Saturday, January 31, 2015

राष्ट्र की प्रकृति के अनुरूप हों विकास की नीतियां: प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी

भोपाल, 30 जनवरी (विसंके). हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र का अपना स्वभाव और प्रकृति होती है. उसी प्रकृति के अनुरूप नीतियां बनें तो विकास होगा, अन्यथा विकृति आयेगी. मनुष्य का बौद्धिक विकास सबसे पहले घर में होता है और फिर समाज में. अब तो मनुष्य के बौद्धिक विकास में मीडिया की अहम भूमिका हो गई है. इसलिये मीडिया को सांस्कृतिक भारत की प्रकृति को जानकर उसका हस्तातंरण करना चाहिये. प्रो. सोलंकी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के तत्वावधान में क्रांतिकारी कवि और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. माखनलाल चतुर्वेदी के पुण्य स्मरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे. कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता केन्द्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार रमेश पतंगे उपस्थित रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की.
राज्यपाल प्रो. सोलंकी ने कहा कि दुनिया के प्रत्येक राष्ट्र का निर्माण किसी न किसी राजा ने किया है, इसलिए वे सब राजनीतिक राष्ट्र हैं. जबकि भारत का निर्माता कोई राजा नहीं है, इसलिए यह सांस्कृतिक राष्ट्र है. संतों की परंपरा और ज्ञान से भारत का निर्माण हुआ है. भारत को जानना है तो महात्मा गांधी और पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन को देख लीजिये. केवल हम ही इनके जीवन से प्रेरणा नहीं लेते, बल्कि दुनिया सीखती है. अमरीका के राष्ट्रपति ने तो बार-बार महात्मा गांधी को याद किया. पत्रकारिता के महत्व को रेखांकित करते हुए राज्यपाल प्रो. सोलंकी ने कहा कि देश की दिशा ठीक रखने के लिये पत्रकारिता का बहुत महत्व है. यदि आज के पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता के आदर्शों का अनुसरण करें तो देश ठीक रास्ते पर चलेगा. पत्रकारिता कभी भी पैसा कमाने का जरिया नहीं हो सकती. पत्रकारों को महात्मा गांधी के प्रिय भजन से प्रेरणा लेनी चाहिये. यदि पत्रकार के मन में ‘पीर पराई’ का भाव आ जाये तो समाज में बहुत बड़ा बदलाव आ जायेगा.
eबौद्धिक स्वतंत्रता की लड़ाई सबसे कठिन है : वरिष्ठ पत्रकार रमेश पतंगे
वरिष्ठ पत्रकार रमेश पतंगे ने कहा कि चार प्रकार की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण होती हैं. राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक स्वतंत्रता. हमने राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है, सामाजिक स्वतंत्रता के लिए लम्बा संघर्ष चलता है और आर्थिक स्वतंत्रता के लिये भी लड़ रहे हैं. बौद्धिक स्वतंत्रता की लड़ाई सबसे कठिन होती है, लेकिन यह बहुत आवश्यक है. आज मीडिया को यह जिम्मेदारी मिली है. उसे चिंतन करना चाहिये कि राष्ट्र का बौद्धिक विकास कैसे करे? श्री पतंगे ने कहा कि इतिहासकारों ने एक बौद्धिक भ्रम समाज के सामने खड़ा कर दिया है. इतिहासकारों ने भारत के गौरवशाली इतिहास को नकारा है, उसे ठीक ढंग से नहीं लिखा. आर्यों का सिद्धांत इसका उदाहरण है. बाबा साहेब आम्बेडकर ने अपनी पुस्तक में इस बात का पुरजोर खण्डन किया है कि आर्य बाहर से आये थे. मीडिया की जिम्मेदारी है कि भ्रम को दूर करना चाहिये. पतंगे ने कहा कि राष्ट्र का बौद्धिक विकास करना है तो हमें अपने इतिहास, परम्पराओं, दर्शन और तत्व ज्ञान को अच्छे से समझना होगा. आजादी के बाद भले ही पत्रकारिता का परिदृश्य बदल गया हो, लेकिन आज भी महात्मा गांधी और माखनलाल चतुर्वेदी की मूल्य आधारित पत्रकारिता की जरूरत है. सिर्फ पैसा कमाना पत्रकारिता का उद्देश्य नहीं हो सकता, समाज के बौद्धिक विकास में उसकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है.
dमीडिया बढ़ाता है व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता : कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि विद्यालयीन और महाविद्यालयीन शिक्षा के अलावा मीडिया भी व्यक्ति की बौद्धिकता को बढ़ाता है. समाज के बौद्धिक स्तर को श्रेष्ठतम स्तर तक ले जाने की जिम्मेदारी मीडिया की है. अपनी जिम्मेदारी को समझते हुये पत्रकारों को किसी भी समाचार को प्रकाशित करने से पूर्व विकसित विवेक के आधार पर विचार करना चाहिये. पं. माखनलाल चतुर्वेदी की दो कविताओं का संगीतमय पाठ विद्यार्थियों ने किया. कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया.


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