैसे लक्स, लिरिल, लाइफबॉय और मंजन जैसे कोलगेट क्लोजप विदेशी वस्तुओं के पूर्ण बहिष्कार का आह्वान किया. जिसका सभागार में उपस्थित सभी श्रोताओं ने तालियों के साथ अनुमोदन किया. इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि के रुप में मनमिन्दर सिंह नांरग अयूर वाले, डा.सम्विद पात्रा, सतपाल शर्मा, रमाकान्त (बिट्टू टिक्की वाले) एंव अनिल शर्मा जैसे गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

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