माघ शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११६
नई दिल्ली: शिवसेना ने मांग की है कि संविधान की प्रस्तावना से सेकुलर शब्द को हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि भारत कभी सेकुलर राष्ट्र नहीं रहा बल्कि हिंदू राष्ट्र रहा है। पूरा विवाद खड़ा हुआ एक सरकारी विज्ञापन के बाद जिसमें संविधान की प्रस्तावना में सेकुलर शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके बाद विपक्ष ने सरकार पर जोरदार निशाना साधा।
गणतंत्र दिवस के मौके पर इनफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री के एक विज्ञापन को लेकर विवाद छिड़ गया है। इस विज्ञापन से सेकुलर और सोशलिस्ट जैसे शब्द गायब थे। शिवसेना ने केंद्र सरकार से इस विज्ञापन को हटाने की मांग की है।
शिवसेना के मुताबिक भारत हिंदू राष्ट्र है और कभी भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र नहीं रहा है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत के मुताबिक, ‘भारत सेकुलर देश नहीं है। अगर पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है तो भारत भी हिंदू राष्ट्र है।’
शिवसेना की माने तो बीजेपी ने यह गलती जानबूझकर की है और वो इस मामले पर बहस करना चाहती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि शिवसेना इस मुद्दे को सियासी रंग देकर मौके का फायदा उठाना चाहती है। यह किसी से छिपा नहीं है कि शिवसेना ने सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट पार्टी के तौर पर ही मुंबई में अपने पैर पसारे हैं।
वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पॉलिटिकल एडवाइजर और पूर्व बीजेपी नेता सुधींद्र कुलकर्णी ने भी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनके मुताबिक खुद अटल चाहते थे कि देश सेकुलर और सोशलिस्ट हो और अगर बीजेपी इन शब्दों को हटाती है तो यह अटल बिहारी वाजपेयी की बात ना मानने जैसा होगा। कुलकर्णी ने ट्विटर के जरिए अपनी बात रखी।
स्त्रोत: आज तक
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