शिमला. वीरव्रती इतिहास पुरुष ठाकुर राम सिंह जी का जन्मशती समारोह 15 फरवरी को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला में मनाया जा रहा है. यह वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों के तहत शुभारंभ कार्यक्रम रहेगा, तत्पश्चात वर्षभर विभिन्न संगोष्ठियों सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.
जन्शताब्दी कार्यक्रमों की शुरूआत 15 फरवरी को ठाकुर जगदेव चंद शोध संस्थान नेरी जिला हमीरपुर हिमाचल प्रदेश से होगी. जिसके पश्चात संगोष्ठियों का आयोजन होगा. संस्थान में 15 फरवरी को प्रात 11 बजे सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, दोपहर को प्रीति भोज, तत्पश्चात शाम पांच बजे ठाकुर राम सिंह एक व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर गोष्ठी का आयोजन होगा. शाम साढ़े आठ बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिसमें भजन तथा पारंपरिक कुल्लू नाटी मुख्य रूप से शामिल रहेंगे.
समारोह के तहत 16 फरवरी को सुबह नौ बजे से हवन का आयोजन किया जाएगा, उसके पश्चात 11.15 बजे से कार्यकर्ता बैठक होगी. जन्मशताब्दी कार्यक्रम में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के पूर्व कुलपति डॉ सुरेश्वर शर्मा अध्यक्ष तथा हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करेंगे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य मा. इंद्रेश कुमार जी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहेंगे.
ठाकुर राम सिंह एक संक्षिप्त परिचय
हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर के झंडवीं गांव में 1915 में ठाकुर राम सिंह का जन्म हुआ था. क्रिश्चियन कालेज से स्वर्ण पदक के साथ एमए की डिग्री हासिल की, कालेज प्रबंधन ने अच्छे वेतन के साथ प्राध्यापक का पद आफर किया, लेकिन ठाकुर राम सिंह जी ने इसे ठुकरा दिया. 1942 में प्रथम वर्ष करने के पश्चात प्रचारक बन गये. दोनों प्रतिबंधों के दौरान ठाकुर राम सिंह ने स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया, साथ ही जेल गये कार्यकर्ताओं के परिवारों को भी संभाला. 1949 में श्री गुरूजी ने ठाकुर राम सिंह जी को पूर्वोत्तर भारत भेजा, जहां उन्होंने कठिन परिस्थितियों में संघ कार्य की नींव रखी. ठाकुर जी को अपने रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल पर बहुत भरोसा था. सैकड़ों किमी. की यात्रा वे इसी से कर लेते थे. पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक दुर्घटना में उनकी एक आंख और घुटने में भारी चोट आयी, जो जीवन भर ठीक नहीं हुई. पर, उनका प्रवास निरंतर जारी रहा. वर्ष 1984 में इतिहास संकलन योजना की जिम्मेवारी मिली, 1991 में राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेवारी मिली, जिसके पश्चात देश के वास्तविक इतिहास को सामने लाने के लिये निरंतर प्रयासरत रहे, अनेकों कार्यकर्ताओं को वास्तविक इतिहास के लेखन और खोज के लिये प्रोत्साहित किया. उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि विदेशी, और वामपंथी इतिहासकारों के सिकंदर विजय, आर्य आक्रमण पर तथ्यों को झूठा साबित किया जा सका. ठाकुर राम सिंह 94 वर्ष की आयु के बावजूद अकेले प्रवास करते थे, किसी कार्यकर्ता या छड़ी का कभी सहारा नहीं लिया. छह सितम्बर, 2010 को लुधियाना में संघ के वयोवृद्ध प्रचारक एवं भारतीय इतिहास के पुरोधा का देहांत हुआ. उनकी इच्छानुसार उनका दाह संस्कार उनके पैतृक गांव में ही किया गया.
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