चैत्र कृष्ण पक्ष त्रयोदशी , कलियुग वर्ष ५११६
नई दिल्ली – २०१३ में देश को हिला देने वाले बोध गया और पटना ब्लास्ट के आरोपी छत्तीसगढ़ के मासूम मुस्लिम युवकों को अलकायदा में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान भेजने की योजना बना रहे थे। एनआईए का कहना है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने सिमी के जिस माड्यूल का रायपुर में पर्दाफ़ाश किया था, दरअसल वो माड्यूल पूरी तरह से प्रशिक्षण प्राप्त सिमी का जेहादी जत्था था।
नईदुनिया के पास मौजूद राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा दाखिल की गई दूसरी चार्जशीट में बोध गया और पटना ब्लास्ट के छत्तीसगढ़ कनेक्शन को लेकर चौंका देने वाली बातें सामने आई है। पटना ब्लास्ट की दूसरी चार्जशीट से पता चलता है कि रायपुर में सिन्धी समुदाय के एक धार्मिक नेता के माध्यम से उमेरसिद्दीकी ने पाकिस्तान के करांची स्थित बैंक अल्फाला में जेर अली खान के खाते में ३ लाख रूपए भिजवाए थे यह पैसा वाया पाकिस्तान अफगानिस्तान जाना था। एजेंसी द्वारा यह चार्जशीट पिछले वर्ष अक्टूबर माह में तैयार की गई थी । आरोपियों ने माना है कि ब्लास्ट के बाद वे अफगानिस्तान भागने की योजना बना रहे थे।
माइंड वाश किया
एजेंसी ने अपनी इस चार्जशीट में रायपुर के नूरानी चौक निवासी सफी सिद्दीकी के पुत्र उमेर को जो पेशे से शिक्षक था, मुख्य आरोपी बनाया है। उमेर ने २७ अक्टूबर २०१३ को पटना में हुए बम ब्लास्ट में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । राष्ट्रीय जांच एजेंसी की तफ्तीश से पता चलता है कि बोधगया ब्लास्ट का मुख्य आरोपी हैदर अली उर्फ़ अब्दुल्लाह उसका दूसरा साथी उमर सिद्दीकी रायपुर के मुस्लिम युवकों का माइंड वाश करने में लगा था।
सिमी से जुड़े ये आतंकी इन युवकों को जेहाद की ट्रेनिंग देकर अफगानिस्तान भेजने की मुहिम में लगा था जहाँ इन युवकों को आतंकवादी संगठन अल-कायदा के लिए काम करना था। इस दौरान युवकों को गुजरात दंगे ,मुंबई दंगे और मुजफ्फर नगर दंगों के बारे में विस्तार से समझाया जाता रहा। जिसके बाद इन लोगों ने एक जेहादी जत्था भी तैयार कर लिया था, जिसमे अम्मार, सुभान, मोहम्मद अली, मोहम्मद दाउद खान और अजहरुद्दीन कुरैशी नाम के युवक शामिल थे।
१६ लोगों को किया गिरफ्तार
इनके साथ १६ लोगों को रायपुर पुलिस ने बाद में गिरफ्तार कर लिया था। एनआईए प्रवक्ता रामाशास्त्री ने नईदुनिया को बताया कि इन लोगों द्वारा जिहाद के लिए विदेशों में धन भेजने की बात तो पता चली है ,लेकिन युवकों को अफगानिस्तान भेजा गया कि नहीं इसका खुलासा नहीं हुआ है ।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी की चार्जशीट बताती है कि बोधगया ब्लास्ट के लिए आतंकियों को अमोनियम नाइट्रेट और सल्फर उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन कुरैशी ने रायपुर से ही उपलब्ध कराया था। बोधगया ब्लास्ट के तीन दिनों बाद जब हैदर रांची पहुंचा तो इस बात से बेहद दुखी हुआ कि ब्लास्ट में किसी की मौत नहीं हुई । हैदर अली के माध्यम से एजेंसी ने उन लोगों की पहचान कर ली है जिन्होंने विस्फोटक मुहैया कराया था। उन्हें गवाह के तौर पर न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना है। हैदर ने ही घटना में शामिल आतंकवादियों को मोबाइल फोन साथ न रखने की ताकीद की थी ।
रायपुर में भी बनी थी ब्लास्ट की योजना
राष्ट्रीय जांच एजेंसी की तफ्तीश से पता चला है कि उमेर सिद्दीकी और हैदर अली उर्फ़ अब्दुल्लाह की मुलाकात २०१० में सिमी लीडर इकरार शेख और अबू फैसल ने कराई थी । यह दोस्ती कुछ समय बाद परवान चढ़ी और हैदर बार बार रायपुर आने लगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की जांच से पता चला है कि बोधगया ब्लास्ट की योजना रांची के अलावा उमेर सिद्दीकी पुत्र सफी सिद्दीकी के रायपुर में नूरानी चौक स्थित आवास पर बनाई गई।
रिपोर्ट बताती है कि उमेर सिद्दीकी ने ही अपने साथी अजहरुद्दीन कुरैशी की मदद से पटना ब्लास्ट के आरोपियों को अपने यहां शरण दी थी। दरअसल जब बोध गया ब्लास्ट के मामले में पुलिस किसी नतीजे पर न पहुंची तो इन लोगों का साहस और भी बढ़ गया उसके बाद उमर ने हैदर और अन्य साथियों के साथ मिलकर पटना ब्लास्ट को अंजाम दिया। महत्वपूर्ण है कि उमेर और उसके साथी हैदर से इसी सप्ताह बंगलौर पुलिस ने दिसंबर माह में हुए चर्च स्ट्रीट विस्फोट मामले में पूछताछ की है।
स्त्रोत : नई दुनिया
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